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genhu ki fasal

गेंहू की बुवाई का यह तरीका बढ़ा सकता है, किसानों का उत्पादन और मुनाफा

गेंहू की बुवाई का यह तरीका बढ़ा सकता है, किसानों का उत्पादन और मुनाफा

रबी सीजन के दौरान प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई आरंभ हो गयी है। किसानों द्वारा उत्तम पैदावार अर्जित हेतु कृषि विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही है। बतादें कि गेहूं रबी सीजन की मुख्य फसल है। फिलहाल रबी सीजन के दौरान गेंहू की बुवाई चालू है, किसानों द्वारा रबी सीजन की फसलों का बीजारोपण किया जा रहा है। सरकारी ब्लॉक और बाजार से गेहूं के बीजों का आना भी शुरू हो गया है, गेहूं की अगैती फसल भी किसानों द्वारा बुवाई चालू हो गयी है। कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम से भी गेंहू की सही प्रकार से बुवाई के तरीके बताये जा रहे हैं। फसल की अच्छी तरह बुवाई और उसके बेहतर तरीकों के बारे में भी जानना अति आवश्यक है।

क्या हैप्पी सीडर एक सफल कृषि यंत्र है

भारत के विभिन्न राज्यों में गेहूं की बेहतर बुआई हेतु हैप्पी सीडर मशीन का प्रयोग किया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार इससे गेहूं की बुआई में खर्च कम होता है एवं पराली जलाने की कोई आवश्यक नहीं होती है। बतादें कि पराली के सड़ने से जैविक खाद भी निर्मित हो जाता है, वैज्ञानिकों के मुताबिक इस विधि से गेहूं की बुआई करना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
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किस प्रकार कार्य करता है हैप्पी सीडर

इस तकनीक में जल का कम वाष्पीकरण होता है, इस कारण से मृदा में नमी बनी रहती है। इस मशीन से धान के डंठल को काटने के साथ साफ की गई मृदा में गेहूं के बीज व खाद को बुवाई हेतु एक ही समय पर नालियों में डाल देती है। इस तकनीक की सहायता से माइक्रोक्लाइमेट को सुधारा जा सकता है। मृदा की उर्वरक शक्ति में बढ़ोत्तरी होती है। साथ ही, इस तकनीक के जरिये बुआई करने हेतु प्रति एकड़ लगभग ५ हजार रुपये की बचत होती है। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=BXCWNRijxR0&t=137s[/embed]

हैप्पी सीडर मशीन को किसने इजात किया है

हैप्पी सीडर मशीन को टर्बाे हैप्पी सीडर मशीन के नाम से भी जाना जाता है। यह मशीन ट्रैक्टर द्वारा संचालित होती है, इसे पंजाब एग्री यूनिवर्सिटी ने आस्ट्रेलियन सेंटर फार इंटरनेशनल सेंटर एग्री रिसर्च के सहयोग से इजात किया है। मशीन का उपयोग धान के ठूंठ को समाप्त करने व गेहूं की बुवाई हेतु किया जाता है।
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हैप्पी सीडर पर कितना अनुदान दे रही है सरकार

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) द्वारा साल २००२ में इसे विकसित किया। २००६ में किसानों हेतु बाजार में उपलब्ध किया गया था, उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट किसानों के समूह को ८० प्रतिशत और किसानों के निजी उपयोग हेतु ५० प्रतिशत अनुदान पर मशीन दे रहे है। इसकी कीमत लगभग १. ६० लाख रुपये है।

हैप्पी सीडर मशीन का उत्पादन में क्या महत्त्व है

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, किसान सामान्यतः पारंपरिक तरीकों द्वारा ही खेती करने हेतु प्राथमिकता देते हैं। पारंपरिक तरीके से खेती करने पर किसान को प्रति एकड़ १९ से २२ क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त होता है। बतादें कि पहले साल हैप्पी सीडर मशीन से बुआई करने पर उत्पादन में घटोत्तरी होगी, जो कि १७ क्विंटल पर आ जाता है। वहीं द्वितीय वर्ष उत्पादन में वृध्दि १९ से २२ क्विंटल प्रति एकड़ तक हो जाती है, परंतु खास बात यह है, कि लागत में घटोत्तरी होने से अधिक लाभ होता है।
केंद्र सरकार ने गेंहू के भावों को नियंत्रण करने के लिए जारी की यह योजना

केंद्र सरकार ने गेंहू के भावों को नियंत्रण करने के लिए जारी की यह योजना

आटे के भावों में बढ़ोत्तरी होने की वजह से केंद्र सरकार बेहद चिंतित है। हाल ही में जारी की गई ओएमएसएस नीति केंद्र सरकार द्वारा आटे की कीमतों के नियंत्रण हेतु लाई गई है। इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार लाखों टन गेहूं बाजार मेें लेकर आएगी, भारत में बढ़ते अनाज के भाव को नियंत्रित करने हेतु केंद्र सरकार बेहतर निर्णय ले रही है। बीते कुछ महीनों में देश के अंदर गेहूं के मूल्यों मेें काफी वृद्धि देखने को मिली है। जिसकी वजह से आटे का भाव भी स्वाभाविक रूप से बढ़ा है। बतादें, कि आटे के भाव में वृद्धि के कारण रोटी महंगी हो गयी है, जिससे आम लोगों के घर का बजट बिगड़ना शुरू हो गया है। हालाँकि, केंद्र सरकार इनके बजट को संतुलित करने के लिए पहल कर रही है। केंद्र सरकार का प्रयास है, कि आटे की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण किया जा सके। इस विषय में उच्च स्तर पर कार्य आरंभ हो चुका है।

आटे के भाव कैसे कम करेगी सरकार

मीडिया की खबरों के मुताबिक, केंद्रीय खाद्य मंत्रालय द्वारा गेहूं का भाव को लेकर साल 2023 हेतु एक खुली बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) नीति जारी की है। आपको बतादें, कि इस योजना के तहत केंद्र सरकार थोक विक्रेताओं को एफसीआई द्वारा 15 से 20 लाख टन अनाज जारी किया जायेगा। केंद्र सरकार गेहूं का अच्छा खासा भंडारण रखती है। इसी वजह से अनाज की समस्या उत्पन्न नहीं होगी, साथ ही इस वर्ष गेहूं की बुवाई भी बहुत ज्यादा हो रही है। देश में गेहूं की फसल का क्षेत्रफल तीव्रता से बढ़ रहा है।

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आटे की कीमतों में वृद्धि का कारण क्या है

यदि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों को देखें तब हम पायेंगे कि बीते वर्ष इसी गेहूं का औसत खुदरा भाव 28.53 रुपये प्रति किलोग्राम था। दूसरी तरफ इसी समय में 27 दिसंबर 2022 को गेहूं का खुदरा भाव 32.25 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है। गेहूं के भाव में वृद्धि तो आटे के भाव को भी इसने काफी प्रभावित किया है। बतादें कि आटे का भाव एक वर्ष पूर्व 31.74 रुपये प्रति किलोग्राम था। लेकिन इस वर्ष इसमें बढ़ोत्तरी होकर 37.25 रुपये प्रति किलोग्राम कीमत हो गई है। बतादें, कि केंद्र सरकार की ओएमएसएस नीति अत्यंत आवश्यक तो है, ही साथ ही बेहद महत्वपूर्ण भी है। भारत में अनाज संकट की परिस्थिति दिखने एवं सरकारी उपक्रम, भारतीय खाद्य निगम (FCI) को स्वीकृति प्रदान करती है, कि थोक उपभोक्ताओं एवं निजी व्यापारियों को खुले बाजार में पूर्व-निर्धारित मूल्यों पर गेहूं एवं चावल आदि खाद्यान उत्पाद विक्रय कर दिए जाएंगे। इसकी सहायता से बाजार में उत्पन्न हो रहे, खाद्यान संकट को खत्म किया जाता है।

आखिर क्यों आयी गेंहू के उत्पादन में कमी

केंद्र सरकार के रिकॉर्ड के मुताबिक, पिछले वर्ष गेहूं की पैदावार में घटोत्तरी सामने आयी थी। इसकी मुख्य वजह यूक्रेन-रूस युद्ध एवं इसके अतिरिक्त लू का प्रभाव भी गेहूं के उत्पादन पर देखने को मिला है। लू की वजह से गेहूं की फसल को काफी हानि का सामना करना पड़ा है। अगर हम केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देखें तो 15 दिसंबर तक केंद्र के पास लगभग 180 लाख टन गेहूं एवं 111 लाख टन चावल का भंडारण था। बतादें कि आपूर्ति में कमी आने की वजह से फसल साल 2021-22 (जुलाई-जून) में गेहूं की पैदावार में घटोत्तरी होकर 10 करोड़ 68.4 लाख टन तक बचना है। एक वर्ष पूर्व यह वर्ष 10 करोड़ 95.9 लाख टन था। आगामी गेहूं खरीद अप्रैल 2023 से आरंभ होगी।