खीरे की इस किस्म की खेती कर वार्षिक चार बार पैदावार प्राप्त कर सकते हैं

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि पीसीयूएच प्रजाति के खीरे की खेती वर्ष भर में चार बार की जाती है। जानें इस खास किस्म के खीरे की खेती के बारे में। गर्मियों के दिनों में खीरे की बाजार में काफी ज्यादा मांग रहती है। ऐसी स्थिति में यदि आप अपने खेत में खीरे की खेती करते हैं, तो यह आपके लिए बेहद ही मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है। बाजार में बहुत सारी किस्मों के खीरे उपलब्ध हैं। परंतु, आज हम आपको इस लेख में खीरे की एक ऐसे किस्म के संदर्भ में जानकारी देंगे, जिसकी खेती एक साल में चार बार की जा सकती है। बाजार में पीसीयूएच किस्म का खास खीरा आया है। इसकी खेती वर्ष भर में चार बार की जाती है। हमारे किसान भाई इस किस्म के खीरे की खेती कर बेहद ही अच्छा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। इस प्रजाति के खीरे का उत्पादन आम खीरों के मुकाबले में अधिक होता है। इसकी खेती कर आप वार्षिक तौर पर बड़ी सुगमता से 2 से 3 लाख की आमदनी कर सकते हैं।

खीरे की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु व मृदा

इस खीरे का रेतीली मृदा में अच्छा उत्पादन होता है। इस खीरे की खेती के लिए मृदा का पीएच मान 6 से 7 के मध्य होना चाहिए। इसकी खेती के लिए थोड़े से गर्म तापमान की आवश्यकता होती है। ये भी देखें: पॉली हाउस तकनीक से खीरे की खेती कर किसान कमा रहा बेहतरीन मुनाफा

खेत की तैयारी किस प्रकार से करें

खीरे की बेहतरीन पैदावार के लिए खेत को दो से तीन बार जोतने के उपरांत उसपर पाटा चला कर समतल कर देना चाहिए। इसमें आप देशी खाद का ही इस्तेमाल करें। साथ ही, खेत में बिजाई से पूर्व फसल को कीटों एवं बीमारियों से बचाने के लिए बेहतरीन औषधियों का छिड़काव करें।

खीरे की खेती में सिंचाई किस प्रकार करें

खीरे की फसल को ज्यादा नमी की आवश्यकता पड़ती है। गर्मी के दिनों में फसल को प्रत्येक सप्ताह सिंचाई की आवश्यकता होती है। वर्षा ऋतु में आप बिना सिंचाई के बेहतरीन उपज प्राप्त कर सकते हैं।

खीरे की खेती में निराई-गुड़ाई

खीरे के खेत से खरपतवार अथवा अनावश्यक घास को हटाने के लिए खुरपी या फिर फावड़े का इस्तेमाल कर सकते हैं। ग्रीष्मकालीन समय में फसल में 20 से 25 दिनों के लिए 3 से 4 बार निराई-गुड़ाई का कार्य कर देना चाहिए। साथ ही, वर्षा के दौरान पानी की वजह से घास के जमने की आशंका ज्यादा हो जाती है। ऐसी स्थिति में गुड़ाई की बारंबारता काफी बढ़ जाती है।