कपास की फसल पैदा करने वाले किसानों का बढ़ा संकट
हाल ही में न्यूज़ में देखा गया की तेलंगाना में कपास की कीमतों में भरी गिरावट दर्ज की गई है, कपास का दाम केवल 6500 रुपये क्विंटल हो या है जिसकी वजह से किसानों की हालत चिंताजनक है।
किसानों से हुई बातचीत में पता चला कि वह दाम कम से कम 15000 रुपये क्विंटल चाहते हैं। इस साल कपास की फसल की बात की जाए तो देश में इस साल किसानों को फसलों का काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
इसके अलावा कुछ फसल की खेती जैसे पपीता, सेब और संतरे आदि की फसल को भी पहले से ज्यादा नुक्सान पहुंचा है। कभी बाढ़ तो कभी बारिश के कारण किसानों को ये समस्या झेलनी पड़ती है।
हाल ही में कपास की कीमत कम होने से किसान परेशान हैं। सही रेट न मिलने से किसानों की लागत तक नहीं निकल पा रही है।
तेलंगाना में 6000 रुपये क्विंटल तक हो गया है कपास का मूल्य
इस बार कपास की कीमत का संकट सबसे ज्यादा तेलंगाना के किसानों को परेशान कर रहा है। मीडिया के हवाले पता चला है, कि इस साल का दाम बेहद कम रखा गया है।पहले जिस फसल के लिए 15000 रुपये क्विंटल तक मिलते थे। वो अब महज 6000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। इतने कम दाम होने के कारण किसानों की लागत तक नहीं निकल पा रही है।
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बारिश के चलते उत्पादन में आई गिरावट
एक्सपर्ट के अनुसार इस बार भारी बारिश के चलते फसल मेें आई पत्तियों के कारण डोड़े की बढ़त को नुकसान हुआ है। प्रोडक्शन में भारी गिरावट आ गई है। Production में करीब 50 प्रतिशत गिरावट आने की संभावना है।वहीं, विशेषज्ञों का कहना है, कि बाजार में कपास की कीमत 6 हजार से लेकर 8 हजार रुपये प्रति क्विंटल के बीच है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार को इसे 15 हजार रुपये प्रति क्विंटल कर देना चाहिए।
कीमत सही न मिलने पर किसान कर सकते हैं विरोध प्रदर्शन
कपास के सही दाम न मिलने से किसान परेशान हैं। किसान जगह जगह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का कहना है, कि यदि राज्य सरकार 15000 रुपये प्रति क्विंटल कपास का रेट नहीं करती है तो पूरे प्रदेश में धरना-प्रदर्शन करेंगे।पंजाब में भी कपास उत्पादकों का है यही हाल
पंजाब में कपास उत्पादन में 45% तक की बड़ी गिरावट देखने को मिली है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 3 सालों से पंजाब में कपास की अच्छी पैदावार हो रही थी।इतनी अच्छी पैदावार से सभी खुश थे, लेकिन हाल ही में यहां कपास में गुलाबी वार्म और कई तरह के कीट होने के कारण किसानों की पैदावार में घटोतरी हुई है।