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भारत द्वारा चीनी निर्यात पर प्रतिबन्ध से कई सारे शक्तिशाली देशों में चीनी उत्पाद हुए महंगे

भारत द्वारा चीनी निर्यात पर प्रतिबन्ध से कई सारे शक्तिशाली देशों में चीनी उत्पाद हुए महंगे

पूरी दुनिया में भारत चीनी का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। आमतौर पर देखा जाता है कि यदि भारत में चीनी की पैदावार कम होती है, तो इसका प्रभाव दुनिया पर भी पड़ता दिखता है। अमेरिका के चीनी बाजार मेें इस बार इस बैन का अच्छा खासा प्रभाव देखने को मिल रहा है। 

भारत विभिन्न खाद्य पदार्थों को निर्यात कर विभिन्न देशों का भरण-पोषण करने की भूमिका निभा रहे हैं। साथ ही, चावल, गेहूं, दाल सहित बहुत सारे खाद्य उत्पादों की आपूर्ति भारत से विदेशों में की जाती है। 

आटे की भाव अधीक महंगा होते देख गेहूं निर्यात प्रतिबंधित किया गया था। वहीं, बहुत सारे देशों में गेहूं की समस्या सामने देखने को मिली थी। 

भारत द्वारा चीनी निर्यात पर भी प्रतिबंधित कर रखा है। इसका प्रभाव भी अब देखने को मिल रहा है। वैश्विक महाशक्ति के रूप में माने जाने वाले देश में भी भारत की वजह से चीनी महंगी हो चुकी है।

अमेरिका में चीनी के दामों में रिकॉर्ड वृद्धि

भारत द्वारा चीनी के निर्यात पर रोक लगाने का प्रभाव अमेरिका पर देखने को मिला है। अमेरिका में चीनी के भावों में रिकॉर्ड की वृद्धि दाखिल की गई है। 

न्यूयार्क में चीनी 6 वर्ष के रिकॉर्ड स्तर पर महंगी हो चुकी है। चीनी के बढ़ते भावों से स्थानीय लोगों का भी काफी बजट डगमगा चुका है। ध्यान देने योग्य बात यह है, कि चीनी पर महंगाई का प्रभाव केवल न्यूयार्क ही नहीं बाकी देशों में भी देखने को मिल रहा है। 

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चीनी महँगाई में हुई काफी बढ़ोत्तरी

चीनी के बढ़ते दामों से न्यूयॉर्क में कच्ची चीनी की कीमत 2.2 प्रतिशत बढ़कर 23.46 सेंट प्रति पाउंड पर पहुंच गए हैं। यह अक्टूबर 2016 के उपरांत से सर्वाधिक दर्ज किया जा चुका है। 

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) की तरफ से भी इसको लेकर बयान जारी किया गया है। इस्मा ने भी चीनी पैदावार में गिरावट होने की बात कही है।

भारत में चीनी उत्पादन में आई गिरावट

जानकारी के लिए बतादें, कि इस्मा की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, कि सितंबर में समाप्त हुए विपणन वर्ष 2022-23 की प्रथम छमाही में देश में चीनी की पैदावार घटी है। 

भारत में चीनी उत्पादन 299.6 लाख टन दर्ज किया गया है। वहीं, विपणन वर्ष 2021-22 की प्रथम छमाही में भारत में 309.9 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।

केंद्र सरकार ने भी चिंता व्यक्त की है

केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा द्वारा भी गिरावट हुए चीनी पैदावार की आशंका पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने बोला था, कि सितंबर में समाप्त होने वाले साल में भारत चीनी निर्यात करने की मंजूरी दे सकता है। 

हालाँकि, इस बार पैदावार में गिरावट होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। भारत घरेलू खपत को लेकर काफी सजग दिखाई दे रही है।

केंद्र सरकार द्वारा नॉन बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगाने से अमेरिका में हलचल

केंद्र सरकार द्वारा नॉन बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगाने से अमेरिका में हलचल

केंद्र सरकार द्वारा भारत की जनता को सहूलियत प्रदान करने के लिए विगत सप्ताह एक निर्णय लिया गया। वर्तमान में इस निर्णय का प्रभाव अमेरिका के सुपरमार्केट्स में दिखना चालू हो चुका है। 

केंद्र सरकार ने चावल की कीमतों में आ रहे उछाल पर रोक लगाने के उद्देश्य से विगत सप्ताह नॉन बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। अब सरकार के इस निर्णय का प्रभाव अमेरिका में दिखना चालू हो गया। 

दरअसल, चावल निर्यात प्रतिबंधित होने से विश्वभर के बहुत सारे देशों में किल्लत उत्पन्न हो सकती है। लिहाजा इनकी कीमतें भी बढ़ जाऐंगी। 

ऐसी स्थिति में अमेरिका के लोग चावल खरीदने के लिए सुपरमार्केट्स के बाहर कतार लगाकर खड़े हो रहे हैं। अमेरिका के सुपरमार्केट में चावल खरीदने के लिए भीड़ जुट रही है। 

भारत चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश माना जाता है। वर्तमान में भारत सरकार ने देश के अंदर चावल की कीमतें कम करने के लिए यह फैसला लिया है। अब इस फैसले का असर अमेरिका ही नहीं बल्कि विश्व के विभिन्न देशों में देखने को मिल सकता है।

भारत सबसे ज्यादा इन देशों में चावल का निर्यात करता है

भारत नॉन बासमती चावल का निर्यात बहुत सारे देशों में करता है। इनमें अमेरिका के अतिरिक्त नेपाल, फिलीपींस और कैमरुन जैसे देश भी शम्मिलित हैं। 

एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की आधी जनसंख्या का मुख्य भोजन चावल को ही माना जाता है। वर्तमान में सामान्य बात यह है, कि एक्सपोर्ट न होने की स्थिति में इन देशों में चावल की कमी होगी। माँग एवं आपूर्ति के खेल के चक्कर में इनके भाव बढ़ने निश्चित हैं।

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भारत ने नॉन बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगा रखा है

अमेरिका में काफी बड़ी संख्या में भारतीय लोग रहते हैं। विगत सप्ताह में भारत ने जब नॉन बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगाने का फैसला किया था, तो अमेरिका के सुपरमार्केट्स में चावल की कमी दर्ज हो गई थी। 

रअसल, लोग अधिक से अधिक मात्रा में चावल खरीदने के लिए काफी ज्यादा भीड़ लगा रहे हैं। यह बहुत ही आम बात है, कि जब विश्व का सबसे ज्यादा राइस एक्सपोर्टर देश चावल के निर्यात को रोक देगा तो मांग और आपूर्ति निश्चित रूप से प्रभावित होगी। इससे चावल की विदेशो में कीमतें काफी बढ़ जाऐंगी।

अमेरिका में किस वजह से मचा हड़कंप

अमेरिका के अंदर काफी बड़ी तादाद में भारतीय रहते हैं। पिछले हफ्ते भारत सरकार ने जब ये फैसला किया तो अमेरिकी की कुछ जगहों पर नॉन बासमती चावल की आपूर्ति में कमी आने लगी। 

लिहाजा लोग ज्यादा से ज्यादा चावल खरीदने के लिए अमेरिका के सुपरमार्केट्स पर भीड़ लगाने लग रह हैं। इन्हें पता है, कि अब चावल की कीमतें अभी और बढ़ जाऐंगी। यहां के सुपरमार्केट्स में लोगों के मध्य चावल खरीदने की होड़ सी लग चुकी है।

भारत सरकार ने यह फैसला क्यों लिया है

भारत में बीते कुछ दिनों से टमाटर, अदरक जैसी सब्जियों की कीमतों में निरंतर बढ़ोत्तरी हुई है। टमाटर और सब्जियों के उपरांत चावल के भाव भी निरंतर बढना चालू हो गए हैं। 

विशेष रूप से नॉन बासमती चावल के भाव में 10 से 18 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। ऐसे में सरकार ने यह निर्धारित किया है, कि इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जाए जिससे कि कीमतों में और इजाफा ना हो सके।