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कुवैत में खेती के लिए भारत से जाएगा 192 मीट्रिक टन गाय का गोबर

कुवैत में खेती के लिए भारत से जाएगा 192 मीट्रिक टन गाय का गोबर

गोवंश पालकों के लिए खुशखबरी - कुवैत में खेती के लिए भारत से जाएगा १९२ मीट्रिक टन गाय का गोबर

नई दिल्ली। गोवंश पालकों के लिए खुशखबरी है। अब गोवंश का गोबर बेकार नहीं जाएगा। सात समुंदर पार भी गोवंश के गोबर को अब तवज्जो मिलेगी। अब पशुपालकों को गाय के गोबर की उपयोगिता समझनी पड़ेगी। पहली बार देश से 192 मीट्रिक टन गोवंश का गोबर कुवैत में खेती के लिए जाएगा। गोबर को पैक करके कंटेनर के जरिए 15 जून से भेजना शुरू किया जाएगा। सांगानेर स्थित श्री पिंजरापोल गौशाला के सनराइज ऑर्गेनिक पार्क (
sunrise organic park) में इसकी सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।

कुवैत में जैविक खेती मिशन की शुरुआत होने जा रही है।

भारतीय जैविक किसान उत्पादक संघ (Organic Farmer Producer Association of India- OFPAI) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अतुल गुप्ता ने बताया कि जैविक खेती उत्पादन गो सरंक्षण अभियान का ही नतीजा है। जिसकी शुरुआत हो चुकी है। पहली खेप में 15 जून को कनकपुरा रेलवे स्टेशन से कंटेनर रवाना होंगे। श्री गुप्ता ने बताया कि कुवैत के कृषि विशेषज्ञों के अध्ययन के बाद फसलों के लिए गाय का गोबर बेहद उपयोगी माना गया है। इससे न केवल फसल उत्पादन में बढ़ोतरी होती है, बल्कि जैविक उत्पादों में स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर देखने को मिलता है। सनराइज एग्रीलैंड डवलेपमेंट को यह जिम्मेदारी मिलना देश के लिए गर्व की बात है।

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राज्य सरकारों की भी करनी चाहिए पहल

- गाय के गोबर को उपयोग में लेने के लिए राज्य सरकारों को भी पहल करनी चाहिए। जिससे खेती-किसानी और आम नागरिकों को फायदा होगा। साथ ही स्वास्थ्यवर्धक फसलों का उत्पादन होगा। प्राचीन युग से पौधों व फसल उत्पादन में खाद का महत्वपूर्ण उपयोग होता हैं। गोबर के एंटीडियोएक्टिव एवं एंटीथर्मल गुण होने के साथ-साथ 16 प्रकार के उपयोगी खनिज तत्व भी पाए जाते हैं। गोबर इसमें बहुत महत्वपूर्ण है। सभी राज्य सरकारों को इसका फायदा लेना चाहिए।

गाय के गोबर का उपयोग

- प्रोडक्ट विवरण पारंपरिक भारतीय घरों में गाय के गोबर के केक का उपयोग यज्ञ, समारोह, अनुष्ठान आदि के लिए किया जाता है। इसका उपयोग हवा को शुद्ध करने के लिए किया जाता है क्योंकि इसे घी के साथ जलते समय ऑक्सीजन मुक्त करने के लिए कहा जाता है। गाय के गोबर को उर्वरक के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। ये भी पढ़े : सीखें वर्मी कंपोस्ट खाद बनाना 1- बायोगैस, गोबर गैस : गैस और बिजली संकट के दौर में गांवों में आजकल गोबर गैस प्लांट लगाए जाने का प्रचलन चल पड़ा है। पेट्रोल, डीजल, कोयला व गैस तो सब प्राकृतिक स्रोत हैं, किंतु यह बायोगैस तो कभी न समाप्त होने वाला स्रोत है। जब तक गौवंश है, अब तक हमें यह ऊर्जा मिलती रहेगी। एक प्लांट से करीब 7 करोड़ टन लकड़ी बचाई जा सकती है जिससे करीब साढ़े 3 करोड़ पेड़ों को जीवनदान दिया जा सकता है। साथ ही करीब 3 करोड़ टन उत्सर्जित कार्बन डाई ऑक्साइड को भी रोका जा सकता है। 2- गोबर की खाद : गोबर गैस संयंत्र में गैस प्राप्ति के बाद बचे पदार्थ का उपयोग खेती के लिए जैविक खाद बनाने में किया जाता है। खेती के लिए भारतीय गाय का गोबर अमृत समान माना जाता था। इसी अमृत के कारण भारत भूमि सहस्रों वर्षों से सोना उगलती आ रही है। गोबर फसलों के लिए बहुत उपयोगी कीटनाशक सिद्ध हुए हैं। कीटनाशक के रूप में गोबर और गौमूत्र के इस्तेमाल के लिए अनुसंधान केंद्र खोले जा सकते हैं, क्योंकि इनमें रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभावों के बिना खेतिहर उत्पादन बढ़ाने की अपार क्षमता है। इसके बैक्टीरिया अन्य कई जटिल रोगों में भी फायदेमंद होते हैं। ये भी पढ़े : सीखें नादेप विधि से खाद बनाना 3- गौमूत्र अपने आस-पास के वातावरण को भी शुद्ध रखता है। कृषि में रासायनिक खाद्य और कीटनाशक पदार्थ की जगह गाय का गोबर इस्तेमाल करने से जहां भूमि की उर्वरता बनी रहती है, वहीं उत्पादन भी अधिक होता है। दूसरी ओर पैदा की जा रही सब्जी, फल या अनाज की फसल की गुणवत्ता भी बनी रहती है। जुताई करते समय गिरने वाले गोबर और गौमूत्र से भूमि में स्वतः खाद डलती जाती है। 4- कृषि में रासायनिक खाद्य और कीटनाशक पदार्थ की जगह गाय का गोबर इस्तेमाल करने से जहां भूमि की उर्वरता बनी रहती है, वहीं उत्पादन भी अधिक होता है। दूसरी ओर पैदा की जा रही सब्जी, फल या अनाज की फसल की गुणवत्ता भी बनी रहती है। जुताई करते समय गिरने वाले गोबर और गौमूत्र से भूमि में स्वतः खाद डलती जाती है। 5- प्रकृति के 99% कीट प्रणाली के लिए लाभदायक हैं। गौमूत्र या खमीर हुए छाछ से बने कीटनाशक इन सहायक कीटों को प्रभावित नहीं करते। एक गाय का गोबर 7 एकड़ भूमि को खाद और मूत्र 100 एकड़ भूमि की फसल को कीटों से बचा सकता है। केवल 40 करोड़ गौवंश के गोबर व मूत्र से भारत में 84 लाख एकड़ भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है। 6- गाय के गोबर का चर्म रोगों में उपचारीय महत्व सर्वविदित है। प्राचीनकाल में मकानों की दीवारों और भूमि को गाय के गोबर से लीपा-पोता जाता था। यह गोबर जहां दीवारों को मजबूत बनाता था वहीं यह घरों पर परजीवियों, मच्छर और कीटाणुओं के हमले भी रोकता था। आज भी गांवों में गाय के गोबर का प्रयोग चूल्हे बनाने, आंगन लीपने एवं मंगल कार्यों में लिया जाता है। 7- गोबर के कंडे या उपले : वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय के गोबर में विटामिन बी-12 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह रेडियोधर्मिता को भी सोख लेता है। आम मान्यता है कि गाय के गोबर के कंडे से धुआं करने पर कीटाणु, मच्छर आदि भाग जाते हैं तथा दुर्गंध का नाश हो जाता है। कंडे पर रोटी और बाटी को सेंका जा सकता है। 8- गोबर का पाउडर के रूप में खजूर की फसल में इस्तेमाल करने से फल के आकार में वृद्धि के साथ-साथ उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है।

भारत मे 30% गोबर से बनते हैं उपले

- भारत में 30% गोबर से उपले बनते हैं। जो अधिकांश ग्रामीण अंचल में तैयार किए जाते हैं। इन उपलों को आग जलाने के लिए उपयोग में लिया जाता है। जबकि ब्रिटेन में हर वर्ष 16 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन किया जाता है। वहीं चीन में डेढ़ करोड़ परिवारों को घरेलू ऊर्जा के लिए गोबर गैस की आपूर्ति की जाती है। अमेरिका, नेपाल, फिलीपींस तथा दक्षिणी कोरिया ने भारत से जैविक खाद मंगवाना शुरू कर दिया है। -------- लोकेन्द्र नरवार
किसान गोबर से बने इन उत्पादों का व्यवसाय करके कुछ ही समय में अमीर बन सकते हैं

किसान गोबर से बने इन उत्पादों का व्यवसाय करके कुछ ही समय में अमीर बन सकते हैं

आपकी जानकारी के लिए बतादें कि बाजार में धूपबत्ती की भांति इस वक्त गोबर से बने दिये भी खूब बिक रहे हैं। सबसे खास बात यह है, कि गोबर से निर्मित दिये भारत समेत विदेशों में भी ऑनलाइन माध्यम से विक्रय किए जा रहे हैं। फिलहाल, दुनियाभर में किसान खेती से हटकर विभिन्न प्रकार के व्यापार कर रहे हैं। हालांकि, यह समस्त व्यापार कृषि एवं पशुपालन से ही संबंधित हैं। आज हम आपको गाय भैसों के गोबर से होने वाले ये बिजनेस आइडियाज देंगे, जो आपको कुछ ही समयांतराल में अमीर बना देंगे। सबसे खास बात यह है, कि इन कारोबारों को शुरू करने के लिए आपको काफी अधिक पूंजी की आवश्यकता नहीं है।

गोबर से निर्मित धूपबत्ती

गोबर से तैयार की गई धूपबत्ती इस समय बाजार में आम धूपबत्तियों और अगरबत्तियों से कहीं अधिक बिकती हैं। दरअसल, गाय के गोबर को काफी ज्यादा पवित्र माना जाता है, इसका उपयोग हिंदू धर्म को मानने वाले लोग अपनी पूजा पाठ वाली जगह पर भी करते हैं। यही कारण है, कि गाय के गोबर से निर्मित अगरबत्ती बाजार में बड़ी ही तीव्रता से बिक रही है। सबसे खास बात यह है, कि बिजनेस आप बड़ी सुगमता से घर पर भी चालू कर सकते हैं।

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गोबर से निर्मित दिये

धूपबत्ती की भांति इस समय गोबर से निर्मित दिये भी बाजार में अत्यधिक बिक रहे हैं। सबसे खास बात यह है, कि गोबर से निर्मित दिये भारत के अलावा विदेशों में भी ऑनलाइन माध्यम से बिक रहे हैं। इस व्यवसाय को भी आप सहजता से अपने घर में ही चालू कर सकते हैं। इसके लिए आपको सर्व प्रथम गाय के गोबर को सुखा कर उसका पाउडर बना लेना है, उसके पश्चात उसमें गोंद मिलाकर दिये के शेप में उसे ढाल लेना है। दो चार दिनों तक के लिए उसको धूप में रख कर सुखाने के पश्चात आप सहजता से उत्तम कीमत पर उसकी बाजार में बिक्री कर सकते हैं।

गोबर से निर्मित गमलों का व्यवसाय

जैसा कि हम जानते हैं, कि बारिश का मौसम चल रहा है, ऐसे में गमलों की मांग काफी ज्यादा है। लोग अब हरियाली की तरफ दौड़ रहे हैं। इस गमले की सबसे मुख्य बात यह है, कि इसमें पौधे बड़ी ही तीव्रता से बड़े होते हैं और जब ये गमला गलने लगता है, तो उसे खाद के रूप में भी उपयोग कर लिया जाता है। यही कारण है, कि फिलहाल बाजार में इसकी मांग काफी बढ़ गई है। इस प्रकार के गमले इस समय बाजार में 50 से 100 रुपये के बिक रहे हैं।

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गोकाष्ठ लकड़ी का व्यवसाय

गोकाष्ठ एक ऐसी वस्तु है, जिसका उपयोग दाह संस्कार में किया जाता है। दरअसल, हिंदू धर्म में जब कोई इंसान मरता है, तो उसका दाह संस्कार किया जाता है। मतलब की उसके शरीर को जलाया जाता है। अब ऐसी स्थिति में इस क्रिया के लिए लकड़ियों की काफी जरूरत होती है। इसी कारण से प्रति वर्ष लाखों वृक्ष कट जाते हैं। परंतु, यदि ये क्रिया गोकाष्ठ से होने लगे तो धरती के लाखों वृक्ष प्रति वर्ष बच जाएंगे। सबसे खास बात यह है, कि गोष्ठ बनाने हेतु आप 50000 तक में एक मशीन ला सकते हैं और फिर उससे अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं।

गोबर से खाद का व्यवसाय

गोबर एक प्रकार का जैविक खाद है। गांवों में आज भी किसान गोबर का उपयोग खाद के तौर पर करते हैं। यदि आप इस चीज का व्यवसाय चालू करते हैं, तो देखते ही देखते कुछ ही दिनों में आप धनी बन सकते हैं। दरअसल, इस समय शहरों के अंदर लोग अपनी बालकनी को गमलों से भर रहे हैं। साथ ही, उन गमलों में लगे पौधों को बड़ा करने हेतु वह जैविक खाद का उपयोग कर रहे हैं। इस वजह से यदि आप इस व्यवसाय में दांव लगाते हैं, तो निश्चित तौर पर आप सफल रहेंगे।
छत्तीसगढ़ सरकार गोबर के व्यवसाय को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दे रही है

छत्तीसगढ़ सरकार गोबर के व्यवसाय को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दे रही है

आज के दौर में गोबर का व्यवसाय किसानों व आम जनता के लिए काफी ज्यादा किफायती सिद्ध हो रहा है। इस कारोबार से कृषक प्रति माह बेहतरीन आमदनी कर रहे हैं। आज के आधुनिक दौर में लोग नौकरी सहित अपना स्वयं का एक छोटा-सा व्यवसाय कर रहे हैं। जिससे कि वह अपनी आमदनी को अधिक कर सकें। इसके लिए वह विभिन्न प्रकार के कार्यों को करते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं व्यवसाय के लिए सरकार की ओर से भी पूरी मदद प्राप्त होती है। यदि आप भी व्यवसाय करने के विषय में सोच रहे हैं, तो आपको एक बार इस लेख को अवश्य पढ़ना चाहिए।

सरकार पशुपालक व किसानों से 10 रुपए प्रति किलो गोबर खरीदती है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि छत्तीसगढ़ के बहुत सारे लोग गोबर का सही ढ़ंग से उपयोग कर रहे हैं। साथ ही, इससे वह प्रति माह हजारों की आमदनी करते हैं। दरअसल, यहा के अधिकांश किसान भाई
प्राकृतिक खेती (Natural farming) करते हैं। साथ ही, सरकार के द्वारा भी इस खेती को ज्यादा करने पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाता है। इसके लिए सरकार ने न्याय योजना की शुरुआत की है। इसमें ग्रामीण लोगों से 2 रुपए प्रति किग्रा की दर से गोबर की खरीद की जाती है। परंतु, वहीं यदि हम छत्तीसगढ़ राज्य की गोबर अर्थव्यवस्था की बात करें, तो सरकार की इस योजना के अंतर्गत किसानों और पशुपालकों से गोबर 10 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से खरीदा जाता है। इनसे खरीदा गया गोबर विभिन्न प्रकार के कार्यों में उपयोग किया जाता हैं।

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गोबर का पेंट आजकल काफी चलन में आता जा रहा है

छत्तीसगढ़ में इस वक्त गोबर से पेंट निर्मित करने का व्यवसाय बहुत ही तीव्रता से फैल रहा है। अधिकांश लोग इसे अपना रहे हैं। बतादें, कि सरकार के द्वारा खरीदे गए गोबर से भी पेंट निर्मित करने का कार्य किया जाता है। यदि देखा जाए तो बाजार में इस पेंट की मांग भी काफी ज्यादा हो रही है।

गोबर से पेंट बनाने की योजना को सरकार ने दिया बढ़ावा

छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए एक पहल शुरू की है। दरअसल, राज्य में पशुधन के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए स्थापित गौठान में गोबर से पेंट निर्मित करने की योजना को तीव्रता के साथ आगे बढ़ाने पर सरकार आगे बढ़ रही है। बतादें, कि यह पेंट पूर्णतय प्राकृतिक है। इससे किसी भी प्रकार की कोई हानि नहीं देखने को मिलती है।

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किसान गोबर से बने इन उत्पादों का व्यवसाय करके कुछ ही समय में अमीर बन सकते हैं प्राप्त जानकारी के अनुसार, गोबर का पेंट बाजार में मिलने वाले पेंट की तुलना में काफी सस्ता और फायदेमंद है। इस पेंट को अपने घर पर करने से आपका घर गर्मी के मौसम में ठंडा बना रहेगा। साथ ही, यह अच्छी सुगंध भी प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त इस पेंट से आपके घर में कीड़े-मकोडे भी शीघ्रता से नहीं आते हैं। राज्य में अब तक 2 लाख 66 हजार 155 लीटर से भी ज्यादा प्राकृतिक पेंट का उत्पादन किया गया है। इस राज्य के ग्रामीण किसान और आम जनता इस गोबर का कारोबार करते हैं। उन्हें 4.15 करोड़ रुपये की आमदनी भी अर्जित हो चुकी है।

गोबर की बिक्री से कमाऐं हजारों-लाखों

यदि आप चाहें तो स्वयं भी गोबर के कारोबार को चालू कर प्रति माह लाखों की आमदनी अर्जित कर सकते हैं। इसके लिए आपको गोबर से निर्मित अपने समस्त उत्पादों जैसे कि गोबर की खाद, गोबर का पेंट आदि को या तो सरकार को बेचना होगा या फिर बाजार में भी आप इसे बेच सकते हैं, जिसकी आपको काफी अच्छी कीमत भी आसानी से मिल जाएगी।