अगर किसान धैर्यपूर्वक महोगनी की खेती करे तो वह महोगनी के उत्पादन से करोडों की आमदनी कर सकता है। बतादें, कि महोगनी के इस पेड़ के लकड़ी, पत्तियां व बीज से लेकर छाल तक काफी अच्छे भाव पर बेचे जाते हैं। परंतु, इस पेड़ को तैयार करने में लगभग 12 वर्ष का समय लग जाता है। अगर हम इसके बीज और लकड़ी की कीमत पर नजर ड़ालें तो इसका बीज 1,000 रुपये किलो वहीं लकड़ी 2000-2200 रुपये क्यूबिक फीट के भाव से बिकती है। साथ ही, इस महोगनी पेड़ के औषधीय गुणों वाली फूल, पत्ती और छाल भी काफी महँगे भावों पर बेची जाती है। इसकी खेती से तकरीबन 1 करोड़ तक की आमदनी की जा सकती है।
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नीम की खेती
नीम के औषधीय गुणों की बात करें तो यह कलयुग की संजीवनी के समान हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है, कि नीम प्रत्येक गली, मौहल्ले में देखने को मिल जाती है। परंतु, नीम की गुणवत्ता एवं इसके लाभ को जानने के बाद भी लोग इसका उपयोग नहीं करते हैं। जानकारी के लिए बतादें, कि एंटी-बैक्टीरियल एवं एंटीसेप्टिक, गुणों से युक्त निबौरी, छाल, लकड़ी और नीम की पत्तियों से बनते हैं। जिनको बाजार में काफी ज्यादा कीमत पर बेचा जाता है। इसकी विशेषताओं को ध्यान में रखके लोग मालाबार नीम की खेती करने में रुचि दिखा रहे हैं।
दालचीनी की खेती
अगर हम दालचीनी की बात करें तो रसोई के सर्वाधिक पंसदीदा मसालों में आने वाली दालचीनी अपने आप में एक औषधी है। दालचीनी पेड़ की छाल को मसाले के रूप में उपयोग किया जाता है। दक्षिण भारत में दालचीनी का उत्पादन बड़े स्तर पर किया जा रहा है। यहां इससे सौंदर्य और स्वास्थ्य उत्पाद के साथ तेल निकाला जाता है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में दालचीनी का व्यवसाय करोड़ों रुपए का है।
आम की खेती
आम के मीठे स्वाद को तो सब जानते हैं, सबने इसका स्वाद भी खूब चखा होगा। परंतु, क्या आपको यह पता है, कि इसकी पत्ती एवं लकड़ी की भी बाजार में काफी मांग रहती है। आम की लकड़ी से समस्त बैक्टीरिया दूर भाग जाते हैं। भारत में हवन पूजा यानी शुभ कार्यों में आम के पत्ते एवं लकड़ी का उपयोग किया जाता है। इसकी लकड़ी बैक्टीरिया नाशक है। यही कारण है, कि पूरे वर्ष इसकी मांग रहती है।
दरअसल, आज हम जिस लाल सोने की चर्चा कर रहे हैं, उसको बाजार में चंदन भी कहा जाता है। इसकी कीमत देश-विदेश के बाजार में काफी ज्यादा होती है। यदि आप अपने खेत में लाल सोने के पौधों को रोपते हैं, तो आप कुछ ही वर्षों के अंदर इसको बाजार में बेचकर करोड़ों रुपए आसानी से कमा सकते हैं।
फिलहाल, आपके दिमाग में यह बात आ रही होगी कि यदि इसकी खेती की मांग और कीमत इतनी ज्यादा है, तो भारत का प्रत्येक किसान लाल सोने की खेती क्यों नहीं करता है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इसकी खेती करना कोई आसान काम नहीं है। इसके लिए किसानों को काफी दीर्घ काल तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है। वहीं, समय-समय पर इसकी देखभाल से लेकर बहुत सारे जरूरी काम भी करने होते हैं।
लाल चंदन के एक पेड़ की कीमत
भारतीय बाजार में लाल सोना मतलब की चंदन के पेड़ की कीमत लाखों में होती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, बाजार में इसके एक ही पेड़ की कीमत लगभग 6 लाख रुपए तक होती है।
एक हेक्टेयर भूमि में लाल चंदन के कितने पौधे लगेंगे
यदि आप बाजार के अंदर इसके एक पौधे को खरीदने के लिए जाते हैं, तो आपको इसका एक ही पौधा 100 से लेकर 150 रुपए तक पड़ेगा। वहीं, यदि आप अपने खेत के एक हेक्टेयर में इसकी खेती करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको तकरीबन 600 पौधों की जरूरत पड़ेगी। जो कि 12 साल में अच्छे से तैयार हो जायेंगे। समय के अनुरूप आपको इन 600 पेड़ों का भाव बाजार के अंदर मिलेगा। यदि हम वर्तमान भाव के अनुरूप बात करें तो आप लाल सोने के 600 पेड़ों से कम से कम 30 करोड़ रुपए अर्जित कर सकते हैं।
वैज्ञानिकों की तरफ से चंदन के वृक्षों पर परियोजना जारी
कृषकों की आमदनी में बढ़ोतरी करने के लिए केंद्रीय मृदा और लवणता अनुसंधान संस्थान (सीएसएसआरआई) करनाल के वैज्ञानिकों की तरफ से चंदन के बेहतर और गुणवत्तापरक पौधों को विकसित किया जा रहा है। इस संबंध में कृषि वैज्ञानिक डॉ. राज कुमार ने बताया है, कि चंदन के पौधों पर यह परियोजना कार्य संस्थान के निदेशक डॉ. आरके यादव के दिशा निर्देशन में किया जा रहा है। वर्तमान में भी चंदन के पौधे पर शोध बरकरार चल रहा है। उन्होंने कहा है, कि चंदन के वृक्ष से फायदा उठाने के लिए किसानों को 10-15 वर्षों की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। वैज्ञानिकों के द्वारा इसी दीर्घकालीन प्रतीक्षा को कम करने के लिए यह परियोजना जारी की गई है। इसके साथ ही चंदन के वृक्ष के पास किस मेजबान पौधे को रखें एवं कितनी खाद, कितना पानी दिया जाए आदि अहम पहलुओं पर भी कार्य चल रहा है, जिससे कि चंदन के पेड़ों से फायदा पाने का समयांतराल कम हो सके। प्राप्त की गई जानकारी के अनुसार, संस्थान में एक एकड़ जमीन में चंदन के पौधे स्थापित किए गए हैं, जो कि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किए गए हैं।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, चंदन का वृक्ष जितना पुराना होगा, बाजार में उतना ही ज्यादा उसका भाव होता है। यदि देखा जाए तो चंदन का एक पेड़ लगभग 15 वर्ष में तैयार होता है, तो बाजार में उस एक पेड़ की कीमत करीब 70 हजार रुपये से लेकर दो लाख रुपये तक हो सकती है। ऐसी स्थिति में फिलहाल आप अनुमान लगा सकते हैं, तो चंदन की खेती कर किसान कुछ ही वर्षों में लाखों की आमदनी सहजता से कर सकते हैं।
चंदन का पौधा बाकी दूसरे पौधों से खुराक लेता है
चंदन के पौधे के साथ में बाकी दूसरा पौधा भी लगाया जाता है। क्योंकि, यह वृक्ष स्वयं अपनी खुराक दूसरे पौधों की जड़ों से प्राप्त करता है। दरअसल, चंदन के पौधे की जड़ें अन्य दूसरे पौधों की जड़ों को अपने में जोड़ लेती हैं। फिर उसे मिलने वाली खुराक को वह अपनी खुराक में परिवर्तित कर लेता है, जिससे कि पौधा बेहतर ढ़ंग से तैयार हो सके।