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जानिए क्या है नए ज़माने की खेती: प्रिसिजन फार्मिंग

जानिए क्या है नए ज़माने की खेती: प्रिसिजन फार्मिंग

नमस्कार किसान भाइयो, आज हम Merikheti.com में आपसे कुछ नई तकनीकी पर आधारित खेती की बात करेंगें. भाइयों अपने देश में जिस तरह से खेती होती है उससे आप सभी परचित हो. यहाँ आपको ज्ञान बांटने की जरूरत नहीं है. आज हम Precision farming के बारे में बात करेंगें. क्या है प्रिसिजन फार्मिंग और कितने किसान भाई इस तकनीक के बारे में जानते हैं? में समझता हूँ की हम में से ज्यादातर किसान भाई इसके बारे में नहीं जानते होंगें. जैसा की आप जानते हैं दिन प्रतिदिन हमारी खेती की जमीन कम होती जा रही है. खेती की जमीन पर अब कंक्रीट के जंगल बनते जा रहे हैं. खेती की जमीन कोई रबर तो है नहीं की उसको खींचा जा सके? अब इसमें सरकार और किसान दोनों को ही टेक्नोलॉजी का प्रयोग करना पड़ेगा तभी जाकर हम अपने देश के लिए पर्याप्त भोजन की व्यवस्था कर सकते हैं. खेती में टेक्नोलॉजी के प्रयोग को हम प्रिसिजन फार्मिंग (Precision agriculture) कहते हैं. हमारे देश में एक बड़ी सोच यह है की हम अपने पडोसी को देख कर काम करते हैं. वो कहते हैं ना जब किसी की बिजली चली जाये तो वो बस पडोसी की बिजली आ रही है या नहीं ये देखेगा और बस कुछ नहीं. अगर उसकी नहीं आ रही है तो कोई बात नहीं है, अगर उसकी आ रही है तो मेरी क्यों नहीं. यही बात हम अपने खेतों में लागू करते हैं. अगर पडोसी ने गेहूं करे हैं तो में भी गेंहूं ही करूँगा आलू या सरसों, सब्जी की फसल नहीं. जो नुकसान फायदा इसका होगा वही मेरा होगा. हमें इस सोच से निकल कर आगे जाना होगा और नई टेक्नोलॉजी को भी अपनी खेती में लाना होगा. इसी को प्रिसिजन फार्मिंग (Precision agriculture) कहते हैं.

क्या है नए ज़माने की खेती प्रिसिजन फार्मिंग?

प्रिसिजन फार्मिंग:

प्रिसिजन फार्मिंग (Precision agriculture) मतलब खेती में शुरुआत से लेकर अंत तक टेक्नोलॉजी का प्रयोग करना ही प्रिसिजन फार्मिंग (Precision agriculture) होता है. इसमें ना तो ज्यादा खाद चाहिए होता है और ना ही ज्यादा पानी. इसमें सेंसर की मदद से हमारी फसलों की जरूरत पता की जाती है उसके बाद उसी चीज को पौधे या फसल को लगाया जाता है. इसको शुरू करने से पहले मिटटी की जाँच कराइ जाती है उसके आधार पर उसमें क्या फसल बोई जाएगी ये तय किया जाता है. फिर मौसम, पानी, बैक्टीरिया आदि सभी बातों को ध्यान में रख के किसान अपनी फसल तय करता है. इससे किसान की लगत भी काम होती है तथा पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता है. इसमें किसान भेड़चाल में आकर अपना पैसा बर्बाद होने से बचाता है. जैसे की अगर पड़ोसी ने 10 किलो बीघा का यूरिआ लगाया है तो वो भी इतना ही खाद अपने खेत में डालेगा. जो की अक्सर किसान भाई करते है. इस तकनीक से पौधे को जब पानी की आवश्यकता होती है तो पानी दिया जाता है, जब खाद की जरूरत होती है तो खाद दिया जाता है और वो भी पौधे की जड़ में पाइप की मदद से. तो इससे किसान की लागत कम आती है और उसका मुनाफा कई गुना बढ़ जाता है. ये भी पढ़ें : ग्रीनहाउस टेक्नोलॉजी में रोजगार की अपार संभावनाएं

कब शुरू हुआ प्रिसिजन फार्मिंग (Precision agriculture) ?

इस तरह की खेती अमेरिका में सन 1980 के दशक में हुई थी.धीरे धीरे अन्य देशों ने भी इसे करना शुरू किया. आज नीदरलैंड में आलू की खेती इसी विधि से की जा रही है. और वो आलू में अच्छा उत्पादन भी ले रहे हैं. हम भी इस तकनिकी का प्रयोग करके कम लागत में ज्यादा उत्पादन ले सकते हैं.

प्रिसिजन फार्मिंग के फायदे:

  1. प्रिसिजन फार्मिंग के बहुत सारे फायदे हैं. इसकी सहायता से हम फसल में रोग आने पर उसकी रोकथाम के लिए सेंसर की सहायता से समय से उपचार कर सकते हैं.
  2. इसकी सहायता से सीधे पौधों के जड़ों में पानी और कीटनाशक दे सकते हैं.
  3. इसकी सहायता से हम अपनी लागत कम कर सकते हैं तथा उत्पादन को बढ़ा सकते हैं. इससे किसान की आमदनी बढाती है तथा उसके जीवन स्तर में सुधार आता है.
  4. पानी का प्रयोग जरूरत के हिसाब से कर सकते हैं. पूरे खेत में पानी देने की आवश्यकता नहीं होती सीधे पेड़ों की जड़ों में पानी दे सकते हैं.
  5. फसल का उत्पादन अच्छी गुणवत्ता वाला होता है. इसके द्वारा उत्पादन की गई फसल के दाने सामान्य तरीके से उगाई गई फसल से ज्यादा चमकदार और अच्छे होते हैं.
  6. मिटटी की गुणवत्ता भी ख़राब नहीं होती है.
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भारत में इसके प्रयोग को लेकर चुनौतियां:

प्रिसिजन फार्मिंग पर किए गए कई रिसर्च से पता चलता है कि इसके लिए सबसे बड़ी चुनौती उचित शिक्षा और आर्थिक स्थिति है. भारत में 80 % छोटे किसान हैं जिनकी जोत आकार बहुत छोटा है. उनकी आर्थिक हैसियत भी उतनी अच्छी नहीं है जिससे की वो किसी भी टेक्नोलॉजी को बिना सरकार की सहायता से अपने खेत में इस्तेमाल कर सकें. एक अनुमान में कहा गया है कि 2050 तक दुनिया की आबादी करीब 10 अरब के पार पहुंच जाएगी. ऐसे में भारत के पास भी मौका है कि कृषि उत्पादन के मामले में अपनी पकड़ और भी ​मौजूद कर लें. इसके लिए सरकार को अपनी तरफ से किसानों को प्रशिक्षण देना होगा जिससे की आने वाली समस्या की तैयारी अभी से की जा सके.
गेहूं के उत्पादन में यूपी बना नंबर वन

गेहूं के उत्पादन में यूपी बना नंबर वन

आपदा को अवसर में कैसे बदला जाता है, यह कोई यूपी से सीखे। कोरोना के जिस भयावह दौर में आम आदमी अपने घरों में कैद था। उस दौर में भी ये यूपी के किसान ही थे, जो तमाम सावधानियां बरतते हुए भी खेत में काम कर रहे थे या करवा रहे थे। नतीजा क्या निकला? यूपी गेहूं के उत्पादन में पूरे देश में नंबर 1 बन गया। कुछ चीजें जब हो जाती हैं और आप उनके बारे में सोचना शुरू करते हैं, तो पता चलता है कि यह तो चमत्कार हो गया। ऐसा कभी सोचा ही नहीं गया था और ये हो गया। कुछ ऐसी ही कहानी है यूपी के कृषि क्षेत्र की। कोरोना के जिस कालखंड में आम आदमी अपनी जिंदगी बचाने के लिए संघर्ष कर रहा था, सावधानियां बरतते हुए चल रहा था, उस यूपी में ही किसानों ने कभी भी अपने खेतों को भुलाया नहीं। क्या धान, क्या गेहूं, क्या मक्का हर फसल को पूरा वक्त दिया। निड़ाई, गुड़ाई से लेकर कटाई तक सब सही तरीके से संपन्न हुआ। यहां तक कि कोरोना काल में भी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की। इन सभी का अंजाम यह हुआ कि यूपी गेहूं के क्षेत्र में न सिर्फ आत्मनिर्भर हुआ बल्कि देश भर में सबसे ज्यादा गेहूं उत्पादक राज्य भी बन गया।


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अकेले 32 प्रतिशत गेहूं का उत्पादन करता है यूपी

यूपी के एग्रीकल्चर मिनिस्टर सूर्य प्रताप शाही के अनुसार, यूपी में देश के कुल उत्पादन का 32 फीसद गेहूं उपजाया जाता है। यह एक रिकॉर्ड है, पहले हमें पड़ोसी राज्यों से गेहूं के लिए हाथ फैलाना पड़ता था। अब हमारा गेहूं निर्यात भी होता है, पड़ोसी राज्यों की जरूरत के लिए भी भेजा जाता है। शाही के अनुसार, ढाई साल तक कोरोना में भी हमारे किसानों ने निराश नहीं किया। इन ढाई सालों के कोरोना काल में सिर्फ कृषि सेक्टर की उत्पादकता बढ़ी। किसानों ने दुनिया को निराश नहीं होने दिया। खेतों में अन्न पैदा होता रहा तो गरीबों को मुफ्त में राशन लेने की दुनिया की सबसे बड़ी स्कीम प्रधानमंत्री के नेतृत्व में चलाई गई। आपको तो पता ही होगा कि देश में 80 करोड़ तथा उत्तर प्रदेश में 15 करोड़ लोगों को प्रतिमाह मुफ्त में दो बार राशन दिया गया। राज्य सरकार ने भी किसानों को लागत का डेढ़ गुना एमएसपी देने के साथ ही यह तय किया कि महामारी के चलते किसी के भी रोजगार पर असर न पड़े। कोई भूखा न सोए, एक जनकल्याणकारी सरकार का यही कार्य भी होता है।

21 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि पर मिली सिंचाई की सुविधा

आपको बता दें कि यूपी में पिछले 5 सालों में हर सेक्टर में कुछ न कुछ नया हुआ है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से पिछले पांच साल में प्रदेश में 21 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि पर सिंचाई की सुविधा मिली है। सरयू नहर परियोजना से पूर्वी उत्तर प्रदेश के 9 जिलों में अतिरिक्त भूमि पर सिंचाई सुनिश्चित हुई है। हर जिले में व्यापक स्तर पर नलकूप की स्कीम चलाने के साथ सिंचाई की सुविधा को बढ़ाने के लिए पीएम कुसुम योजना के तहत किसानों को अपने खेतों में सोलर पंप लगाने की व्यवस्था की जा रही है। तो, अगर गेहूं समेत कई फसलों के उत्पादन में हम लोग आगे बढ़े हैं तो यह सब अचानक नहीं हो गया है। यह सब एक सुनिश्चित योजना के साथ किया जा रहा था, जिसका नतीजा आज सामने दिख रहा है।
नैनो डीएपी के व्यवसायिक प्रयोग को मंजूरी, जल्द मिलेगा लाभ

नैनो डीएपी के व्यवसायिक प्रयोग को मंजूरी, जल्द मिलेगा लाभ

खेती में उर्वरकों का इस्तेमाल बेहद बढ़ चुका है. जिस कम करने के लिए नैनो फर्टिलाइजर्स बनाये जा रहे हैं. कुछ समय पहले ही सरकार की तरफ से नैनो यूरिया को मंजूरी दी गयी थी. लेकिन अब इफको के नैनो डीएपी फर्टिलाइजर को अब कमर्शियल रिलीज के लिए मंजूरी दे दी है. सरकार के इस फैसले से डीएपी फर्टिलाइजर किसानों को ना सिर्फ कम कीमत में मिलेगा बल्कि हम मात्रा में फसल की पैदावार भी ज्यादा होगी. अब तक डीएपी की 50 किलो उर्वरक की बोरी की कीमत करब 4 हजार रुपये थी, जो सरकारी सब्सिडी लगने के बाद 13 सौ 50 रुएये में दी जा रही थी.  लेकिन सरकार के फैसले के बाद 50 किलो की बोरी को एक 5 सौ एमएल की बोतल में नैनो डीएपी लिक्विड फर्टिलाइजर के रूप में दिया जाएगी. इसकी कीमत सिर्फ 6 सौ रुपये होगी. हालांकि इस पूरे मामले में अभी सरकार की ओर से आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इसे व्यवसायिक इस्तेमाल को मंजूरी मिल चुकी है. जिस वजह से खेती और किसानी लागत को कम करने में काफी मदद मिलेगी. इसके अलावा जो सब्सिडी सरकार की ओर से भुगतान की जाएगी, उसमें भी काफी कमी आएगी.

सरकार को सब्सिडी बचाने में मिलेगी मदद

किसानों के लिए कीमतों में इस्तेमाल में काफी सुविधाजंक साबित हो सकता है. जिससे सरकार को अच्छी खासी मात्रा में सब्सिडी बचाने में मदद मिलेगी. इसके अलावा नैनो डीएपी को लिक्विड यूरिया भी कहा जाता है. जो आमतौर पर यूरिया से एकदम अलग और दानेदार होती है. इसे इफको और कोरोमंडल इंटरनेशन ने मिलकर बनाया है. ये भी देखें: जाने क्या है नैनो डीएपी फर्टिलाइजर और किन फसलों पर किया जा रहा है ट्रायल?

इन उर्वरकों पर भी ध्यान

नैनो डीएपी के बाद अब सरकार जल्फ़ इफको नैनो पोटाश, नैनो जिंक और नैनो कॉपर जैसे उर्वरकों पर भी ध्यान देगी. इतना ही नहीं वो जल्द ही इन उर्वरकों को लॉन्च भी कर सकती है. बता दें इफको ने साल 2021 जून के महीने में पारम्परिक यूरिया के ऑप्शन में नैनो यूरिया को लिक्विड रूप में लॉन्च किया था. इतना ही नहीं नैनो यूरिया का उत्पादन बढे, इसके लिए मैनुफेक्चरिंग प्लांट भी बनाए गये थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक कई देशों में नैनो यूरिया के सैम्पल भेज दिए हैं, जहां ब्राजील ने इफको नैनो यूरिया लिक्विड फर्टिलाइज को पास करके मंजूरी दे दी है.

होगी सरकार की बचत

खेती और किसानी में उर्वरकों का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है. जिसका असर मिट्टी की उर्वरता पर पड़ रहा है. इस तरह की समस्या से नैनो उर्वरक निपटने में मदद करेंगे. इससे उर्वरकों के आयात पर निर्भरता भी कम हो जाएगी और सरकार पर सब्सिडी का बोझ भी नहीं पड़ेगा. नैनो यूरिया के इस्तेमाल की बात की जाए तो इसके फायदों के बारे में खुद उर्वरक मंत्री ने भी बताया था. उनके अनुसार किसानों को वाजिब दामों में उर्वरकों की उपलब्धता करवाई जाएगी. वहीं इफको द्वारा बनाया गया प्रोडक्ट सरकारी सब्सिडी के बिना भी कई गुना सस्ता है. इससे किसानों को बड़ी बचत होने का अनुमान लगाया जा रहा है.
नैनो DAP किसान भाइयों के लिए अब 600 रुपए में उपलब्ध, जानें यह कैसे तैयार होता है

नैनो DAP किसान भाइयों के लिए अब 600 रुपए में उपलब्ध, जानें यह कैसे तैयार होता है

कृषकों के लिए एक खुशखबरी है। दरअसल, अब से भारत के समस्त किसानों को इफको की Nano DAP कम भाव पर मिलेगी। किसानों को अपनी फसलों से बेहतरीन पैदावार पाने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यों को करना होता है। उन्हीं में से एक खाद व उर्वरक देने का भी कार्य शम्मिलित है। फसलों के लिए डीएपी (DAP) खाद काफी ज्यादा लाभकारी माना जाता है। भारतीय बाजार में किसानों के बजट के अनुरूप ही DAP खाद मौजूद होती है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि दुनिया का पहला नैनो डीएपी तरल उर्वरक गृह एवं सहकारिता मंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया। केंद्रीय आवास और सहकारिता मंत्री ने नई दिल्ली में इफको (IFFCO) के मुख्यालय में इफको के नैनो डीएपी तरल (Nano Liquid DAP) उर्वरकों को राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित किया। एफसीओ के अंतर्गत इंगित इफको नैनो डीएपी तरल शीघ्र ही किसानों के लिए मौजूद होगा। अगर एक नजरिए से देखें तो यह पौधे के विकास के लिए एक प्रभावी समाधान है। खबरों के अनुसार, यह 'आत्मनिर्भर कृषि' के पारंपरिक डीएपी से सस्ता है। डीएपी का एक बैग 7350 है, जबकि नैनो डीएपी तरल की एक बोतल केवल 600 रुपये में उपलब्ध है।

जानें DAP का उपयोग और इसका उद्देश्य क्या है

यह इस्तेमाल करने के लिए जैविक तौर पर सुरक्षित है और इसका उद्देश्य मिट्टी, जल एवं वायु प्रदूषण को कम करना है। इससे डीएपी आयात पर कमी आएगी। साथ ही, रसद और गोदामों से घर की लागत में काफी गिरावट देखने को मिलेगी। बतादें, कि तरल उर्वरक दुनिया के पहले नैनो डीएपी (Nano DAP), इफको द्वारा जारी किया गया था। नैनो डीएपी उर्वरक का उत्पादन गुजरात के कलोल, कांडा एवं ओडिशा के पारादीप में पहले ही चालू हो चुका है। इस साल नैनो डीएपी तरल की 5 करोड़ बोतलों का उत्पादन करने का लक्ष्य है, जो सामान्य डीएपी के 25 लाख टन के बराबर है। वित्त वर्ष 2025-26 तक यह उत्पादन 18 करोड़ होने की आशा है। ये भी पढ़े: दिन दूना रात चौगुना उत्पादन, किसानों को नैनो तकनीक से मिल रहा फायदा

नैनो DAP तरल नाइट्रोजन का एक बेहतरीन स्रोत माना जाता है

नैनो डीएपी तरल नाइट्रोजन का एक बेहतरीन स्रोत माना जाता है। साथ ही, यह फास्फोरस व पौधों में नाइट्रोजन व फास्फोरस की कमी को दूर करने में सहायता करता है। नैनो डी-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) तरल भारतीय किसानों द्वारा विकसित एक उर्वरक है। उर्वरक नियंत्रण आदेश के मुताबिक, भारत की सर्वोच्च उर्वरक सहकारी समिति (इफको) को 2 मार्च, 2023 को अधिसूचित किया गया था। साथ ही, भारत में नैनो डीएपी तरल का उत्पादन करने के लिए इफको को एक राजपत्र अधिसूचना जारी की गई थी। यह जैविक तौर पर सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल है। अपशिष्ट मुक्त साग की खेती के लिए उपयुक्त है। इससे भारत उर्वरकों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर तीव्रता से निर्भर रहेगा। नैनो डीएपी उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा व जीवन दोनों को भी बढ़ाएगा। किसान की आमदनी और भूमि के संरक्षण में बहुत बड़ा योगदान होगा। ये भी पढ़े: ‘एक देश में एक फर्टिलाइजर’ लागू करने जा रही केंद्र सरकार

नैनो DAP कैसे निर्मित हुई है

नैनो DAP के मामले में इफको के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने बताया है, कि "नैनो डीएपी को तरल पदार्थों के साथ निर्मित किया गया है। किसान समृद्धि और आत्मनिर्भर भारत के लिए पीएम मोदी का विजन किसानों की आमदनी बढ़ाने एवं उन्हें बेहतर करने के उद्देश्य से लगातार कार्य कर रहा है। इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. यू एस अवस्थी ने बताया है, कि नैनो डीएपी तरल पदार्थ फसलों के पोषण गुणों एवं उत्पादकता को बढ़ाने में काफी प्रभावी पाए गए हैं। इसका पर्यावरण पर काफी सकारात्मक असर पड़ता है।
केंद्र सरकार द्वारा चलाया जा रहा ऑयल पाम प्लांटेशन अभियान 12 अगस्त तक जारी रहेगा

केंद्र सरकार द्वारा चलाया जा रहा ऑयल पाम प्लांटेशन अभियान 12 अगस्त तक जारी रहेगा

केंद्र सरकार के मिशन के अंतर्गत राज्य सरकारों ने ऑयल पाम प्रोसेसिंग कंपनियों के साथ मिलकर भारत में ऑयल पाम की खेती को और प्रोत्साहन देने के लिए 25 जुलाई 2023 से एक मेगा ऑयल पाम प्लांटेशन अभियान जारी किया है। पाम तेल उत्पादन क्षेत्र को 10 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने एवं 2025-26 तक कच्चे पाम तेल की पैदावार को 11.20 लाख टन तक पहुँचाने के मकसद से भारत सरकार ने अगस्त 2021 में राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन- ऑयल पाम जारी किया है। मिशन खाद्य तेलों की पैदावार में वृद्धि के अतिरिक्त आयात बोझ को कम करके भारत को 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में भी सफलतापूर्वक लेकर जा रहा है।

ये कंपनियां भी सक्रिय प्रचार और हिस्सेदारी कर रही हैं

मिशन के अंतर्गत राज्य सरकारों ने ऑयल पाम प्रोसेसिंग कंपनियों के साथ मिलकर भारत में ऑयल पाम की खेती को और प्रोत्साहन देने के लिए 25 जुलाई 2023 से एक मेगा ऑयल पाम प्लांटेशन अभियान चालू किया है। तीन प्रमुख ऑयल पाम प्रोसेसिंग कंपनियां- पतंजलि फूड प्राइवेट लिमिटेड, गोदरेज एग्रोवेट एवं 3एफ (3F) विस्तार के लिए अपने-अपने राज्यों में किसानों के साथ सक्रिय तौर से प्रचार और हिस्सेदारी कर रहे हैं।

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मेगा प्लांटेशन अभियान कब तक जारी रहेगा

मेगा प्लांटेशन अभियान की शुरुआत 25 जुलाई 2023 से हो चुकी है। बतादें, कि यह अभियान 12 अगस्त 2023 तक सुचारू रहेगा। इस पहल के अंतर्गत प्रमुख तेल पाम उत्पादक राज्यों जैसे कि ओडिशा, कर्नाटक, गोवा, असम, त्रिपुरा, नागालैंड, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु भागीदारी करेंगे। यह अभियान 25 जुलाई 2023 को रेस्ट ऑफ इंडिया (ROI) मतलब कि ओडिशा, गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में शुरू हुआ और 08-08-2023 तक सुचारू रहेगा। यह तकरीबन 7000 हेक्टेयर क्षेत्रफल को कवर करेगा, जिसमें से 6500 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को कवर करने का संकल्प है।

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पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) के राज्यों जैसे कि त्रिपुरा, मिजोरम, नागालैंड, असम और अरुणाचल प्रदेश में यह अभियान 27 जुलाई 2023 को आरंभ हुआ और 12 अगस्त 2023 तक 19 जनपदों में 750 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल को कवर करते हुए जारी रहेगा।

असम सरकार ने कितने हेक्टेयर रकबे को कवर करने का लक्ष्य तय किया

असम सरकार 75 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल को कवर करने का लक्ष्य निर्धारित कर रही है। बतादें, कि 27 जुलाई 2023 से 05 अगस्त 2023 तक मेगा प्लांटेशन अभियान 8 जनपदों में चलेगा। इस अभियान में हिस्सेदारी लेने वाली कंपनियां पतंजलि फूड्स प्राइवेट लिमिटेड, गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड, 3एफ ऑयल पाम लिमिटेड एवं विभिन्न कल्टीवेशन शम्मिलित हैं। अरुणाचल प्रदेश सरकार तकरीबन 700 हेक्टेयर रकबे को कवर करने का लक्ष्य तय कर रही है। 29 जुलाई 2023 से 12 अगस्त 2023 तक अभियान के दौरान 6 जनपदों में अभियान जारी रहेगा। राज्य के लिए इस अभियान में हिस्सा लेने वाली कंपनियां 3F प्राइवेट लिमिटेड और पतंजलि फूड्स प्रा. लिमिटेड हैं।
पीएम फसल बीमा योजना में आवेदन की अंतिम तारीख बढ़ कर 16 अगस्त हो गई है

पीएम फसल बीमा योजना में आवेदन की अंतिम तारीख बढ़ कर 16 अगस्त हो गई है

सरकार ने पीएम फसल बीमा के पंजीयन की आखिरी तारीख को बढ़ा दिया है। जहां 31 जुलाई ही रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख थी। उसको अब बढ़ाकर 16 अगस्त कर दी गई है। केंद्र सरकार ने किसानों के फायदे के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई गई थी। भारत के किसानों की फसल बारिश, सूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की वजह से तबाह हो जाती थी। ऐसी स्थिति में किसानों को आर्थिक मदद के लिए भारत सरकार नें पीएम फसल बीमा योजना की शुरुआत की थी, जिससे इन विपदाओं से बचने के लिए किसान अपनी फसलों का बीमा करा सकें।

पीएम फसल बीमा योजना में आवेदन की अंतिम तारीख

केंद्र सरकार ने किसानो को काफी राहत प्रदान की है। इस दौरान फसल बीमा के रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख को बढ़ा दिया गया है। इसके लिए रजिस्ट्रेशन की तारीख 31 जुलाई थी। परंतु, कृषि मंत्रालय ने इसको 16 अगस्त तक आगे बढ़ा दिया है। अब देश के किसान ऑनलाइन माध्यम से अथवा अपने नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर जाकर इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में आवेदन का तरीका

आप किसान भाई अपनी खरीफ की फसलों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के पोर्टल ( www.pmfby.gov.in) पर जाकर अपनी फसल के बीमा के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इस योजना के अंतर्गत किसान की फसलों के व्यक्तिगत नुकसान का लाभ मिलेगा, जो पहले सिर्फ सामूहिक स्तर पर ही मिलता था। इन सभी नुकसानों की भरपाई सरकार द्वारा निर्धारित बीमा कंपनियों द्वारा की जाती है।

फसल क्षति के 72 घंटे के अंदर सूचना देना अनिवार्य है

अगर आपकी फसल की बर्बादी प्राकृतिक आपदा की वजह से होती है। ऐसे में आप 72 घंटों के अंदर किसान क्रॉप इंश्योरेंस ऐप के जरिए इसकी जानकारी दे सकते हैं। इसके अलावा आप बीमा कंपनियों द्वारा प्रदान किए गए टोल फ्री नंबर पर भी कॉल कर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

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प्रीमियम की धनराशि कितनी है

सरकार ने विभिन्न प्रकार की फसलों के लिए इसकी प्रीमियम दर निर्धारित की है। अगर आप भी पीएम फसल बीमा योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, तो इसके लिए एक निर्धारित प्रीमियम का भुगतान करना पड़ेगा। किसानों के आर्थिक हालातों को देखते हुए सरकार ने इस प्रीमियम का मुल्य बहुत कम रखा है। आपको अपनी खरीफ की फसल के लिए 1.5 प्रतिशत और बागवानी की फसल के लिए अधिकतम 5 प्रतिशत के प्रीमियम का भुगतान करना पड़ेगा।
किसानों के लिए फसल बीमा और उसके लाभ

किसानों के लिए फसल बीमा और उसके लाभ

Dr. Hari Shankar Gaur
डॉ हरि शंकर गौड़
प्रतिष्ठित प्रोफेसर, गलगोटोआस विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा
व कुलपति, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ

भारत गांवों की आर्थिक विकास का मूल आधार है और भारतीय कृषि उद्योग देश के अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है। लाखों परिवार भारतीय कृषि पर निर्भर हैं और इसका उत्तरदायित्व निभाते हैं। फसल बीमा की एक महत्वपूर्ण भूमिका है, जो किसानों को उनकी मेहनत का परिणाम सुनिश्चित करने में मदद करती है। हम फसल बीमा के महत्व और किसानों के लिए इसके लाभ पर चर्चा करेंगे।

फसल बीमा क्या है?

फसल बीमा एक प्रकार की बीमा है जो किसानों की फसलों को अनियामित मौसम परिस्थितियों से बचाने में मदद करती है। यह किसानों को उनकी लागतों को कम करने और उनकी आय को सुनिश्चित करने का मौका देती है।
फसल बीमा योजनाएं सरकार द्वारा चलाई जाती हैं, और वे किसानों को फसल के नुकसान के मामले में आर्थिक सहायता प्रदान करती हैं।

कृषि बीमा निगम

भारत में किसानों की सुरक्षा और उनकी खेती की रक्षा के लिए कृषि बीमा निगम (Crop Insurance Corporation) एक महत्वपूर्ण संगठन है। यह सरकार द्वारा स्थापित किया गया है और भारत के किसानों को विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं और अनुपातित परिस्थितियों से बचाने का काम करता है। कृषि बीमा निगम का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी खेती की लागत के हानियों से मुक्त करना है। यह सरकारी योजना के तहत किसानों को उनकी फसलों के लिए बीमा करवाने की सुविधा प्रदान करता है जिससे वे अपनी खेती को आत्मनिर्भरता से चला सकें। अधिक जानकारी के लिए देखें : www.aicofindia.com, https://policyholder.gov.in/crop-insurance, www.pmfby.gov.in and https://irdai.gov.in. भारत में फसल बीमा सहित बीमा क्षेत्र के विकास और विनियमन में भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) की प्रमुख भूमिका है। कृषि बीमा निगम के अंतर्गत विभिन्न योजनाएँ होती हैं, जैसे कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY), रष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (NAIS), और मेट कृषि बीमा योजना (MNAIS) आदि। इन योजनाओं के तहत किसान अपनी फसलों को विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि बाढ़, सूखा, बर्फबारी, और वर्षा, रोग, कीट आदि से बचाने के लिए बीमा करवा सकते हैं।

फसल बीमा के लाभ

निवेश सुरक्षा: फसल बीमा किसानों को उनके निवेश की सुरक्षा प्रदान करता है। जब किसान अपनी फसलों की बीमा करवाता है, तो वह अनियामित मौसम परिस्थितियों से होने वाले नुकसान के खिलाफ सुरक्षित होता है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और उन्हें निवेश करने की आत्म-समर्थन मिलता है।

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किसानों की आय की सुरक्षा: फसल बीमा किसानों को उनकी मुख्य आय स्रोत की सुरक्षा प्रदान करता है। अगर किसान की फसल किसी प्रकार के नुकसान का शिकार होती है, तो फसल बीमा से उन्हें आर्थिक मदद मिलती है। इससे किसान अपने परिवार की आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकता है। कृषि उत्पादन में वृद्धि: फसल बीमा के प्रावधान से किसान अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं और उन्हें कृषि उत्पादन में वृद्धि करने का साहस मिलता है। जब किसान निश्चित है कि उनकी मेहनत फसल के नुकसान से नहीं जा रही है, तो वे अधिक उत्साहित रहते हैं और अधिक उत्पादन करने का प्रयास करते हैं। कृषि साहित्य की सुधार: फसल बीमा से किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारती है और उन्हें अधिक शिक्षा और साहित्यिक विकास की दिशा में अधिक संरचित बनाता है। इसके परिणामस्वरूप, कृषि साहित्य का स्तर भी बढ़ता है और किसानों के पास अधिक ज्ञान होता है, जिससे उनका कृषि उत्पादन भी सुधरता है। सामाजिक सुरक्षा: फसल बीमा से किसान सामाजिक सुरक्षा का भी आभास करते हैं। अगर किसान की फसल में कोई नुकसान होता है, तो उसे अधिक सामाजिक परिस्थितियों का सामना करने की आवश्यकता नहीं होती है। वह अपने परिवार को समर्थन देने में सक्षम रहता है और समाज के अन्य सदस्यों की मदद कर सकता है।

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सुझाव और तकनीकी सहायता: फसल बीमा योजनाएं किसानों को नई तकनीकों और बेहतर प्रौद्योगिकियों के साथ खेती करने का मौका देती हैं। सरकार और बीमा कंपनियां अक्सर किसानों को बेहतर खेती के लिए सुझाव और तकनीकी सहायता प्रदान करती हैं, जिससे किसान अधिक उत्तेजना और जागरूक होते हैं। बचत और निवेश का मौका: फसल बीमा किसानों को अपनी बचत और निवेश की सुरक्षा प्रदान करती है। जब किसान फसलों की बीमा करवाता है, तो वह अपनी आर्थिक संरचना को मजबूत करने का मौका पाता है। इससे किसान अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए निवेश कर सकता है और अधिक बचत कर सकता है। बिना तनाव के खेती: फसल बीमा से किसान बिना तनाव के खेती कर सकता है। जब उनकी फसलों की सुरक्षा बीमा कवर में होती है, तो वे मौसम की परिस्थितियों से चिंता किए बिना खेती कर सकते हैं। इससे किसान का मानसिक दबाव कम होता है और वह अधिक सक्षमता से काम कर सकता है। सरकारी सहायता: फसल बीमा की योजनाओं में सरकार भी भाग लेती है और किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इससे किसानों को अधिक आर्थिक सहायता मिलती है और वे अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं। सामाजिक अवसरों का विस्तार: फसल बीमा से किसानों के पास अधिक सामाजिक अवसर होते हैं। उन्हें अपने खेतों के साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से अधिक स्थिति मिलती है, जिससे उनका सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ती है। संक्षेप में, फसल बीमा किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक सुरक्षा का स्रोत है और इसके कई लाभ हैं। इसके माध्यम से, किसान अपनी फसलों की सुरक्षा बीमा कवर के तहत रख सकते हैं और अनियामित मौसम परिस्थितियों से अपने निवेश और आय की सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। फसल बीमा की योजनाएं सरकार और बीमा कंपनियों के साथ मिलकर किसानों को अधिक तकनीकी और आर्थिक सहायता प्रदान करती हैं, जिससे किसान अपनी खेती को सुधार सकते हैं और अधिक सामाजिक सुरक्षा का आभास करते हैं। इसके तरीके से, फसल बीमा किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक सुरक्षा का स्रोत है और उन्हें आरामदायक और सुरक्षित खेती का मौका प्रदान करता है।
pmfby: पीएम फसल बीमा योजना को लेकर किसानों का क्या कहना है ?

pmfby: पीएम फसल बीमा योजना को लेकर किसानों का क्या कहना है ?

पीएम फसल बीमा योजना का फायदा प्राप्त करने के लिए कृषक भाई यहां दी गई प्रक्रिया को फॉलो कर सकते हैं। किसान भाइयों की सहायता के लिए सरकार की तरफ से विभिन्न योजनाएं संचालित की जाती हैं, जिसमें से एक बड़ी योजना पीएम फसल बीमा योजना है। इस योजना के जारी होने से फिलहाल किसान भाइयों को फसल हानि का भय नहीं है। साथ ही, मौसम की वजह से यदि किसानों की फसल को हानि पहुँचती है, तब भी उन्हें योजना का फायदा मिलेगा। इसी कड़ी केरल के किसान विजयावन का कहना है, कि उन्हें कभी फसलों के क्षतिग्रस्त होने का भय तो कभी मौसम की अनिश्चितता हम कृषकों को घेरे रहती थी। परंतु, जब से प्रधानमंत्री फसल बीमा का सहयोग मिला है, तब से हम किसान और अधिक लगन-आत्मविश्वास के साथ किसानी में जुट गए हैं। बतादें, कि हमारे क्षेत्र में बाढ़ सबसे बड़ी दिक्कत है। हम स्थानीय लोग जलवायु परिवर्तन के मुताबिक खेती कर रहे हैं। परंतु, साथ-साथ गंभीर बाढ़ एवं हवाएं आती हैं, जो हमारी फसलों को काफी प्रभावित करती हैं। साथ ही, फसलों में कीड़े लग जाना भी सामान्य सी बात है। फसल बीमा के लिए पीएम फसल बीमा योजना सबसे बेहतरीन विकल्प है। किसान विजयावन के पास वर्ष 2019 से यह बीमा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना हमें संबल और शक्ति प्रदान कर रही है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना क्या होती है

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केंद्र सरकार की तरफ से किसानों के लिए चलाई गई एक सरकारी बीमा योजना है। यह योजना किसानों को प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि बाढ़, ओलावृष्टि, सूखों, कीटों और रोगों से होने वाली हानि से संरक्षण के लिए है। 

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योजना का लाभ उठाने के लिए आवश्यक दस्तावेज 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ उठाने के लिए आपके पास आधार कार्ड, राशन कार्ड, जमीन का पट्टा, बैंक खाता पासबुक, फसल खराब होने का प्रमाण आदि जैसे प्रमाण पत्र या दस्तावेजों की अनिवार्यता होती है।  

पीएम फसल बीमा योजना के लिए कैसे आवेदन करें 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए आवेदन करने के लिए सबसे पहले किसान भाई आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। इसके पश्चात वह होमपेज पर किसान कॉर्नर पर क्लिक करें। अब किसान अपना मोबाइल नंबर दर्ज कर लॉगिन करें। इसके बाद किसान समस्त आवश्यक डिटेल्स नाम, पता, आयु, राज्य इत्यादि दर्ज करें। बतादें, कि अंतिम में किसान भाई सबमिट बटन पर क्लिक करें।