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मौसम विभाग के अनुसार इस बार पर्याप्त मात्रा में होगी बारिश, धान की खेती का बढ़ा रकबा

मौसम विभाग के अनुसार इस बार पर्याप्त मात्रा में होगी बारिश, धान की खेती का बढ़ा रकबा

मौसम विभाग के अनुसार इस बार बारिश पिछले बीते हुए सालो की अपेक्षा ज्यादा होगी. इस बार बारिश की कमी के कारण सुखा नही पड़ेगा, न ही पानी के कमी के कारण फसलों का नुकसान होगा. इस बात से किसान बहुत खुश है. क्योंकि बारिश होने से फसल अच्छी होगी. जिसको देखते हुए खरीफ फसल के धन का रकबा बढ़ा दिया गया है. धान की खेती के लिए किसान तेजी से जुटे है. कुछ किसान धान की नर्सरी डाल चुके है वही कुछ किसान नर्सरी जल्द ही डालने वाले है. कृषि विभाग के अनुसार पहले धान की खेती के लिए 35 हजार हेक्टेयर निर्धारित किया गया था. परंतु मानसून को देखते हुए और मौसम विभाग के अनुमान की इस बार बारिश भरपूर होगी, इसकी वजह से 20 हजार हेक्टेयर रकबा बढ़ा दिया गया है. जिस वजह से अब 55 हजार हेक्टेयर में धान की खेती होगी. जिसके लिए 700 क्विटल बीज सरकारी बीज भंडार से बांटा जा चुका है. 200 क्विटल ढैंचा का बीट खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए बीज भंडार से किसानों को बांटा जा चुका है. पैदावार को बढ़ाने के लिए ढैंचा की बुआई की जाती है. किसान इस बार जी जान से लगे है की पैदावार अच्छी हो क्योंकि बीते वर्ष के मुताबिक इस साल गेहूं की पदावर कम हुई है.
होली के समय ऐसा रहने वाला है मौसम

होली के समय ऐसा रहने वाला है मौसम

भारत में आजकल निरंतर मौसमिक परिवर्तन की स्थिति देखी जा रही है। जहां गुजरे दिनों फरवरी के माह में ही गर्मी ने अपना कहर मचाना आरंभ कर दिया था। साथ ही, मार्च के पूर्व सप्ताह में मौसम की स्थिति थोड़ी नाजुक है। देशभर में मौसम ने एक बार पुनः अपना रंग परिवर्तित किया है। मार्च माह की शुरुआत ही दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर प्रदेश में धीमी बारिश एवं बूंदाबांदी  हुई, जिसके उपरांत मौसम काफी अच्छा हो गया है। जहां फरवरी माह से ही गर्मी ने खुद का भयंकर रूप प्रदर्शित करना आरंभ कर दिया था। तब वही फिलहाल मार्च माह में मौसम अच्छा बना हुआ है। मार्च के प्रारंभिक दिनों में सुबह एवं शाम के समय मौसम में हल्की सर्दी बनी हुई है। जिसकी वजह से बढ़ता तापमान दिक्कत नहीं कर रहा है। हालांकि, दिन गुजरने के साथ ही कड़ी धूप में बाहर जाना लोगों के लिए चुनौती सा हो रहा है।

होली पर मौसम कैसा रहने वाला है

इस माह होली का पर्व है। होली में फिलहाल एक सप्ताह से भी कम वक्त शेष है। ऐसी परिस्थिति में इसी कड़ी में सवाल है, कि आखिरकार होली के वक्त मौसम कैसा रहेगा। क्या होली के दिन बरसात होगी अथवा फिर गर्मी से लोग तपेंगे ? मौसम विभाग के अनुसार इस मार्च माह के चालू होते ही भारत के विभिन्न राज्यों में
गर्मी का अलर्ट जारी कर दिया है। होली तक प्रचंड गर्मी से लोगों को राहत मिलती रहेगी। परंतु, होली के तुरंत उपरांत मौसम में गर्मी बढ़ जायेगी। साथ ही, न्यूनतम एवं अधिकतम तापमान में इजाफा देखने को मिलेगा। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, ताजा पश्चिमी विक्षोभ 4 मार्च तक पश्चिमी हिमालय तक पहुंचने की संभावना है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में धीमी बरसात पाई जाएगी।

इन राज्यों में बारिश व बर्फबारी की आशंका है

वेदर एजेंसी स्काईमेट वेदर के हिसाब से आने वाले 24 घंटों के दौरान हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड एवं जम्मू कश्मीर के बहुत से इलाकों में हल्की से मध्यम बरसात की आशंका है। इसके साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में बर्फबारी के साथ-साथ एक या दो जगहों पर प्रचंड वर्षा देखने को मिल सकती है। ये भी पढ़ें: सावधान: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आने वाले दिनों में ऐसा मौसम रहने वाला है

आज मौसम कैसा रहने वाला है

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आज दिन के वक्त गगन में आंशिक तौर से बादल छाए रहने एवं बेहद हल्की वर्षा अथवा बूंदाबांदी होने की आशंका जताई गई है। आज उत्तर-पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं पंजाब के उत्तरी इलाकों में एक-दो जगहों पर गरज सहित बौछारें पड़ने का अनुमान व्यक्त किया गया हैं। इसके साथ ही आगामी 48 घंटों के चलते उत्तर पश्चिमी भारत में न्यूनतम तापमान के अंदर 2 से 3 डिग्री की गिरावट देखी जा सकती है।
मौसम विभाग ने जारी किया पूर्वानुमान, इन राज्यों में भारी बारिश की संभावना

मौसम विभाग ने जारी किया पूर्वानुमान, इन राज्यों में भारी बारिश की संभावना

मौसम विभाग द्वारा भारत के विभिन्न राज्यों में 29 जून तक मूसलाधार बारिश के साथ आंधी एवं बिजली गिरने की चेतावनी जारी कर दी है। यहां जानें आज कहां बारिश होगी। जानकारी के लिए बतादें, कि मौसम ने अपना रुख बदलना चालू कर दिया है। यदि देखा जाए तो मानसून 2023 ने भारत के विभिन्न राज्यों में दस्तक दे दी है। ऐसी स्थिति में IMD ने भी मौसम से जुड़ी ताजा जानकारी जारी कर दी है। जिससे कि लोग बारिश और गर्मी से अपने आप को बचा कर रख सकें। आइए जानते हैं कि आज आपके शहर में मौसम का हाल कैसा रहने वाला है।

देश की राजधानी दिल्ली में हुई बारिश

दिल्ली में कल रात्रि से हो रही हल्की बारिश से दिल्ली का मौसम अचानक ठंडा हो गया है। अनुमान यह है, कि आज भी दिल्ली के विभिन्न इलाकों में प्रचंड वर्षा होने की संभावना है। मौसम विभाग का कहना है, कि दिल्ली में बारिश का यह दौर 29 जून तक बना रह सकता है। IMD के अनुसार, आज दिल्ली का न्यूनतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस एवं अधिकतम तापमान 36 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया जा सकता है। यह भी पढ़ें: मौसम विभाग: यूपी में आने वाले दिनों में होगी हल्की बारिश

भारत के इन क्षेत्रों में प्रचंड बारिश की चेतावनी

ओडिशा में अच्छी-खासी बारिश होने की संभावना है। इसके अतिरिक्त IMD के अनुसार, आगामी दिनों में मतलब कि 28 और 29 तारीख को असम, मेघालय एवं अरुणाचल प्रदेश के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में हल्की से भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है।मौसम विभाग का अनुमान है, कि अगले 2 दिनों के दौरान पूर्वी भारत के कुछ इलाकों में छिटपुट वर्षा होने की संभावना है। 28 जून को पूर्वी राजस्थान में तीव्र हवाओं के साथ अत्यधिक भारी बारिश होने की चेतावनी जारी की गई है। 26, 27 एवं 29 तारीख तक उत्तराखंड के भिन्न-भिन्न इलाकों में भारी बारिश हो सकती है। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और विदर्भ में हल्की/मध्यम सी बारिश के साथ आंधी एवं बिजली गिरने की संभावना है। साथ ही, आगामी 2 दिनों के दौरान केरल, कर्नाटक और माहे में भी काफी प्रचंड वर्षा होने की संभावना है।
मूसलाधार मानसूनी बारिश से बागवानी फसलों को भारी नुकसान

मूसलाधार मानसूनी बारिश से बागवानी फसलों को भारी नुकसान

भारत के कई राज्यों में अत्यधिक मानसूनी बारिश ने किसानों की फसलों को हानि पहुंचाई है। मानसूनी बारिश के चलते हिमाचल प्रदेश के किसानों की फसलों को भी काफी प्रभावित किया है। बतादें, कि सोलन जनपद में कई हैक्टेयर में लगी सब्जियों की फसल चौपट हो गई है। सावन के दस्तक देते ही भारत के विभिन्न राज्यों में अच्छी खासी बारिश ने हाजिरी दे दी है। बतादें, कि भारत की राजधानी समेत विभिन्न राज्यों में विगत कई दिनों से मूसलाधार बरसात हो रही है। इसके चलते विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश में नदी नाले उफान पर आ चुके हैं। साथ ही, खेतों में जलभराव की स्थिति पैदा हो चुकी है। वहीं, मूसलाधार बारिश होने की वजह से धान की खेती करने वाले किसान बेहद खुश हैं, तो बागवानी एवं सब्जी उगाने वाले किसानों के लिए यह बरसात मुसीबत बन चुकी है। निरंतर हो रही इस बारिश की वजह से शिमला मिर्च, हरी मिर्च, फूलगोभी और टमाटर समेत विभिन्न प्रकार की हरी सब्जियों को भारी हानि पहुंची है। इससे किसान भाइयों को आर्थिक तौर पर हानि उठानी पड़ी है।

मुरादाबाद में किसानों को भारी नुकसान

यदि हम बात उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद की करें तो यहां पर बारिश के चलते हरी सब्जियों की खेती करने वाले किसान काफी दुखी नजर आ रहे हैं। खेत में पानी भर जाने की वजह से भिंड़ी, लौकी और खीरा समेत विभिन्न प्रकार की फसल बर्बाद हो गई। परंतु, सबसे ज्यादा हानि हरी मिर्च की खेती करने वाले किसानों को वहन करनी पड़ी है। किसानों का कहना है, कि इस साल हरी मिर्ची की फसल अच्छी हुई थी। ऐसे में उनको आशा थी कि हरी मिर्च बेचकर उन्हें अच्छी खासी आमदनी होगी। परंतु, बारिश ने उनके सारे सपनों चकनाचूर कर दिया। ये भी पढ़े: बेमौसम बरसात या ओलावृष्टि से फसल बर्बाद होने पर KCC धारक किसान को मिलती है ये सुविधाएं

बागवानी फसलों को काफी हानि पहुंची है

यह कहा जा रहा है, कि जिले के मिर्च उत्पादक किसानों को बरसात की वजह से काफी हानि वहन करनी पड़ी है। वर्तमान में किसान फसल बर्बादी से हताश होकर सरकार के आगे मुआवजे की मांग कर रहे हैं। मुरादाबाद के देवापर के सैनी वाली मिलक में बारिश होने की वजह से कृषकों की कई लाख रूपए की हरी मिर्च की फसल चौपट हो गई है। इसी प्रकार शामली जनपद में भी बारिश के चलते टमाटर, लौकी, तोरी और हरी मिर्च की फसल चौपट हो गई है।

अधिकारियों को हानि का आँकलन करने के निर्देश दिए गए हैं

हिमाचल प्रदेश में भी मूसलाधार बारिश से किसानों को काफी ज्यादा नुकसान हुआ है। सोलन जनपद में कई हेक्टेयर में लगी सब्जियों की फसल बर्बाद हो गई। इससे सैकड़ों किसानों को लाखों रुपये की आर्थिक क्षति उठानी पड़ी है। ज्यादा बारिश से टमाटर और शिमला मिर्च की फसल खेतों में तैर गईं। साथ ही, पानी में निरंतर भिंगने के चलते टमाटर और शिमला मिर्च सड़ने भी लगे हैं। किसानों का कहना है, कि बारिश से जनपद में 30% फसल बर्बाद हो चुकी है। इसी कड़ी में किसानों की मांग पर नुकसान का आकलन करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। ये भी पढ़े: ओलावृष्टि और बारिश से किसानों की फसल हुई बर्बाद

किसानों को वर्ष भर में करोड़ों की हानि

बतादें, कि सोलन जनपद में 5800 हेक्टेयर में किसान टमाटर की खेती करते हैं। सोलन जनपद में टमाटर से वार्षिक 80 करोड़ रुपये का व्यवसाय होता है। उधर, इसी तरह यहां के किसान वर्ष में 26290 क्विंटल शिमला मिर्च की पैदावार करते हैं, जिसे बेचकर 41.20 करोड़ रुपये की आमदनी होती है। यदि बारिश से 30 प्रतिशत फसल बर्बाद हो जाती है, तो किसानों को करोड़ों रुपये की हानि हो सकती है।
20 नवंबर से कृषि में उन्नत प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर आधारित एक छोटा सा कोर्स पाठ्यक्रम आयोजित होगा

20 नवंबर से कृषि में उन्नत प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर आधारित एक छोटा सा कोर्स पाठ्यक्रम आयोजित होगा

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र अगले महीने यानी कि कृषि में उन्नत प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर आधारित एक छोटा सा पांच दिवसीय कोर्स आयोजित करने के लिए तैयार है। कोर्स 20 नवंबर को गाजियाबाद से आरंभ किया जायेगा। दरअसल, भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र कृषि में बढ़ी हुई स्पेस तकनीक के चलते फिलहाल एक योजना तैयार कर रही है। जो कि उन्नत खेती और सटीक अनुमान के आधार पर खेती की उन्नति एवं प्रगति के लिए एक पांच दिवसीय कोर्स को तैयार करेगा। भारत में यह कार्यक्रम 20 नवंबर को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में सबसे पहले शुरू किया जायेगा।

20 नवंबर को गाजियाबाद में पांच दिवसीय पाठ्यक्रम

भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) अगले माह कृषि में उन्नत प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर आधारित एक छोटा सा कोर्स पाठ्यक्रम आयोजित करने के लिए तैयार है। 20 नवंबर को गाजियाबाद में चालू होने वाले इस पांच दिवसीय पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्रतिभागियों को कृषि में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के मांग और उसके फायदों से जुड़ी जानकारी प्रदान करना है।

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किसान आसानी से कर पाएं तकनीक का इस्तेमाल

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी ने कृषि क्षेत्र में बहुत सारे बड़े परिवर्तन किए हैं। इसकी मदद से आज हम विभिन्न प्रकार की तकनीकों को अपना कर कृषि को उन्नत बना रहे हैं। यही कारण है कि इससे उत्पादकता में काफी बढ़ोतरी देखी जाती है। उपग्रहों एवं अन्य अंतरिक्ष-आधारित संपत्तियों से डेटा का इस्तेमाल करके, किसान फिलहाल बेहतर ढ़ंग से खेती से जुड़ी जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही अपनी खेती से संबंधित समस्त कार्यों को अच्छी तरह से कर सकते हैं। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी द्वारा चलाई जा रही कृषि तकनीकी किसानों को सटीक कृषि कार्यों को अपने क्षेत्रों में और भी सशक्त बनाती हैं। इसके साथ ही, यह मौसम पूर्वानुमान और जलवायु डाटा आदि विभिन्न प्रकार की सुविधाओं को सुगम बनाता है। इसकी सहायता से किसानों को ज्यादा सटीकता के साथ अपने रोपण और कटाई कार्यक्रम की योजना तैयार करने की अनुमति मिलती है।

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कृषि सुरक्षा में सहयोगी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी द्वारा प्रदान की गई वक्त पर मौसम की चेतावनी फसलों को बोने से लगाकर उनके संरक्षण सुरक्षा तक की भविष्यवाणी करती है। इसके साथ में किसानों को अपनी फसलों को बुवाई से पहले अथवा बुवाई के उपरांत उनको कटाई बुआई आदि के लिए तैयार रखने की जानकारी बड़ी ही सुगमता से मिल जाती है। आज अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी खेती-बाड़ी में एक जरूरी संसाधन बन गया है। जो कि किसानों को विभिन्न प्रकार से सतर्क रखने के साथ ही उनकी पैदावार को बढ़ाती है।
विश्व बैंक ने चावल की वैश्विक कीमतों में 2025 तक कोई गिरावट की संभावना जारी नहीं की है

विश्व बैंक ने चावल की वैश्विक कीमतों में 2025 तक कोई गिरावट की संभावना जारी नहीं की है

वैश्विक बाजारों में चावल के भाव में किसी भी तरह की कोई गिरावट की सभावनांए आज की तारीख में नजर नहीं आ रही हैं। विश्व बैंक ने कुछ ही समयांतराल में अपनी रिपोर्ट जारी की हैं। विश्व बैंक की ग्लोबल कमोडिटी आउटलुक के अनुसार, 2025 से पूर्व चावल की वैश्विक कीमतों में किसी तरह की उल्लेखनीय कमी आने की बिल्कुल संभावना नहीं है। चावल की कीमतों में बढ़ोतरी की मुख्य वजह अलनीनो का जोखिम जारी रहना है। इसके साथ ही विश्व के प्रमुख निर्यातकों और आयातकों के नीतिगत निर्णय और चावल पैदावार एवं निर्यात के बाजार में संकुचन से भी है।

इस खरीफ सीजन में कम चावल उपज की संभावना

विश्व बैंक की हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 के मुकाबले 2023 में वैश्विक बाजार के अंदर चावल की कीमत औसतन 28 फीसद ज्यादा है। 2024 तक वैश्विक बाजार में चावल के मूल्यों में 6 फीसद और महंगाई आने की संभावनाएं हैं। इसकी वजह से भारत में चावल की कीमतों में इजाफा होने की संभावना से चिंता बढ़ गई हैं। क्योकि, अगस्त के माह में कम बारिश की वजह से 2023 में घरेलू बाजार के अंदर इस खरीफ सीजन में चावल की पैदावार कम होने की काफी संभावनाएं हैं।

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भारत सरकार ने चावल का निर्यात बंद किया हुआ है

भारत सरकार की तरफ देश से चावल के निर्यात को पहले ही प्रतिबंधित कर दिया हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं, कि भारत में चावल की कुछ प्रजातियों पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क है। साथ ही, बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू है। कैंद्र सरकार के इस सराहनीय कदम से वैश्विक बाजार में चावल के निर्यात में 40 फीसद तक आपूर्ति में गिरावट दर्ज की गई है। दरअसल, इस रिपोर्ट के अंतर्गत कहा गया है, कि पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति की वजह से 2023 में कृषि जिंसों की कीमतों में लगभग 7 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है। साथ ही, 2024-25 में कृषि जिंसों की कीमतों में 2 प्रतिशत की और गिरावट आ सकती है।

उत्तर प्रदेश के मौसम में बदलाव और बारिश की संभावना

उत्तर प्रदेश के मौसम में बदलाव और बारिश की संभावना

जैसा कि हम सब जानते हैं, कि कड़कड़ाती सर्दी का मौसम चल रहा है। किसानों को खेती–किसानी में बहुत सारी समस्याएं आती हैं। ऐसी स्थिति में यदि बारिश हो जाए तो ये समस्या और बढ़ जाती है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जनपदों में आगामी एक–दो दिन में बारिश की संभावना है। अब ऐसे में कृषकों के लिए कुछ खास बातें हैं, जिनका विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आगरा, हाथरस, अलीगढ़ और समीपवर्ती हिस्सों में बारिश होने की संभावना है।


पौधों में रोग ना लगे इसके लिए क्या करें ?

विगत बहुत सारे महीनों से तैयार फसल में कृषकों की काफी लागत और अथक परिश्रम लगी है। अब ऐसी स्थिति में किसान अपनी फसल को लेकर काफी फिक्रमंद हैं। फसल को बचाने के लिए सबसे आवश्यक है, कि प्रतिदिन खेती की निगरानी की जाए। यदि पौधे के पत्ते में कोई रोग नजर आए, तो तुरंत उखाड़कर जमीन के अंदर दबा दें। यदि अधिक रोग नजर आए तो तुरंत विशेषज्ञों का मशवरा लें और सावधानी के लिए एक फफूंद नाशक का छिड़काव कार्बेंडाजिम मैनाकोजेब अथवा फिर मेटलैक्सिल और मैंकोजेब का छिड़काव भी कर सकते हैं। 

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आलू की फसल में झुलसा के लिए अनुकूल मौसम है, तो इना फंगीसाइड का 2 ग्राम प्रति लीटर में छिड़काव अवश्य कर दें। अगर सरसों की फसल में सफेद पत्ती धब्बा रोग होता है, तो 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में कॉपर ऑक्सीक्लोराइड अथवा कार्बेंडाजिम मैनाकोजेब का छिड़काव करें।


ये काम भूलकर भी ना करें 

अगर आपके इलाके में बारिश होने की संभावना है, तो सिंचाई ना करें। खेत में ज्यादा नमी होने पर सब्जियों वाली फसलों को प्रमुख रूप से नुकसान हो सकता है। वहीं, बहुत सारी बीमारियां लग सकती हैं। बतादें, कि रोगाणु, कीटनाशक अथवा खरपतवार नााशक का छिड़काव सबसे बेहतर है, जब धूप खुली होती है। अगर कोहरा और बादल छाए हुए हैं और बारिश की संभावना है तो कीटनाशक छिड़काव से भी बचें। 


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यदि फसल में फूल गए हैं, तो किसी तरह के रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग से बचें। किसी भी फसल में फूल रहे हैं। वहां रासायनिक छिड़कावों का उपयोग ना करें। फूल की ग्रोथ (बढ़वार) काफी रुक जाऐगी। फूल झड़ जाऐंगे, जिससे दाने और फल नहीं बन पाऐंगे। ऐसी स्थिति में प्राकृतिक तरीकों, धुआं, नमी, नीम का तेल और कंडों की राख का उपयोग करें। इसके अतिरिक्त खेत में मधुमक्खियां पाल रखी हैं और वो उधर आती हैं तो दिन के वक्त रासायनिक छिड़काव नहीं करें वर्ना वो मर जाऐंगे। शाम को मधुमक्खियां छत्तों में लौट आती हैं उस समय इस्तेमाल करें। 

मौसम विभाग ने मार्च माह में गेहूं और सरसों की फसल के लिए सलाह जारी की है

मौसम विभाग ने मार्च माह में गेहूं और सरसों की फसल के लिए सलाह जारी की है

गेहूँ की फसल के लिए एडवाइजरी

  1. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे आगे बारिश के पूर्वानुमान के कारण खेतों में सिंचाई न करें/उर्वरक न डालें।
  2. उन्हें सलाह दी जाती है कि वे अपने खेत पर नियमित निगरानी रखें क्योंकि यह मौसम गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग
  3. विकास के लिए अनुकूल है।
  4. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खेतों में सिंचाई न करें/उर्वरक न डालें। आगे बारिश के पूर्वानुमान के कारण अन्य कृषि संबंधी अभ्यास करें।
  5. पीली रतुआ की उपस्थिति के लिए गेहूं की फसल का नियमित सर्वेक्षण करें।
  6. नए लगाए गए और छोटे पौधों के ऊपर बाजरा या ईख की झोपड़ी बनाएं और इसे पूर्व-दक्षिण दिशा में खुला रखें ताकि पौधों को सूरज की रोशनी मिल सके।
  7. किसानों को गेहूं की बुआई की तकनीक जीरो टिलेज, हैप्पी सीडर या अन्य फसल अवशेष प्रबंधन अपनाने की भी सलाह दी जाती है।
  8. नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फास्फोरस की पूरी मात्रा, पोटाश तथा जिंक सल्फेट को बुआई के समय छिड़कें।
  9. किसानों को यह भी सलाह दी जाती है, कि वे तीसरी और चौथी पत्ती पर 0.5% जिंक सल्फेट के साथ 2.5% यूरिया का छिड़काव करें। पौधों का रंग पीला हो जाता है जो जिंक की कमी के लक्षण दर्शाता है।    
  10. गेहूं की बुआई के 30-35 दिन बाद "जंगली पालक" सहित गेहूं में सभी चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए मेटसल्फ्यूरॉन (एल्ग्रिप जी.पा या जी. ग्रैन) का 8.0 ग्राम (उत्पाद + सहायक) प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। हवा बंद होने पर फ्लैट फैन नोजल का उपयोग करके 200-250 लीटर पानी में मिलकर स्प्रे करें।

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सरसों की फसल के लिए एडवाइजरी    

  1. सिंचाई के दौरान पतला पानी ही डालें और खेत में पौधों में पानी जमा न होने दें।
  2. किसानों को यह भी सलाह दी जाती है, कि वे अपने खेत की नियमित निगरानी करते रहें। क्योंकि यह मौसम इसके लिए अनुकूल है। सफेद रतुआ रोग का विकास और सरसों में एफिड का प्रकोप। पौधे का संक्रमित भाग घटना की प्रारंभिक अवस्था में नष्ट कर दें। 
  3. देश के जिन हिस्सों में तना सड़न रोग प्रति वर्ष होता है, वहां 0.1% की दर से कार्बेन्डाजिम का पहला छिड़काव करना चाहिए। स्प्रे बिजाई के 45-50 दिन पश्चात करें। कार्बेन्डाजिम का दूसरा छिड़काव 0.1 फीसद की दर से 65-70 दिन के बाद करें।  
  4. किसान भाई अपने खेतों की लगातार निगरानी करते रहें। जब यह पुष्टि हो जाए कि सफेद रतुआ रोग ने खेतों में दस्तक दे दी है, तो 250-300 लीटर पानी में 600-800 ग्राम मैन्कोजेब (डाइथेन एम-45) मिलाएं और 15 दिनों के समयांतराल पर प्रति एकड़ 2-3 बार छिड़काव करें।