भारतीय अनानास लगभग दस देशों में पहले से ही भेजा जाता रहा है, जिसमें यूएई, नेपाल, कतर, मालदीव, अमेरिका, भूटान, बेल्जियम, ईरान, बहरीन और ओमान जैसे देश हैं। यहाँ अनानास की खूब मांग है। लगभग 4.45 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के 7665.42 मीट्रिक टन अनानास का निर्यात सन 2021-22 में किया गया था, उसके बाद से विश्व बाजारों में भारतीय फल अनानास की खूब चर्चा हो रही है।अब कतर की राजधानी दोहा और बहरीन को भी अनानास भेजने को लेकर तैयारी चल रही है।
केरल, आंध्र प्रदेश और इन राज्यों में होती हैं अनानास की खेती
अनानास की बढती मांग को देखते हुए अब इसकी खेती मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में भी होने लगी हैं. लेकिन मुख्य तौर पर त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, केरल, आंध्र प्रदेश, असम, और मिजोरम में इसकी खेती होती है। साल के 12 महीने इसकी खेती की जाती है और इससे किसानों को खूब फायदा होता है।
आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि मणिपुर जैसा राज्य अनानास के उत्पादन के कारण चर्चा में है। पिछले साल यानी 2020-2021 में 134.82 मीट्रिक टन (एमटी) अनानास का उत्पादन करके भारत में अनानास उत्पादन में मणिपुर ने खुद को छठे स्थान पर स्थापित किया था। मणिपुर का भारत में अनानास के कुल उत्पादन में 7.46 की हिस्सेदारी है। जिससे साफ़ जाहिर होता है की मणिपुर की सरकार किसानों के साथ मिलकर अनानास की उपज को लगतार बढ़ावा दे रही है।
पूर्वोत्तर राज्यों में एपीडा के सहयोग से पिछले कुछ वर्षों में कृषि उपज के निर्यात में एक शानदार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।आधिकारिक सूत्रों से जानकारी मिली कि हाल ही में दुबई में आयोजित इन-स्टोर एक्सपोर्ट प्रमोशन शो में मणिपुर के अनानास का प्रदर्शन और प्रचार किया गया, जिससे दुबई में भी अब अनानास की मांग बढ़ रही है।
इन-स्टोर एक्सपोर्ट प्रमोशन शो में, उपभोक्ताओं के बीच अनानास फल की मिठास का स्वाद लेने और इस फल के महत्व को बताने के लिए मणिपुर अनानास की पेशकश की गई थी। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण यानी एपीडा (APEDA - Agricultural & Processed Food Products Export Development Authority) ने मणिपुर से अन्य अनूठे उत्पादों को भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ावा देने का फैसला लिया है, मणिपुर के अन्य अनूठे उत्पाद तामेंगलोंग संतरा, कचाई नींबू, काले चावल आदि हैं।
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वही त्रिपुरा की बात करे तो सन 2018 में दुबई और दोहा को अपनी ख़ास किस्म के अनानास 'रानी' (Tripura's Queen Pineapple) का निर्यात करने वाला पहला उत्तर पूर्वी राज्य था। त्रिपुरा के अनानास को 2020 में बांग्लादेश को भी भेजा गया था। असम ने भी 2019 में दुबई में अनानास निर्यात की शुरुआत की थी, पिछले तीन वर्षों में एपीडा निर्यात जागरूकता पर 136 से ज्यादा कार्यक्रम आयोजित कर चुका है।
एपीडा का मुख्य उद्देश्य मणिपुर में निर्यातकों के लिए एक मंच को तैयार करना है जिससे राज्य के लोगों के बीच रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो सके और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उत्पादकों को अतिरिक्त मूल्य मिल सके. साथ ही उच्च गुणवत्ता वाले अनानास को संरक्षित करने पर भी प्रयास किया जाए।
लॉस्ट गार्डेन ऑफ हेलिगन पाइनएप्पल्स अनानास की एक प्रजाति है। कहा जाता है, कि यह विश्व का सबसे महंगा अनानास है। एक लॉस्ट गार्डेन ऑफ हेलिगन पाइनएप्पल्स की कीमत एक लाख रुपये के आसपास होती है। इसकी खेती काफी बेहतरीन तरीके से की जाती है। जानकारी के लिए बतादें कि उर्वरक के तौर पर पुआल और घोड़े के लीद का इस्तेमाल किया जाता है।
युबारी मेलन
कहा जाता है, कि यह विश्व का सबसे महंगा फल है। यह खरबूजे की एक प्रजाति है। साल 2014 में एक जोड़े युबारी मेलन को 26000 डॉलर यानि 16,64, 533 रुपये में बेका गया था। विशेष बात यह है, कि इस खरबूजे का उत्पादन साप्पोरो के पास होक्काइडो द्वीप में किया जाता है। यह एक हाइब्रिड खरबूज है। जापान में लोग युबारी मेलन को उपहार स्वरुप भी देते हैं।
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रूबी रोमन ग्रेप्स
रूबी रोमन ग्रेप्स की खेती की शुरुआत 2008 में हुई थी। जापान के इशिकावा प्रीफेक्चर में किसानों ने इसकी खेती चालू की थी। परंतु, फिलहाल जापान के दूसरे भागों में भी किसान रूबी रोमन ग्रेप्स अंगूर की खेती कर रहे हैं। कहा जाता है, कि यह विश्व का सबसे महंगा अंगूर है। केवल एक गुच्छे की कीमत 50 हजार रुपये से भी ज्यादा होती है। साल 2016 में 9 लाख रूपए में इसके एक गुच्छे की नीलामी हुई थी।
टाइयो नो टमैगो
टाइयो नो टमैगो आम की एक प्रजाति है। जापान के मियाजाकी शहर में किसानों ने सर्वप्रथम इसकी खेती करनी चालू की थी। परंतु, फिलहाल भारत, फिलीपींस, बांग्लादेश और थाईलैंड में भी इसकी खेती की जा रही है। इसके एक फल का वजन 350 ग्राम तक होता है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक किलो टाइयो नो टमैगो की कीमत 2 लाख 70 हजार रुपये है। इस प्रजाति के आम में 15 प्रतिशत तक चीनी होती है।
फिलहाल, ऐसे ही लोगों की सुविधा के लिए वैज्ञानिकों द्वारा फ्लेवर्ड गोमूत्र तैयार किया गया है। इसका अर्थ यह है, कि फिलहाल गोमूत्र आपको अलग-अलग प्रकार के स्वाद में मिल पाऐगा। यदि आपको आम पसंद है तो गोमूत्र आम फ्लेवर में मिल जाएगा। यदि आपको संतरा पसंद है तो गोमूत्र ऑरेंज फ्लेवर में मिल पाऐगा। वहीं, यदि आप पाइनएप्पल के शौकीन हैं, तो आपको गोमूत्र इस स्वाद में भी मिल जाएगा। मतलब कि फिलहाल आप खट्टा, मीठा व नमकीन जैसा स्वाद और सुगंध में चाहेंगे गोमूत्र आपको उसी तरह का मिल जाएगा।
फ्लेवर्ड गोमूत्र को किसने तैयार किया है
गोमूत्र के विभिन्न फ्लेवर्स की यह बड़ी खोज आईआईटी मुंबई से पीएचडी कर चुके डॉक्टर राकेश चंद्र अग्रवाल ने की है। उन्होंने इस फ्लेवर्ड गोमूत्र को नाम संजीवनी रस रखा है। इस खोज के उपरांत गोमूत्र विभिन्न फ्लेवर्स में पूरे भारत में उपलब्ध है। भिन्न-भिन्न प्रयोग शालाओं में इसको तैयार करने के लिए लोगों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। डॉ. राकेश इसको लेकर दीर्घ काल से शोध कर रहे थे और अंततः उन्हें सफलता मिल ही गई। डॉ. राकेश का कहना है, कि गोमूत्र में विभिन्न प्रकार के एंजाइम्स और न्यूट्रिएंट्स होते हैं। जो हमारे शरीर को विभिन्न प्रकार के गंभीर रोगों से ग्रसित होने से बचाते हैं। इसलिए उन्होंने यह निर्णय लिया है, कि फिलहाल वह फ्लेवर्ड गोमूत्र तैयार कर इसको घर-घर तक उपलब्ध करा देंगे।
मीडिया की खबरों के अनुसार, आपको बतादें कि यह फ्लेवर्ड गोमूत्र वर्तमान में 6 प्रकार के अलग-अलग स्वाद में मौजूद है। इन फ्लेवर्स में पाइनएप्पल, स्ट्रॉबेरी, पान, मैंगो, ऑरेंज और मिक्स फ्लेवर है। इसको तैयार करने के लिए फूड ग्रेड कलर एवं एसेंस का उपयोग किया जाता है। वर्तमान में यह कोटा की 6 गोशालाओं में बनाया जा रहा है। लेकिन, आहिस्ते आहिस्ते इसको बड़े पैमाने पर तैयार करने की भी योजना है। यदि आप भी इस प्रकार का फ्लेवर्ड गोमूत्र चाहते हैं, तो आपको एक लीटर के लिए न्यूनतम 200 रुपये खर्च करने पड़ेंगे।