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अब सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को मिलेगा सरकार की योजनाओं का लाभ

अब सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को मिलेगा सरकार की योजनाओं का लाभ

मथुरा में 18 सहकारी समितियां हुईं ऑनलाइन

मथुरा। शासन ने किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ देने की तैयारी शुरू कर दी है। शासन का निर्देश दिया है कि भविष्य में जो सहकारी समितियां ऑनलाइन नहीं होंगी, उनके उपभोक्ताओं
सहकारिता विभाग के माध्यम से दी जाने वाली केन्द्र व राज्य सरकारों की योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकेगा। शासन के इस निर्देश के बाद सहकारिता विभाग सहकारी समितियों को ऑनलाइन कराने में जुट गया है। बता दें कि जनपद मथुरा में 79 सहकारी समितियां संचालित हैं। जिनके माध्यम से किसान अपने कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए खाद व बीज खरीदते हैं। अब समितियों से सभी प्रकार के लेन-देन किसानों को ऑनलाइन माध्यम से ही करने होंगे। जनपद में अब तक 18 समितियों को ऑनलाइन किया जा चुका है।

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केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सरकारी समितियों का स्तर सुधारने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ताकि सीधे शासन की योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचे। कोई बिचौलिया इसका फायदा न उठाए। शासन के निर्देशों का पालन कराने के लिए सहायक निबंधक सहकारिता सभी समितियों के सचिवों के माध्यम से समितियों को ऑनलाइन करने के लिए जुट गए हैं। सहायक निबंधक सहकारिता रविन्द्र कुमार ने बताया कि समस्त समितियों को अतिशीघ्र ऑनलाइन करा दिया जाएगा। किसानों की सुविधा के लिए शासन को कई प्रस्ताव तैयार कराकर भेजे जाएंगे। ताकि किसानों को सरकार की सभी महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ मिल सके।

राष्ट्रीय सहकारिता दिवस से पहले सहकारी समितियों को ऑनलाइन करने के निर्देश

- आगामी 3 जुलाई को केन्द्रीय सहकारिता दिवस मनाया जाएगा। केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सहकारिता दिवस से पहले सभी सहकारी समितियों को ऑनलाइन करने के निर्देश दिए हैं।

◆ सहकारी समितियों के लाभ

- यह उत्पाद सस्ता बेचती है क्योंकि इसमें विज्ञापन आदि पर कोई खर्चा नहीं करना पडता। - लेखा इत्यादि रखने तथा प्रबन्ध के कार्यों का खर्चा न्यूनतम होता है क्योंकि सदस्य अवैतनिक रूप से स्वयं ही काम करते है। - यह अपने कर्मचारियों को अच्छा वेतन व स्थिति प्रदान करते है। - यह एक सामुदायिक सेवा है, इसलिए इसमें अधिक लाभ, काला बाजारी तथा जमाखोरी जैसी बुराइयां नहीं होती। - इसमें खरीद सीधे उत्पादकों से होती है, अतः बिचौलियों का लाभ कम हो जाता है। - यह भारतीय कृषकों की समस्याओं में सुधार हेतु उचित है ताकि उन्हें भण्डारण ऋण आदि की सुविधाएं प्राप्त हो सकें। - इसमें लाभ का हिस्सा समान रूप से निश्चित दर से वितरित किया जाता है तथा शेष सामाजिक विकास कार्यों में लगा दिया जाता है। - सामान्य जनता को लाभ पहुंचाती है। - इसमें सरकार से ऋण के रूप में अधिक राशि लेना संभव है। - सदस्यों में सहकारिता एवं सहयोग की भावना उत्पन्न करती है। ------- लोकेन्द्र नरवार
खाद-बीज के साथ-साथ अब सहकारी समिति बेचेंगी आरओ पानी व पशु आहार

खाद-बीज के साथ-साथ अब सहकारी समिति बेचेंगी आरओ पानी व पशु आहार

खाद-बीज के साथ-साथ अब सहकारी समिति बेचेंगी आरओ पानी व पशु आहार - सहकारिता विभाग ने शासन को भेजा प्रस्ताव

मथुरा।
सहकारिता विभाग ने अपनी शाखाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक योजना तैयार की है। आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत सहकारी समितियों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल की जा रही है। सहकारिता विभाग प्रस्ताव तैयार करके शासन को भेजा है। इस प्रस्ताव में सहकारी समितियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए समिति पर खाद-बीज के साथ-साथ आरओ पानी व पशु आहार बेचने की योजना तैयार की जा रही है। सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक रवीन्द्र कुमार द्वारा समितियों को आत्मनिर्भर बनाने और अन्य व्यवसायों के लिए प्रेरित करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत कृषि अवस्थापना निधि से प्रथम चरण में मथुरा जनपद की 6 समितियों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इस योजना के तहत सहकारी समितियों पर अब खाद-बीज के साथ-साथ आरओ पानी व पशु आहार उचित मूल्यों पर मिलेगा।

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सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक रवीन्द्र कुमार ने बताया कि सहकारी समितियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पहले आरओ पानी व पशु आहार बेचने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके तहत शुरुआत में 6 सहकारी समितियों का चयन किया गया है। इसके बाद पूरे जनपद की 78 सहकारी समितियों को आत्मनिर्भर बनाने की योजना है। इसमें किसान स्वंय सहायता समूह, क्षेत्रीय सहकारी समितियों, कोल्ड स्टोरेज, कोल्ड पैन को चार प्रतिशत की मासिक ब्याज दर से बैंकों को ऋण दिलाया जाएगा। जिसमें कृषि उपकरण, ट्रैक्टर, कल्टीवेटर, मेज व हैरों आदि खरीदे जा सकेंगे। इसके अलावा नाबार्ड के सहयोग से इस योजना में सहकारिता विभाग 17 गोदाम बनाएगा। उन्होंने बताया कि इस योजना का मूल उद्देश्य सहकारी समितियों को स्वाबलंबी बनाना है। जिससे ज्यादा से ज्यादा किसान व ग्रामीण समितियों से जुड़े रहें।

इन समितियों का किया गया है चयन :

- सहकारी समितियों को आत्मनिर्भर बनाने की योजना के अंतर्गत पहले चरण के लिए चौमुहां, बेरी, देवीआटस, सहपऊ, सेही और वृंदावन सहकारी समितियों को चयनित किया गया है। जल्दी जी शासन से स्वीकृति मिलने के बाद इन समितियों पर आरओ पानी व पशु आहार की बिक्री होगी। ------ लोकेन्द्र नरवार
भारतीय स्टेट बैंक दुधारू पशु खरीदने के लिए किसानों को देगा लोन

भारतीय स्टेट बैंक दुधारू पशु खरीदने के लिए किसानों को देगा लोन

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है, लेकिन यहां दूध की खपत भी बहुत ज्यादा है, इसलिए केंद्र तथा राज्य सरकारें ज्यादा से ज्यादा दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी की कोशिश कर रही हैं, ताकि घरेलू जरुरत को पूरा करने के साथ ही दूध का निर्यात भी किया जा सके। जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी हो सके और भारत सरकार विदेशी मुद्रा अर्जित कर पाए। इन लक्ष्यों को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार भी प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रयासरत है, जिसके लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश शासन ने पिछले कुछ वर्षों में मध्य प्रदेश स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन के अंतर्गत कई नई दूध डेयरी खोली हैं तथा दूध के प्रोसेसिंग के लिए नए प्लांट लगाए हैं। इसके साथ ही अब मध्य प्रदेश स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ने दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के लिए एक नया रास्ता अपनाया है। इसके लिए मध्य प्रदेश स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ने भारतीय स्टेट बैंक के साथ एक एमओयू (MOU) साइन किया है, जिसके अंतर्गत भारतीय स्टेट बैंक किसानों को दुधारू पशु खरीदने के लिए लोन उपलब्ध करवाएगा। एमओयू में शामिल किये गए अनुबंधों के अनुसार, अब दुग्ध संघों की वार्षिक सभाओं में भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारी मौजूद रहेंगे तथा किसानों को दुधारू पशु खरीदने के लिए लोन दिलाने में सहायता करेंगे।

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मध्य प्रदेश स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन के प्रबंध संचालक तरूण राठी ने बताया कि दुग्ध संघ के कार्यक्षेत्र में जो भी समितियां आती हैं, उनके पात्र सदस्यों को त्रि-पक्षीय अनुबंध के तहत दुधारू पशु खरीदने में मदद की जाएगी। पात्र समिति सदस्य या किसान 2 से लेकर 8 पशु तक खरीद सकता है। इसके लिए प्रत्येक जिले में भारतीय स्टेट बैंक की चयनित शाखाएं लोन उपलब्ध करवाएंगी।

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लोन लेने वाले किसान को प्रारंभिक रूप में 10 प्रतिशत रूपये मार्जिन मनी (Margin Money) के रूप में जमा करना होगा। उसके बाद 10 लाख रुपये तक का लोन बिना कुछ गिरवी रखे उपलब्ध करवाया जाएगा। इसके साथ ही किसान को 1 लाख 60 हजार रुपए का नान मुद्रा लोन बिना कुछ गिरवी रखे, त्रि-पक्षीय अनुबंध के तहत दिलवाया जाएगा।

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जिस किसान या पशुपालक ने पशु खरीदने के लिए लोन लिया है, उसे यह रकम 36 किस्तों में बैंक को वापस करनी होगी। लोन लेने वाले किसान को समिति में दूध देना अनिवार्य होगा। जिसके बाद समिति प्रति माह दूध की कुल राशि का 30 प्रतिशत, लोन देने के लिए बैंक को भुगतान करेगी। बाकी 70 प्रतिशत किसान को दे देगी। लोन लेने के लिए पात्र किसान को दुग्ध संघ द्वारा जारी किये गए निर्धारित प्रोफार्मा में आवेदन के साथ फोटो, वोटर आईडी, पेनकार्ड, आधार कार्ड, दुग्ध समिति की सक्रिय सदस्यता का प्रमाण पत्र तथा त्रि-पक्षीय अनुबंध (संबंधित बैंक शाखा, समिति एवं समिति सदस्य के मध्य) आदि दस्तावेज संलग्न करने होंगे। जिसके बाद उन्हें दुधारू पशु खरीदने के लिए लोन उपलब्ध करवाया जाएगा।
जाने किस व्यवसाय के लिए मध्य प्रदेश सरकार दे रही है 10 लाख तक का लोन

जाने किस व्यवसाय के लिए मध्य प्रदेश सरकार दे रही है 10 लाख तक का लोन

हमारे देश में दूध की बहुत मांग है। अलग अलग तरह के डेयरी प्रोडक्ट्स भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। दूध को प्रोटीन और कैल्शियम का एक अच्छा सोर्स मानते हैं। इसी डिमांड का नतीजा है, कि आजकल बहुत सी जगह किसानों ने खेती के साथ-साथ पशुपालन का व्यवसाय अपनाना शुरू कर दिया है। इस काम में किसान इसलिए लगे हुए हैं। क्योंकि पशुपालन-डेयरी फार्मिंग से अतिरिक्त आमदनी हो ही जाती है। खेत के लिए खाद का इंतजाम भी हो जाता है। अब सरकार भी किसानों को इस काम में आर्थिक और तकनीकी सहयोग दे रही है। बहुत ही राज्य सरकार किसानों को इस व्यवसाय से जुड़ने के लिए जागरूक कर रही है। इसी पहल में मध्य प्रदेश सरकार भी आगे आई है। सरकार ने अपने राज्य में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए ऐसे किसानों को ₹1000000 लोन देने की एक स्कीम निकाली है। जो पशुपालन भी करते हैं, किसान बहुत ही आसान प्रक्रिया अपनाते हुए इस स्कीम के तहत लाभ उठा सकते हैं।

क्या है ये योजना

कुछ समय पहले ही मध्य प्रदेश राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ एक एमओयू (EOU) साइन किया है। इस एमओयू (EOU) का मकसद राज्य में दूध के उत्पादन को बढ़ाना है। सरकार ने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए ही राज्य के किसानों और पशुपालकों को किसी भी तरह का दुधारू पशु खरीदने के लिए 1000000 रुपए तक की लोन राशि देने की बात की है। पशुपालकों को यह लोन राशि देते समय सरकार किसी भी तरह की गारंटी नहीं मांग रही है। योजना के आधार पर समझ आता है, कि इस स्कीम से छोटे और मझोले किसानों को भी काफी लाभ होगा। ज्यादातर छोटे किसान साथ में पशुपालन करना चाहते हैं। क्योंकि उनकी खेती की जमीन उतनी ज्यादा नहीं होती है, कि वह उससे बहुत ज्यादा मुनाफा कमा सकें। साथ ही, धनराशि के अभाव में वह कुछ नया भी नहीं कर पाते हैं और इस आर्थिक रेस में बहुत पीछे रह जाते हैं। ऐसे ही किसानों को आर्थिक बल देने के लिए और राज्य में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है।

कैसे कर सकते हैं लोन का भुगतान

एमपी स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बीच हुए इस एमओयू के अनुसार, किसान और पशुपालकों को 2 मवेशियों से लेकर, 4, 6 और 8 की संख्या में मवेशी खरीदने की छूट दी जाएगी। जिसके लिए वो अपने जिले में चिन्हित 3 से 4 बैंक की शाखाओं में लोन के लिए आवेदन कर पाएंगे। इस स्कीम के तहत दस लाख तक का मुद्रा लोन और ₹60000 तक का लोन मुद्रा लोन किसानों को दिया जाएगा। किसान इस मुद्रा की वदल में 10% तक की मार्जिन मनी जमा करवाते हैं। अच्छी बात यह है, कि लोन की रकम को चुकाने के लिए कैसा भी दवाब नहीं होगा। बल्कि किसान चाहें तो 36 किस्तों में लोन की रकम का भुगतान कर सकते हैं।

किन-किन चीजों के लिए मिलता है लोन

वैसे तो देश में पशुपालन और डेयरी फार्मिंग के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। जिससे किसानों और पशुपालकों को आर्थिक संबल मिला है। इन सबके अलावा भी सरकार द्वारा कई तरह की अन्य व्यवसाई योजनाओं के लिए फंड जारी किया जाता है। कई योजनाओं में आवेदन करने पर केंद्रीय पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी मंत्रालय से फंड जारी होता है। तो कुछ परियोजनाओं में नाबार्ड का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सहयोग मिलता है।
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इस कड़ी में अब एमपी स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन के साथ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भी आगे आया है। एसबीआई की ओर से मिल्क कलेक्शन यूनिट के निर्माण से लेकर ऑटोमैटिक मिल्किंग मशीन, मिल्क कलेक्शन सिस्टम, मिल्क ट्रांसपोर्ट वैन आदि के लिए भी लोन दिया जाता है। इस तरह के लोन में हमेशा ही लोन की ब्याज दर भी नियम और शर्तों के आधार पर ही निर्धारित की जाती है। यह दरें ज्यादातर 10% से लेकर 24% तक होती हैं। इन योजनाओं में आवेदन करने के लिए अपने जिले के पशुपालन विज्ञान, कृषि विज्ञान केंद्र या पशु चिकित्सालय में भी संपर्क कर सकते हैं।
केंद्र सरकार का बड़ा कदम बनेंगे 2 लाख PACS, करोड़ों लोगों को होगा लाभ

केंद्र सरकार का बड़ा कदम बनेंगे 2 लाख PACS, करोड़ों लोगों को होगा लाभ

देश को नई दिशा और दुनियाभर में दमदार बनाने के लिए केंद्र सरकार लगातार नये कदम उठा रही है. जिसका असर अब धरातल पर भी देखने को मिल रहा है. हाल ही में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बड़ा कदम उठाया है. उन्होंने PACS का दायरा बढ़ाते हुए  उसे दो लाख करने का ऐलान किया है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि, अब तक देश में जो काम कॉमन सर्विस सेंटर कर रहे थे, वही काम PACS भी कर सकेगा. इतना ही नहीं इसका फायदा देश के लाखों करोड़ों लोगों को होने वाला है.

समझौते ज्ञापन पर हुए साइन

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने PACS को लेकर एक समझौते ज्ञापन यानि की एमओयू पर साइन किये हैं. इस दौरान सूचना प्रौद्योगिक मंत्री अश्वनी वैष्णव भी मौजूद रहे.

एकजुटता से बढ़ेगा दायदा

PACS का दायरा बढ़ाने के लिए कई लोगों की एकजुटता और भागीदारी होगी. जिसमें खास तौर पर सहाकारिता मिनिस्ट्री और नाबार्ड, CSCE गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड शामिल होगा.

किसानों और ग्रामीणों को मिलेंगी सेवाएं

केन्द्रीय गृह मंत्री और केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि, देश के सपने को साकार करने के लिए यह बड़ा कदम है. इस योजना के तहत ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ा जाएगा. इसके अलावा PACS  की मदद से किसानों के साथ-साथ ग्रामीणों को भी 300 से ज्यादा CSC की सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.

पांच साल में 2 लाख PACS बनाने का लक्ष्य

केंद्रीय सरकार की नई योजना के तहत PACS को देश के हर बड़े और छोटे हिस्सों तक पहुंचाना है. जिसके लिए आने वाले पांच सालों में दो लाख PACS  बनाने का लक्ष्य रखा गया है. हालांकि देश की आधी आबादी सहकारिता से जुड़ी है. जिसे देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने सहकारिता मंत्रालय को अलग से बनाने का फैसला लिया था, जिसका फायदा आज देश के हर वर्ग को मिल रहा है.

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PACS को समझना जरूरी

PACS को प्राथमिक कृषि ऋण सोसाइटी कहा जाता है. जो देश की सबसे छोटी ऋण संस्था है. किसानों और गरीबों की सहूलियत के लिए गांव पचायत के लेवल पर काम करती है. हालांकि सरकार की कोशिश यही है कि, इसकी सामान्य सेवा केंद्रों पर उपलब्ध की जाए. इसके अलावा किसान किसी के झांसे में ना फंसे इसका ध्यान रखते हुए PACS  बनाया गया है.

पैक्स और डेयरी से जुड़े सरकार के इस फैसले से सीधे तौर पर बढ़ जाएगी किसानों की आमदनी

पैक्स और डेयरी से जुड़े सरकार के इस फैसले से सीधे तौर पर बढ़ जाएगी किसानों की आमदनी

हाल ही में केंद्रीय मंत्री द्वारा दिए गए बयान से यह बात सामने आई है कि भारत में सरकार सहकारिता आंदोलन को और अधिक मजबूती देने के लिए कार्य कर रही है. सरकार द्वारा जमीनी स्तर पर इसे मजबूत बनाने के लिए कई तरह की सहकारी समितियों का निर्माण किया जाएगा. खबरों की मानें तो देश में एक बार फिर से सहकारिता आंदोलन जोर पकड़ने वाला है. केंद्र सरकार भी इसे लेकर बड़े लेवल पर काम कर रही है. इसके तहत अगले 5 साल में 2 लाख प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स; PACS), डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा गठित की जाएगी. इस सभी कार्य को लेकर केंद्र सरकार ने प्रस्ताव को पूरी तरह से मंजूरी दे दी है. हाल ही में हमारे केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक मंत्रिमंडलीय बैठक में इस फैसले की जानकारी जनता को दी है.  अभी भी पूरे देश में लगभग  63,000 पैक्स समितियां कार्य कर रही है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा दी गई जानकारी से पता चला है कि देश में सहकारिता आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए आने वाले समय में कई तरह की समितियों का गठन किया जाएगा.

जलाशय पंचायत में बनाई जाएंगी मत्स्य पालन समिति

इस योजना के तहत प्रत्येक पंचायत में पैक्स समिति  तो बनाई ही जाएगी इसके अलावा सभी पंचायत जहां जलाशय है वहां पर मत्स्य पालन समिति बनाने की योजना भी बनाई जा रही है. अनुराग ठाकुर ने मंत्रिमंडल की बैठक में यह जानकारी दी है कि इस योजना के प्रस्ताव को हाल ही में चल रही बाकी सभी सरकारी योजनाओं के साथ मेल मिलाप करते हुए लागू किया जाएगा. यह  सहकारी समितियां योजना को एक जरूरी और आधारभूत ढांचा बनाने में मदद करेगी और आगे चलकर यह इस योजना को एक सशक्त रूप देने में भी काफी सहायक साबित होगी. ये भी पढ़े: जानिये PMMSY में मछली पालन से कैसे मिले लाभ ही लाभ

कंप्यूटरीकरण के लिए रखा गया है बजट

इस योजना के तहत जो भी किसान सहकारी समिति के सदस्य बनते हैं उन्हें खरीद और विपणन जैसी सुविधाएं सरकार द्वारा दी जाएंगी जो उनकी आमदनी बढ़ाने में सीधे तौर पर मदद करेगी.इन सभी योजनाओं के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे जो वहां के लोगों के लिए काफी लाभकारी साबित होने वाले हैं.केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी आर्थिक मामलों से जुड़ी हुई समिति के साथ मिलकर इन सभी पैक्स समितियों का कंप्यूटरीकरण करने की बात भी कही है. अगर यह पूरी प्रक्रिया डिजिटल हो जाती है तो ना सिर्फ कामकाज में पारदर्शिता आएगी बल्कि सभी जुड़े हुए व्यक्ति सही तौर पर जवाबदेह होकर अपना काम कर सकते हैं.हाल ही में देश भर में एक्टिव करीब 63,000 पैक्स समितियों के कंप्यूटरीकरण के लिए 2,516 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है और इसमें से केंद्र की हिस्सेदारी लगभग 1,528 करोड़ रुपये की  मानी जा रही है..
यूपी के जिलों को मशीनरी बैंक की सौगात, सीएम योगी ने 77 ट्रैक्टरों को दिखाई हरी झंडी

यूपी के जिलों को मशीनरी बैंक की सौगात, सीएम योगी ने 77 ट्रैक्टरों को दिखाई हरी झंडी

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक किसानों के लिए एक अनोखी पहल की है. जिसके तहत उन्होंने राज्य के जिलों को फार्म मशीनरी बैंकों की सौगात दी है. जिसके लिए सीरम योगी आदित्यनाथ ने 77 ट्रैक्टरों को हरी झंडी दिखाकर रवाना कर दिया. आपको बता दें इसके जरिये किसानों को सबसे ज्यादा फायदा होगा. क्योंकि उन्हें खेती के लिए लगने वाले कृषि किराय पर मिल जाएंगे.

कार्यक्रम में क्या बोले सीएम योगी आदित्यनाथ

सीएम ने फार्म मशीनरी बैंकों के लिए अपने आवास से ही 77 ट्रैक्टरों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस पूरे कार्यक्रम में सीएम ने कहा कि,
गन्ना और चीनी का अद्योग लगातार ऊंचाइयों को छू रहा है. इसी का परिणाम है कि, सबसे ज्यादा ईंधन एथेनाल के जरिये काम देना काम शुगर इंडस्ट्री और किसानों द्वारा किया जा रहा है. अब हमारा पैसा ना तो पेट्रोडॉलर के नाम पर बाहर जाएगा और ना ही आतंकवाद के नाम पर खर्चा किया जाएगा. इसे मिलने वाले पैसे को डीजल और पेट्रोल पर खर्च किया जाएगा.

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की जमकर की तारीफ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की जमकर तारीफ भी की. उन्होंने कहा की इस योजना से ही किसान लगभग 10 टन अतिरिक्त प्रति हेक्टेयर के हिसाब से गन्ना ले रहे हैं. वहीं 8 लाख से ज्यादा अतिरिक्त गन्ने का रकबा बढ़ा है. कोरोना काल में भी सरकार की तरफ से मिलें चलवाई गयी हैं. जिसे किसानों को लगातार पैसा मिलता रहा. वहीं सैनिटाइजर 27 राज्यों तक पहुंचाया गया. इसके अलावा गेहूं के समर्थन मूल्य को भी बढ़ाया गया है. जिसके बाद अब आलू के बारे में भी सरकार व्यवस्था बना रही है. इससे किसानों को इधर उधर नहीं भागना पड़ेगा.

किसानों को दी 51 घार करोड़ की सम्मान निधि

सीएम योगी ने कहा कि , फ्लेके समय में किसान साहूकारों के चुंगल में फंसे हुए थे. लेकिन बदलते समय में किसानों के हालातों में सुधार हुआ है. 2 करोड़ 60 लाख किसानों को साढ़े तीन सालों के अंदर अंदर 51 हजार करोड़ की सम्मान निधि सरकार ने दी. वहीं 22 लाख हेक्टेयर की जमीन को सिंचाई के लिए उपलब्ध करवाया. साल 2017 की बात करें तो पहले खेती घाटे का सौदा हुआ करती थी, लेकिन अब या रिकॉर्ड है कि, इस सरकार के 6 साल बात दो लाख करोड़ से ज्यादा की राशि किसानों के गन्ना मूल्य के जरिये उनके बैंक अकाउंट में सीधा ट्रांसफर की जा रही है. पाकिस्तान से तुलना करते हुए सीमे योगी ने कहा कि, जहां वह देश अपना कर्जा नहीं चुका पा रहा है, वहीं हम डीबीटी के जरिये किसानों को पैसा दे रहे हैं.

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किसानों के हित में सरकार एक से एक योजनाओं पर काम कर हरी है. वहीं किसानों की परेशानी को देखते हुए सरकार किसानों को ऐसे यंत्र दे रही है, जिससे उन्हें पराली को आग लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. मशीन खुद ब खुद फसल को काट देगी और ढांचे की तरह उसे मिट्टी में मिला भी देगी. जिसका इस्तेमाल किसान कर रहे हैं.
इस राज्य में दीर्घकालीन कृषि कर्ज पर कृषकों को 5 % प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जाएगा

इस राज्य में दीर्घकालीन कृषि कर्ज पर कृषकों को 5 % प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जाएगा

दीर्घकालीन कृषि लोन में किसानों को अधिक ब्याज भरना पड़ता है, इस वजह से किसानों पर कर्ज का भार काफी बढ़ जाता है। इस समस्या से थोड़ी राहत अदा करते हुए राज्य सरकार की तरफ से दीर्घकालीन लोन पर 5% प्रतिशत ब्याज सब्सिड़ी देने की घोषणा की है। किसानों की आमदनी को दोगुना करने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हर संभव कोशिशें की जा रही हैं। किसानों को नवीन वैज्ञानिक तकनीकों एवं यंत्रों से अवगत करवाया जा रहा है। खेती-किसानी को आसान करने के लिए विभिन्न कृषि योजनाएं जारी की जा रही हैं। खेती में होने वाले खर्चे को कम करने हेतु कृषकों को स्थिर कृषि से जोड़ा जा रहा है। केंद्र एवं राज्य सरकारें एकमत होकर किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृण व शक्तिशाली बना रही हैं। इसके चलते किसानों पर आर्थिक जोर ड़ालने वाले कर्ज की मार को भी हल्का करने की पहल जारी हो चुकी है। राजस्थान सरकार द्वारा दीर्घ काल हेतु कृषि ऋण पर ब्याज सब्सिड़ी देने की घोषणा की गई है। जिसके लिए ब्याज अनुदान योजना भी लागू की जा रही है।

ब्याज अनुदान योजना क्या होती है

किसानों की आर्थिक सहायता के उद्देश्य से
सहकारी समितियां लघुकालीन एवं दीर्घकालीन के कृषि लोन लागू करते हैं। यह कर्ज काफी कम ब्याज दरों पर प्राप्त होता है। परंतु, विभिन्न बार कृषि क्षेत्र में आ रही चुनौतियों या व्यक्तिगत समस्याओं के चलते किसान यह कर्जा उचित वक्त पर नहीं चुका पाते। काफी दीर्घ मतलब लॉन्ग टर्म कर्ज लेने वाले किसानों सहित ऐसे हालात अधिक देखने को मिलते हैं। यही कारण है, कि दीर्घ कालीन कृषि कोर्पोरेट लोन पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान मुहैय्या कराया जाता है। राज्य सरकार द्वारा बजट 2023-24 के बजट में ब्याज मुक्त फसल लोन और ब्याज अनुदान योजना से जुड़ा ऐलान किया है।

ब्याज अनुदान योजना का लाभ इस प्रकार अर्जित किया जा सकता है

जानकारी के लिए बतादें, कि केवल सहकारी समितियों से ली गई दीर्घकालीन कृषि लोन पर ही ब्याज अनुदान का फायदा प्राप्त होगा। किसान अगर चाहें, तो इस ब्याज अनुदान के लिए ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं। यह भी पढ़ें: ढाई हजार करोड़ रुपए से यूपी की 63 हजार सहकारी समितियां होंगी कंप्यूटरीकृत अगर किसान ऑनलाइन आवेदन करना चाहते हैं, तो किसान भाई राज किसान साथी पोर्टल पर जाकर विजिट कर सकते हैं। ऑफलाइन आवेदन करने हेतु अपनी सहकारी विकास बैंक की शाखा अथवा जनपद में कृषि विभाग के कार्यालय में संपर्क साध सकते हैं। इस दौरान किसान भाइयों को आवेदन पत्र सहित कुछ दस्तावेज भी जमा करवाने होंगे। इनमें बैंक अकाउंट डिटेल्स, आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, पासपोर्ट साइज फोटो, खेती की जमीन के कागज आदि शम्मिलित हैं।

कृषि से जुड़ी इन चीजों पर कर्ज की ब्याज माफ होगी

किसान भाईयों को दीर्घकालीन कृषि लोन पर न्यूनतम 10 प्रतिशत की दर से ब्याज की अदायगी की जाती थी। जिस पर 5% प्रतिशत अनुदान का ऐलान किया गया था। मतलब कि फिलहाल किसानों को 5% प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा। यह लोन कृषि इनपुट्स अथवा बाकी सुविधाओं के लिए किसानों को मुहैय्या कराया जाता है। इसमें कुआ विनिर्माण, नाली निर्माण, हौज निर्माण, फार्म पौण्ड निर्माण, कृषि बिजली कनेक्शन, सूक्ष्म सिंचाई सिस्टम, पंपसेट और नलकूप स्थापित करने के लिए लागू किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त कार्बाइन हार्वेस्टर, ट्रैक्टर, थ्रेसर की खरीद हेतु लंबी अवधि के लिए लोन जारी किए जाते हैं, जिनकी ब्याज धनराशि निजी बैंकों के ब्याज की धनराशि से काफी कम होती है।
आखिर किस वजह से NAFED द्वारा कच्चे चना भंडारण हेतु बनाई गई विशेष योजना

आखिर किस वजह से NAFED द्वारा कच्चे चना भंडारण हेतु बनाई गई विशेष योजना

NAFED ने अपने 20% कच्चे चना स्टॉक को चना दाल (चना या बंगाल चना) में परिवर्तित करने और रिटेल बाजार में आपूर्ति करने की योजना तैयार की है। नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नेफेड) ने अपने 20% प्रतिशत कच्चे चना भंडारण को चना दाल (चना या बंगाल चना) में बदलने एवं रिटेल बाजार में सप्लाई करने की योजना निर्मित की है। दो सरकारी अधिकारियों ने कहा है, कि यह विकास ऐसे वक्त में हुआ है, जब सरकार के पास रणनीतिक बफर जरूरत के मुकाबले भारी मात्रा में चना एवं अन्य दालों का कम भंडार है। आज के समय में NAFED के समीप भंडार में तकरीबन 3.6 मिलियन टन (MT) चना है, जिसमें इस वर्ष एग्रीकल्चर मिनिस्ट्री की तरफ से प्राइस सपोर्ट स्कीम (Price Support Scheme (PSS) के अंतर्गत खरीदा गया 3.3 मिलियन टन शामिल है। रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन के चलते बाजार की कम कीमतों की वजह से पिछले दो सालों में ज्यादा खरीद का परिणाम है।

किसान अपनी उपज नेफेड (NAFED) को बेच रहे हैं

कृषि मंत्रालय की तरफ से खाद्य उत्पादन के दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक, 2022-23 (जुलाई-जून) में चना का उत्पादन 13.5 मीट्रिक टन होने का अंदाजा लगाया गया है। जो कि पिछले साल के तकरीबन समान है। इस साल भी ज्यादा पैदावार की वजह चना की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,335 प्रति क्विंटल से नीचे बनी हुई हैं। इससे किसान अपनी पैदावार सरकार की खरीद एजेंसी नेफेड को बेचने के लिए आगे आ रहे हैं, जिससे किसानों को काफी अच्छा-खासा लाभ प्राप्त हो रहा है।

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निफेड ने 2.3 मीट्रिक टन के रणनीतिक मानदंड के तुलनात्मक 4.27 मीट्रिक टन का बफर स्टॉक तैयार किया है। इसके अंतर्गत समस्त 5 घरेलू दालों के साथ-साथ आयातित स्टॉक भी शम्मिलित है। बाजार सूत्रों के अनुसार, दिल्ली के लॉरेंस रोड बाजार में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान की कच्चे चने की प्रजातियां 5,100 से 5,125 रुपए प्रति क्विंटल में बिकीं हैं।

दाल में 20% प्रतिशत कच्चा चना परिवर्तित किया जाएगा

एक सरकारी अधिकारी का कहना है, कि 20% कच्चे चना भंडार को दाल में बदलना एक प्रयोग है। कच्चा चना जारी करने के अतिरिक्त नेफेड (NAFED) कच्चे चने को पीसकर दाल के तौर पर जारी करने पर विचार कर रहा है। इसके पश्चात यह राज्यों को जारी किया जाएगा अथवा खुले बाजार में यह अभी तक सुनिश्चित नहीं है। इसे खुले बाजार में विक्रय किया जा सकता है अथवा खुदरा विक्रेताओं को दिया जा सकता है।

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सालभर से दालों का भंडारण नहीं किया गया

सरकार राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को अपने भंडार को खत्म करने के लिए करीब एक साल से रियायती दर पर चना दे रही है। क्योंकि दालों को एक साल से ज्यादा समय तक स्टोर नहीं किया जा सकता है। हाल ही में ग्राहकों के मामलों के विभाग ने लिक्विडेशन को प्रोत्साहित करने के लिए छूट की दर को 8 रुपए प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर 15 रुपए प्रति किलोग्राम कर दिया है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने पिछले वर्ष अगस्त में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 15 लाख टन चना के आवंटन को रियायती दर पर की कई सारी कल्याणकारी योजनाओं के लिए “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर आवंटित करने की स्वीकृति दी थी।
इफको के मार्केटिंग डायरेक्टर श्री योगेंद्र कुमार को MSCS का निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया

इफको के मार्केटिंग डायरेक्टर श्री योगेंद्र कुमार को MSCS का निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इफको के मार्केटिंग डायरेक्टर योगेन्द्र कुमार को 17 August को हुए चुनाव में नवगठित-राष्ट्रीय स्तर की बहु राज्य बीज सहकारी समिति के अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध चुना गया है। योगेंद्र कुमार को साकेत स्थित इफको के मुख्यालय में आयोजित बीज सहकारी समिति की पहली वार्षिक आम सभा के दौरान चुना गया था। कृभको के अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह यादव और एनसीडीसी के एमडी पंकज बंसल, योगेन्द्र कुमार के प्रस्तावक और अनुमोदक थे। इस चुनाव के लिए सहायक रजिस्ट्रार श्रीमती सुमन कुमारी को रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया गया था। यह भी पढ़ें: इफको (IFFCO) कंपनी द्वारा निर्मित इस जैव उर्वरक से किसान फसल की गुणवत्ता व पैदावार दोनों बढ़ा सकते हैं सहकारी समितियाँ जो महत्वाकांक्षी परियोजना का हिस्सा हैं, उनमें इफको, कृभको, NAFED और दो सरकारी सहायता प्राप्त निकाय NDDB और NCDC शम्मिलित हैं। बोर्ड के सदस्यों में नेफेड के अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह, कृभको के अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह, एनडीडीबी के अध्यक्ष और एमडी मीनेश शाह और एनसीडीसी के एमडी पंकज कुमार बंसल शामिल थे। इफको के चेयरमैन दिलीपभाई संघानी ने सोशल मीडिया के माध्यम से योगेंद्र कुमार को बधाई देते हुए लिखा, 'राष्ट्रीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के लिए इफको के विपणन निदेशक योगेंद्र कुमार को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।' यह भी पढ़ें: इफको बाजार का एसबीआई योनो कृषि ऐप के साथ समझौता दरअसल, जैसे ही योगेंद्र कुमार के चुनाव की खबर सामने आई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बधाई संदेशों की बाढ़ आ गई। सहकारी जगत के लोगों ने उन्हें बधाई देने में एक क्षण नहीं गंवाया। इफको के एमडी डॉ. यू.एस.अवस्थी से लेकर उर्वरक कंपनी के अन्य कनिष्ठ और वरिष्ठ कर्मचारियों और अन्य लोगों ने योगेंद्र कुमार को उनकी जीत पर बधाई दी। भूतपूर्व कृभको के महाप्रबंधक वी.के. तोमर बीज सहकारी समिति में अंशकालिक सीईओ के रूप में कार्यरत थे  ऐसा कहा जा रहा है, कि सीईओ की पूर्णकालिक नियुक्ति अतिशीघ्र ही की जाएगी। “हमें बीज सहकारी समिति का सदस्य बनने के लिए 2000 पैक्स से आवेदन प्राप्त हुआ है। इस मुद्दे को अगली बैठक में उठाया जाएगा” तोमर ने भारतीय सहकारिता संवाददाता से कहा। योगेंद्र कुमार के पास सहकारी समितियों में विभिन्न पदों पर कार्य करने का 36 वर्षों से ज्यादा का समृद्ध अनुभव है। उन्होंने चंद्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर से कृषि में स्नातक की डिग्री हांसिल की है। यह भी पढ़ें: इफको ने देश भर के किसानों के लिए एनपी उर्वरक की कीमत में कमी की वह अपनी गतिशीलता के लिए काफी जाने जाते हैं, जो उनके काम में भी साफ झलकता है। उन्होंने इफको के सागरिका उत्पाद के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। अपनी यात्रा के दौरान, कुमार ने नीम के तेल और बहुत सारे बाकी उपयोगी नीम आधारित उत्पादों के उत्पादन को बढ़ाने के लक्ष्य से नीम के प्रचार-प्रसार में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटीज (एमएससीएस) अधिनियम, 2002 के अंतर्गत बीज सहकारी समिति जो कि गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन, खरीद, प्रसंस्करण, ब्रांडिंग, लेबलिंग, पैकेजिंग, भंडारण, विपणन और वितरण के लिए एक शीर्ष संगठन के रूप में कार्य करेगी। साथ ही, रणनीतिक अनुसंधान एवं विकास और स्वदेशी प्राकृतिक बीजों के संरक्षण व संवर्धन के लिए एक प्रणाली विकसित करेगी।
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कृषकों को कस्टम हायरिंग सेंटरों के जरिए किराये पर उपलब्ध कराई जा रही मशीनें

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कृषकों को कस्टम हायरिंग सेंटरों के जरिए किराये पर उपलब्ध कराई जा रही मशीनें

किसान भाई कस्टम हायर‍िंग सेंटरों से मशीन क‍िराये पर लेकर खेती का कार्य सुगमता से कर सकते हैं। यदि आप सेंटर खोलने के ल‍िए इच्छुक हैं, तो आपको स्नातक की डिग्री चाहिए। सरकार 10 लाख रुपये तक की सब्स‍िडी प्रदान करेगी। एक सेंटर निर्मित करने के ल‍िए 25 लाख रुपये के निवेश की आवश्यकता पड़ेगी। मध्य प्रदेश सरकार का कहना है, क‍ि फसलों की उत्पादकता एवं क‍िसानों का मुनाफा बढ़ाने के ल‍िए कृषि क्षेत्र में मशीनों के उपयोग को प्रोत्साहन देना होगा। यह एक गलत धारणा है, कि मशीनीकरण से रोजगार के अवसरों में कोई गिरावट आती है। दरअसल, सच तो यह है क‍ि इससे रोजगार की नवीन संभावनाएं बनती हैं। राज्य में इस वक्त 3800 कस्टम हायरिंग केंद्र (CHC) मतलब मशीन बैंक कार्य कर रहे हैं, ज‍िन राज्यों में क‍िसान मशीनों का अधिक उपयोग करते हैं, वो खेती में काफी आगे हैं। इसके ल‍िए पंजाब एवं हर‍ियाणा को उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है। मध्य प्रदेश भी इस द‍िशा में आगे बढ़ने के प्रयास में जुटा हुआ है। इसकी तस्दीक यहां पर होने वाली ट्रैक्टर ब‍िक्री से की जा सकती है।

किसानों ने विगत पांच वर्षों में 1 लाख 23 हजार ट्रैक्टर खरीदें हैं

राज्य सरकार ने दावा किया है, क‍ि मध्य प्रदेश के किसानों ने 2018-19 से अब तक बीते पांच साल में 1 लाख 23 हजार ट्रैक्टर खरीदे हैं। ट्रैक्टर की ब‍िक्री कृष‍ि व‍िकास की न‍िशानी मानी जाती है। कस्टमर हायर‍िंग सेंटर
सहकारी समितियां, स्वयं सहायता समूह एवं ग्रामीण उद्यम‍ियों द्वारा संचालित किया जाता है। जिससे कि लघु एवं मध्यम कृषकों को कृषि यंत्रों की सुविधा सुगमता से मिल जाए। यहां पर 2012 में कस्टम हायरिंग सेंटर निर्माण की पहल की गई थी। ये भी पढ़े: सोनालिका ट्रैक्टर की बिक्री में 35.5% फीसदी की वृद्धि

किसान भाइयों को मशीन बैंक का फायदा कैसे मिलता है

कस्टम हायरिंग सेंटर इस उद्देश्य के साथ स्थापित किए गए हैं, कि वे 10 किलोमीटर के आस-पास के दायरे में लगभग 300 किसानों को सेवाएं दे सकें। इसके माध्यम से क‍िसान अपनी आवश्यकता की मशीनों को क‍िराये पर लेकर कृषि कार्य कर सकते हैं। इन केंद्रों की सेवाओं को अधिक फायदेमंद बनाने के लिए संख्या को सीमित रखा गया है। संपूर्ण राज्य में केवल 3800 मशीन बैंक कार्य कर रहे हैं। कस्टम हायरिंग सेंटर से लघु व सीमांत किसानों को किराये पर मशीन उपलब्ध कराई जाती है, जिसके लिए भारी पूंजी निवेश की जरूरत होती है। राज्य सरकार 40.00 लाख से लेकर 2.50 करोड़ तक की कीमत वाली नवीन और आधुनिक कृषि मशीनों के लिए हाई-टेक हब तैयार कर रही है। अब तक 85 गन्ना हार्वेस्टर्स के हब निर्मित हो गए हैं। यह जानकारी मध्य प्रदेश के कृषि अभियांत्रिकी संचालक राजीव चौधरी द्वारा साझा की गई है।

प्रदेश के युवाओं के ल‍िए रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं

किसानों को कस्टम हायरिंग सेंटर का फायदा देने एवं किराये पर उपलब्ध कृषि मशीनों के संबंध में जागरूक करने के लिए एक अभ‍ियान जारी क‍िया गया है। कस्टम हायरिंग सेंटर पर किसानों के ज्ञान एवं कौशल में सुधार करने के लिए प्रशिक्षण एवं कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। कौशल विकास केंद्र भोपाल, जबलपुर, सतना, सागर, ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, जबलपुर और सतना में ऐसा कार्यक्रम चल रहा है। इनमें ट्रैक्टर मैकेनिक एवं कंम्बाइन हार्वेस्टर ऑपरेटर कोर्स आयोजित किए जा रहे हैं। अब तक 4800 ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित क‍िया जा चुका है। ये भी पढ़े: खरीफ की फसल की कटाई के लिए खरीदें ट्रैक्टर कंबाइन हार्वेस्टर, यहां मिल रही है 40 प्रतिशत तक सब्सिडी

युवा किसान किस प्रकार मशीन बैंक खोल सकते हैं

ग्रामीण युवा स्नातक की डिग्री के साथ इस योजना का फायदा ले सकते हैं। इसमें समकुल 25 लाख रुपये के निवेश की आवश्यकता होती है। युवाओं को 5 लाख रुपये की मार्जिन धनराशि देनी पड़ती है। सरकार समकुल लागत का 40 प्रतिशत अनुदान देती है, जो अधिकतम 10 लाख तक होती है। अतिरिक्त लागत बैंक लोन से कवर हो जाती है। किसानों के हित में केंद्र व राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर से योजनाएं चलाती हैं।
जानिए इफको (IFFCO) ने किस सूची में प्रथम स्थान दर्ज कर भारत का गौरव बढ़ाया

जानिए इफको (IFFCO) ने किस सूची में प्रथम स्थान दर्ज कर भारत का गौरव बढ़ाया

भारतीय किसानों के लिए उनकी कृषि हेतु रासायनिक खादों का निर्माण करने वाली इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) को देश का हर व्यक्ति जानता है। 

वही, सहकारी क्षेत्र की रासायनिक खाद बनाने वाली इस कंपनी को पुनः दुनिया की शीर्ष 300 सहकारी संगठनों की सूची में पहला स्थान मिला है। यह रैंकिंग प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पर कारोबार के अनुपात पर आधारित है।

इसी अनुपात पर बनायी गई दुनिया की शीर्ष 300 सहकारी संस्थाओं की सूची में इफको विश्व की नं. 1 सहकारी संस्था के तौर पर उभर कर सामने आई है। यह दर्शाता है, कि इफको राष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान अदा कर रहा है।

इफको को किस सूची में पहला स्थान हांसिल हुआ है 

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इंटरनेशन कोओपरेटिव एलायंस (International Cooperative Alliance) एक संगठन है। यह एक गैर सरकारी कोओपरेटिव संगठन है, जिसकी स्थापना साल 1885 में हुई है। 

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इसी इंटरनेशनल कोआपरेटिव एलायंस (ICA) की 12वीं वार्षिक वर्ल्ड कोआपरेटिव मॉनीटर (WCM) रिपोर्ट के 2023 संस्करण के अनुसार देश के सकल घरेलू उत्पाद एवं आर्थिक विकास में इफको के कारोबारी योगदान को दर्शाया गया है। 

कुल कारोबार के मामले में इफको पिछले वित्तीय वर्ष के अपने 97वें स्थान के मुकाबले 72वें स्थान पर पहुंच गया है। अपनी 35,500 सदस्य सहकारी समितियों, 25,000 पैक्स और 52,400 प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों के साथ इफको 'आत्मनिर्भर भारत' और 'आत्मनिर्भर कृषि' की ओर अग्रसर सहकार से समृद्धि का सशक्त उदाहरण है।

इफको विगत कई वर्षों से शीर्ष स्थान पर कायम बना हुआ है 

इफको ने विगत कई वर्षों से अपना शीर्ष स्थान बरकरार बनाए रखा है, जो इफको और इसके प्रबंधन के सहकारी सिद्धांतों में अटूट भरोसे का प्रमाण है। 

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इसे देश में मजबूत सहकारी आंदोलन के प्रतीक के रूप में भी देखा जा सकता है, जिसे केंद्र द्वारा सहकारिता मंत्रालय के गठन और श्री अमित शाह जी, माननीय गृह एवं सहकारिता मंत्री, भारत सरकार के कुशल नेतृत्व से गति मिली है। 

मंत्रालय द्वारा की गई पहल से अनुकूल माहौल बना है और भारत में सहकारिता आंदोलन को फलने-फूलने में मदद मिली है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ध्येय "सहकार से समृद्धि" से प्रेरणा लेते हुए और विभिन्न फसलों पर वर्षों की कड़ी मेहनत, अनुसंधान और प्रयोग की बदौलत इफको ने किसानों के लिए दुनिया का पहला नैनो यूरिया और नैनो डीएपी विकसित किया।