बंदरगाहों पर अटका विदेश जाने वाला 17 लाख टन गेहूं, बारिश में नुकसान की आशंका
मुंबई।
भारत से विदेश जाना वाला करीब 17 लाख टन गेहूं विभिन्न बंदरगाहों पर अटक गया है। बारिश से इसके खराब होने की आशंका जताई जा रही है।
पिछले महीने निर्यात पर पाबंदी के बाद भारत ने 469202 टन गेहूं को निर्यात की मंजूरी दी गई है। यह निर्यात मुख्य रूप से फिलीपीन, बांग्लादेश, तंजानिया और मलेशिया को भेजा जाना है।
मुंबई के एक डीलर ने कहा कि कोडला और मुद्रा पोर्ट्स पर सबसे ज्यादा 13 लाख टन से अधिक गेहूं पड़ा हुआ है। सरकार को बंदरगाहों पर पड़े गेहूं के निर्यात की अनुमति देनी चाहिए। खाद्य संकट के दौर से गुजर रहे कई देशों ने भारत से 15 लाख टन से अधिक गेहूं की आपूर्ति मांगी है।
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तुर्की ने 56,877 टन गेहूं की खेप लौटाई
- बीते 29 मई को तुर्की ने भारत से गए 56,877 टन गेहूं की खेप लौटा दी है। इंस्ताबुल के एक कारोबारी नव गेहूं में रुबेला वायरस पाए जाने की बात कही है। इस पर खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि भारत सरकार ने तुर्की के अधिकारियों से इस बारे में ज्यादा जानकारी मांगी है।
अच्छी फसल है इसलिए ज्यादा गेहूं भेजा
- वैश्विक कंपनियों के तीन डीलरों के मुताबिक प्रतिबंध लगाने से पहले, निर्यातकों ने बड़ी मात्रा में बंदरगाहों पर गेहूं भेज दिया था। उस समय तक अच्छी फसल की पैदावार का अनुमान था। व्यापारियों को उम्मीद थी कि भारत इस साल 80 लाख से एक करोड़ टन या इससे भी अधिक के शिपमेंट को मंजूरी देगा। पिछले साल 72 लाख टन के निर्यात की अनुमति दी गई थी।
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कांडला और मुंद्रा पोर्ट में सबसे ज्यादा गेहूं
मुंबई के एक ग्लोबल ट्रेडिंग फर्म के डीलर ने कहा कि कांडला और मुंद्रा पोर्ट्स में सबसे ज्यादा गेहूं का भंडार फंसा है। इन दोनों बंदरगाहों पर करीब 13 लाख टन से अधिक गेहूं पड़ा हुआ है। सरकार को तुरंत निर्यात परमिट जारी करने की आवश्यकता थी। ऐसा इसलिए, क्योंकि बंदरगाहों पर गेहूं खुले में था। बारिश की चपेट में यह कभी भी आ सकता है। एक डीलर ने कहा कि गेहूं को बंदरगाहों से बाहर और आंतरिक शहरों में स्थानीय खपत के लिए ले जाना संभव नहीं था। इससे व्यापारियों को लोडिंग और यातायात लागत के कारण और भी ज्यादा नुकसान होगा।
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निर्यात की अनुमति फिलहाल नहीं
-भारत सरकार ने फिलहाल गेहूं निर्यात की अनुमति देने से साफ इनकार कर दिया है। जिससे बंदरगाहों पड़े गेहूं को लेकर व्यापारियों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रहीं हैं।
------ लोकेन्द्र नरवार