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हिमसागर आम की विशेषताएं

हिमसागर आम की विशेषताएं

दोस्तों आम की विभिन्न प्रकार की किस्में मौजूद है और हर किस्म का अपना एक अलग स्थान है। उसी तरह एक किस्म हिमसागर आम (Himsagar Mango) की भी है, जो अपनी विशेषताओं के लिए जाना जाता है। हिमसागर आम से जुड़ी सभी आवश्यक बातों को जाने के लिए हमारे इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहें।

हिमसागर आम

हिमसागर आम दिखने में पीला और नारंगी नजर आता है। इनका आकार काफी बड़ा होता है। यह वजन मे लगभग 250 ग्राम से लेकर 350 ग्राम तक के होते हैं हिमसागर आम मध्यम आकार के होते है। 

हिमसागर आम में लगभग गुदे की मात्रा 77% होती हैं। कहां जाता है कि हिमसागर आम की खूबियों के चलते इन्हें विभिन्न प्रकार की कविता और गानों से भी सम्मानित किया जाता है। सभी आमों की किस्मों में से हिमसागर आम की किस्म श्रेष्ठ मानी जाती है।

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हिमसागर आम का उत्पादन

हिमसागर आम का उत्पादन भारत के पश्चिम बंगाल तथा बांग्लादेश के राजशाही क्षेत्रों में उत्पादन होता है। अपने बेहतरीन स्वाद और खुशबूदार सुगंध के चलते हिमसागर आम को दुनिया भर में सभी आमो से ऊपर रखा गया है। और हिमसागर आम को आमोकाराजा भी कहा जाता है।

हिमसागर आम की फसल का बीज उपचार

हिमसागर आम की फसल की सुरक्षा करने के लिए आपको इसके बीज रोपण करने से थोड़ी देर पहले या कुछ मिनटों पहले इस फ़सल के उपचार के लिए डाइमेथोएट का उपयोग करना चाहिए। 

डाइमेथोएट से फसलों की सुरक्षा होती है। कैप्टन कवकनाशी के इस्तेमाल से फंगल संक्रमण से हिमसागर आम की फसल सुरक्षित रहती है।

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हिमसागर आम की बुआई का समय

किसान हिमसागर आम की बुआई का समय मह जुलाई और अगस्त के बीच का बताते हैं। हिमसागर आम का बीज रोपण आमतौर पर वर्षा वाले क्षेत्रों में इन 2 महीनों में होता है।

सिंचित क्षेत्रों में फरवरी और मार्च के बीच इनकी बुवाई की जाती है। जिन क्षेत्रों मे वर्षा बहुत ज्यादा मात्रा में होती है वहां इन बीजों की बुवाई बरसात के आखिरी महीने में होती है।

हिमसागर आम की फसल के लिए उपयुक्त जलवायु

किसानों के अनुसार हिमसागर आम की फसल के लिए सबसे उपयुक्त जलवायु उष्णकटिबंधीय तथा उपोष्णकटिबंधीय की होती हैं। कृषि विशेषज्ञों के द्वारा हिमसागर आम की फसल भारत देश में सभी क्षेत्रों में उगाई जाती है। 

किंतु 600 मीटर से ऊपर के क्षेत्रों में या फिर व्यवसायिक रूप से या फसल आप नहीं उगा सकते हैं। हिमसागर आम की फसल ज्यादा ठंड को अपने अंदर बर्दाश्त नहीं कर सकती हैं। जब पौधे नए हो तब तो खासकर फसल का ख्याल रखना होता है।

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हिमसागर आम की फसल की सिंचाई

जब हिमसागर आम के पौधे नए होते हैं। तब लगातार सिंचाई की जरूरत होती है। बाकी हिमसागर आम की फसल की सिंचाई मिट्टी के प्रकार और जलवायु पर निर्भर होती है। 

किसान भाइयों के अनुसार हल्की लगातार सिंचाई हर फसल के लिए बहुत ही ज्यादा सर्वोत्तम मानी जाती है। दो से तीन के अंतराल पर लगातार सिंचाई करते रहें।

हिमसागर आम की फसल के लिए उपयुक्त मिट्टी

वैसे तो हिमसागर आम की फसल के लिए हर तरह की मिट्टी उपयुक्त हैं। परंतु सबसे उपयुक्त मिट्टी दोमट मिट्टी कही जाती हैं। 

जब आप बीज रोपण करें, तो इस बात का ख्याल रखें। कि जल निकास की व्यवस्था उचित होनी चाहिए। ताकि किसी भी तरह का जलभराव ना हो जिससे कि फसल खराब हो जाए।

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हिमसागर आम के फायदे

हिमसागर आम अपने स्वाद और खुशबू के लिए जाना जाता हैं हिमसागर आम को आमो का राजा भी कहा जाता है। यही कारण है कि लोग इसे खाना बहुत ज्यादा पसंद करते।

  • कभी कभी उल्टा सीधा खाना खा लेने से कब्ज जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है। और यह समस्या बच्चे, बड़े, बूढ़े आदि सभी को होती है। ज्यादा दिन कब्ज की समस्या होना अच्छा नहीं है, इससे भिन्न प्रकार की बीमारियों का जन्म भी हो सकता है। हिमसागर आम में मौजूद विटामिन सी और फाइबर जैसे गुण पाचन शक्ति को मजबूत बनाते हैं। जिससे कब्ज जैसी भयानक समस्या से आप अपने शरीर का बचाव कर सकते हैं।
  • जब गर्मी का मौसम आता है तो खूब तेज धूप और साथ ही साथ भयानक लू चलती हैं। जिसकी वजह से व्यक्तियों को तेज बुखार या फिर सरदर्द जैसी विभिन्न प्रकार की समस्या उत्पन्न हो जाती हैं। कभी-कभी लू के चपेट में आ जाने से मृत्यु भी हो जाती है। ऐसी स्थिति में आपको कच्चे हिमसागर आम का पना बनाकर सेवन करना चाहिए जिससे आप अपने शरीर का बचाव करें।
  • आंखों की रोशनी समय के साथ कम होती रहती है। परंतु यदि आप रोजाना आम का सेवन करते हैं तो आपकी आंखों की रोशनी बढ़ती है। हिमसागर आम में मौजूद विटामिन ए की भरपूर मात्रा होती है। जिससे हमारी आंखों की रोशनी में और बढ़ोतरी होती है इसीलिए आप लगातार हिमसागर आम का सेवन करें।
  • हड्डियों को मजबूत बनाना बेहद ही जरूरी होता है। परंतु हमारे शरीर को उस प्रकार का आहार नहीं मिल पाता जिस प्रकार से हमारे शरीर को जरूरत होती है। हिमसागर आम में भरपूर मात्रा में आयरन मौजूद होता है, जो हमारी हड्डियों को मजबूत बनाता है।
  • हिमसागर आम में एंटीकैंसर जैसे आवश्यक गुण होते हैं जो विभिन्न विभिन्न प्रकार के कैंसर से शरीर का बचाव करते हैं।
  • हिमसागर आम पथरी के रोगियों के लिए बहुत उपयोगी होता है। क्योंकि इसमें विटामिन बी मौजूद होता हैं जिससे पथरी की समस्या दूर हो जाती है।
  • हिमसागर आम में मौजूद फाइबर से हमारे शरीर का वजन सामान्य रहता है। तथा बालों के लिए भी बहुत ही उपयोगी होता है, हृदय स्वस्थ रहता है।
  • हिमसागर आम में मौजूद एंटी-अस्थमैटिक गुण से दमा जैसे रोगों से भी बचाव होता है।

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दोस्तों हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल हिमसागर आम की विशेषताएं पसंद आया होगा। हमारे इस आर्टिकल में हिमसागर आम से जुड़ी सभी प्रकार की आवश्यक जानकारियां मौजूद है। 

जैसे हिमसागर आम कहां उत्पादन होता है हिमसागर आम के आवश्यक तत्व, गुण आदि। यदि आप हमारी दी गई जानकारियों से संतुष्ट है तो हमारे इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर शेयर करें। धन्यवाद।

अब आम खाने के लिए गर्मियों का इंतजार नहीं, पूरे साल मिलेगी जबरदस्त वैरायटी

अब आम खाने के लिए गर्मियों का इंतजार नहीं, पूरे साल मिलेगी जबरदस्त वैरायटी

आम का स्वाद और आम के लिए पूरे सीजन का इंतजार करना, सिर्फ एक आम प्रेमी ही समझ सकता है. वैसे आम की खेती से सिर्फ एक बार ही फल मिलता है. लेकिन उन आम प्रेमियों का क्या, जो पूरे साल आम की डिमांड करते रहते हैं. जिसे देखते हुए आम को कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है. लेकिन यहां बात किसानों की करें तो उन्हें तो इसकी खेती से साल भर में सिर्फ एक बार ही कमाई होती है. लेकिन किसानों की इस समस्या का भी हल निकल चुका है. जहां देश में उपस्थित राजस्थान और कोटा के किसानों ने एक बड़ी उपलब्धी हासिल कर ली है. जानकारी के मुताबिक कोटा और राजस्थान के किसानों ने आम की एक खास वैरायटी तैयार की है. जिसके चलते अब बिना सीजन के भी आम का बंपर उत्पादन किया जा सकेगा. इस आम की वैरायटी बारोमासी यानि की सदाबहार बताई जा रही है. आम की इस वैरायटी को साइंटिस्ट श्रीकृष्ण सुमन ने तैयार किया है. साइंटिस्ट की मानें तो इस वैरायटी के आम के पेड़ों से साल भर में कम से कम तीन बार उत्पादन हो सकेगा. इसका मतलब साफ है कि, अब आम की खेती से एक बार नहीं, बल्कि तीन-तीन बार मुनाफा कमाया जा सकेगा.

खास वैरायटी के आम की खास बातें

इस सदाबहार आम की प्रजाति एक तरह की बौनी प्रजातियों में से एक है. इसका मतलब इस तरह के पेड़ों की लंबाई ज्यादा ऊंची नहीं होती. इसे कीचन गार्डन में भी लगाया जा सकता है. लंगड़े आम की तरह दिखने वाले सदाबहार आम का रंग भी नारंगी होता है. इसमें फाइबर भरपूर मात्रा में है. अगर कोई किसान अपनी एक हेक्टेयर की जमीन पर इस वैरायटी के आम के पेड़ों की खेती करता है तो इसे लगभग पांच से सात टन फलों की पैदावारी मिल सकती है. ये भी देखें: आम की खेती: आमदनी अच्छी खर्चा कम

इतना खास क्यों सदाबहार आम?

हाल ही में कोटा में कृषि एंव किसान कल्याण विभाग ने दो दिवसीय कृषि महोत्सव प्रशिक्षण और प्रदर्शनी का आयोजन किया. इस दौरान साइंटिस श्रीकृष्ण सुमन ने भी सदाबहार आम के पेड़ को प्रदर्शनी में दर्शाया. उन्होंने बताया कि, यह पौधा अन्य आम के पौधों की किस्मों के मुकाबले दोगुनी तेजी से बढ़ता है और दो साल के अंदर ही फल देने लगता है. सदाबहार आम के लिए सिर्फ गोबर की खाद ही काफी है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि, ऑफसीजन में इस किस्म के पेड़ में फल लदे होते हैं. जिसके चलते किसान साल में तीन बार मोटी कमाई कर सकते हैं.
किसानों  के लिए इस राज्य सरकार की बड़ी घोषणाएं, फसलों के नुकसान पर मिलेगा इतना मुआवजा

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पिछले 2 सप्ताह में मध्य प्रदेश में बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि ने जमकर कहर ढाया है। इस दौरान राज्य में गेहूं, चना, सरसों और मसूर की खेती बुरी तरह से प्रभावित हुई है। ओलावृष्टि के कारण गेहूं की फसल खेतों में पूरी तरह से बिछ गई है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। पिछले सप्ताह ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस आपदा से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए सर्वे के आदेश दिए थे। यह सर्वे पूरा हो चुका है और इसकी विस्तृत रिपोर्ट मध्य प्रदेश शासन को भेजी जा चुकी है। रिपोर्ट के आधार पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि सरकार 50 फीसदी तक बर्बाद हुई फसल पर 32 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा प्रदान करेगी। इसके अलावा किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ भी दिलवाया जाएगा। साथ ही फसलों को हुए नुकसान का सैटेलाइट से सर्वे भी करवाया जाएगा। जिसमें सरकार के तीन विभाग संयुक्त रूप से फसल के सर्वे का काम करेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आगे कहा है कि ओलावृष्टि से जिन किसानों की फसलों का व्यापक नुकसान हुआ है, उनसे फिलहाल कर्ज की वसूली नहीं की जाएगी। साथ ही अब कर्ज का ब्याज सरकार भरेगी। इस दौरान यदि किसी व्यक्ति की ओलावृष्टि या बिजली गिरने से मौत हो गई है तो उसके परिजनों को सरकार 4 लाख रुपये की सरकारी सहायता उपलब्ध करवाएगी।

गाय-भैंस की मृत्यु पर भी मिलेगी सहायता राशि

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि फसल के नुकसान के अलावा यदि आपदा के दौरान किसी की गाय या भैंस की मृत्यु हो गई है तो ऐसे लोगों को 37 हजार रुपये प्रति जानवर की दर से सहायता राशि उपलब्ध कारवाई जाएगी। इसके साथ ही भेड़-बकरी की मृत्यु पर 4 हजार रुपये तथा बछड़ा और बछिया की मृत्यु पर 20 हजार रुपये दिए जाएंगे। मुर्गा और मुर्गियों का नुकसान होने पर 100-100 रुपये दिए जाएंगे। यदि आपदा से किसी के घर को नुकसान हुआ है तो उसके घर की मरम्मत के लिए भी सहायता उपलब्ध कारवाई जाएगी। ये भी पढ़े: यहां मिल रहीं मुफ्त में दो गाय या भैंस, सरकार उठाएगी 90 फीसद खर्च

रबी फसल के लिए दोबारा रजिस्ट्रेशन करवा पाएंगे किसान

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि ऐसे किसान जिनकी फसल बर्बाद हो गई है और उनके घर में उनकी बेटी की शादी है। ऐसे किसानों को सरकार मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत 56 हजार रुपये की सहायता राशि उपलब्ध करवाएगी। साथ ही कन्या के विवाह में भी सहयोग करेगी। इसके साथ ही जो किसान रबी की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पाए हैं, ऐसे किसान फिर से अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। उनके लिए दोबारा पोर्टल खुलवाया जाएगा। ताकि कोई भी किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य के लाभ से छूटने न पाए।
इफको के मार्केटिंग डायरेक्टर श्री योगेंद्र कुमार को MSCS का निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया

इफको के मार्केटिंग डायरेक्टर श्री योगेंद्र कुमार को MSCS का निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इफको के मार्केटिंग डायरेक्टर योगेन्द्र कुमार को 17 August को हुए चुनाव में नवगठित-राष्ट्रीय स्तर की बहु राज्य बीज सहकारी समिति के अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध चुना गया है। योगेंद्र कुमार को साकेत स्थित इफको के मुख्यालय में आयोजित बीज सहकारी समिति की पहली वार्षिक आम सभा के दौरान चुना गया था। कृभको के अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह यादव और एनसीडीसी के एमडी पंकज बंसल, योगेन्द्र कुमार के प्रस्तावक और अनुमोदक थे। इस चुनाव के लिए सहायक रजिस्ट्रार श्रीमती सुमन कुमारी को रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया गया था। यह भी पढ़ें: इफको (IFFCO) कंपनी द्वारा निर्मित इस जैव उर्वरक से किसान फसल की गुणवत्ता व पैदावार दोनों बढ़ा सकते हैं सहकारी समितियाँ जो महत्वाकांक्षी परियोजना का हिस्सा हैं, उनमें इफको, कृभको, NAFED और दो सरकारी सहायता प्राप्त निकाय NDDB और NCDC शम्मिलित हैं। बोर्ड के सदस्यों में नेफेड के अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह, कृभको के अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह, एनडीडीबी के अध्यक्ष और एमडी मीनेश शाह और एनसीडीसी के एमडी पंकज कुमार बंसल शामिल थे। इफको के चेयरमैन दिलीपभाई संघानी ने सोशल मीडिया के माध्यम से योगेंद्र कुमार को बधाई देते हुए लिखा, 'राष्ट्रीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के लिए इफको के विपणन निदेशक योगेंद्र कुमार को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।' यह भी पढ़ें: इफको बाजार का एसबीआई योनो कृषि ऐप के साथ समझौता दरअसल, जैसे ही योगेंद्र कुमार के चुनाव की खबर सामने आई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बधाई संदेशों की बाढ़ आ गई। सहकारी जगत के लोगों ने उन्हें बधाई देने में एक क्षण नहीं गंवाया। इफको के एमडी डॉ. यू.एस.अवस्थी से लेकर उर्वरक कंपनी के अन्य कनिष्ठ और वरिष्ठ कर्मचारियों और अन्य लोगों ने योगेंद्र कुमार को उनकी जीत पर बधाई दी। भूतपूर्व कृभको के महाप्रबंधक वी.के. तोमर बीज सहकारी समिति में अंशकालिक सीईओ के रूप में कार्यरत थे  ऐसा कहा जा रहा है, कि सीईओ की पूर्णकालिक नियुक्ति अतिशीघ्र ही की जाएगी। “हमें बीज सहकारी समिति का सदस्य बनने के लिए 2000 पैक्स से आवेदन प्राप्त हुआ है। इस मुद्दे को अगली बैठक में उठाया जाएगा” तोमर ने भारतीय सहकारिता संवाददाता से कहा। योगेंद्र कुमार के पास सहकारी समितियों में विभिन्न पदों पर कार्य करने का 36 वर्षों से ज्यादा का समृद्ध अनुभव है। उन्होंने चंद्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर से कृषि में स्नातक की डिग्री हांसिल की है। यह भी पढ़ें: इफको ने देश भर के किसानों के लिए एनपी उर्वरक की कीमत में कमी की वह अपनी गतिशीलता के लिए काफी जाने जाते हैं, जो उनके काम में भी साफ झलकता है। उन्होंने इफको के सागरिका उत्पाद के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। अपनी यात्रा के दौरान, कुमार ने नीम के तेल और बहुत सारे बाकी उपयोगी नीम आधारित उत्पादों के उत्पादन को बढ़ाने के लक्ष्य से नीम के प्रचार-प्रसार में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटीज (एमएससीएस) अधिनियम, 2002 के अंतर्गत बीज सहकारी समिति जो कि गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन, खरीद, प्रसंस्करण, ब्रांडिंग, लेबलिंग, पैकेजिंग, भंडारण, विपणन और वितरण के लिए एक शीर्ष संगठन के रूप में कार्य करेगी। साथ ही, रणनीतिक अनुसंधान एवं विकास और स्वदेशी प्राकृतिक बीजों के संरक्षण व संवर्धन के लिए एक प्रणाली विकसित करेगी।