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अब पशु पालक 10 किलोमीटर के दायरे तक कर पाएंगे अपने जानवरों की लोकेशन ट्रैक; जाने कैसे काम करता है डिवाइस

अब पशु पालक 10 किलोमीटर के दायरे तक कर पाएंगे अपने जानवरों की लोकेशन ट्रैक; जाने कैसे काम करता है डिवाइस

नई-नई तकनीकों के जरिए खेती का आधुनिकीकरण हो रहा है और इससे हम पूरी तरह से अवगत हैं. बहुत से ऐसे गैजेट्स और तकनीक आ गई है जिसकी मदद से किसानों की मेहनत, समय, पैसा और पानी सभी चीजों की बचत हो रही है. लेकिन अब एक नई चीज पशु पालकों की जिंदगी को आसान बनाने के लिए सामने आई है. वैज्ञानिकों ने पशु पालन को भी आसान बनाने के लिए एक बहुत ही बेहतरीन तकनीक खोज निकाली है और इसका नाम है काउ मॉनिटर सिस्टम. इस सिस्टम को भारतीय डेयरी मशीनरी कंपनी (IDMC) ने बनाकर तैयार किया है.

जाने क्या है काउ मॉनिटर सिस्टम??

इसमें आप के मवेशी के गले में एक बेल्ट जैसी चीज पहनाई जाती है और इसकी मदद से
पशु पालक अपने पशुओं की लोकेशन को जान सकते हैं. इसके अलावा लोकेशन बताने के साथ-साथ इस बेल्ट के जरिए पशु के फुट स्टेप और उनकी गतिविधियों से उनमें होने वाली संभव बीमारियों के बारे में भी पहले से ही पता लगाया जा सकता है. माना जा रहा है कि पशु पालकों को लंबी जैसी महामारी या फिर किसी भी तरह की दुर्घटनाओं से बचने में यह तकनीक अच्छी खासी मदद करने वाली है. नेशनल डेहरी डेवलपमेंट बोर्ड के अधीन आने वाली भारतीय डेयरी मशीनरी कंपनी  का यह अविष्कार किसानों और पशु पालकों के लिए बहुत ही लाभदायक साबित होने वाला है.

काउ मॉनिटर सिस्टम को इस्तेमाल करने का तरीका?

इसमें आपको अपने गाय या भैंस के गले में एक बेल्ट नुमा डिवाइस बांध लेना है जिसमें जीपीएस लगा हुआ है. अगर आपके पशु घूमते घूमते कहीं दूर निकल जाते हैं तो आप इस बेल्ट की मदद से उन को ट्रैक कर सकते हैं. इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें आप लगभग 10 किलोमीटर तक के दायरे में अपने पशुओं को ट्रैक कर सकते हैं. इसके अलावा यह बेल्ट पशुओं के गर्भधान के बारे में भी पालक को अपडेट देगी जो काफी लाभदायक है. ये भी पढ़ें: इस राज्य के पशुपालकों को मिलेगा भूसे पर 50 फीसदी सब्सिडी, पशु आहार पर भी मिलेगा अब ज्यादा अनुदान

कितनी रहेगी डिवाइस की कीमत?

भारतीय डेयरी मशीनरी कंपनी यानी आईडीएमसी के काउ मॉनीटरिंग सिस्टम की बैटरी लाइफ 3 से 5 साल तक बताई गई है और इसकी कीमत 4,000 से 5,000 रुपये है. रिपोर्ट की मानें तो माना जा रहा है कि अगले 3 से 4 महीने के अंदर अंदर यह बेल्ट पशुपालक द्वारा खरीदने के लिए उपलब्ध करवा दी जाएगी.
गर्मियों के दिनों में गाय, भैंस के घटते दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के अचूक उपाय

गर्मियों के दिनों में गाय, भैंस के घटते दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के अचूक उपाय

आने वाले दिनों में भीषण गर्मी का प्रकोप देखने को मिलेगा। भीषण गर्मी के चलते मनुष्य ही नहीं जानवर भी काफी प्रभावित होंगे। दरअसल, गर्मियों के दिनों सामान्य तौर पर खाने में अरूचि पैदा हो जाती है। ऐसा मानव और जानवर दोनों में होता है। 

पशु गर्मियों में कम चारा खाना शुरू कर देते हैं, जिसका दूध की मात्रा पर सीधा असर पड़ता है। गाय हो अथवा भैंस गर्मियों में सर्दियों के मुकाबले कम दूध देना शुरू कर देती है। इस वजह से पशुपालकों का लाभ कम होने लगता है। दुधारू मवेशियों द्वारा कम दूध देने की शिकायत को लेकर पशुपालक काफी चिंतित रहते हैं। 

अधिकांश पशुपालक अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में पशुओं को इंजेक्शन देना चालू कर देते हैं, जिससे पशुओं की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। साथ ही, दूध की क्वालिटी में भी गिरावट आ जाती है। 

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ऐसे में पशुपालकों को गाय का दूध बढ़ाने के प्राकृतिक उपाय जिसमें घरेलू चीजों के उपयोग से तैयार की गई दवाई का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे दुग्ध उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ पशु के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक या प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। मुख्य बात यह है, कि यह सब चीजें आपको बड़ी सुगमता से बाजार में प्राप्त हो जाएंगी।

पशुओं को चारे में मिलाकर लहसुन खिलाएं

अगर गाय-भैंस के चारे में लहसुन का मिश्रण कर दिया जाए तो पशुओं का दूध काफी बढ़ जाता है। वैज्ञानिक प्रमाण के आधार पर ऐसा बताया जाता है, कि अगर मवेशियों को चारे में लहसुन को मिलाकर खाने के लिए दिया जाए तो वह जुगाली करते समय जो मुंह से मीथेन गैस छोड़ती हैं, वे कम छोड़ेंगी। इससे ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में काफी मदद मिलेगी। ऐसा वैज्ञानिकों का मानना है। 

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वैज्ञानिकों के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग को प्रभावित करने वाली मीथेन गैस का 4 प्रतिशत हिस्सा पशुओं की जुगाली के दौरान मुंह से निकलने वाली गैसों का है। अगर पशुओं को उनके चारे में लहसुन मिलाकर खाने को दें तो वे कम मात्रा में मीथेन गैस का उत्सर्जन करेगी, जिससे ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में काफी मदद मिलेगी। 

लहसुन का काढ़ा बनाकर पशुओं को पिलाएं

पशु की डिलीवरी के 4-5 दिन के पश्चात पशु को लहसुन का काढ़ा अवश्य पिलाना चाहिए। इससे भी दूध की मात्रा काफी बढ़ जाती है। इसके लिए 125 ग्राम लहसुन, 125 ग्राम चीनी अथवा शक्कर और 2 किलो ग्राम दूध को मिलाकर पशु को दें। इससे पशु की दूध देने की क्षमता काफी बढ़ जाएगी।

जई का चारा भोजन के रूप में खिलाएं

लहसुन के अतिरिक्त पशुओं को जई का चारा भी खिलाया जा सकता है। ये भी उतना ही पोष्टिक होता है, जितना लहसुन। इसके इस्तेमाल से भी पशुओं की दूध देने की मात्राकाफी बढ़ जाती है। इसमें क्रूड प्रोटीन की मात्रा 10-12% फीसद तक होती है। जई से साइलेज भी बनाया जा सकता है, जिसको आप दीर्घ काल तक पशुओं को खिला सकते हैं।

दवा के लिए जरूरी सामग्री व उसकी मात्रा 

तारामीरा, मसूर की दाल, चने की दाल, अलसी, सौंफ, सोयाबीन, यह सभी चीजें 100 ग्राम की मात्रा में लें। मोटी इलायची के दाने 50 ग्राम, सफेद जीरा 20 ग्राम, दवा बनाने की विधि उपरोक्त सभी चीजों को देसी घी में उबालकर इसका एक किलो काढा बनाकर पशु को खिलाएं, इस दवा के सेवन से पशुओं की पाचन शक्ति काफी बढ़ेगी। इससे उन्हें भूख भी ज्यादा लगेगी। जब पशु ज्यादा खाता है, तो उसकी दूध देने की मात्रा भी काफी बढ़ जाती है।  

जीरा व सौंफ से निर्मित दवा

आधा किलो सफेद जीरा और एक किलो सौंफ को पीस कर रख लें। अब प्रतिदिन इसकी एक या दो मुट्‌ठी मात्रा आधा किलो दूध के साथ पशुओं को दें। इससे पशु के दूध देने की मात्रा काफी बढ़ जाएगी।

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जड़ी-बूंटियों से निर्मित दवा

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि उपरोक्त दवाओं के अतिरिक्त पशुपालक आयुर्वेदिक में इस्तेमाल में लाई जाने वाली जड़ी बूटियां जैसे- मूसली, शतावरी, भाकरा, पलाश और कम्बोजी आदि को भी मिलाकर पशुओं को दे सकते हैं।

विशेष- उपरोक्त में दिए गए घरेलू नुस्खे अथवा उपायों को अपनाने से पूर्व एक बार पशु चिकित्सक का मशवरा जरूर लें। आपको यह सलाह दी जाती है, कि किसी भी औषधि या नुस्खे का उपयोग पशु चिकित्सक की देखरेख में ही करें।