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आगामी बजट से पूर्व वित्त मंत्री ने किसानों के साथ बैठक की

आगामी बजट से पूर्व वित्त मंत्री ने किसानों के साथ बैठक की

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण १ फरवरी, २०२३ को अगला आम बजट प्रस्तुत करेंगी। बजट की तैयारियों के लिए वित्त मंत्री फिलहाल बजट से पहले ही बैठकें कर रही हैं, जिसमें उन्होंने सभी किसान संगठनों व समतियों से उनकी मांगे व सुझाव लिए हैं।

क्या कहा किसानों ने बैठक के दौरान

सामान्य बजट २०२३-२४ हेतु अपनी विश लिस्ट में भारत कृषक समाज के अध्यक्ष अजय वीर जाखड़ ने मांग की कि सरकार को जहां आयातित कमोडिटी की देश में आने का खर्च न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम है, ऐसे में उपज के आयात को स्वीकृति नहीं देनी चाहिए। बतादें कि, उन्होंने केंद्र सरकार से कृषि क्षेत्र में मानव संसाधन उन्नति एवं प्रगति के विकास पर अधिक जोर देने का निवेदन किया है। अजय वीर जाखड़ द्वारा किसानों को उचित व उच्चतम मूल्य प्राप्त करने हेतु सामर्ध्यवान बनाने के लिए खेतों से स्वैच्छिक कार्बन क्रेडिट का दुनियाभर के स्तर पर व्यापार करने हेतु स्वीकृति के संबंध में वकालत की है ।


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बैठक में मौजूद कंसोर्टियम ऑफ इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन (सीआईएफए) के अध्यक्ष रघुनाथ दादा पाटिल ने बताया कि, टूटे चावल एवं गेंहू की तरह कृषि उत्पादों के निर्यात पर रोक लगाने की वजह से किसानों की आमदनी पर विपरीत असर हुआ है। पाटिल ने कहा कि बैठक के दर्मियान उनके द्वारा यह सलाह दी गयी कि, सरकार को कृषि उत्पादों के निर्यात पर रोक नहीं लगानी चाहिए। पाटिल जी के हिसाब से निर्यात के माध्यम से भारत को विदेशी मुद्रा अर्जित करने में सहायता प्राप्त होगी। भारत ने घरेलू आपूर्ति में बढ़ोत्तरी करने एवं महंगाई दर को रोकने के लिए टूटे चावल व गेंहू के निर्यात को रोक दिया गया है। खाद्य तेलों के आयात पर भारत की निर्भरता में घटोत्तरी हेतु पाटिल जी ने सलाह दी कि सूरजमुखी, मूंगफली और सोयाबीन के गृह उत्पादन में वृद्धि पर अधिक जोर देना चाहिए। १ फरवरी, २०२३ को आगामी आम बजट प्रस्तुत करने जा रही हैं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण।

ये लोग रहे बैठक में मौजूद

बतादें कि बैठक के दौरान प्रदेश अध्यक्ष, राज्य फल सब्जियां और फूल उत्पादक संघ (हिमाचल); और जेफरी रेबेलो, अध्यक्ष, यूपीएएसआई, (तमिलनाडु) वीरेन के खोना, सचिव, अखिल भारतीय मसाला निर्यातक फोरम, (केरल); ए एस नैन, निदेशक, गोविंद बल्लभ पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, (उत्तराखंड); हरीश चौहान, भी मौजूद रहे। साथ ही, दक्षिण भारतीय गन्ना किसान संघ (एसआईएसएफए), तमिलनाडु के अध्यक्ष, वी राजकुमार, इफको के संयुक्त प्रबंध निदेशक – राकेश कपूर, भारतीय किसान संघ के महासचिव – मोहिनी मोहन मिश्रा एवं जैविक कृषि के लिए अंतरराष्ट्रीय क्षमता केंद्र (कर्नाटक) के कार्यकारी निदेशक – मनोज कुमार मेनन, जम्मू-कश्मीर फल और सब्जियां प्रसंस्करण और एकीकृत शीत भंडारण श्रृंखला संघ के अध्यक्ष – माजिद ए वफाई, एसोसिएटेड टी एंड एग्रो मैनेजमेंट सर्विसेज (असम) की कार्यकारी निदेशक – नंदिता शर्मा ने भी अपने विचार व सलाह साझा की।
कार्बन क्रेडिट फाइनेंस प्रोजेक्ट से किसानों को क्या और कैसे फायदा मिलेगा?

कार्बन क्रेडिट फाइनेंस प्रोजेक्ट से किसानों को क्या और कैसे फायदा मिलेगा?

कार्बन क्रेडिट फाइनेंस प्रोजेक्ट लघु यानी छोटे कृषकों को कार्बन बाजारों से अतिरिक्त वित्तीय सहायता हासिल करने में मदद करके बीएचजीवाई परियोजना की समर्थन समयावधि के बाद भी वृक्षों की लगातार देखभाल सुनिश्चित करने में सहायता करेगा। ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया (TRI) ने Intellecap और ACORN (Rabobank) की मदद से, झारखंड में 1 लाख रुपए से ज्यादा कृषकों को लाभ पहुंचाने के लिए कार्बन क्रेडिट फाइनेंस प्रोजेक्ट का अनावरण किया है।  यह पहल राज्य के उन समस्त कृषकों को लक्षित करती है, जिन्हें 2018 से बिरसा हरित ग्राम योजना के अन्तर्गत समर्थन हांसिल हुआ है। बतादें, कि रबोबैंक एसीओआरएन प्लेटफॉर्म में उनके एकीकरण की सुविधा प्रदान की गया है। प्रमुख तौर पर महिलाएं, जिन्होंने मनरेगा की बिरसा हरित ग्राम योजना (बीएचजीवाई) के अंतर्गत झारखंड सरकार के समर्थन से 1 लाख से ज्यादा एकड़ ग्रामीण जमीन पर फलों के बगीचे एवं स्थानीय लकड़ी के वृक्ष लगाए हैं। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इन कृषकों को आगामी 15-20 वर्षों में कार्बन हटाने का फायदा मिलेगा।

झारखंड़ में बीएचजीवाई परियोजना की पहल हुई

यह प्रोजेक्ट लघु कृषकों को कार्बन बाजारों से अलावा वित्तीय मदद हासिल करने में सहयोग करके बीएचजीवाई परियोजना की समर्थन अवधि के उपरांत भी वृक्षों की निरंतर देखरेख निर्धारित करती है। उल्लेखनीय तोर से, इसमें कृषकों के लिए कोई भी जोखिम नहीं है अथवा उनके या सरकार की तरफ से कोई जरूरी निवेश नहीं है। परियोजना की डिजाइन का आरंभ झारखंड सरकार के समर्थन में कार्यान्वयन हिस्सेदारों के सहयोग से दिसंबर 2022 में प्रारंभ हुई थी।

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इंटेलकैप के प्रबंध निदेशक "कृषि एवं जलवायु" ने इसको लेकर क्या कहा है

इंटेलकैप के प्रबंध निदेशक-कृषि और जलवायु, संतोष के. सिंह ने कहा, "हम छोटे किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें जलवायु स्मार्ट कृषि में परिवर्तित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जलवायु वित्त, मुख्य तौर पर कार्बन वित्त का समर्थन करके, परियोजना इस परिवर्तन को लाभदायक और जलवायु लचीली कृषि प्रथाओं में सक्षम बनाती है। हम उस पारिस्थितिकी तंत्र पर भी ध्यान दे रहे हैं, जो इसे प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। साथ ही, मंच छोटे किसानों की मदद के लिए सरकारी एजेंसियों, निवेशकों और कॉर्पोरेट्स के साथ काम करता है।"

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यह परियोजना किसानों को समुचित भुगतान के सिद्धांत पर निर्धारित की गई है, जिसमें उत्पन्न कार्बन क्रेडिट राजस्व का 80% सीधे कृषकों के खातों में स्थानांतरित किया जाएगा। कार्बन क्रेडिट के अतिरिक्त, हिस्सेदार भारत सरकार के ग्रीन क्रेडिट प्लेटफॉर्म तथा अन्य वैश्विक जैव विविधता प्लेटफार्मों के जरिए से कृषकों को अतिरिक्त फायदा प्रदान करने के मार्ग तलाशेंगे। परियोजना का उद्देश्य वृक्षारोपण का समुचित रखरखाव निर्धारित करना, लघु कृषकों की आय को प्रोत्साहन देना एवं स्थानीय रोजगार के अवसर उत्पन्न करना है।