Ad

Grass Subsidy

जाने कैसे लेमन ग्रास की खेती करते हुए किसानों की बंजर जमीन और आमदनी दोनों में आ गई है हरियाली

जाने कैसे लेमन ग्रास की खेती करते हुए किसानों की बंजर जमीन और आमदनी दोनों में आ गई है हरियाली

आजकल किसान खेती में अलग-अलग तरह के प्रयोग कर रही हैं. पारंपरिक फसलों की खेती से हटकर आजकल के साथ ऐसी फसलें उगा रहे हैं जो उन्हें इनके मुकाबले ज्यादा मुनाफा देती हैं और उनकी आमदनी बढ़ाने में भी मदद करती हैं. इसी तरह की फसलों में बागवानी सच में काफी ज्यादा चलन में हैं. आज हम लेमन ग्रास/ मालाबार ग्रास या हिंदी में नींबू घास के नाम से जाने वाली फसल के बारे में बात करने वाले हैं जिसे उगा कर आजकल किसान अच्छा खासा लाभ और मुनाफा कमा रहे हैं. इस फसल की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे बंजर जमीन में भी आसानी से उगाया जा सकता है और इसे बहुत ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है.  इसके अलावा इस फसल को उगाने में बहुत ज्यादा कीटनाशक दवाइयां वेतनमान नहीं करनी पड़ती है. यह एक औषधीय फसल मानी जाती है और पशु लेमन ग्रास को नहीं खाते हैं इसलिए आपको अपने खेतों में पशुओं से बचाव करने की भी जरूरत नहीं है. आप बिना कोई  बाड़ा बनाई भी खुले खेत में नींबू घास की फसल आसानी से उग सकते हैं.

बिहार सरकार दे रही है लेमन ग्रास की फसल उगाने पर सब्सिडी

लेमन ग्रास की फसल से जुड़ी हुई एक बहुत बड़ी खबर बिहार राज्य सरकार की तरफ से सामने आ रही है. बिहार सरकार किसानों को नींबू घास की खेती करने पर सब्सिडी दे रही है.  पिछले साल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड में बहुत ही महिला किसानों की तारीफ भी की थी जो उच्च स्तर पर लेमन ग्रास की खेती कर रही है.इसी झारखंड के साथ-साथ बिहार में भी यह फसल उगाने का चलन पिछले कुछ समय में बहुत बढ़ गया है. बिहार के बांका, कटोरिया, फुल्लीडुमर, रजौन, धोरैया, सहित अन्य जिलों के किसान में नींबू घास की खेती कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें:
इस राज्य के किसान अब करेंगे औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती

प्रति एकड़ लेमन ग्रास की फसल पर दी जाएगी ₹8000 की सब्सिडी

जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि नींबू घास की खेती बंजर जमीन पर भी की जा सकती है. ऐसे में बिहार सरकार बंजर जमीन का इस्तेमाल करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है और इसी कड़ी में अगर किसान बंजर भूमि में लेमन ग्रास की खेती करते हैं तो उन्हें प्रति एकड़ की दर से ₹8000 की सब्सिडी बिहार सरकार द्वारा दी जाएगी. अब वहां पर आलम ऐसा है कि कई वर्षों से खाली पड़ी हुई बंजर जमीन पर किसान बढ़-चढ़कर नींबू घास की खेती कर रहे हैं और इससे पूरे राज्य भर में हरियाली तो आई ही है साथ ही किसानों की आमदनी में भी अच्छा खासा इजाफा हुआ है.

लेमन ग्रास का इस्तेमाल कहां किया जाता है?

यह एक औषधि है और लेमन ग्रास का तेल निकाला जा सकता है जो कई तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके तेल से बहुत ही दवाइयां, घरेलू उपयोग की चीजें, साबुन तेल और बहुत से कॉस्मेटिक प्रोडक्ट (Cosmetic Product) भी बनाए जा सकते हैं. नींबू घास की फसल से बनने वाले तेल में पाया जाने वाला सिट्रोल उसे विटामिन ई का एक बहुत बड़ा स्त्रोत बनाता है.

कम पानी में भी आसानी से उगाई जा सकती है यह फसल

अगर आपके पास पानी का स्रोत नहीं है तब भी आप आसानी से लेमन ग्रास की खेती कर सकते हैं. इसके अलावा इस फसल को बहुत ज्यादा कीटनाशक या उर्वरक की भी जरूरत नहीं पड़ती है.  जानवर एक खास को नहीं खाते हैं इसलिए किसानों को जानवरों से भी फसल को किसी तरह के नुकसान होने का डर नहीं है. एक बार लगाने के बाद इस फसल की बात से छह बार कटाई की जा सकती है.

कितनी लगती है लागत?

शुरुआत में अगर आप 1 एकड़ जमीन में है फसल उगाना चाहते हैं तो लगभग बीज और खाद आदि को मिलाकर 30 से 40,000 तक खर्च आ सकता है. 1 एकड़ के खेत में यह फसल उगाने के लिए लगभग 10 किलो बीज की आवश्यकता पड़ती है. बीज लगाने के बाद 2 महीने के अंदर-अंदर इसके पौधे तैयार हो जाते हैं. अगर किसान चाहे तो किसी नर्सरी से सीधे ही लेमन ग्रास के पौधे भी खरीद सकते हैं

1 साल में नींबू घास की फसल की 5 से 6 बार कटाई करके पत्तियां निकाली जा सकती हैं.

अगर आप इस फसल को किसी बंजर या कम उपजाऊ जमीन पर भी लगा रहे हैं तो एक बार लगाने के बाद यह लगभग अगले 6 सालों तक आपको अच्छा खासा मुनाफा देती है.

एक्सपर्ट बताते हैं कि अगर आप नींबू घास की अच्छी पैदावार करना चाहते हैं तो खेत में गोबर और लकड़ी की राख डालते रहें.

बिहार में बनवाए जा रहे हैं लेमन ग्रास का तेल निकालने के लिए प्रोसेसिंग यूनिट

बिहार में राजपूत और कटोरिया में लेमन ग्रास तेल निकालने के लिए प्रोसेसिंग यूनिट बनाई जा चुकी है. इसका तेल निकालने के लिए काम में आने वाली मशीन लगभग ₹400000 की आती है.  नींबू घास के 1 लीटर तेल की कीमत बाजार में 1200  से ₹2000 तक लगाई जाती है. इस तरह से किसान कुछ एकड़ में यह फसल उगा कर लाखों का मुनाफा थाने से कमा सकते हैं. अगर 1 एकड़ में भी है फसल लगाई जाती है तो उसमें इतनी फसल आसानी से हो जाती है कि उससे 100 लीटर के लगभग तेल की निकासी की जा सके. यहां के किसानों से हुई बातचीत में पता चला है कि कृषि विभाग भी इस फसल को उगाने में किसानों की आगे बढ़कर मदद कर रहा है. किसानों का कहना है कि इस फसल की मदद से उनकी बंजर  भूमि में तो हरियाली आती ही है साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति में भी हरियाली आई है.
हाथी घास की खेती के लिए राजस्थान सरकार अच्छी-खासी सब्सिड़ी प्रदान कर रही है

हाथी घास की खेती के लिए राजस्थान सरकार अच्छी-खासी सब्सिड़ी प्रदान कर रही है

हाथी घास की खेती पशुओं के चारे के रूप में की जाती है। राजस्थान सरकार इसकी पैदावार के लिए किसानों को सब्सिड़ी मुहैय्या करा रही है। दूध देने वाले पशुओं की सेहत के लिए उन्हें हाथी घास खिलाई जाती है। इससे उनके शरीर में जल की कमी नहीं होती है। साथ ही, वह दूध का उत्पादन भी बेहतर करते हैं। हालांकि, गर्मियों में घास का उत्पादन भी एक कठिन एवं महंगा कार्य होता है। हाथी घास की खेती के लिए पौधों को प्रति चार से पांच दिन में पानी देना होता है। ऐसी स्थिति में हरे घास की खेती कृषकों के लिए बेहद महंगा सौदा हो जाती है। परंतु, वर्तमान में किसानों को घास की खेती के लिए चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि सरकार किसानों को नेपियर घास की खेती के लिए अनुदान मुहैय्या करा रही है।

हाथी घास का क्या महत्व होता है

हाथी घास को नेपियर खास भी कहा जाता है। यह दिखने में बिल्कुल ही गन्ने की भांति होती है। आप पूरे साल हाथी घास का उत्पादन कर सकते हैं। इस घास में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व होते हैं। हाथी घास पशुओं के लिए गुणकारी होती है। अगर आप गर्मियों में गाय अथवा बकरियों को हाथी घास खिलाते हैं, तो इससे उनका पाचन तंत्र अच्छा रहता है और शरीर भी ठंडा रहता है। हाथी घास की विशेषता यह है, कि इसे आप किसी भी मौसम में सहजता से उगा सकते हैं।

ये भी पढ़ें:
नेपियर घास को खिलाने से बढ़ती है पशुओं की दूध देने की क्षमता

सरकार हाथी खास की खेती के लिए सब्सिड़ी प्रदान कर रही है

राजस्थान सरकार ने एक बड़ा ऐलान किया है। यदि किसान वर्तमान में हाथी घास की खेती कर रहे हैं, तो राजस्थान सरकार उन्हें प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 10,000 रुपये तक का अनुदान देती है। इस योजना का फायदा केवल राजस्थान राज्य के किसान उठा सकते हैं। इसके लिए आप अपने आसपास के किसी कॉमस सर्विस सेंटर में जाकर आवेदन कर सकते हैं।

ये भी पढ़ें:
इस घास के सेवन से बढ़ सकती है मवेशियों की दुग्ध उत्पादन क्षमता; 10 से 15% तक इजाफा संभव

कृषि अधिकारी भौतिक रूप से जाँच-पड़ताल करेंगे

जानकारी के अनुसार, खेतों के भौतिक निरीक्षण के पश्चात ही किसानों को अनुदान दिया जाएगा। प्रत्येक जनपद के कृषि पदाधिकारी खेतों में जाकर भौतिक निरीक्षण करेंगे। इसके पश्चात सब्सिडी के लिए आवेदन स्वीकार किया जाएगा। वहीं, अनुदानित धनराशि सीधे तौर पर किसान के खाते में हस्तांतरित कर दी जाएगी। इसके लिए किसानों को राज किसान साथी पोर्टल पर जाकर आवेदन करना पड़ेगा।