भारत की मंडियों में सरसों की आवक में निरंतर बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। इस शनिवार को देश की मंडियों में 8.25 लाख सरसों की बोरी की आवक हो गई है। मध्य प्रदेश के सागर जनपद में सरसों का बिक्रय 4500 रुपये प्रति क्विंटल तक हो गया है। यह 5000 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी से बहुत ज्यादा कम है। सरसों को बेचने को लेकर किसानों का बेकार हाल है। सरसों की कीमतों में इजाफा करने हेतु क्या कदम उठाए जाएं? किसान भाइयों को कोई उपाय नहीं समझ आ रहा है।
बिनौला तेल की कीमत में 100 रुपये प्रति क्विंटल आई गिरावट
सोयाबीन और बिनौला तेल की स्थिति काफी बेकार हो गई है। गुजरात सहित बाकी राज्यों में बिनौला तेल दो से 3 रुपये प्रति किलो ज्यादा के भाव से बेचा जाता था। परंतु, इस बार इसकी कीमत में 1 रुपये प्रति किलो मतलब 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई है। इसका प्रभाव खुदरा बाजार में देखा जा रहा है। आम आदमी न्यूनतम भाव पर तेल खरीद रहा है।
आखिर किस वजह से तेल के भाव में आई कमी
कारोबारी विदेशी तेलों हेतु निःशुल्क आयात नीति बंद करने की मांग कर रहे हैं। आपको बतादें, कि विदेशों से आने वाले तेलों पर किसी प्रकार का शुल्क नहीं लगाया जा रहा है। यही वजह है, जो विदेशों से आयात तेल बहुत कम भाव पर बेचा जा रहा है। साथ ही, देसी तेल में लागत अधिक आने से थोड़ा महंगा हो गया है। यही वजह है, कि विदेशी तेल के सस्ता होने एवं देसी महंगा होने के चलते लोग विदेशी तेल को ज्यादा खरीद रहे हैं। खरीदार न मिल पाने की वजह से लोग देसी तेल के भाव में गिरावट देखने को भी मजबूर हैं।
केंद्र एवं राज्य सरकार तेल की कीमतों पर काबू करने के लिए निरंतरता से कदम उठा रही हैं। आगामी दिनों में तेल की कीमतों में सहूलियत देखने को मिल सकती है। कहा गया है, कि तेल की कीमतों में 6 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की जा सकती है। कीमत कम करने का फैसला केंद्र सरकार की सलाह के उपरांत एडिबल ऑयल कंपनियों के स्तर से लिया गया है।
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क्रूड पाम ऑयल की कीमतों में इतने रुपए की गिरावट होगी
मीडिया खबरों के मुताबिक, फॉर्च्यून ब्रांड के मालिक अडानी विल्मर और जेमिनी एडिबल और फैट्स इंडिया, ये जेमिनी ब्रांड का मालिक है। इनके स्तर से भावों में क्रमशः 5 रुपये प्रति लीटर और 10 रुपये प्रति लीटर की कमी करने का फैसला लिया गया है। हालांकि, कंपनी की तरफ से यह कहा गया है, कि तेल की कीमतों में जो गिरावट हुई है, उसका फायदा आगामी 3 सप्ताह में देखने को मिल सकता है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) की तरफ से भी एक स्टेटमेंट आया है, कि इसने भी अपने खाद्य तेलों पर एमआरपी में गिरावट करने एवं उपभोक्ताओं को फायदा पहुँचाने के लिए जानकारी साझा करने की सलाह दी गई है।
कच्चे तेलों की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में आई गिरावट
एसईए की तरफ से सामने आए बयान में कहा गया है, कि विगत 6 माह में तेल के भावों में सहूलियत देखने को मिली है। इसमें विगत 60 दिनों में अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में क्रूड पाम ऑयल के भावों में कमी देखने को मिली है। बतादें, कि सरसों, मूंगफली और सोयाबीन का देश में अच्छा-खासा उत्पादन हुआ है। लेकिन, इसके बावजूद भी तेलों की कीमतों में उतनी गिरावट नहीं हो पाई है। इस वजह से अब एडिबल कंपनियों को इस प्रकार तेल की कीमत कम करने की सलाह दी गई है।
इस बार अगस्त में विगत 8 वर्षों से कम बारिश दर्ज की गई है
भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, इस वर्ष अगस्त माह में 8 वर्षों के अंतर्गत काफी कम बारिश दर्ज की गई है। दरअसल, अलनीनो फैक्टर के कारण आगामी महीनों में भी औसत से कम बारिश होने की संभावना है। बतादें, कि भारत भर में दलहन और तिलहन की बुआई हो चुकी है। अब कुछ दिनों के उपरांत फसलों में फूल आने शुरू हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में फसलों की सिंचाई की अधिक आवश्यकता पड़ती है। परंतु, पानी के अभाव की वजह से दलहन और तिलहन के उत्पादन पर प्रभाव पड़ेगा, जिससे पैदावार में कमी भी देखने को मिल सकती है।
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भारत के केवल इन हिस्सों में अच्छी-खासी वर्षा दर्ज की गई है
मौसम विभाग ने बताया है, कि भारत के केवल उत्तर पश्चिम भाग में ही बेहतरीन वर्षा रिकॉर्ड की गई है। इन हिस्सों में विगत वर्ष की तुलना में 6 प्रतिशत अधिक बरसात दर्ज की गई है। साथ ही, मध्य भारत में औसत से 7 प्रतिशत कम, पूर्व उत्तर भारत में 15 प्रतिशत कम और दक्षिण भारत में औसत से 17 प्रतिशत कम वर्षा रिकॉर्ड की गई है। ऐसी स्थिति में मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया है, कि अगस्त माह के दौरान संपूर्ण भारत में विगत वर्ष की तुलना में 35 प्रतिशत कम बारिश रिकॉर्ड की गई है।
अधिकारियों की मानें तो अगर सितंबर में सामान्य से अधिक भी बारिश होती है, तो भी अगस्त महीने की कमी की भरपाई नहीं की जा सकती है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य 332 मिलियन टन निर्धारित किया गया है। हालांकि, फसल सीजन 2022-23 में भारत में खाद्यान्न पैदावार में 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई थी। भारत का खाद्यान्न भंडार 330.5 मिलियन टन पर पहुंच गया था। वहीं, इस वर्ष खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य 332 मिलियन टन निर्धारित किया गया है।