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National Bank for Agriculture and Rural Development

जल्द ही इस राज्य के 3.17 लाख किसानों को मिलेगा बिना ब्याज का फसल ऋण

जल्द ही इस राज्य के 3.17 लाख किसानों को मिलेगा बिना ब्याज का फसल ऋण

केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए लगभग सभी राज्य सरकारें अपने स्तर पर प्रयास भी कर रही हैं। जिसके अंतर्गत सरकारें किसानों को खाद बीज से लेकर सौर कृषि सिंचाई पंप तक उपलब्ध करवा रही हैं, ताकि किसान अपनी उत्पादकता को तेजी से बढ़ा सकें। खेती करने के लिए किसानों को सरकारें ऋण भी उपलब्ध करवाती हैं, ताकि किसानों को धन की कमी न पड़े। कई बार तो किसानों की ब्याज भी सरकारें खुद ही वहन करती हैं, ताकि किसानों के ऊपर अतिरिक्त बोझ न पड़े।


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इस कड़ी में राजस्थान सरकार भी अपने किसानों का खास ख्याल रखते हुए उन्हें धन उपलब्ध करवा रही है। ताकि किसानों को पैसों की तंगी का सामना न करना पड़े। राजस्थान की कैबिनेट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कहा है, कि राज्य सरकार राजस्थान के किसानों को लोन देने की योजना में 3.17 लाख अतिरिक्त किसानों को शामिल करने जा रही है। जिसमें किसानों को बिना ब्याज के लोन बांटा जाएगा, साथ ही यह काम मार्च 2023 के पहले पूर्ण कर लिया जाएगा। इसके पहले किसानों को लोन देने की योजना के अंतर्गत इस साल नवम्बर माह तक सरकार ने 26.92 लाख किसानों को लोन बांटा है। इस योजना के अंतर्गत सरकार ने किसानों को अब तक 12 हजार 811 करोड़ रुपये का लोन दिया है। राजस्थान सरकार ने इस योजना में इस साल 1.29 लाख नए किसानों को जोड़ा है। अब इस योजना को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार सभी किसानों को सहकारी समितियों के साथ जोड़ रही है। जो किसानों को बेहद आसानी से लोन उपलब्ध करवाती हैं।


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किसानों को लोन उपलब्ध करवाने की जानकारी सहकारिता विभाग के अधिकायों ने एक बैठक में दी। यह बैठक जयपुर स्थित अपेक्स बैंक के हॉल में पूर्ण हुई। इस अवसर पर अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार किसानों को बिना ब्याज का ऋण उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए राज्य सरकार नेशनल बैंक फॉर रूरल एंड एग्रीकल्चर डेवलपमेंट (नाबार्ड) की योजनाओं का उपयोग करेगी। अपेक्स बैंक के हॉल में हुई मीटिंग में अधिकारियों ने बताया कि सरकार लगातार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए प्रयत्न कर रही है। इसको ध्यान में रखते हुए किसानों को एग्री बिजनेस के मॉडल से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं। अगर केंद्र सरकार की बात करें तो केंद्र सरकार ने खेती बाड़ी को बढ़ावा देने के लिए एग्री क्लिनिक-एग्री बिजनेस सेंटर योजना की भी शुरुआत की है। इन योजनाओं का लाभ उठाकर किसान भाई कृषि का धंधा या कृषि स्टार्टअप की शुरुआत कर सकते हैं, जिससे किसानों को अपनी आमदनी बढ़ाने में मदद मिल सकती है।


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इसके साथ ही बैठक के दौरान बताया गया कि एग्री क्लिनिक-एग्री बिजनेस सेंटर योजना के अंतर्गत सरकार किसान को 45 दिनों का प्रशिक्षण देती है। यह प्रशिक्षण सरकार की तरफ से कृषि लोन या आर्थिक सहायता मिलने से पहले ही दिया जाता है। जिससे किसान को कई तरह के फायदे होते हैं ओर वह अपने बिजनेस को तेजी से आगे बढ़ा सकता है। पहले जहां किसानों को सहकारी समितियों से सीमित मात्रा में ही लोन मिलता था और उसके लिए किसानों को बहुत सारी परेशानियां झेलनी पड़ती थी। लेकिन अब स्थिति परिवर्तित हो रही है। अगर वर्तमान की बात करें तो अब एग्री बिजनेस यानी कृषि से जुड़ा कोई भी व्यवसाय करने के लिए नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) बहुत आसानी से लोन उपलब्ध करवाता है। यह लोन 20-25 लाख रुपये तक हो सकता है, जिसके लिए किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना होता है।


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अगर किसानों को आर्थिक तौर पर सशक्त करने की बात करें, तो केंद्र सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं। जिन योजनाओं के माध्यम से किसानों को सब्सिडी उपलब्ध कारवाई जा रही है ताकि किसानों के ऊपर अतिरिक्त बोझ न पड़ने पाए। यह सब्सिडी ऋण पर लगने वाले ब्याज पर दी जाती है, जो 36 प्रतिशत से 44 प्रतिशत तक हो सकती है। इस सब्सिडी योजना में समान्य वर्ग के किसान को ब्याज पर 36 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है जबकि एससी-एसटी और महिला आवेदकों को ब्याज पर 44 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाती है। केंद्र सरकार की योजना के अनुसार यदि 5 या 5 से अधिक किसान ऋण लेने के लिए एक साथ आवेदन करते हैं, तो उन्हें 1 करोड़ रुपये तक का ऋण दिया जा सकता है, साथ ही केंद्र सरकार किसानों को प्रशिक्षण भी दिलवाती है।
किसान उत्पादक संगठन (FPO) क्या है और स्वयं का FPO बनाने की क्या प्रक्रिया है?

किसान उत्पादक संगठन (FPO) क्या है और स्वयं का FPO बनाने की क्या प्रक्रिया है?

किसान उत्पादक संगठन (FPO) किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित होता है। इसकी सहायता से वह अपनी विभिन्न प्रकार की समस्याओं का मिनटों में समाधान कर लेते हैं। 

यदि आप भी अपना स्वयं का एक FPO (Farmer Producer Organization) बनाना चाहते हैं, तो आज का यह लेख आपके लिए बेहद उपयोगी और जानकारी पूर्ण साबित होगा।

किसानों की आर्थिक स्थिति को सशक्त और सुदृण बनाने के लिए FPO सबसे अच्छा साधन माना जाता है। एफपीओ की फुल फॉर्म किसान उत्पादक संगठन है। दरअसल, एफपीओ के जरिए से किसान भाइयों को कृषि यंत्रों से लेकर खाद-बीज और अन्य बहुत सारी चीजें सस्ती दरों पर मिलती हैं। 

आज के वक्त में छोटे और सीमांत श्रेणी के किसान संगठन से जुड़कर कार्य करना पड़ता है। यदि आप भी FPO से जुड़ना चाहते हैं, तो इसके लिए आप अपने जनपद के कृषि विभाग के कार्यालय में जाकर संपर्क साध सकते हैं।

साथ ही, यदि आप भी अपना स्वयं का एक FPO (Farmer Producer Organization) बनाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको ज्यादा परिश्रम या भाग दौड़ की आवश्यकता नहीं होती है। केवल कुछ ही अहम बातों का ध्यान रखना होता है। 

FPO क्या होता है ?

किसान उत्पादक संगठन यानी FPO किसानों द्वारा बनाया गया एक स्वयं सहायता समूह होता है। एफपीओ लघु एवं सीमांत किसानों का एक समूह है इससे जुड़े किसानों को अपनी उपज के लिये बाजार मिलने के साथ-साथ खेत में लगने वाले खाद, बीज, दवाइयां और कृषि यंत्र भी सस्ती दरों पर मिलते हैं। 

FPO के माध्यम से किसानों को सीधे तौर पर लाभ मिलता है। इसमें कोई बिचौलिया नहीं होते हैं। यदि देखा जाए तो FPO का मुख्य उद्देश्य किसानों का हर संभव सहयोग करना होता है।

FPO बनाने के लिए आवश्यक कागजात

FPO बनाने के लिए किसान के पास नीचे दिए गए आवश्यक कागजात अवश्य होने चाहिए। जैसे कि- आधार कार्ड, स्थायी निवास प्रमाण पत्र, जमीन के कागजात, बैंक पासबुक की फोटोकॉपी आदि। 

किसान भाई इस तरह बनाएं FPO 

किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organization) बनाने के लिए सर्व प्रथम कृषकों का एक समूह बनाना होगा। इस समूह में कम से कम 11 सदस्य होने चाहिए। इसके बाद आपको एक नाम सोचकर कंपनी एक्ट के अंतर्गत पंजीकरण करना होगा। 

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ध्यान रहे कि किसान उत्पादक संगठन के सभी सदस्यों का किसान होना और भारत की नागरिकता का होना अनिवार्य है। आप चाहें तो एफपीओ बनाने के लिए राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (National Bank for Agriculture and Rural Development) लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (Small Farmers’ Agri-Business Consortium) एवं राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) से भी संपर्क साध सकते हैं।