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बकरी पालन और नवजात मेमने की देखभाल में रखे यह सावधानियां (goat rearing and newborn lamb care) in Hindi

बकरी पालन और नवजात मेमने की देखभाल में रखे यह सावधानियां (goat rearing and newborn lamb care) in Hindi

पशुपालन की बात करें, तो हम बकरियों को कैसे भूल सकते हैं। इन बकरियों का इस्तेमाल किसान प्राचीन काल से ही करते आ रहे हैं। क्योंकि इन से प्राप्त गोबर से बनी जैविक खाद कृषि उत्पादन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। बकरियों का मुख्य स्त्रोत वैसे तो दूध देना होता है। परंतु या किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक होती हैं। किसान खेती तथा पशुपालन कर अपना आय निर्यात करते हैं। यह कार्य किसान प्राचीन काल से करते चले आ रहे हैं। बकरियों का कृषि उपज में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है कृषि के कई कार्यों में इनका इस्तेमाल किया जाता है। 

कभी-कभी  किसानों को अपने खेत द्वारा फायदा नहीं होता तो वह पशुपालन की ओर बढ़ते है। कुछ ही वक्त में किसान पशुपालन से ज्यादा लाभ  उठा लेता है। बकरी पालन व नवजात मेमने की देखभाल रखे कुछ सावधानियां । यदि आप भी पशुपालन द्वारा धन की प्राप्ति करना चाहते हैं। तो यह उच्च विचार है क्योंकि आप बकरी पालन में बहुत ज्यादा फायदा उठा सकते हैं। अब आप यह सोच रहे होंगे, कि बकरी पालन में इतना फायदा क्यों होता है, क्योंकि या मार्केट में उचित दाम पर बिकते हैं। जिससे आपको अच्छी धन की प्राप्ति होती है।बकरियों को बाजार में बेचने में कोई समस्या नहीं होती। किसान के लगाए हुए मूल्य पर यह बकरियां मार्केट में बिका करती हैं। 

बकरियों की भारतीय नस्लें (Goat Breeds in India)

किसान द्वारा पशुपालन की नस्लों को निम्नलिखित भागों में बांटा गया हैं। पूर्ण रूप से भारत में लगभग 21 मुख्य बकरियों की नस्लें पाई जाती है। 

बकरियों की दुधारू नस्लें (Milch Breeds of Goats) in Hindi

बकरियों की नस्ल में दुधारू नस्लें कुछ इस प्रकार की होती हैं जैसे: बरबरी ,बीटल ,सूरती, जखराना, जमुनापारी आदि। 

बकरी पालने करने के तरीके:  ( Methods of Raising Goats:) in Hindi

bakri palan karne ka tarika


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 बकरियों को पालने के लिए आपको बहुत बड़ी जगह की आवश्यकता नहीं होती।आप साधारण स्थान पर भी उनका पालन पोषण कर सकते हैं। उन्हें आप अपने घर के किसी भी हिस्से में आसानी से रख सकते हैं।वह भी काफी बड़ी मात्रा में , अगर आप भी बकरी पालने का काम शुरू करना चाहते हैं। तो आपको बड़ी जगह लेने की जरूरत नही पड़ेगी। बकरी पालन का मुख्य क्षेत्र बुंदेलखंड है। जहां इन बकरियों का पालन पोषण किया जाता है। या बकरियां खेतों में घूमते फिरते, चारा चर अपना पेट भर लेती हैं। बकरियों के लिए अलग से चारों की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है।

बकरियों की प्रजनन क्षमता: ( Fertility of Goats:)

बकरियों की प्रजनन क्षमता बहुत होती हैं ,यह सिर्फ करीबन डेढ़ साल की उम्र में ही बच्चा प्रजनन करने की क्षमता रखती है। 6 से 7 महीनों के अंदर उनका जन्म हो जाता है। एक बकरियां एक बार में तीन से चार या कभी-कभी उससे अधिक बच्चे भी पैदा करती हैं। इनकी वृद्धि का यह भी मुख्य कारण है। कि यह 1 साल में दो बार प्रजनन क्षमता की शक्ति रखती हैं।जिससे इनकी संख्या में काफी वृद्धि हो जाती है। किसान या बकरियों के मालिक इनको लगभग 1 वर्ष की उम्र में या फिर उससे कम समय से ही बेचना शुरू कर देते हैं।

बकरियों को पालते समय कुछ सावधानियां बरतें:( Some Precautions to Be Taken While Raising Goats) in Hindi

Bakri Palan

  • जब बकरियों के बच्चे छोटे होते हैं, तो उनको बहुत सावधानी के साथ रखना पड़ता है क्योंकि कुछ जंगली जानवर उनको नोच, दबाकर खा लेते हैं।
  • कम आबादी वाले क्षेत्र में जंगल बहुत ही पास होता है जिसकी वजह से जंगली जानवर बकरियों को खाने के लिए उनकी महक सूंघकर आते हैं।
  • बकरियों को हरे चारे बहुत पसंद होते हैं जिसकी वजह से वह खेत की ओर भागते हैं, इसीलिए खेत को सुरक्षित रखने के लिए बकरियों से सावधानी बरखनी चाहिए।
  • बकरियों के दूध में बहुत तरह के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं ,परंतु दूध में आने वाली महक लोगों को अच्छी नहीं लगती हैं, जिसकी वजह से बकरियों के दूध नहीं बिकते।
  • बारिश के मौसम में आपको इनकी देख रेख बहुत अच्छे ढंग से करनी होती है क्योंकि यह गीले स्थान पर बैठना पसंद नहीं करती हैं।
  • गीली जगह पर बैठने से बकरियों को कई तरह के रोग हो जाते हैं।
  • बकरियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए इनको प्रतिदिन जंगलों या खेतों में चराना बहुत ही आवश्यक होता है।
  • बकरी पालने के लिए आपको किसी तकनीकी या किसी भी अन्य ज्ञान की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है। यह व्यवसाय काफी तेजी से बढ़ रहा है शहरों से कई लोग बकरी खरीदने के लिए गांव की ओर रुख करते हैं।
  • किसी भी तरह की आपत्ति या जरूरत आने पर आप उचित दामों में बकरी या बकरे को बेचकर धन की प्राप्ति कर सकते हैं यह व्यवसाय आय के साधनों को बढ़ाता है।

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गाभिन बकरियां ( Pregnant Goats) in Hindi

किसान गाभिन बकरियों की निम्नलिखित तरीकों से जांच करते हैं वह कुछ इस प्रकार है:

जब बकरियां गाभिन होती हैं तो उनको और उचित पोषक तत्व की जरूरत पड़ती है।ताकि उनको अपने शिशु को जन्म देते हुए कोई तरह  परेशानी ना हो। गाभिन बकरियों को अतिरिक्त पोषण के साथ कीड़ा में लिप्त मेमनों से सुरक्षा  का उचित ख्याल रखना होता है। बकरियां अतिरिक्त 144 या 152 दिन के अंदर अपना गर्भ धारण कर लेती हैं। पौष्टिक तत्व बकरियों की प्रजनन क्षमता को बहुत बढ़ाता है। जिससे या अधिक संतान पैदा कर सके। पौष्टिक तत्व की बिना पर यह जुड़वा बच्चे देने में भी सक्षम होती हैं।

बकरियों के प्रसव से जुड़ी कुछ सावधानियां:(Some Precautions Related to The Delivery of Goats) in Hindi

जब बकरियां प्रसव के करीब रहे, तो उनकी अच्छे से देखभाल करना आवश्यक होता है। किसान को उनके प्रसव के टाइम पर पूर्ण निगरानी रखनी चाहिए। जब प्रसव एकदम करीब आ जाए तो उसकी तैयारी के लिए किसानों के पास दूध की छोटी बोतल का होना जरूरी है ताकि  वह नवजात शिशु को दूध पिला सके। बकरियों के बच्चों के लिए अच्छा टिंक्चर आयोडीन तथा प्रतिजैविक दवाइयों का देना आवश्यक है। यदि बकरियां किसी भी प्रकार से जन्म देने के लिए तैयार ना हो तो पशु चिकित्सालय से संपर्क करें।

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बकरियों के नवजात मेमने की देखभाल:(Newborn Lamb Care of Goats) in Hindi:

बकरी के नवजात मेमने की देखभालmemne ki dekhbhal

बकरियों के बच्चे जैसे पैदा हो उनका मुंह ,नाक  साफ कपड़े से अच्छी तरह पोछे।

  • उनकी नाभि से कुछ दूरी पर नाल कांटे और साफ धागे से टिंचर लगा दे।
  • नवजात शिशु अच्छे से चल सके। इसको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसलिए उनकी की खुर साफ करते हुए तोड़ कर अलग कर दें। जिससे बच्चा आसानी से खड़ा हो सके।
  • नवजात बकरियों के शिशु को मां के पास ही रखें।ताकि बकरियां उन्हें चाट कर उनके बदन में गर्मी पैदा कर सके।
  • पोटाश के पानियों से बकरियों के थन स्थल को अच्छे से साफ करें।
  • नवजात शिशु के लिए दूध बहुत ही उपयोगी होता है। जितना जल्दी हो सके वह बकरी का दूध पी ले। जिससे विभिन्न प्रकार की बीमारियों से नवजात शिशु की रक्षा हो सके।
  • 15 दिन के बाद बकरियों के शिशु को नरम हरा चारा देने की शुरुआत कर दें। इन में बढ़ोतरी करते रहे। जिससे बच्चा अच्छे से चलने लगे और फुर्तीला बना सके।
  • 3 महीने के बाद बकरियों के बच्चों को चरने के लिए खेतों में लेकर जाएं। किसी खुले स्थान पर छोड़ दें ताकि वह चर सके।
  • बकरियों के नवजात शिशु का वजन तीन महीनों पर करते रहे। जिससे उनके वजन का अंदाजा हो सके। ऐसा करने से वजन की बढ़ोतरी तथा घटने दोनों की जानकारी हो जाती हैं।
  • बकरियों के नवजात शिशु को कृमिनाशक दवाई पिलायें साथ ही साथ उनका टीकाकरण भी करें, तथा अपने पास के पशु चिकित्सा केंद्र भी जाते रहे।

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हमारी इस पोस्ट में बकरियों से जुड़ी विभिन्न प्रकार की जानकारी दी हुई है। जिससे आप बकरियों की पूर्ण रूप से देखभाल कर सकते हैं। यदि आप हमारी दी गई जानकारी से संतुष्ट हैं। तो आप इस आर्टिकल को Social Media और अपने दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर(Share) करें धन्यवाद।

भेड़, बकरी, सुअर और मुर्गी पालन के लिए मिलेगी 50% सब्सिडी, जानिए पूरी जानकारी

भेड़, बकरी, सुअर और मुर्गी पालन के लिए मिलेगी 50% सब्सिडी, जानिए पूरी जानकारी

अगर आप भी भेड़, बकरी, सुअर या मुर्गी पालन से जुड़े काम में इच्छुक हैं और इनसे जुड़ा व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, तो आप भी इस योजना का लाभ ले सकते हैं। इसके अंतर्गत आपको 50% की सब्सिडी दी जाती है। 

हमारे देश में काफी लोग अभी भी पालतू पशुओं को पालते हैं जो उनकी जीविका का प्रमुख स्रोत है। देश में एसे ही पशुपालकों को बढ़ावा देने के साथ साथ उन्हें उचित रोजगार देने की व्यवस्था इस योजना में की गई है। 

केंद्र सरकार ने इस मिशन को नेशनल लाइवस्टॉक मिशन (National Livestock Mission) नाम से शुरु किया है।

इस मिशन के तहत अपना फार्म शुरु करने वाले किसानों को पशुपालन विभाग की तरफ से 50% सब्सिडी का प्रावधान है। 

उत्तराखंड लाइवस्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड के अपर प्रबंधक डॉ विशाल शर्मा इस योजना के बारे में अपनी राय देते हुए कहते हैं, "ये छोटे पशुओं जैसे कि भेड़, बकरी और सुअर के लिए के लिए योजना है, इसमें कोई भी पशुपालक अपना कारोबार शुरू करना चाहता हो तो वो इसका लाभ ले सकता है।" 

इस योजना में अगर कोई पशुपालक भेड़ या बकरी पालने का इच्छुक है तो उसे 500 मादा बकरी के साथ ही 25 नर भी पालने होगें। 

अगर कोई भी व्यक्ति इस योजना का लाभ उठाना चाहता है तो वह भारत सरकार की वेबसाइट https://nlm.udyamimitra.in/ पर जाकर इसमें आवेदन कर सकता है।

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इस योजना में आगे डॉ. विशाल बताते हैं, "अगर आप इसके लिए फॉर्म भरते हैं और किसी बैंक की डिटेल सबमिट करते हैं तो उस बैंक अकाउंट में मिलने वाली कुल राशि की आधी राशि होनी चाहिए, 

जैसे कि अगर आपका प्रोजेक्ट 20 लाख का है तो आपके खाते में 10 लाख रुपए होने चाहिए, अगर आपके खाते में आधी राशि नहीं है तो इसके लिए आप बैंक से लोन भी ले सकते हैं।" 

लोन मिलने के बाद आपको आवेदन करते समय इसकी डिटेल भी सबमिट करनी होगी और अगर किसी कारणवश आपको लोन नहीं मिलता तो इसकी जानकारी आपको ऑनलाइन आवेदन करते समय देनी होगी। 

आपका फॉर्म ऑनलाइन सबमिशन के बाद उत्तराखंड के देहरादून मुख्यालय पर वरिष्ठ अधिकारी उसकी जांच करते हैं कि आपके द्वारा दिए गए सभी आंकड़े सही हैं। 

अगर आपके द्वारा दिए गए आंकड़े सही हैं तो उसे प्रिंसिपल सहमति दी जाएगी। इसके बाद आपके दस्तावेज बैंक के पास पुनः जांच के लिए जाएंगे, जिसे बैंक वेरीफाई करेगा की आपके द्वारा दी गई जानकारी सही है या नहीं। 

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इसके बाद आगे डॉ. शर्मा आगे कहते हैं, "वहां बैंक सब चेक करने के बाद आपका आवेदन एक बार फिर हमारे पास आ जाएगा, जो समिति के पास आएगा, 

वहां से सबमिट होने के बाद पशुपालन व डेयरी मंत्रालय, फिर भारत सरकार के पास जाएगा, इसके बाद आपके आवेदन में जिस बैंक की डिटेल भरी है वो बैंक सीधे लाभार्थी के खाते में 50% राशि भेज देगा।

बकरी पालन व्यवसाय में है पैसा ही पैसा

बकरी पालन व्यवसाय में है पैसा ही पैसा

बकरी पालन के आधुनिक तरीके को अपना कर आप मोटा मुनाफा कमा सकते हैं। जरूरत सिर्फ इतनी है, कि आप चीजों को बारीकी से समझें और एक रणनीति बना कर ही काम करें। 

पेशेंस हर बिजनेस की जरूरत है, अतः उसे न खोएं, बकरी पालन एक बिजनेस है और आप इससे बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं।

गरीबों की गाय

पहले बकरी को गरीब किसानों की गाय कहा जाता था। जानते हैं क्यों क्योंकि बकरी कम चारा खाकर भी बढ़िया दूध देती थी, जिसे किसान और उसका परिवार पीता था। 

गाय जैसे बड़े जानवर को पालने की कूवत हर किसान में नहीं होती थी। खास कर वैसे किसान, जो किसी और की खेती करते थे। 

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आधुनिक बकरी पालन

अब दौर बदल गया है, अब बकरियों की फार्मिंग होने लगी है। नस्ल के आधार पर क्लोनिंग विधि से बकरियां पैदा की जाती हैं। देसी और फार्मिंग की बकरी, दोनों में फर्क होता है। यहां हम देसी की नहीं, फार्मिंग गोट्स की बात कर रहे हैं। 

जरूरी क्या है

बकरी पालन के लिए कुछ चीजें जरूरी हैं, पहला है, नस्ल का चुनाव, दूसरा है शेड का निर्माण, तीसरा है चारे की व्यवस्था, चौथा है बाजार की व्यवस्था और पांचवां या सबसे जरूरी चीज है, फंड का ऐरेन्जमेंट। ये पांच फंडे क्लीयर हैं, तो बकरी पालन में कोई दिक्कत नहीं जाएगी। 

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नस्ल या ब्रीड का चयन

अगर आप बकरी पालने का मूड बना ही चुके हैं, तो कुछ ब्रीडों के बारे में जान लें, जो आने वाले दिनों में आपके लिए फायदे का सौदा होगा। 

आप अगर पश्चिम बंगाल और असम में बकरी पालन करना चाहते हैं, तो आपके लिए ब्लैक बेंगार ब्रीड ठीक रहेगा। लेकिन, अगर आप यूपी, बिहार और राजस्थान में बकरी पालन करना चाहते हैं, तो बरबरी बेस्ट ब्रीड है। 

ऐसे ही देश के अलग-अलग हिस्सों में आप बीटल, सिरोही जैसे ब्रीड को ले सकते हैं। इन बकरियों का ब्रीड बेहतरीन है। ये दूध भी बढ़िया देती हैं, इनका दूध गाढ़ा होता है और बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए आदर्श माना जाता है। 

ट्रेनिंग कहां लें

आप बकरी पालन करना तो चाहते हैं, लेकिन आपको उसकी एबीसी भी पता नहीं है। तो चिंता न करें, एक फोन घुमाएं नंबर है 0565-2763320 यह नंबर केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा, यूपी का है। यह संस्थान आपको हर चीज की जानकारी दे देगा। अगर आप जाकर ट्रेनिंग लेना चाहते हैं, तो उसकी भी व्यवस्था है। 

शेड का निर्माण

इसका शेड आप अपनी जरूरत के हिसाब से बना सकते हैं, जैसे, शुरुआत में आपको अगर 20 बकरियां पालनी हैं, तो आप 20 गुणे 20 फुट का इलाका भी चूज कर सकते हैं। 

उस पर एसबेस्डस शीट लगा कर छवा दें, बकरियां सीधी होती हैं। उनको आप जहां भी रखेंगे, वो वहीं रह जाएंगी, उन्हें किसी ए सी की जरूरत नहीं होती। 

भोजन

बकरियों को हरा चारा चाहिए, आप उन्हें जंगल में चरने के लिए छोड़ सकते हैं, आपको अलग से चारे की व्यवस्था नहीं करनी होगी। लेकिन, आप अगर जंगल से दूर हैं, तो आपको उनके लिए हरे चारे की व्यवस्था करनी होगी। 

हरे चारे के इतर बकरियां शाकाहारी इंसानों वाले हर भोजन को बड़े प्यार से खा लेती हैं, उसके लिए आपको टेंशन नहीं लेने का। 

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कितने दिनों में तैयार होती हैं बकरियां

एक बकरी का नन्हा बच्चा/बच्ची 10 माह में तैयार हो जाता है, आपको जो मेहनत करनी है, वह 10 माह में ही करनी है। इन 10 माह में वह इस लायक हो जाएगा कि परिवार बढ़ा ले, दूध देना शुरू कर दे। 

बाजार

आपकी बकरी का नस्ल ही आपके पास ग्राहक लेकर आएगा, आपको किसी मार्केटिंग की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। इसलिए नस्ल का चयन ठीक से करें। 

फंड की व्यवस्था

आपके पास किसान क्रेडिट कार्ड है, तो उससे लोन ले सकते हैं। बकरी पालन को उसमें ऐड किया जा चुका है। केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) नहीं है तो आप किसी भी बैंक से लोन ले सकते हैं। 

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कोई बीमारी नहीं

अमूमन बकरियों में कोई बीमारी नहीं होती, ये खुद को साफ रखती हैं। हां, अब कोरोना टाइप की ही कोई बीमारी आ जाए तो क्या कहा जा सकता है, इसके लिए आपको राय दी जाती है, कि आप हर बकरी का बीमा करवा लें। खराब हालात में बीमा आपकी बेहद मदद करेगा।

बरसात के मौसम में बकरियों की इस तरह करें देखभाल | Goat Farming

बरसात के मौसम में बकरियों की इस तरह करें देखभाल | Goat Farming

बरसात में बकरियों का विशेष रूप से ख्याल रखना पड़ता है। इस मौसम में उनको बीमार होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए आज हम आपको इस लेख में बताएंगे कि आप बारिश के दिनों में कैसे अपनी बकरी की देखभाल करें। गांव में गाय-भैंस की भांति बकरी पालने का भी चलन आम है। आज के वक्त में बहुत सारे लोग बकरी पालन से प्रति वर्ष मोटी आमदनी करने में सफल हैं। हालांकि, बरसात के दौरान बकरियों को बहुत सारे गंभीर रोग पकड़ने का खतरा रहता है। इस वजह से इस मौसम में पशुपालकों द्वारा उनका विशेष ख्याल रखा जाता है। आज हम आपको यह बताएंगे कि बरसात में बकरियों की देखभाल किस तरह की जा सकती है। 

बकरियों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें

पशुपालन विभाग द्वारा जारी सुझावों के मुताबिक, बरसात में बकरियों को जल से भरे गड्ढों अथवा खोदे हुए इलाकों से दूर रखें ताकि वे फंस न जाएं। बारिश से बचाने के लिए उन्हें घर से बाहर भी शेड के नीचे रखें। क्योंकि पानी में भीगने से उनकी सेहत पर काफी दुष्प्रभाव पड़ सकता है। 

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बकरियों के लिए चारा-जल इत्यादि की उचित व्यवस्था करें

बरसात के समय, बकरियों के लिए स्वच्छ पानी मुहैय्या कराएं। अगर वे बाहर रहते हैं, तो उनके लिए छत के नीचे पानी की व्यवस्था करें। जिससे कि वे ठंड और बरसात से बच सकें। आपको उन्हें स्वच्छ एवं सुरक्षित भोजन भी प्रदान करना होगा। बरसात में आप चारा, घास अथवा अन्य विशेष आहार उनको प्रदान कर सकते हैं। 

बकरियों के आसपास स्वच्छता का विशेष बनाए रखें

बरसात में इस बात का ध्यान रखें, कि बकरियों के आसपास की स्वच्छता कायम रहे। उनके लिए स्थायी अथवा अस्थायी शेल्टर का भी उपयोग करें, जिससे कि वे ठंड और नमी से बच सकें। 

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बकरियों का टीकाकरण कराऐं

बकरियों के स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए उनको नियमित तौर पर वैक्सीनेशन उपलब्ध कराएं। इसके लिए पशु चिकित्सक से सलाह भी लें एवं उन्हें बकरियों के लिए अनुशासनिक टीकाकरण अनुसूची बनाने की बात कही है।

सरकार द्वारा जारी पांच एप जो बकरी पालन में बेहद मददगार साबित होंगे

सरकार द्वारा जारी पांच एप जो बकरी पालन में बेहद मददगार साबित होंगे

बकरी पालन एक लाभकारी व्यवसाय है। अगर आप भी वैज्ञानिकों की सलाह के अनुरूप अच्छी नस्ल की बकरी का पालन करना चाहते हैं, तो ये 5 मोबाइल एप आपकी सहायता करेंगे। ये ऐप 4 भाषाओं में मौजूद हैं। किसान भाई खेती के साथ-साथ पशुपालन भी हमेशा से करते आ रहे हैं। परंतु, कुछ ऐसे किसान भी हैं, जो अपनी आर्थिक तंगी की वजह से गाय-भैंस जैसे बड़े-बड़े पशुओं का पालन नहीं कर पाते हैं। इसलिए वह मुर्गी पालन और बकरी पालन आदि करते हैं। भारतीय बाजार में इनकी मांग भी वर्षभर बनी रहती है। यदि देखा जाए तो किसानों के द्वारा बकरी पालन सबसे ज्यादा किया जाता है। यदि आप भी छोटे पशु मतलब कि बकरी पालन (Goat Farming) से बेहतरीन मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो आपको नवीन तकनीकों की सहायता से इनका पालन करना चाहिए। साथ ही, केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (Central Goat Research Institute) के द्वारा निर्मित बकरी पालन से जुड़े कुछ बेहतरीन मोबाइल ऐप का उपयोग कर आप अच्छे से बकरी पालन कर सकते हैं। इन ऐप्स में वैज्ञानिक बकरी पालन, बकरियों का सही प्रबंधन, उत्पादन एवं कीमत आदि की जानकारी विस्तार से साझा की गई है।

बकरी पालन से संबंधित पांच महत्वपूर्ण एप

बकरी गर्भाधान सेतु

बकरी की नस्ल में सुधार करने के लिए बकरी गर्भाधान सेतु एप को निर्मित किया गया है। इस एप में वैज्ञानिक प्रोसेस से बकरी पालन की जानकारी प्रदान की गई है।

गोट ब्रीड ऐप

यह एप बकरियों की बहुत सारी नस्लों की जानकारी के विषय में विस्तार से बताता है, ताकि आप बेहतरीन नस्ल की बकरी का पालन कर उससे अपना एक अच्छा-खासा व्यवसाय खड़ा कर पाएं।

गोट फार्मिंग ऐप

यह एप लगभग 4 भाषाओं (हिंदी, तमिल, कन्नड़ और अंग्रेजी) में है। इसमें बकरी पालन से जुड़ी नवीन तकनीकों के विषय में बताया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें देसी नस्ल की बकरी, प्रजनन प्रबंधन, बकरी की उम्र के हिसाब से डाइट, बकरी का चारा, रखरखाव एवं देखभाल के साथ-साथ मांस और दूध उत्पादन आदि की जानकारी के विषय में जानकारी प्रदान की गई है।

बकरी उत्पाद ऐप

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इस एप के अंदर बाजार में कौन-कौन की बकरियों की मूल्य वर्धित उत्पादों की बाजार में मांग। साथ ही, कैसे बाजार में इससे अच्छा मुनाफा उठा सकते हैं। यह एप भी हिंदी, तमिल, कन्नड़ और अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध है।

बकरी मित्र

इस एप में बकरियों के प्रजनन प्रबंधन, मार्केटिंग, आश्रय, पोषण प्रबंधन, स्वास्थ्य प्रबंधन एवं खान-पान से संबंधित जानकारी प्रदान की जाती है। साथ ही, इसमें बकरी पालन के प्रशिक्षण कार्यक्रम भी होते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें किसानों की सहायता के लिए कॉल की सुविधा भी दी गई है। जिससे कि किसान वैज्ञानिकों से बात कर बेहतर ढ़ंग से बकरी पालन कर सकें। बकरी मित्र एप को विशेषतौर पर यूपी एवं बिहार के किसानों के लिए तैयार किया गया है।
भेड़-बकरियों में होने वाले पीपीआर रोग की रोकथाम व उपचार इस प्रकार करें

भेड़-बकरियों में होने वाले पीपीआर रोग की रोकथाम व उपचार इस प्रकार करें

भेड़-बकरियों को विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ होती हैं, जिसमें से एक पीपीआर रोग भी शम्मिलित है। यह गंभीर बीमारी भेड़-बकरियों को पूर्णतय कमजोर कर देती है। परंतु, अगर आप शुरू से ही पीपीआर रोग का टीकाकरण एवं दवा का प्रयोग करें, तो भेड़-बकरियों को संरक्षित किया जा सकता है। साथ ही, इसकी रोकथाम भी की जा सकती है। बहुत सारे किसानों और पशुपालकों की आधे से ज्यादा भेड़-बकरियां अक्सर बीमार ही रहती हैं। अधिकांश तौर पर यह पाया गया है, कि इनमें पीपीआर (PPR) बीमारी ज्यादातर होती है। PPR को 'बकरियों में महामारी' अथवा 'बकरी प्लेग' के रूप में भी जाना जाता है। इसी वजह से इसमें मृत्यु दर सामान्य तौर पर 50 से 80 प्रतिशत होती है, जो कि बेहद ही गंभीर मामलों में 100 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताऐंगे भेड़-बकरियों में होने वाली बीमारियों और उनकी रोकथाम के बारे में।

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आपको ज्ञात हो कि पीपीआर एक वायरल बीमारी है, जो पैरामाइक्सोवायरस (Paramyxovirus) की वजह से उत्पन्न होती है। विभिन्न अन्य घरेलू जानवर एवं जंगली जानवर भी इस बीमारी से संक्रमित होते रहते हैं। परंतु, भेड़ और बकरी इस बीमारी से सर्वाधिक संक्रमित होने वाले पशुओं में से एक हैं।

भेड़-बकरियों में इस रोग के होने पर क्या संकेत होते हैं

इस रोग के चलते भेड़-बकरियों में बुखार, दस्त, मुंह के छाले तथा निमोनिया हो जाता है, जिससे इनकी मृत्यु तक हो जाती है। एक अध्ययन के अनुसार भारत में बकरी पालन क्षेत्र में पीपीआर रोग से साढ़े दस हजार करोड़ रुपये की हानि होती है। PPR रोग विशेष रूप से कुपोषण और परजीवियों से पीड़ित मेमनों, भेड़ों एवं बकरियों में बेहद गंभीर और घातक सिद्ध होता है। इससे इनके मुंह से ज्यादातर दुर्गंध आना एवं होठों में सूजन आनी चालू हो जाती है। आंखें और नाक चिपचिपे अथवा पुटीय स्राव से ढक जाते हैं। आंखें खोलने और सांस लेने में भी काफी कठिनाई होती है।

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 कुछ जानवरों को गंभीर दस्त तो कभी-कभी खूनी दस्त भी होते हैं। पीपीआर रोग गर्भवती भेड़ और बकरियों में गर्भपात का कारण भी बन सकता है। अधिकांश मामलों में, बीमार भेड़ व बकरी संक्रमण के एक सप्ताह के भीतर खत्म हो जाते हैं। 

पीपीआर रोग का उपचार एवं नियंत्रण इस प्रकार करें

पीपीआर की रोकथाम के लिए भेड़ व बकरियों का टीकाकरण ही एकमात्र प्रभावी तरीका है। वायरल रोग होने की वजह से पीपीआर का कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। हालांकि, बैक्टीरिया एवं परजीवियों पर काबू करने वाली औषधियों का इस्तेमाल करके मृत्यु दर को काफी कम किया जा सकता है। टीकाकरण से पूर्व भेड़ तथा बकरियों को कृमिनाशक दवा देनी चाहिए। सबसे पहले स्वस्थ बकरियों को संक्रमित भेड़ तथा बकरियों से अलग बाड़े में रखा जाना चाहिए, जिससे कि रोग को फैलने से बचाया जा सके। इसके पश्चात बीमार बकरियों का उपचार शुरू करना चाहिए।

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फेफड़ों के द्वितीयक जीवाणु संक्रमण को नियंत्रित करने हेतु पशु चिकित्सक द्वारा निर्धारित एंटीबायोटिक्स औषधियों (Antibiotics) का इस्तेमाल किया जाता है। आंख, नाक और मुंह के समीप के घावों को दिन में दो बार रुई से अच्छी तरह साफ करना चाहिए। इसके अतिरिक्त मुंह के छालों को 5% प्रतिशत बोरोग्लिसरीन से धोने से भेड़ और बकरियों को काफी लाभ मिलता है। बीमार भेड़ एवं बकरियों को पौष्टिक, स्वच्छ, मुलायम, नम एवं स्वादिष्ट चारा ही डालना चाहिए। PPR के माध्यम से महामारी फैलने की स्थिति में तत्काल समीपवर्ती शासकीय पशु चिकित्सालय को सूचना प्रदान करें। मरी हुई भेड़ और बकरियों को जलाकर पूर्णतय समाप्त कर देना चाहिए। इसके साथ-साथ बकरियों के बाड़ों और बर्तन को साफ व शुद्ध रखना अत्यंत आवश्यक है।

दिल्ली सरकार ने की लम्पी वायरस से निपटने की तैयारी, वैक्सीन खरीदने का आर्डर देगी सरकार

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देश में लम्पी वायरस ( Lumpy Virus ) कहर मचा रहा है। इस बीमारी के कारण देश में अब तक लाखों मवेशी मारे जा चुके हैं। लम्पी वायरस का सबसे ज्यादा कहर राजस्थान में देखने को मिला है, जहां पर इस वायरस की वजह से रातों रात लाखों गायों ने दम तोड़ दिया। इसके साथ ही राजस्थान की सीमा से लगने वाले राज्यों में भी इस वायरस का प्रकोप देखा जा रहा है। इस वायरस ने दिल्ली को भी अपनी चपेट में ले लिया है, जिससे दिल्ली के किसान बेहद चिंतित हैं। इसके समाधान के लिए अब दिल्ली सरकार ने पहल शुरू कर दी है। इसके तहत दिल्ली सरकार 60 हजार गोट पॉक्स वैक्सीन ( Goat Pox Vaccine ) खरीदने जा रही है। इसकी जानकारी दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने दी थी। उन्होंने बताया कि लम्पी वायरस दिल्ली में तेजी से फ़ैल रहा है। अभी तक दिली में इस वायरस के 173 मामले दर्ज किये जा चुके हैं जो बेहद चिंता का विषय है। दिल्ली में लम्पी वायरस के सभी मामले दक्षिण-पश्चिम दिल्ली से सामने आये हैं जहां इस वायरस का प्रकोप दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। सरकारी पशु चिकित्स्कों के साथ दिल्ली सरकार की टीम ने गोयला डेयरी, घुम्मनहेड़ा, नजफगढ और रेवला खानपुर इलाके से लम्पी वायरस के ये मामले दर्ज किये हैं। इन इलाकों में बहुत सारी गौशालाएं मौजूद हैं जहां पर हजारों की तादाद में गायें रहती हैं।


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दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने बताया कि दिल्ली में लगभग 80 हजार गायें हैं। इस हिसाब से सरकार ने कैलकुलेशन करके 60 हजार गोट पॉक्स वैक्सीन खरीदने की योजना बनाई है। ताकि जल्द से जल्द राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की गायों को लम्पी वायरस से सुरक्षित किया जा सके। गोपाल राय ने बताया कि वैक्सीन खरीददारी अपने अंतिम दौर में है और दवा कम्पनी की तरफ से जल्द से जल्द दिल्ली सरकार को वैक्सीन उपलब्ध करवा दी जाएंगी। गोपाल राय ने बताया कि सरकार इस वायरस से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इसके तहत दिल्ली सरकार ने वायरस की रोकथाम में के लिए सैम्पल लेने प्रारम्भ कर दिए हैं और सैम्पलों की जांच जल्दी से जल्दी की जा रही है ताकि समय रहते गायों में वायरस का पता लगाया जा सके। इसके लिए सरकार ने वायरस के नमूने इकट्ठे करने के लिए दो मोबाइल पशु चिकित्सालय भी तैनात किए हैं जो जगह-जगह पर जाकर पशुओं से सैंपल एकत्रित करके जांच के लिए भेज रहे हैं। इसके साथ ही सरकार ने वायरस से निपटने के लिए ग्यारह रैपिड रिस्पांस टीमों का गठन किया है। साथ ही कई अन्य लोगों को नियुक्त किया है जो समूह में जाकर गौ पालकों को लम्पी वायरस से होने वाले नुकसान के बारे में जागरुक करेंगे। गोपाल राय ने बताया कि सरकार ने इस बीमारी से सम्बंधित गौ पालकों और किसानों की समस्याओं को सुनने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। किसान 8287848586 में फ़ोन करके वायरस से सम्बंधित अपनी शंकाओं का समाधान कर सकते हैं। इसके लिए सरकार ने एक अलग से कार्यालय बनाया है जहां पर इसका कॉल सेंटर स्थापित किया गया है।


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पशुओं में फैलने वाला यह लम्पी रोग देश के कई राज्यों में तेजी से पैर पसार रहा है। अभी तक देश के 12 से अधिक राज्यों में 15 लाख से ज्यादा पशु इस रोग से संक्रमित हो चुके हैं। साथ ही हजारों पशुओं की इस वायरस की वजह से मौत हो चुकी है। इसका कहर मुख्यतः राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश और दिल्ली में देखने को मिल रहा है। हालांकि कई प्रदेशों की सरकारों ने वैक्सीनेशन की रफ़्तार तेज करके इस रोग पर काबू पाने का भरसक प्रयास किया है। फिलहाल सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन राजस्थान में किया जा रहा है क्योंकि इस वायरस की वजह से राजस्थान सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है।

क्या है लम्पी वायरस और यह कैसे फैलता है ?

विशेषज्ञों ने बताया है कि लम्पी वायरस एक त्वचा रोग है। यह पशुओं के बीच तेजी से फैलता है। इस वायरस के माध्यम से स्वस्थ्य पशु, संक्रमित पशु के संपर्क में आने के बाद तुरंत ही संक्रमित हो जाता है। इसके अलावा यह वायरस मच्छरों, मक्खियों, जूं और ततैया के माध्यम से भी फैलता है, क्योंकि इनकी वजह से स्वस्थ्य पशुओं का बीमार पशुओं के साथ संपर्क स्थापित हो जाता है। इसके अलावा यह वायरस पशुओं के एक ही पात्र में पानी पीने से भी तेजी से फैलता है। इस वायरस से संक्रमित होने के बाद मवेशियों में तेज बुखार, आंखों से पानी आना, नाक से पानी निकलना, त्वचा की गांठें और दुग्ध उत्पादन में कमी हो जाना जैसे लक्षण आसानी से देखे जा सकते हैं जो बेहद चिंता का विषय है, क्योंकि इस वायरस से संक्रमित होने के बाद पशु बहुत जल्दी दम तोड़ देते हैं।


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लम्पी वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण देश में हजारों मवेशी प्रतिदिन मारे जा रहे हैं, जिससे देश में जानवरों की कमी हो सकती है। इसका सीधा असर देश में दुग्ध उत्पादन पर पड़ेगा। अगर ऐसा ही चलता रहा तो कुछ दिनों बाद भारत में दूध की कमी महसूस की जाने लगेगी, जो सरकार के लिए एक नया सिरदर्द साबित हो सकती है। क्योंकि दुग्ध उत्पादन में कमी के बाद दूध के दामों में तेजी से बढ़ोत्तरी संभव है और यह बाजार में ग्राहकों को प्रभावित करेगी।
राजस्थान: लंपी स्किन रोग को लेकर सरकार एक्शन मोड पर

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अगले 2 माह में 40 लाख पशुओं का वैक्सीनेशन करवाएगी सरकार

देश भर में इन दिनों लंपी स्किन रोग या ‘लम्पी स्किन डिजीज‘ या एलएसडी (LSD –
Lumpy Skin Disease) मवेशियों के ऊपर कहर बनकर टूट पड़ा है। इस रोग की वजह से अभी तक देश में हजारों गायों की मौत हो चुकी है और लाखों गायें संक्रमित हो चुकी हैं, जिससे दुग्ध उत्पादन में कमी आई है और किसानों को भारी घाटा झेलना पड़ा है। राज्य में ज्यादातर पशु बीमार हैं, इसलिए राज्य सरकार के ऊपर इसे ठीक करने का प्रेशर भी बढ़ता जा रहा है। इसको देखते हुए अब राजस्थान की सरकार लंपी स्किन रोग से निपटने के लिए एक्शन मोड में आ गई है। राज्य सरकार ने त्वरित फैसला लेते हुए बताया है, राजस्थान के भीतर सरकार अगले 60 दिनों में 40 लाख मवेशियों का वैक्सीनेशन करवाने जा रही है। वैक्सीनेशन के प्रबंधन को लेकर सरकार ने आदेश जारी कर दिए हैं। मवेशियों में फैल रही लंपी स्किन बीमारी की रोकथाम के लिए जो भी कार्य हो रहे हैं, उसको लेकर राजस्थान सरकार की मुख्य सचिव ऊषा शर्मा ने सभी जिला कलेक्टरों एवं पशुपालन विभाग के अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से चर्चा की तथा कार्यों में प्रगति की जानकारी ली। लम्पी स्किन डिजीज के देशी उपचार के लिए यह पोस्ट पढ़ें : लम्पी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease) ऊषा शर्मा ने बताया कि मवेशियों में फैल रही लंपी स्किन डिजीज को लेकर राज्य सरकार बेहद चिंतित है तथा इसके रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठा रही है। अब पशुओं को जितनी भी वैक्सीन लगाईं जाएंगी, उनकी प्रतिदिन समीक्षा की जाएगी। टीकाकरण के लिए सरकार ने जो लक्ष्य रखा है उसके अनुसार ही प्रतिदिन काम किया जाएगा। अब पशु विभाग के अधिकारियों को गौशालाओं में प्रतिदिन अवलोकन के आदेश दिए गए हैं। पशुपालन विभाग के सरकारी सचिव पीसी किशन ने कहा, "वैक्सीनेशन के काम में किसी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 40 लाख वैक्सीन लगाने के टारगेट को देख़ते हुए प्रतिदिन एक लाख वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा गया है। अभी तक गोट पॉक्स वैक्सीन Goat Pox Vaccine ) की सबसे ज्यादा 7 लाख डोज एकमेर जिले को आवंटित की गईं हैं।"

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पीसी किशन ने बताया कि अभी तक इस वायरस के रोकथाम के लिए राज्य में 16 लाख 22 हजार मवेशियों को पूर्ण रूप से वैक्सीनेट किया जा चुका है। राज्य में अभी तक लम्पी स्किन रोग की वजह से 14.16 लाख पशु संक्रमित हुए हैं, जिनमें से 13.63 लाख का अभी तक उपचार किया जा चुका है। उपचार किये जाने के बाद अभी तक 8.67 लाख पशु पुर्ण रूप से स्वस्थ्य हो चुके हैं। सरकार लगातार प्रयास कर रही है ताकि जल्दी से जल्दी इस बामारी को पूर्ण रूप से ख़तम किया जा सके। इस बीमारी की वजह से किसानों को बहुत ज्यादा घाटा हुआ है, इसलिए राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार से इस इस बीमारी को महामारी घोषित करने की मांग की है, ताकि पशुपालकों और गौशालाओं को इस बीमारी से मरने वाली गायों का मुआवजा दिलवाया जा सके। इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख चुके हैं, जिसमें उन्होंने इस बीमारी की भयावहता पर प्रधाममंत्री मोदी का ध्यान आकृष्ट करवाया है।
दुधारू पशु खरीदने पर सरकार देगी 1.60 लाख रुपये तक का लोन, यहां करें आवेदन

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भारत सरकार किसानों की आय बढ़ाने को लेकर नए प्रयास करती रहती है। जिसके अंतर्गत किसानों को खेती बाड़ी के अलावा पशुपालन के लिए भी प्रोत्साहित करती है। इसी कड़ी में अब हरियाणा की सरकार किसानों को दुधारू गाय और भैंस पालने पर लोन तथा सब्सिडी की सुविधा प्रदान कर रही है। जिसको देखते हुए सरकार ने पशु क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत की है। इस योजना के माध्यम से पशुपालन के इच्छुक किसानों को बिना कुछ गिरवी रखे 1.60 लाख रुपये तक का लोन दिया जा रहा है। पशु क्रेडिट कार्ड के माध्यम से गाय या भैंस खरीदने पर किसानों को 7 फीसदी ब्याज देना होता है। यदि किसान समय से अपना ब्याज चुकाते हैं तो इन 7 फीसदी में 3 फीसदी ब्याज सरकार वहन करती है। किसानों को वास्तव में मात्र 4 फीसदी ब्याज का ही भुगतान करना होता है। जिसे किसान अगले 5 साल तक चुका सकते हैं। जिन किसानों के पास खुद की जमीन है और उसमें वो पशु आवास या चारागाह बनाना चाहते हैं, वो भी इस योजना के अंतर्गत लोन प्राप्त कर सकते हैं। ये भी पढ़े: ये राज्य सरकार दे रही है पशुओं की खरीद पर भारी सब्सिडी, महिलाओं को 90% तक मिल सकता है अनुदान हरियाणा की सरकार ने भिन्न-भिन्न पशुओं पर भिन्न-भिन्न लोन की व्यवस्था की है। कृषि वेबसाइट के अनुसार, पशु किसान क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके गाय खरीदने पर 40,783 रुपये, भैंस खरीदने पर 60,249 रुपये, सूअर खरीदने पर 16,237 रुपये और भेड़ या बकरी खरीदने पर 4,063 रुपये का लोन मुहैया करवाया जाएगा। इसके साथ ही मुर्गी खरीदने पर प्रति यूनिट 720 रुपये का लोन प्रदान किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत लोन लेने के लिए किसानों को किसी भी प्रकार की कोई चीज गिरवी नहीं रखनी होगी। साथ ही किसान भाई पशु क्रेडिट कार्ड का उपयोग बैंक के भीतर डेबिट कार्ड के रूप में भी कर सकते हैं। इस योजना के अंतर्गत अभी तक हरियाणा के 53 हजार से ज्यादा किसान लाभ प्राप्त कर चुके हैं। इन किसानों को सरकार के द्वारा 700 करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन मुहैया करवाया जा चुका है। योजना के अंतर्गत दुधारू पशु खरीदने के लिए अभी तक 5 लाख किसान आवेदन कर चुके हैं, जिनमें से 1 लाख 10 हजार किसानों के आवेदनों को मंजूरी मिल चुकी है। जिन किसानों को हाल ही में मंजूरी दी गई है उन्हे भी जल्द से जल्द पशु क्रेडिट कार्ड उपलब्ध करवा दिया जाएगा।

पशु क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत ये बैंक देते हैं लोन

किसानों को 'पशु क्रेडिट कार्ड योजना' का लाभ देने के लिए सरकार ने कुछ बैंकों का चयन किया है। जिनके माध्यम से किसान जल्द से जल्द अपना 'पशु क्रेडिट कार्ड' बनवा सकते हैं। इनमें सरकार ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ़ बड़ौदा और आईसीआईसीआई बैंक को शामिल किया है।

पशु क्रेडिट कार्ड योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज

आवेदक हरियाणा राज्य का स्थायी निवासी  होना चाहिए, इसके साथ ही लोन लेने के लिहाज से सिविल ठीक होना चाहिए। आवेदक के पास आधार कार्ड ,पेन कार्ड ,वोटर आईडी कार्ड, बैंक खाता डिटेल, मोबाइल नंबर और पासपोर्ट साइज फोटो होना चाहिए। ये भी पढ़े: यह राज्य सरकार किसानों को मुफ़्त में दे रही है गाय और भैंस

ऐसे करें 'पशु क्रेडिट कार्ड' बनवाने के लिए आवेदन

जो भी व्यक्ति 'पशु क्रेडिट कार्ड' बनवाना चाहता है उसे ऊपर बताए गए किसी भी बैंक की नजदीकी शाखा में जाना चाहिए। इसके बाद वहां पर आवेदन पत्र लेकर आवेदन को सावधानी पूर्वक भरें। साथ ही आवेदन के साथ दस्तावेजों की फोटो कॉपी चस्पा करें। ये सभी दस्तावेज बैंक अधिकारी के पास जमा कर दें। आवेदन सत्यापन के एक महीने बाद किसान को पशु केडिट कार्ड दे दिया जायेगा।
जानें बकरियों की टॉप पांच दुधारू प्रजातियों के बारे में

जानें बकरियों की टॉप पांच दुधारू प्रजातियों के बारे में

बकरियों की ये टॉप पांच दुधारू प्रजातियां जमुनापारी बकरी, बीटल, सिरोही, उस्मानाबादी एवं बरबरी बकरी नस्ल रोजाना कम खर्चा में चार लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती हैं। ऐसी स्थिति में यदि पशुपालक इन टॉप पांच बकरियों की दुधारू प्रजाति का पालन करते हैं, तो आप कम वक्त में ही मोटी आय अर्जित कर सकते हैं। किसानों के लिए बकरी पालन का कारोबार काफी ज्यादा मुनाफे का सौदा साबित होता है। हमारे भारत के अधिकांश किसान खेती के साथ-साथ बकरी पालन भी करते हैं। क्योंकि इसमें गाय-भैंस के मुकाबले में किसानों को काफी ज्यादा मुनाफा हांसिल होता है। साथ ही, बकरी पालन में किसानों का ज्यादा खर्चा भी नहीं होता है। यदि आप भी बकरी पालन से शानदार मुनाफा हांसिल करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको बकरियों की दुधारू प्रजातियों का चयन करना चाहिए। इसी कड़ी में आज हम आपको बकरियों की टॉप पांच दुधारू नस्लें जमुनापारी बकरी, बीटल,सिरोही, उस्मानाबादी और बरबरी बकरी नस्ल की जानकारी देने वाले हैं।

बकरियों टॉप पांच दुधारू नस्लें

बरबरी बकरी

यह नस्ल अलीगढ़, आगरा तथा एटा जिलों में पाई जाती है। बतादें कि इस बकरी का आकार छोटा होता है और रंग की भिन्नता होती है। इसके कान का आकार नली की भांति मुड़ा हुआ होता है। इस नस्ल की बहुत सारी बकरियां सफेद होती हैं। इसके साथ ही उनके शरीर पर भूरे धब्बे होते हैं। बरबरी बकरी नस्ल की बकरी रोजाना डेढ़ लीटर तक दूध देती है।

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बीटल बकरी

बीटल नस्ल की बकरी पंजाब के पशुपालक के द्वारा सर्वाधिक पाली जाती है। इस नस्ल की बकरी का आकार बड़ा होता है और रंग काला होता है। शरीर पर सफेद या फिर भूरे धब्बे पाए जाते है, बाल भी छोटे तथा चमकीले होते हैं। इसके कान लम्बे और नीचे को लटके हुए तथा सर के अंदर मुड़े हुए होते हैं। वहीं, बीटल बकरी रोजाना ढाई लीटर तक दूध देती है।

कच्छी बकरी

कच्छी नस्ल की बकरी गुजरात के कच्छ जनपद में पाई जाती है। इसका आकार दिखने में काफी बड़ा होता है और इसके बाल लंबे और नाक थोड़ी उभरी हुई होती है। इसके सींग मोटे, नुकीले और बाहर की ओर हल्के उठे हुए होते हैं। इसके थन भी काफी विकसित होते हैं। कच्छी बकरी रोजाना चार लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है।

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गद्दी बकरी

गद्दी नस्ल की बकरी मूलतः हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में सर्वाधिक देखने को मिलती है। यह अधिकांश पश्मीना इत्यादि के लिए पाली जाने वाली प्रजाति है। इस बकरी के कान 8.10 सेमी. लम्बे एवं सींग काफी नुकीले होते हैं। कुल्लू घाटी में इसको ट्रांसपोर्ट के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। गद्दी बकरी रोजाना 3.5 लीटर तक दूध देती है।

जमुनापारी बकरी

जमुनापारी नस्ल की बकरी अधिकांश इटावा, मथुरा इत्यादि जगहों पर देखने को पाई जाती है। पशुपालक इसका पालन कर दूध हांसिल करते हैं। साथ ही, यह वजन में भी काफी सही होती है। जमुनापारी नस्ल की बकरी सफेद रंग की होती है। वहीं, इसके शरीर पर हल्के भूरे रंग के धब्बे उपस्थित होते हैं, कान का आकार भी काफी लम्बा होता है। वहीं, सींग 8 से 9 से.मी. लम्बे और ऐंठन लिए होते हैं। इसके साथ ही यदि हम इस नस्ल की बकरी की दूध पैदावार की बात करें, तो यह 2 से 2.5 लीटर रोजाना देती है।
बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए अनुदान, जानें आवेदन की प्रक्रिया

बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए अनुदान, जानें आवेदन की प्रक्रिया

केंद्र एवं राज्य सरकारें किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए नई-नई योजनाऐं जारी करती रहती हैं। सरकार किसानों को सशक्त बनाने के लिए पशुपालन पर भी जोर दे रही है। 

यदि आप भी बकरी पालन करके अपनी आमदनी को बढ़ाना चाहते हैं, तो कृषि विज्ञान केंद्र आपके लिए एक शानदार योजना लेकर आया है। दरअसल, मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जनपद के कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ से बकरी व चूजे खरीदने पर अनुदान प्रदान किया जा रहा है। यहां जानें आवेदन प्रक्रिया और जरूरी कागजात।

वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के साथ-साथ किसान पशुपालन के माध्यम से दोगुनी आमदनी हांसिल कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में अगर आप भी खेती-किसानी के साथ पशुपालन करना चाहते हैं, तो आपके लिए बकरी पालन एक शानदार विकल्प है। 

दरअसल, बकरी पालन करने के लिए सरकार की ओर से भी आर्थिक तोर पर सहायता उपलब्ध करवाई जाती है। मध्य प्रदेश सरकार प्रदेश के कृषकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बकरी पालन करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

कृषि विज्ञान केंद्र की इस योजना का प्रमुख उद्देश्य क्या है ?

कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra) की ओर से चलाई गई इस योजना का प्रमुख उद्देश्य यह है, कि राज्य के किसान बकरी पालन कर अपनी आमदनी को बढ़ा सकें। 

साथ ही, राज्य में बकरी पालन के लिए कृषकों को प्रेरित किया जा सके। इसके अतिरिक्त कृषि विज्ञान केंद्र की बैठक में शामिल होने वाले किसानों को बकरी पालन से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण जानकारियां भी दी जाऐंगी। 

जैसे कि बेहतरीन नस्ल की बकरी का चयन, बकरियों के लिए उन्नत पोषण स्तर, बकरियों के लिए आवास व्यवस्था और अन्य विभिन्न प्रकार की जानकारी दी जाऐंगी।

बकरी पालन के लिए 4 हजार रुपये प्रदान किए जाऐंगे 

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जनपद के कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ से राज्य के कृषकों को बकरी एवं चूजे खरीदने के लिए लगभग 4-4 हजार रुपये का अनुदान दिया जाएगा। 

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परंतु, याद रहे कि KVK की इस सुविधा का लुफ्त उठाने के लिए किसानों का चयन कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा ही किया जाएगा। 

बकरी पालन पर अनुदान हेतु आवश्यक कागजात 

  • आधार कार्ड
  • पैन कार्ड
  • स्थाई निवास प्रमाण पत्र
  • रजिस्टर मोबाइल नंबर
  • पासपोर्ट साइज फोटो

बकरी पालन पर अनुदान के लिए आवेदन प्रक्रिया 

यदि आप भी बुरहानपुर जनपद के कृषि विज्ञान केंद्र की इस सुविधा का फायदा उठाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा आयोजित बैठकों में शामिल होना पड़ेगा। 

ताकि आप बकरी पालन से जुड़ी सभी जानकारी अर्जित कर सकें। बकरी पालन पर अनुदान के लिए किसान भाइयों को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जनपद के कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करना होगा। ध्यान रहे, कि KVK की ओर से इस योजना के लिए किसानों के आवेदन पत्र अप्रैल महीने से भरे जाएंगे।

बकरी पालन पर मिलेगी 90% सब्सिडी, कैसे करें आवेदन

बकरी पालन पर मिलेगी 90% सब्सिडी, कैसे करें आवेदन

बकरी पालन योजना के अंतर्गत किसानों को बकरी पालन के लिए 90 % सब्सीडी प्रदान की जाएगी। सरकार किसानों को खेती के साथ पशुपालन के लिए भी प्रेरित कर रही है। 

पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार अलग अलग राज्यों  में अलग नामो से योजना शुरू कर रही है। सरकार द्वारा शुरू की गई बकरी पालन उत्थान योजना के अंतर्गत किसानों को 90 % सब्सीडी प्रदान की जा रही है। 

यह योजना मुख्य रूप से हरियाणा सरकार की ओर से शुरू की गई है। इस योजना में आवेदन कर किसान मुनाफा उठा सकते है। बकरी पालन का यह व्यवसाय बहुत ही कम पैसों से शुरू किया जा सकता है। 

मुख्यमंत्री भेड़/ बकरी पालन उत्थान योजना ?

मुख्यमंत्री भेड़/ बकरी पालन उत्थान योजना की शुरुआत हरियाणा सरकार की ओर से किसानों को आर्थिक लाभ प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई है। 

इस योजना के अनुसार योजना के लिए आवेदन करने वाले किसानों को 90 % की सब्सीडी प्रदान की जा रही है। इस व्यवसाय के लिए  पशुपालक बैंक से भी लोन प्राप्त कर सकता है। 

वर्गानुसार किसानों को कितनी सब्सीडी दी जाएगी ?

इस योजना के अंतर्गत पशुपालको को बकरी पालन के लिए प्रेरित किया जा रहा है।  इस योजना के अंतर्गत एससी ( SC ) वर्ग में  आने वाले किसानो को 90% सब्सीडी प्रदान की जाएगी। 

इसके अलावा एसटी ( ST ) और महिला  पशुपालकों को 33 % सब्सीडी, जबकि सामान्य वर्ग में आने वाले पशुपालको को 25 % सब्सीडी प्रदान की जाएगी। यह सब्सीडी पशुपालकों द्वारा लिए गए लोन पर प्रदान की जाएगी। 

एसबीआई ( SBI ) द्वारा भी पशुपालकों को लोन दिया जा रहा है। हरियाणा राज्य के अलावा बकरी पालन पर उत्तरप्रदेश , राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश सरकार में अलग नामोद्वारा भी निर्धारित वर्गो के अनुसार सब्सीडी प्रदान की जा रही है।

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बकरी पालन पर सब्सीडी प्राप्त करने के लिए शर्ते 

  1. इस योजना का लाभ केवल एससी वर्ग वाले ही पशुपालक उठा सकते है। 
  2. इस योजना का लाभ केवल हरियाणा के मूल निवासी ही उठा सकते है। 
  3. योजना में आवेदन करने वाले पशुपालक की आयु 18 -55 वर्ष के बीच में होनी चाहिए। 
  4. ऐसा पशुपालक जो पहले से ही किसी ऐसे बकरी पालन योजना का लाभ उठा चुके है वो इस योजना का लाभ नहीं उठा सकते है। 

बकरी पालन योजना में आवेदन करने के लिए किन दस्तावेजों की जरुरत होती है ?

  1. आवेदक का आधार कार्ड
  2. आवेदक का जाति प्रमाण पत्र
  3. आवेदक का बीपीएल कार्ड
  4. आवेदक का पैन कार्ड
  5. आवेदक का प्रमाण पत्र
  6. आवेदन करते वक्त निर्धारित राशि का चेक
  7. शेड बनाने के लिए स्थान का सबूत
  8. आवेदक का मोबाइल नंबर
  9. बैंक खाता पासबुक की कॉपी
  10. आवेदक का निवास प्रमाण पत्र
  11. बकरी पालन बिज़नेस की रिपोर्ट
  12. 9 महीने का बैंक स्टेटमैंट
  13. एक एफिडेबिट

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बकरी पालन योजना में कैसे आवेदन करें 

  1. योजना में आवेदन करने के लिए सरल पोर्टल पर जाए, रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक जानकारी दे। उसके बाद वैलिडेट बटन पर क्लिक करें। 
  2. इसके बाद ईमेल पर आये हुए एसएमएस में लॉग इन की डिटेल दी हुई होगी जो आपको फिल करनी है। लॉग इन करने के बाद योजना का चयन करें। 
  3. इसके बाद योजना का एक एप्लीकेशन फॉर्म खुल कर सामने आएगा, पूछी गई जानकारी के बाद जरूरी दस्तावेजों को उसमे अटैच कर दे। 
  4. आवेदन पत्र को सबमिट करने के बाद एप्लीकेशन आईडी शो होगी , इस एप्लीकेशन आईडी से आप योजना का स्टेटस चेक कर सकते है। 
  5. योजना की अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के अधिकारी से बात कर सकते है।