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सावधान फलों को ताजा एवं आकर्षक दिखाने हेतु हो रही जहरीली वैक्स की कोटिंग

सावधान फलों को ताजा एवं आकर्षक दिखाने हेतु हो रही जहरीली वैक्स की कोटिंग

आजकल खाद्य पदार्थों में बहुत ज्यादा मिलावटखोरी की जा रही है। फिर चाहे वो आटा हो दूध हो या मसाला यहां तक कि अब फल-सब्जियां भी सुरक्षित नहीं रही हैं। सब्जियों की बात करें तो इनको ताजातरीन व चमकीला बनाए रखने हेतु काफी हानिकारक दवाइयां लगाई जा रही हैं, जिनकी पहचान करना अत्यंत आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति अच्छे स्वास्थ्य हेतु फलों का उपभोग करता है। इन फलों द्वारा ऐसे पोषक तत्व अर्जित होते हैं, जो कि सामान्य रूप से खाद्य पदार्थों से प्राप्त नहीं हो पाता है। परंतु, क्या आपको पता है कि कभी-कभी इन फलों द्वारा आपका स्वास्थ्य भी खराब हो सकता हैं। आपको जानकर बहुत आश्चर्य होगा कि फलों को चमकाने व ताजा रखने हेतु एक प्रकार की वैक्स अथवा मोम का उपयोग किया जाता है। बाजार में जब यह चमकीले फल आते हैं, तो अपने आकर्षण के कारण हाथों हाथ बिक जाते हैं। लोग बिना किसी जाँच-पड़ताल के इन फलों का सेवन भी कर लेते हैं। परंतु, इन पर फलों पर लगाई गयी नुकसानदायक वैक्स आपके शरीर को अंदरूनी तरीके से काफी हानि पहुंचाती है।


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आगे हम आपको इस इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि आखिर क्यों फलों पर वैक्स की कोटिंग की जा रही है। फलों पर चढाई जा रही वैक्स कितने प्रकार की होती है, इससे क्या हानि हैं, कैसे वैक्स की कोटिंग वाले फल को पहचानें एवं खाने से पूर्व फलों से कैसे इस वैक्स को हटाएं।

वैक्स की कोटिंग किस वजह से की जाती है

सर्वाधिक वैक्स सेब के फल पर लगाई जाती है। फल पेड़ों पर लगे हों तो उनकी तुड़ाई से 15 दिन पूर्व रंग लाने हेतु रासायनिक छिड़काव किया जाता है। इसकी वजह से सेब का रंग लाल व चमकीला हो जाता है। रसायन के सूखने के उपरांत सेब के ऊपर प्लास्टिक अथवा मोम जैसी परत निर्मित हो जाती है। जल से धोने की स्थिति में सेब हाथ से भी फिसल जाएगा, परंतु वैक्स नहीं हट पायेगी। इस प्रकार सेब के ऊपर मोम की कोटिंग करने के पीछे भी एक बड़ा कारण है। आमतौर पर फल, सब्जियों की तुड़ाई के उपरांत फलों में शीघ्रता से खराब होने की संभावना बनी रहती है। फल व सब्जियों के विपणन हेतु शहर तक ले जाने में भी काफी वक्त लग जाता है। ऐसे में फल व सब्जियों के संरक्षण एवं आसानी से बाजार तक ले जाने हेतु प्राकृतिक वैक्स का उपयोग किया जाता है, जो बिल्कुल शहद की भाँति मधुमक्खी के छत्ते द्वारा प्राप्त की जाती है। वैक्स के छिड़काव से फलों का प्राकृतिक पोर्स बंद हो जाता है एवं नमी ज्यों की त्यों रहती है। सामन्यतः ऐसा हर फल के साथ में नहीं किया जाता, बल्कि निर्यात होने वाले अथवा महंगे फल-सब्जियों पर ही वैक्स का उपयोग किया जाता है।

इसकी अनुमति किसके माध्यम से प्राप्त होती है

बहुत सारे लोग यह सोचते हैं, कि बहुत सारे दशकों से फलों पर वैक्स का उपयोग किया जा रहा है, तो क्या ये सुरक्षित है? आपको बतादें, कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया FSSAI द्वारा एक निर्धारित सीमा तक प्राकृतिक मोम मतलब नेचुरल वैक्स की कोटिंग करने की स्वीकृति देदी है। यह प्राकृतिक मोम शारीरिक हानि नहीं पहुंचाता। विशेषज्ञों के अनुसार फलों पर उपयोग की जा रही वैक्स भी तीन प्रकार की होती है, जिसमें ब्राजील की कार्नाबुआ वैक्स (Queen of Wax), बीज वैक्स एवं शैलेक वैक्स शम्मिलित है।


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अगर फलों पर इनमें से किसी भी वैक्स उपयोग हुई है, तो दुकानदार का यह सबसे बड़ा दायित्व है, कि फलों पर लेबल लगाकर खरीदने वाले को ज्ञात कराए कि इस वैक्स को क्यों लगया गया है। परंतु नेचुरल वैक्स के बहाने कुछ लोग अधिकाँश रासायनिक वैक्स का उपयोग करते हैं। उसका न तो फलों पर लेबल दिखाई देता है व ना ही किसी प्रकार की कोई जानकारी दी गयी होती है। बहुत से शोधों द्वारा पता चला है, कि फलों पर हर प्रकार की वैक्स स्वास्थ्य हेतु काफी नुकसानदायक होती है। इसकी वजह से शरीर में टॉक्सिंस की मात्रा में वृद्धि हो जाती है, जिससे देखते ही देखते बदहजमी, अपच एवं पेट दर्द की समस्या से लेकर आंख, आंत, लीवर, हृदय, आंत में कैंसर, आंतों में छाले अथवा इंफेक्शन उत्पन्न हो जाता है।

वैक्स की आड़ में मिलावट खोर कर रहे धांधली

रिपोर्ट्स के मुताबिक, FSSAI की तरफ से एक सीमित मात्रा में ही नेचुरल वैक्स के उपयोग की अनुमति प्राप्त होती है। जो कि मधुमक्खी के छत्ते से तैयार किया जाता है, जिसको जल में डालते वक्त ही निकल जाती है, साथ ही, यह पूर्णतय सुरक्षित है। परंतु इस प्राकृतिक मोम के अतिरिक्त, बहुत सारे व्यापारी बाजार में जब फलों की मांग बढ़ती है तब कुछ मिलावट-खोर लोग फल एवं सब्जियों को चमकाने हेतु पेट्रोलियम लुब्रिकेंट्स, रसायनयुक्त सिंथेटिक वैक्स, वार्निश का उपयोग भी करते हैं। जो स्वास्थ्य हेतु नुकसानदायक अथवा जानलेवा भी साबित हो सकता है। इनकी पहचान हेतु फल खरीदते वक्त ही रंग, रूप एवं ऊपरी सतह को खुरचकर पहचान की जा सकती है। किसी धारदार चीज अथवा नाखून से फल को रगड़ने तथा खुरचने के उपरांत सफेद रंग की परत या पाउडर निकलने लगे तो समझ जाएं कि वैक्स का उपयोग किया गया है।

वैक्स को हटाने का आसान तरीका

बाजार में मानकों पर आधारित वैक्स की कोटिंग वाले फलों के विक्रय हेतु अनुमति होती है। इस वैक्स को हटाना को ज्यादा मुश्किल काम नहीं होता है, आप फलों को पहले देखभाल करके ही खरीदें एवं घर लाकर गर्म जल से बेहतरीन रूप से धुलकर-कपड़ों से साफ करके खाएं। बतादें, कि गर्म जल की वजह से वैक्स पिघल जाती है साथ ही केमिकल भी फलों से निकल जाता है। यदि आप चाहें तो एक बर्तन में जल लेकर नींबू एवं बेकिंग सोडा डालें और सब्जियों-फलों को इस पानी में छोड़ सकते हैं। कुछ देर के उपरांत सब्जियों को बेहतर तरीके से रगड़कर साफ करें और खाएं। कुल मिलाकर फल-सब्जियों को खरीदते वक्त एवं खाने से पूर्व सावधानियां जरूर बरतें। क्योंकि आजकल बाजार में मिलावटखोर खूब मिलावटी सामान बाजार में शुद्ध बताकर बेच रहे हैं। इसलिए हमें बेहद सावधान और जागरुक होने की आवश्यकता है। यदि आपको कोई गलत पदार्थ बेचता है तो उसकी तुरंत शिकायत की जाए।
अगर आप भी चावल में मिलावट कर उसे बेच रहे हैं तो सावधान हो जाइए

अगर आप भी चावल में मिलावट कर उसे बेच रहे हैं तो सावधान हो जाइए

भारत में उगाए जाने वाले बासमती चावल का पूरी दुनिया में डंका बजता है। अगर पिछले साल की बात की जाए तो साल 2022-23 में बासमती चावल का निर्यात 24.97 लाख टन दर्ज किया गया है। अमेरिका और यूरोप में तो भारत के बासमती चावल की डिमांड है ही इसके साथ-साथ अरब के देशों में भी भारत से बासमती चावल मंगवाए जाते हैं। यही कारण है, कि पिछले कुछ समय में ना सिर्फ भारत चावल का सबसे बड़ा उत्पादक देश रहा है। बल्कि हम पूरे विश्व में बहुत ही बड़े स्तर पर चावल का निर्यात भी करते हैं। भारत की तरफ से हमेशा कोशिश की जाती है, कि पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय बाजार मानकों के आधार पर खरा उतरने के बाद ही बासमती चावल का निर्यात किया जाए। लेकिन आजकल बहुत से व्यापारी और चावल वितरित करने वाली कंपनियां नकली बासमती चावल बेच रही हैं। इस तरह की गड़बड़ी करते हुए अपनी नोटों से जेबें भर रहे हैं। ऐसी गैर-कानूनी गतिविधियों पर अब भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण यानी FSSAI ने लगाम कस दी है। अगर रिपोर्ट्स की मानें तो FSSAI ने बासमती चावल की क्वालिटी और स्टैंडर्ड के लिए खास नियम तय कर दिए हैं, जिनका पालन चावल कंपनियों को करना ही होगा। ये नियम 1 अगस्त 2023 से देशभर में लागू हो जाएंगे। नियमों का पालन न किए जाने पर व्यापारियों और कंपनियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी।

अब बाज़ार में बिकेगा केवल नेचुरल बासमती चावल

असली बासमती चावल में अपनी खुद की एक प्राकृतिक सुगंध होती है। लेकिन आजकल कई कंपनियां आर्टिफिशियल कलर और नकली पॉलिश करते हुए बासमती चावल में बाहर से एक अलग खुशबू डाल देती हैं। इस तरह के नकली चावल देशभर में बेचे जा रहे है। लेकिन अब सरकार ने इस कुकर्म पर लगाम लगाने की ठान ली है। ऐसी कंपनियों पर लगाम कसते हुए अब भारत सरकार के बजट में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड (फूड प्रोडक्ट स्टैंडर्ड एंड फूड एडिटिव) फर्स्ट अमेंडमेंट रेगुलेशन 2023 नोटिफाई किया गया है।


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इसमें बासमती चावल के लिए खास स्टैंडर्ड निर्धारित किए गए हैं, ताकि असली बासमती की पहचान, सुगंध, रंग और बनावट के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके। नए नियमों में ब्राउन बासमती, मिल्ड बासमती, पारबॉइल्ड ब्राउन बासमती और मिल्ड पारबॉइल्ड बासमती चावल को प्रमुखता से जोड़ा गया है। इन खास तरह के स्टैंडर्ड का पालन न करने पर कंपनियों के खिलाफ सरकार की तरफ से लीगल एक्शन लिया जा सकता है।

किसे कहेंगे असली बासमती चावल

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण यानी FSSAI द्वारा निर्धारित रेगुलेटरी स्टैंडर्ड्स के अनुसार, असली बासमती चावल वही होगा, जिसमें प्राकृतिक सुगंध होगी। साथ ही, इन नियमों के तहत बासमती चावल को किसी भी तरह से आर्टिफिशियल पॉलिश नहीं किया जाएगा। जो भी कंपनियां बासमती चावल बेच रही हैं, उन्हें पकने से पहले और पकने के बाद के चावल का आकार निर्धारित करना होगा। इसके अलावा चावल कंपनियों को बासमती चावल में नमी की मात्रा, एमाइलॉज की मात्रा, यूरिक एसिड के साथ-साथ बासमती चावल में टुकड़ों की उपस्थिति और इनकी मात्रा की पूरी जानकारी देनी होगी।

1 अगस्त से लागू हो जाएंगे नियम

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा बासमती चावल के लिए निर्धारित रेगुलेटरी स्टैंडर्ड्स 1 अगस्त 2023 से लागू हो जाएंगे। इन नियमों का सबसे बड़ा मकसद बासमती चावल में हो रही मिलावट को खत्म करना है। साथ ही, ग्राहकों के हितों की रक्षा देश नियम के तहत की जाएगी। यहां पर सरकार का मकसद है, कि आपके खाने की थाली में एकदम वैसे ही चावल पहुंच सके जैसा उन्हें उगाया गया है।
बाजार में मिलावटखोर लाल मिर्च में कर रहे मिलावट ऐसे करें मिलावटयुक्त मिर्च की जाँच

बाजार में मिलावटखोर लाल मिर्च में कर रहे मिलावट ऐसे करें मिलावटयुक्त मिर्च की जाँच

आज हम आपको लाल मिर्च के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे आप यह पहचान सकें कि कौन सी मिर्च शुद्ध है और कौन सी मिटावती। क्योंकि लाल मिर्च को अच्छी तरह जांच परखने के उपरांत ही प्रयोग करना चाहिए। कुछ मिलावट खोर लाल मिर्च में डाई अथवा नकली लाल रंग का मिश्रण करके बेचते हैं। जो कि आपकी सेहत को काफी प्रभावित करता है। बहुत सारे तरीकों से लाल मिर्च की शुद्धता और इसकी गुणवत्ता का पता लगाया जा सकता है। खाने को स्वादिष्ट बनाने में लाल मिर्च की अपनी अहम भूमिका होती है। लाल मिर्च के तड़के के बिना सब्जी में मजा नहीं आता है, भारत में रहने वाले लोग बिना तड़का लगाए सब्जी चाव से नहीं खाते हैं। इसलिए लाल मिर्च भारतीय भोजन के व्यंजनों की जान मानी जाती है। इतना ही नहीं देसी लाल मिर्च के तीखेपन का चस्का वर्तमान में विदेशियों को भी खूब भा रहा है। इसलिए आजकल लालमिर्च विदेश में भी खूब निर्यात होने वाले मसालों में लाल मिर्च का नाम भी शम्मिलित है। अत्यधिक मांग होने की वजह से बाजार में लाल मिर्च की आपूर्ति नहीं हो पाती है। जिसका व्यापारी गलत लाभ उठाते हैं एवं लाल मिर्च के अंदर ड़ाई, ईंट का पाउडर, गेरुआ, लाल रंग इत्यादि का मिश्रण कर देते हैं। जो कि एक कानूनन अपराध होता है, परंतु इसके अलावा भी लाल मिर्च में मिलावट होने की खबर सामने आती रहती हैं। अगर आप स्वयं तथा स्वयं के परिजनों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं, तो लाल मिर्च को उपयोग में लाने से पूर्व उसकी शुद्धता एवं गुणवत्ता की जाँच पड़ताल अवश्य करलें। क्योंकि अगर आपने भूल से भी नकली लाल मिर्च का उपभोग किया तो आपके पेट से लेकर आँतों तक की स्वास्थ्य संबंधित बीमारियां आपको नुकसान पहुँचा सकती हैं।

ईंट के पाउडर-गेरुआ की मिलावट की कैसे जाँच करें

मिर्च का रंग ईंट-गेरुआ का रंग दोनों लाल व एक जैसे होते हैं। इसी बात का फायदा उठा कर मिलावट खोर लाल मिर्च में ऐसे हानिकारक पदार्थों की मिलावट कर देते हैं। आप जिस मिर्च का उपयोग कर रहे हैं तो याद रहे उसमें भी यह नुकसानदायक पदार्थ मिले हो सकते हैं। इसकी जांच पड़ताल करना काफी आसान माना जाता है। इस ईंट के पाउडर-गेरुआ की मिलावट की जाँच पड़ताल के लिए एक गिलास जल लेकर उसमें एक चम्मच लाल मिर्च पाउडर मिलाकर देखें। जैसे ही आप जल में मिलाओगे आपको मिट्टी की गंध का आभाष होने लगेगा जाएगी। साथ ही, पानी का रंग भी परिवर्तित होने लग जाएगा।
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इसका पता लगाने की एक और विधि है, जिसके अंतर्गत लाल मिर्च का पाउडर लेकर उसके ऊपर गिलास को घिसेंगे। उस स्थिति में यदि आपको किरकिरापन का आभाष हो तो मान लीजिए कि लाल मिर्च में मिलावटयुक्त होने की आशंका है।

डाई अथवा आर्टिफिशियल (Artificial) रंग की मिलावट की कैसे जाँच करें

लाल मिर्च में आमतौर पर ड़ाई और आर्टिफिशियल रंग की मिलावट के बारे में भी बहुत सी बात सामने आएंगी। हालांकि, ब्रांडेड लाल मिर्च में इस प्रकार की खबर नहीं सुनी है। परंतु, खुले रूप से बिकने वाले लाल मिर्च पाउडर में डाई अथवा आर्टिफिशियल रंग मिले होने के अधिक होते हैं। इसकी जाँच पड़ताल करने हेतु एक गिलास जल में एक चम्मच लाल मिर्च पाउडर का उचित प्रकार से मिश्रण कर लें। अगर लाल मिर्च को बेहतर ढंग से घोला जाए एवं पानी का रंग गहरा लाल हो जाए तब जान लें कि लाल मिर्च मिलावटयुक्त है। क्योंकि लाल मिर्च को जल में नहीं घोल सकते हैं। यह जल के ऊपर भाग पर ही तैरती रहती है।
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लाल मिर्च पाउडर में स्टार्च की मिलावट का कैसे पता लगाएं

हम जब कभी भी लाल मिर्च में स्टार्च की मिलावट के बारे में सुनते हैं। उस स्थिति में हमको जागरुकता एवं सावधानी से शुद्धता की जाँच पड़ताल अवश्य करनी चाहिए। अगर आप भी खरीदकर लाए लाल मिर्च पाउडर में स्टार्च की मिलावट के बारे में पता लगाना चाहते हैं। तो इसकी जाँच करने हेतु आधा चम्मच लाल मिर्च पाउडर कटोरी में डालें एवं इसमें टिंचर आयोडीन अथवा आयोडीन Solution की कुछ बूंदें मिलाएं। वर्तमान में अगर लाल मिर्च पाउडर का रंग नीला होने की स्थिति में है तो स्टार्च की मिलावट जरूर हुई है, उसको खाने के बाद ही आपका स्वास्थ्य खराब होने की संभावना है।

FSSAI द्वारा निर्देश जारी किए गए हैं

मिलावटयुक्त लाल मिर्च के बारे में सूचना लोगों तक मुहैय्या कराने हेतु भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण बहुत सी कोशिश में लगा रहता है। एक जागरुकता अभियान के दौरान यह व्यक्त किया गया। कैसे लाल मिर्च में चाक पाउडर, चोकर, साबुन, लाल तेल, ईंट का चूरा, पुरानी और खराब मिर्च आदि मिलायी जाती है। इसको खाने से स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए इसका सेवन करने से पूर्व लाल मिर्च की शुद्धता की जाँच पड़ताल जरूर कर लेनी चाहिए।