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हरियाणा में खेतो की बिजली के समय को बढ़ाकर 7 घंटे कर दिया गया है

हरियाणा में खेतो की बिजली के समय को बढ़ाकर 7 घंटे कर दिया गया है

पानीपत में बिजली के कम सप्लाई के कारण किसान खेत में हरे चार, तिलहन व सब्जी की ठीक से सिंचाई नहीं कर पाते है. ऐसे में किसानों ने खेती फीडर में ज्यादा सप्लाई के लिए कई बार एसडीओ से लेकर एस ई तो से मांग की थी. धर्मवीर छिक्कारा जो कि पनीपत के एस ई है, उन्होंने बताया कि उत्तर हरियाणा बिजली निगम ने खेती फीडर की सप्लाई 5 घंटे से बढ़ाकर 7 घंटे कर दिया है. इसके लिए निगम ने 3 ग्रुप में शेड्यूल तैयार किया है. पहला ग्रुप में देर रात 2 बजे से सुबह 9 बजे तक. दूसरा ग्रुप में सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजे तक. तीसरा ग्रुप दोपहर 1 बजे से शाम 8 बजे तक बिजली सप्लाई रहेगी.

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हर डिवीजन में सहूलियत के हिसाब से फीडरो पर सप्लाई दी जाएगी, परंतु ये निर्धारित शेड्यूल के हिसाब से होगा जिससे किसानों को कोई दिक्कत ना हो. इससे पहले बिजली कम आने के कारण खेती फीडर में सप्लाई दो से तीन घंटे मिलती थी. जिसे बाद में बढ़ाकर पांच घंटे कर दिया गया. अब सात घंटे दी जाएगी. किसान 15 जून से कर पाएंगे धान रोपाई

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15 जून से पहले कृषि और किसान कल्याण विभाग की तरफ से पहले धान की रोपाई पर रोक लगा रखी है. 15 जून के बाद किसान धान रोपाई कर सकेंगे. दूसरी ओर किसान भी समय को नजदीक आता देख तैयारी में जुटे है. धान की पौध भी तैयार हो चुकी है. खेत की जुताई के साथ मेड़ भी बनाई जा रही है. सीजन को देखते हुए बिजली निगम की ओर से सप्लाई को दो घंटे और बढ़ा दिया गया है. एक बार किसान को पूरी सप्लाई मिल जाए फिर किसान को खेत तैयार करने में ज्यादा दिक्कत नही आयेगी.
पंजाब सरकार सिचाईं पर करेगी खर्च कम, लेगी सौर ऊर्जा की मदद

पंजाब सरकार सिचाईं पर करेगी खर्च कम, लेगी सौर ऊर्जा की मदद

पंजाब सरकार ने कृषि सिचाईं के खर्च को कम करने के लिए १५ हॉर्स पावर सौर ऊर्जा यानि सोलर एनर्जी (solar energy) की सहायता लेने के लिए केंद्र सरकार से आर्थिक मदद मांगी है। पी एम कुसुम योजना के तहत केंद्र सरकार किसानों के लिए सौर ऊर्जा चलित पंप सेट प्रदान करती है। इसी के अनुरूप पंजाब सरकार भी राज्य के किसानों के लिए हर सम्भव प्रयास कर रही है, जिससे राज्य के किसानों की बिजली का खर्च कम हो सके। पंजाब एक महत्वपूर्ण फसल उत्पादक राज्य है जो कि कृषि जगत में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी वजह से खरीफ की फसल के उत्तम उत्पादन के लिए राज्य के किसानों को बीज के साथ साथ अधिक बिजली की भी आवश्यकता पड़ती है। यही कारण है कि पंजाब सरकार बिजली के खर्च को कम करने के लिए पी एम कुसुम योजना से वित्तीय सहायता की मांग की है।

पंजाब राज्य को भी पी एम कुसुम योजना में सम्मिलित करने की मांग

पंजाब सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत मंत्री अमन अरोड़ा जी ने बताया कि उन्होंने केंद्र सरकार को लिखित में पत्र भेजा है, जिसमें पंजाब राज्य को पी एम कुसुम योजना में सम्मिलित करने की मांग की है। साथ ही, पंजाब सरकार इस मांग को औपचारिक रूप से केंद्र के समक्ष प्रस्तुत कर चुकी है। हालाँकि, अमन अरोरा जी ने ये भी कहा कि पंजाब राज्य को इस पी एम कुसुम योजना के लाभ से वंचित रखा गया है। साथ ही पंजाब में ज्यादातर पंप सेट की क्षमता १० से १५ एच पी है, किसान उनको वहन करने के लिए सक्षम नहीं हैं, इसलिए किसानों को सी एफ ए यानि केन्द्रीय वित्तीय सहायता की अत्यधिक आवश्यकता है।


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पंजाब राज्य सरकार ने कितने हॉर्स पावर के पंप सेट के लिए माँगा फंड

केंद्र सरकार १ अगस्त २०२२ को पूर्वोत्तर व पहाड़ी राज्यों के किसानों को १५ एच पी क्षमता वाले कृषि पम्पों के लिए सी एफ ए प्रदान करने का प्रावधान किया है, सिर्फ पंजाब राज्य में ही यह ७.५ एच पी तक है। लेकिन पंजाब राज्य सरकार ने १५ एच पी हॉर्स पावर के सौर ऊर्जा पंप सेट की मांग रखी थी।
जाने खेती के साथ-साथ बिजली उत्पादन करते हुए कैसे कमा रहे हैं किसान ज्यादा आमदनी

जाने खेती के साथ-साथ बिजली उत्पादन करते हुए कैसे कमा रहे हैं किसान ज्यादा आमदनी

खेती करते हुए किसान खेती के साथ-साथ अलग-अलग तरह के व्यवसाय करते रहते हैं। ताकि उन्हें और ज्यादा आमदनी होती रहे और आर्थिक तौर पर वह मजबूत बने रहे। 

आपने खेती-बाड़ी के साथ-साथ पशुपालन या फिर फूलों आदि की खेती के बारे में तो जरूर सुना होगा। लेकिन क्या आपने कभी खेती के साथ बिजली उत्पादन करते हुए किसानों को लाभ कमाते देखा है। 

आजकल के आधुनिक दौर में क्या कुछ मुमकिन नहीं है। इसी तरह से किसानों के लिए एक बहुत ही अच्छी पहल सरकार की तरफ से की गई है। इसमें किसान खेती के साथ-साथ बिजली उत्पादन करते हुए लाभ कमा सकते हैं। 

इस स्कीम के तहत सबसे अच्छी बात है, कि सरकार खुद किसानों को इसके लिए प्रेरित कर रही है और अच्छी खासी मदद भी दे रही है। 

अब सौर ऊर्जा को प्रमोट करते हुए खेत में सोलर पंप से लेकर सोलर प्लांट लगवाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। जिससे कृषि कार्यों के लिए खेतों से ही बिजली मिल जाए। साथ में, बिजली कंपनियों को भी बिजली को बेचकर अतिरिक्त आमदनी हो जाए। 

उत्तर प्रदेश में भी जल्द किसानों को ऐसी ही एक योजना का लाभ मिलने वाला है। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 6 जिलों में प्राइवेट डेवलपर्स यानी किसानों के साथ बिजली को खरीदने के लिए एक समझौता किया है। 

इस एग्रीमेंट का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना है और यह पीएम कुसुम योजना के तहत लागू किया जा रहा है। इस योजना के तहत 7 मेगावाट सोलर पावर जेनरेशन प्रोजेक्ट को गति देने के लिए किया गया है।

कैसे होगी किसानों की आमदनी

अगर किसानों की भूमि बंजर और अनुपयोगी है, तो उत्तर प्रदेश के किसान अपनी भूमि पर सोलर पावर प्लांट लगवा सकते हैं। 

यह सोलर पावर प्लांट लगवाने के लिए किसानों को तमाम तरह के बैंक और वित्तीय संस्थाएं पूरी तरह से मदद करेंगे। इसके अलावा इस योजना के तहत आप सरकार से सब्सिडी भी ले सकते हैं। ताकि आपको शुरुआती समय में ज्यादा खर्च ना करना पड़े।

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इतना ही नहीं, किसान अपने खेतों में लगे सोलर प्लांट से बिजली का उत्पादन लेकर ना सिर्फ कृषि कार्यों को बिना किसी खर्च में पूरा कर सकते हैं। बल्कि प्राइवेट बिजली कंपनियों को बेचकर अतिरिक्त आमदनी भी कमा सकते हैं। 

फिलहाल, सौर बिजली उत्पादन की सुविधा यूपी के बिजनौर, हाथरस, महोबा, जालौन, देवरिया और लखनऊ में दी जाएगी।

कितना होगा बिजली उत्पादन

यूपीपीसीएल के अध्यक्ष एम. देवराज ने बताया है, कि बिजनौर के विलासपुर गांव में 1.5 मेगावाट का सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र बनाया जाएगा। हाथरस के मौहारी गांव में 0.5 मेगावाट और देवगांव के गांव में 1 मेगावाट की सुविधा दी जाएगी।

महोबा और जालौन के खुकसिस गांव में 1 मेगावाट और बरियार गांव में 1 मेगावाट की सुविधा वाला सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र बनाने का प्लान है। यहां पर किसानों को दो तरह के विकल्प दिए गए हैं। 

पहला या तो वह डीजल से चलने वाले सिंचाई पंप को सोलर एनर्जी सिंचाई पंप में अपग्रेड करवा सकते हैं या फिर अपने खेत में सोलर प्लांट लगवाने की व्यवस्था कर सकते हैं। 

कमाई की बात की जाए, तो इस तरह से लगे हुए सोलर पावर प्लांट से किसान सालाना लगभग 80,000 रुपये तक कमा सकते हैं। 

इस योजना के तहत सरकार की तरफ से किसानों को सोलर पंप की लागत पर 90 फीसदी सब्सिडी भी उपलब्ध करवाई जाएगी।

क्या है पीएम कुसुम योजना

पीएम कुसुम योजना के तहत 1 मेगावाट का सोलर प्लांट लगवाने के लिए लगभग 5 एकड़ जमीन की जरूरत होती है। वहीं पर अगर आप 0.2 मेगावाट बिजली का उत्पादन करना चाहते हैं, तो यह केवल 1 एकड़ जमीन में भी किया जा सकता है। 

इस योजना के तहत किसानों को सबसे बड़ा फायदा यह है, कि उन्हें स्वयं भी किसी तरह की बिजली से जुड़ी हुई समस्याओं से नहीं जूझना पड़ेगा। 

साथ ही, वह बनने वाली एक्स्ट्रा बिजली को बेचकर ज्यादा आमदनी भी कमा सकते हैं। जिससे उनके आर्थिक हालात सुधारने में बेहद मदद मिलेगी।

हैदराबाद में सब्जियों के अवशेष से बन रहा जैविक खाद, बिजली और ईंधन, पीएम मोदी ने की प्रशंसा

हैदराबाद में सब्जियों के अवशेष से बन रहा जैविक खाद, बिजली और ईंधन, पीएम मोदी ने की प्रशंसा

हैदराबाद की बोवेनपल्ली सब्जी मंडी आजकल खूब सुर्खियां बटोर रही है। यहां मंडी व्यापारियों की कोशिशों पर बेकार अथवा बची हुई अशुद्ध सब्जियों के उपयोग से जैविक खाद, बिजली और जैव-ईंधन निर्मित किया जा रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसकी प्रशंसा की है। आजकल ऑर्गेनिक वेस्ट मैनेजमेंट अच्छी खासी आमदनी का स्त्रोत बनता जा रहा है। इसके चलते पर्यावरण को संरक्षण देने में भी विशेष मदद प्राप्त हो रही है। साथ ही, आजकल लोग ऑर्गेनिक वेस्ट के जरिए खूब मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। यह किसान भाइयों के लिए एक उन्नति का जरिया बनता जा रहा है। आजकल हैदराबाद की बोवेनपल्ली मंडी के अंदर भी कुछ इसी प्रकार का ऑर्गेनिक वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट चल रहा है। यहां पर मंडी में बची हुई अथवा बेकार सब्जियों से हरित ऊर्जा बनाई जा रही है। बोवेनपल्ली मंडी में सब्जियों के अवशेष को उपयोग करके बिजली, जैविक खाद, जैविक ईंधन निर्माण कार्य चल रहा है। मंडी व्यापारियों के नवाचार एवं सफल कोशिशों से प्रभावित होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रशंसा की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सराहनीय कार्य की खूब प्रशंसा की है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में बोवेनपल्ली सब्जी मंडी के व्यापारियों के नवोन्मेषी विचारों की खूब प्रशंसा की है। पीएम मोदी ने बताया है, कि ज्यादातर सब्जी मंडियों में सब्जियां खराब हो जाती हैं, जिससे असुरक्षित खाद्यान हालात उत्पन्न हो जाएंगे। ऐसे में समस्या का निराकरण करने हेतु हैदराबाद की बोवेनपल्ली सब्जी मंडी व्यापारियों द्वारा इस अवशेष से हरित ऊर्जा निर्मित करने का निर्णय लिया गया है। यह भी पढ़ें: एशिया की सबसे बड़ी कृषि मंडी भारत में बनेगी, कई राज्यों के किसानों को मिलेगा फायदा मंडी में फल एवं सब्जियों के प्रत्येक औंस अवशेषों द्वारा 500 यूनिट बिजली एवं 30 किलो जैव ईंधन बनाया जा रहा है। यहां उत्पादित होने वाली विघुत आपूर्ति प्रशासनिक भवन, जल आपू्र्ति नेटवर्क, स्ट्रीट लाइट्स और 170 स्टाल्स को की जा रही है। साथ ही, ऑर्गेविक वेस्ट से निर्मित जैव ईंधन को बाजार में स्थित रेस्त्रा, ढ़ाबे अथवा व्यावसायिक रसोईयों में भेजा जा रहा है। यहां विघुत के जरिए मंडी की कैंटीन प्रकाशित की जा रही है। साथ ही, यहां का चूल्हा तक भी प्लांट के ईंधन के जरिए जल रहा है। जानकारी के लिए बतादें, कि बोवेनपल्ली मंडी में प्रतिदिन 650-700 यूनिट विघुत खपत होती है। उधर, प्रतिदिन 400 यूनिट बिजली पैदा करने के लिए 7-8 टन फल एवं सब्जियों के अवशेषों की जरूरत पड़ती है। यह मंडी के जरिए ही प्राप्त हो जाती है। इस प्रकार मंडी का वातावरण साफ-स्वच्छ और स्वस्थ रहता है। आज बोवेनपल्ली मंडी में स्थापित बायोगैस संयंत्र हेतु हैदराबाद की दूसरी मंडियों द्वारा भी जैव कचरा एकत्रित किया जाता है।

महिलाओं के लिए भी रोजगार के नवीन अवसर उत्पन्न हुए हैं

हैदराबाद की बोवेनपल्ली सब्जी मंडी में स्थापित बायोगैस प्लांट से वर्तमान में बहुत सारे लोगों को रोजगार का अवसर मिला है। यहां पर सब्जी बेचने वाले एवं अन्य लोग भी जैव कचरे को एकत्रित कर प्लांट में पहुँचाते हैं। साथ ही, प्लांट में पहुँचाए गए जैव कचरे की कचरे को अलग करने, कटाई-छंटाई करने, मशीन चलाने व प्लांट प्रबंधन का काम महिलाएं देख रही हैं। मंडी अधिकारियों के अनुसार, बायोगैस प्लांट में प्रतिदिन 10 टन अवशेष एकत्रित किया जाता है। यदि अनुमान के अनुसार बात करें तो इस अवशेष से एक वर्ष में 6,290 किग्रा. कार्बन डाई ऑक्साइड निकलती है। जो कि पर्यावरण एवं लोगों के स्वास्थ्य हेतु बिल्कुल सही नहीं है। इस चुनौती एवं समस्या को मंडी व्यापारियों ने संज्ञान में लिया है। इसका बायोगैस प्लांट को स्थापित करके संयुक्त समाधान निकाल लिया गया है। यह भी पढ़ें: पंजाब के गगनदीप ने बायोगैस प्लांट लगाकर मिसाल पेश की है, बायोगैस (Biogas) से पूरा गॉंव जला रहा मुफ्त में चूल्हा तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद की इस बोवेनपल्ली मंडी में बायोगैस प्लांट को चालू करने का श्रेय जैव प्रौद्योगिकी विभाग एवं कृषि विपणन तेलंगाना विभाग, गीतानाथ को जाता है। यहीं बायोगैस प्लांट वित्त पोषित है। इस बायोगैस प्लांट को व्यवस्थित रूप से चलाने में सीएसआईआर-आईआईसीटी के वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन शम्मिलित है। यहीं की पेटेंट तकनीक के माध्यम से बायोगैस संयंत्र की स्थापना की गई है।
खुशखबरी: यूपी में निजी नलकूपों के बिजली बिल में 100 प्रतिशत की छूट

खुशखबरी: यूपी में निजी नलकूपों के बिजली बिल में 100 प्रतिशत की छूट

योगी सरकार की तरफ से किसान भाइयों के लिए एक अच्छी खबर आई है। यूपी में बहुत वक्त से प्रतीक्षा कर रहे किसान भाइयों को इस समाचार से बड़ी राहत मिलगी। बतादें, कि निकाय चुनाव आने वाले हैं। इससे पूर्व ही यूपी की योगी सरकार ने पूरे यूपी के लिए बड़ा उपहार प्रदान किया है। निकाय चुनाव से पूर्व यूपी सरकार द्वारा किसानों के लिए बड़ी घोषणा कर दी गई है। इसके चलते उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने जानकारी देते समय कहा है, कि योगी सरकार किसानों के निजी नलकूपों के बिजली बिल को माफ करेगी। दरअसल, योगी सरकार ने यूपी चुनाव के समय बिजली बिल माफ करने का एलान किया था। वहीं, वित्तीय वर्ष 2022-2023 में निजी नलकूप उपभोक्ताओं के बिजली बिल में 50 प्रतिशत की छूट प्रदान की थी। फिलहाल, एक बार पुनः योगी सरकार किसान भाइयों को राहत देने जा रही है।

किसान भाइयों हेतु 15000 करोड़ की व्यवस्था

योगी सरकार द्वारा आने वाले वित्तीय वर्ष में कृषकों के लिए बिजली बिल में 100 फीसद छूट प्रदान करने के लिए बजट में 15000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। इसी कड़ी में यह कहा गया था, कि यूपी में किसानों को निजी नलकूपों के जरिए से सिंचाई हेतु बिजली बिल में 100 फीसद की छूट दी जाएगी। इसके अंतर्गत किसान भाइयों को योगी सरकार छूट प्रदान करने जा रही है। किसानों को निःशुल्क बिजली प्रदान करने का वादा बीजेपी द्वारा स्वयं के लोक कल्याण संकल्प पत्र में भी किया गया था। ये भी पढ़े: सिंचाई की नहीं होगी समस्या, सरकार की इस पहल से किसानों की मुश्किल होगी आसान

यूपी में किसानों को एक अप्रैल से दी जाएगी निशुल्क बिजली

कुछ दिन पहले यूपी के उपमुख्यमंत्री सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने बाराबंकी में एक जन चौपाल में ऐलान करते हुए कहा था, कि एक अप्रैल से कृषकों को नलकूप द्वारा सिंचाई करने हेतु बिजली मुफ्त में दी जाएगी। यानी कि स्पष्ट है, कि फिलहाल उत्तर प्रदेश के किसानों को नलकूप द्वारा सिंचाई करने पर विघुत शुल्क नहीं देना पड़ेगा। योगी सरकार द्वारा किसान भाइयों को यूपी निकाय चुनाव से पूर्व यह बड़ा उपहार दिया गया है। क्योंकि बहुत सारे किसान मंहगाई के वक्त में विद्युत बिल को लेकर परेशान हैं।
ओलावृष्टि से पीड़ित किसानों को मुफ्त बिजली और मुआवजा देगी योगी सरकार

ओलावृष्टि से पीड़ित किसानों को मुफ्त बिजली और मुआवजा देगी योगी सरकार

किसानों की जिंदगी में बहुत सारे उतार चढ़ाव आते हैं। फिर भी किसान देश का पेट भरने के लिए हर कष्ट को सहते हुए अन्न पैदा करता है। उत्तर प्रदेश में इस बार बेमौसमी बारिश एवं ओलावृष्टि कृषकों पर कहर बनकर टूटी है। 

किसान भाइयों की खेतों में कटाई के लिए खड़ी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। कृषकों को ओलावृष्टि के चलते क्षति से सहूलियत दिलाने के लिए प्रदेश की योगी सरकार ने बड़ा ऐलान किया है। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित कृषकों के लिए 23 करोड़ रुपये का मुआवजा जारी करने का फैसला लिया है।

किसानों को राहत देते हुए सरकार ने एडवांस में मुआवजे की इस धनराशि को स्वीकृति किया गया है। मंगलवार (5 मार्च, 2024) को प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुई केबिनेट बैठक में किसानों के लिए ऐसे ही कई और महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। 

सरकार के इस फैसले से उन किसानों को बड़ी राहत मिलेगी, जिसकी पूरे साल की मेहनत चौपट हो गई है और वे अब नई फसल बुवाई की तैयारी कर रहे हैं।

किसानों को मुफ्त बिजली देने की घोषणा 

कैबिनेट बैठक में मुआवजे के साथ-साथ किसानों को मुफ्त बिजली देने जैसे फैसलों पर मुहर लगाई गई। किसानों को मुफ्त बिजली प्रदान करने के संबंध में भी आदेश जारी किए गए हैं। 

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यह निर्णय योगी सरकार की ओर से किसानों के लिए एक बड़ा तोहफा है। किसानों के पक्ष में यह निर्णय लेकर राज्य सरकार ने बीजेपी के 2022 के संकल्प पत्र का एक और वादा पूरा किया है।

इन जिलों के किसानों को मुआवजा मिलेगा 

योगी सरकार ने जिस मुआवजे की घोषणा की है, उसका फायदा प्रदेश के 9 जनपदों के किसानों को मिलेगा। इनमें चित्रकूट, जालौन, झांसी, ललितपुर, महोबा, सहारनपुर, शामली, बांदा और बस्ती शामिल हैं। 

सरकार ने इन 9 जनपदों के किसानों के लिए एडवांस में मुआवजे के रूप में 23 करोड़ की धनराशि जारी की है। क्योंकि, इन जनपदों में बेमौसमी बारिश एवं ओलावृष्टि से फसलों को प्रचंड हानि हुई है। 

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सरकार ने बांदा के लिए 2 करोड़, बस्ती के लिए 2 करोड़, चित्रकूट के लिए 1 करोड़, जालौन के लिए 5 करोड़, झांसी के लिए 2 करोड़, ललितपुर के लिए 3 करोड़, महोबा के लिए 3 करोड़, सहारनपुर के लिए 3 करोड़ और शामली के लिए 2 करोड़ रुपये की धनराशि मंजूर की है। 

राज्य के अन्य हिस्सों का भी सर्वे करा रही सरकार 

बतादें, कि विगत एक सप्ताह के दौरान उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हो रही बारिश और हाल की वृष्टि के कारण एकतरफ तापमान में काफी कमी आ गई। साथ ही, दूसरी तरफ इसका प्रभाव सीधे फसलों पर पड़ा है। 

बीते दिनों भी तेज हवाओं और बारिश से गेहूं, सरसों, चने, आलू सहित विभिन्न फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अधिकारियों को फसलों की हानि पर सर्वेक्षण करने के निर्देश जारी किए हैं। 

पंजाब सरकार ने किसानों के लिए अपने बजट में खोला खजाना

पंजाब सरकार ने किसानों के लिए अपने बजट में खोला खजाना

पंजाब की भगवंत मान सरकार ने 2024-25 के लिए राज्य का बजट प्रस्तुत कर दिया है। पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने चंडीगढ़ में विधानसभा में 2.04 लाख करोड़ का बजट पेश किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार खेती-किसानी पर विशेष बल दे रही है। 

कृषि के लिए सरकार ने कुल 13784 करोड़ रुपये खर्च करने की व्यवस्था की है, जो कुल बजट का 9.37 प्रतिशत है। इसके अतिरिक्त राज्य के किसानों को मुफ्त बिजली देने के लिए 9330 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। 

इसके साथ ही महिलाओं, युवाओं और बेरोजगारों को नौकरियां देने के अलावा स्वास्थ्य और शिक्षा पर सरकार का फोकस रहा है। 

पंजाब सरकार ने किसानों को 13000 करोड़ से अधिक की सौगात दी   

उपरोक्त में जैसा बताया है, कि पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने विधानसभा में वित्तवर्ष 2024-25 के लिए 2.04 लाख करोड़ का बजट पेश कर दिया है। 

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उन्होंने कहा कि पंजाब बजट 2024 में सरकार ने किसानों को सशक्त बनाने के लिए 13,784 करोड़ रुपये के बजट की व्यवस्था की है। यह कुल बजट का 9.37% फीसद है। 

उन्होंने कहा कि राज्य के किसानों को सिंचाई सुविधाओं के लिए मुफ्त बिजली देने के लिए 9330 करोड़ रुपये का बजट दिया गया है।  

भगवंत मान सरकार की सबसे बड़ी कृषि हेतु घोषणाएं निम्नलिखित हैं 

  • कपास की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए 'मिशन उन्नत किसान' योजना जारी की गई है। उन्होंने कहा कि 87 हजार किसानों को कपास के बीज पर 33% प्रतिशत अनुदान दिया गया है। 
  • वित्त वर्ष 2024-25 में फसल विविधीकरण योजनाओं के लिए 575 करोड़ रुपये का आवंटन किया जाएगा। फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन देने के लिए मूल्य संवर्धन पर ध्यान रहेगा। 
  • होशियारपुर में स्वचालित पेय पदार्थ यूनिट की स्थापना की जाएगी।  
  • पंजाब के अबोहर में काली मिर्च प्रॉसेसिंग इकाई लगाई जाएगी।
  • जालंधर में वैल्यू एडेड प्रॉसेसिंग सुविधा विकसित की जाएगी।
  • फतेहगढ़ साहिब में रेडी टू ईट मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट और अन्य परियोजनाओं के लिए सिडबी के साथ 250 करोड़ का समझौता किया है।