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न्यूनतम चार रुपए लीटर की दर से गोमूत्र खरीदेगी छत्तीसगढ़ सरकार

न्यूनतम चार रुपए लीटर की दर से गोमूत्र खरीदेगी छत्तीसगढ़ सरकार

रायपुर (छत्तीसगढ़)। गोवंश को उपयोगी बनाने के लिए देश में लगातार तरह-तरह की योजनाएं तैयार की जा रहीं हैं। गाय के गोबर से लेकर गौमूत्र या गोमूत्र (गाय का मूत्र) (Cow Urine) तक को उपयोगी बनाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में सरकार ने इस दिशा में पहल शुरू की थी और गौधन न्याय योजना के तहत, गोबर और गौमूत्र की खरीद कर सरकार किसानों को लाभ के अवसर प्रदान कर रही है। आज 28 जुलाई 2022 से छत्तीसगढ़ सरकार ने फैसला किया है, कि राज्य सरकार चार रुपए प्रति लीटर की दर से गोमूत्र खरीदेगी। इसके लिए प्रथम चरण में प्रत्येक जिले के दो चयनित स्वाबलंबी गोठानों में गोमूत्र की खरीददारी शुरू की जाएगी। गोदान प्रबन्ध समिति भले ही पशुपालकों से स्थानीय स्तर पर गोमूत्र क्रय करे, लेकिन सरकार उसे चार रुपए लीटर में ही खरीदेगी।


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जैविक खेती पर इस संस्थान में मिलता है मुफ्त प्रशिक्षण, घर बैठे शुरू हो जाती है कमाई
सरकार इस गोमूत्र से महिला स्वंय सहायता समूह की मदद से जीवामृत एवं कीट नियंत्रक उत्पाद तैयार कराएगी। इसके लिए चयनित समूहों को पशु चिकित्सा विभाग एवं कृषि विभाग से विधिवत प्रशिक्षण देने का भी प्रावधान रखा गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कैबिनेट में प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद योजना के तहत सभी जिला कलक्टरों को पत्र जारी किया जा चुका है।

जैविक खेती वाले किसानों को मिलेगा फायदा

- राज्य सरकार गोमूत्र को खरीदकर जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहती है। इस योजना से जैविक खेती करने वाले किसानों को फायदा होगा। इसके अलावा पशुपालकों को भी एक अतिरिक्त आमदनी मिलेगी। कई लोगों को रोजगार भी मिलेगा। ---- लोकेन्द्र नरवार
गौमूत्र से बना ब्रम्हास्त्र और जीवामृत बढ़ा रहा फसल पैदावार

गौमूत्र से बना ब्रम्हास्त्र और जीवामृत बढ़ा रहा फसल पैदावार

छत्तीसगढ़ पहला राज्य जहां गौमूत्र से बन रहा कीटनाशक

इस न्यूज की हेडलाइन पढ़कर लोगों को अटपटा जरूर लगेगा, पर यह खबर किसानों के लिए बड़ी काम की है। जहां गौमूत्र का बड़ा धार्मिक महत्व माना जाता है और गांवों में आज भी लोग इसका सेवन करते हैं, उनका कहना है कि गौमूत्र पीने से कई बीमारियों से बच पाते हैं। वहीं, गौमूत्र अब किसानों के खेतों में कीटनाशक के रूप में, उनकी जमीन की सेहत सुधारकर फसल उत्पादन का बढ़ाने में उनकी काफी मदद करेगा। जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि आधुनिकता के युग में खान-पान सही नहीं होने और फसलों में बेतहासा
जहरीले कीटनाशक के प्रयोग से हमारा अन्न जहरीला होता जा रहा है। वैज्ञानिकों ने भी सिद्ध कर दिया है कि जहरीले कीटनाशक के प्रयोग से लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है और आयु घटती जा रही है। लोगों की इस तकलीफ को किसानों ने भी समझा और अब वे भी धीरे-धीरे जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। इससे वे अपनी आमदनी तो बढ़ा ही रहे हैं, साथ-साथ देश के लोगों और भूमि की सेहत भी सुधार रहे हैं। इसी के तहत लोगों की सेहत का ख्याल रखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने किसान हित में एक बड़ा कदम उठाया है और पशुपालकों से गौमूत्र खरीदने की योजना शुरू की है, जिससे कीटनाशक बनाया जा रहा है। इसका उत्पादन भी सरकार द्वारा शुरू कर दिया गया है।

चार रुपए लीटर में गौमूत्र की खरीदी

पहले राज्य सरकार ने किसानों को जैविक खेती के प्रति प्रोत्साहित किया, जिसके सुखद परिणाम भी सामने आने लगे हैं, इसके बाद पशुपालकों से गौमूत्र खरीदकर उनको एक अतिरिक्त आय भी दे दी। राज्य सरकार पशुपालक किसानों से चार रुपए लीटर में गौमूत्र खरीद रही है। राज्य के लाखों किसान इस योजना का फायदा उठाकर गौमूत्र बेचने भी लगे हैं।


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हरेली पर मुख्यमंत्री ने गौमूत्र खरीद कर की थी शुरूआत

हरेली पर्व पर 28 जुलाई से गोधन न्याय योजना के तहत गोमूत्र की खरीदी शुरू की गई है। मुताबिक छत्तीसगढ़ गौ-मूत्र खरीदी करने वाला देश का पहला राज्य है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में हरेली (हरियाली अमावस्या) पर्व के अवसर पर गोमूत्र खरीदा और वे पहले ग्राहक बने। वहीं मुख्यमंत्री ने खुद भी गौमूत्र विक्रय किया था।

अन्य राज्य भी अपना रहे

छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जो पशुपालक ग्रामीणों से चार रुपए लीटर में गोमूत्र खरीद रहा है। गोधन न्याय योजना के बहुआयामी परिणामों को देखते हुए देश के अनेक राज्य इसे अपनाने लगे हैं। इस योजना के तहत, अमीर हो या गरीब, सभी को लाभ मिल रहा है।


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गौमूत्र से बने ब्रम्हास्त्र व जीवामृत का किसान करे उपयोग

अब आते हैं गौमूत्र से बने कीटनाशक की बात पर। विदित हो कि किसान अब जैविक खेती को अपना रहे हैं। ऐसे में गौमूत्र से बने ब्रम्हास्त्र व जीवामृत का उपयोग किसान अपने क्षेत्र में करने लगे हैं। राज्य की महत्वकांक्षी सुराजी गांव योजना के अंतर्गत, गोधन न्याय योजना के तहत अकलतरा विकासखण्ड के तिलई गौठान एवं नवागढ़ विकासखण्ड के खोखरा गौठान में गौमूत्र खरीदी कर, गोठान समिति द्वारा जीवामृत (ग्रोथ प्रमोटर) एवं ब्रम्हास्त्र (जैविक कीट नियंत्रक) का उत्पादन किया जा रहा है।


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गौठानों में सैकड़ों लीटर गौमूत्र की खरीदी की जा चुकी है। जिसमें निर्मित जैविक उत्पाद का उपयोग जिले के कृषक कृषि अधिकारियों के मार्गदर्शन में अपने खेतों में कर रहे हैं। इससे कृषि में जहरीले रसायनों के उपयोग के विकल्प के रूप में गौमूत्र के वैज्ञानिक उपयोग को बढ़ावा मिलेगा, रसायनिक खाद तथा रसायनिक कीटनाशक के प्रयोग से होने वाले हानिकारक प्रभाव में कमी आयेगी, पर्यावरण प्रदूषण रोकने में सहायक होगा तथा कृषि में लगने वाली लागत में कमी आएगी।

50 रुपए लीटर ब्रम्हास्त्र और जीवामृत (वृद्धि वर्धक) का मूल्य 40 रुपए लीटर

गौमूत्र से बनाए गए कीट नियंत्रक ब्रम्हास्त्र का विक्रय मूल्य 50 रूपये लीटर तथा जीवामृत (वृद्धि वर्धक) का विक्रय 40 रूपये लीटर है। इस प्रकार गौमूत्र से बने जैविक उत्पादों के दीर्घकालिन लाभ को देखते हुए जिले के कृषक बंधुओं को इसके उपयोग की सलाह कृषि विभाग द्वारा दी जा रही है।
गाय के गोबर से बनाए जा रहे हैं कई तरह के इको फ्रेंडली प्रोडक्ट, आप भी कमा सकते हैं अच्छा खास मुनाफा

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गाय को बहुत ही उपयोगी माना गया है और साथ ही गोमूत्र को बहुत सी लाइलाज बीमारियों का इलाज भी कहा गया है। आजकल गोमूत्र के साथ-साथ गाय के गोबर का इस्तेमाल भी कई तरह की चीजों में किया जा रहा है। हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार गाय के गोबर से बने हुए घर में ऑटोमेटिक रेडिएशन का असर नहीं पड़ता है। गाय के गोबर का इस्तेमाल भी रसोई गैस से लेकर देसी खाद और जैव उर्वरक बनाने में किया जा रहा है। इससे पेंट, पेपर, बैग, ईंट, गौकाष्ठ लकड़ी और दंत मंजन तक बनाए जा रहे हैं। एक अकेली गाय प्राकृतिक खेती के खर्च का आधा कर देती है। यदि आप भी गाय पालते हैं, तो इसके दूध के साथ-साथ गोबर और गौमूत्र को बेचकर अच्छा पैसा कमा सकते हैं।

गोबर से ऑर्गेनिक पेंट (Cow Dung Organic Paint)

पुराने जमाने में घरों को गाय के गोबर से लीपा जाता था। इससे घर ठंडा भी रहता है और साथ ही कीट पतंग भी घर में नहीं आते हैं। भैंस और विदेशी, ब्राजीलियन, जर्सी नस्लों के गोबर में 50 से 70 लाख बैक्टीरिया हैं, लेकिन देसी गाय के एक ग्राम गोबर में 3 से 5 करोड़ बैक्टीरिया मौजूद हैं, जो घर को सुरक्षित रखते हैं। साइंस ने भी ऐसा मानना है, कि गाय के गोबर का इस्तेमाल करने से घरों में कीट पतंग नहीं आते हैं। अब इसी विज्ञान के मद्देनजर गोबर से ऑर्गेनिक पेंट (Organic Paint) बनाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के गौठानों में ना सिर्फ फुली ऑर्गेनिक पेंट (Organic Paint) का उत्पादन हो रहा है। बल्कि बाजार में यह पेंट मल्टीनेशनल कंपनियों के पेंट से सस्ता भी बिक रहा है।
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इसके अलावा खादी इंडिया ने भी गोबर से बना हुआ वैदिक पेंट लॉन्च किया है। इसके अलावा, इस गोबर से पेपर, बैग, मैट से लेकर ईंट समेत कई इको-फ्रैंडली प्रोडक्ट लॉन्च किए जा चुके हैं, जो कैमिकल प्रोडक्ट्स का अच्छा विकल्प हैं।

खेती से लेकर रसोई गैस का इंतजाम

हम सभी जानते हैं, कि केमिकल के बढ़ते हुए इस्तेमाल से जमीन बंजर हो रही है। इनका स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है। इस समस्या को खत्म करने के लिए किसानों को जीरो बजट प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित किया जाता है। जिसमें पूरी तरह से जैविक खाद का इस्तेमाल किया जाता है, जो गोबर और गोमूत्र से बनाई जाती है। इस कार्य को पूरा करने के लिए कई राज्य सरकारें किसानों को गाय उपलब्ध करवा रही है। साथ ही, ज्यादा से ज्यादा गाय पालने के लिए प्रेरित कर रही है। साथ ही किसानों को गाय का दूध बेचकर भी अच्छी आमदनी मिल जाती है। यदि आप पशुपालक हैं और खुद का डेयरी फार्म चलाते हैं, तो एक बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) भी लगा सकते हैं, जिससे पूरे गांव को फ्री में रसोई गैस मिल सकती है।

कागज और कैरी बैग

आपको यह जानकर बहुत हैरानी होगी कि भारत में गोबर से एक बहुत ही मजबूत कागज और कैरी बैग भी तैयार किया जा रहा है। यह जयपुर स्थित कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट के प्रयासों का नतीजा है। इस संस्थान में गाय के गोबर से कागज बनाने का तरीका सिखाया जाता है। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ से जोड़कर लोगों को इस तरह के उत्पाद बनाने के लिए जागरूक भी किया जाता है। यह पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। साथ ही, ग्रामीण लोगों को रोजगार देने में भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।

रेडिएशन कम करने वाले स्टीकर

रिपोर्ट की मानें, तो गोबर से इस तरह के स्टीकर बनाए जा रहे हैं। जो मोबाइल के रेडिएशन कम करने की ताकत रखते हैं। साथ ही, गोबर से अलग अलग तरह की माला बनाई जा रही है। जो सन आयु संबंधित बीमारियों से राहत दे रहे हैं। जहां गोबर से तैयार दंज मंजन को मुंह के पायरिया को खत्म करने में प्रभावी बताया जा रहा है। तो वहीं इससे बने साबुन को स्किन एलर्जी में लाभकारी बताया जा रहा है। इसके अलावा, दीवाली पर गोबर से बने दिए, मूर्तियां भी काफी चर्चाओं में रहती हैं। त्यौहार आते ही इनकी मार्केटिंग भी खूब अच्छी हो जाती है।
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गौमूत्र से ही बन रही है औषधी, कीटनाशक और फिनाइल

आयुर्वेद में गाय के मूत्र को संजीवनी समान बताया गया है। बहुत सी आयुर्वेदिक संस्थानों ने तो गोमूत्र को कैंसर का सफल इलाज भी बताया है। इसमें बहुत से औषधीय गुण होते हैं, जो पेट और चर्म रोग संबंधी कई तरह की बीमारियों को खत्म कर सकते हैं। इसके अलावा गोमूत्र को पीलिया, सांस की बीमारी, आस्थापन, वस्ति, आनाह, विरेचन कर्म, मुख रोग, नेत्र रोग, अतिसार, मूत्राघात, कृमिरोग,हृदय रोग, कैंसर, टीबी, पीलिया, मिर्गी, हिस्टिरिया जैसे घातक रोगों में भी प्रभावी बताया जाता है। इस तरह से गोमूत्र सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि प्रकृति के लिए भी बहुत ही लाभकारी है। आज के आधुनिक दौर में भी गौमूत्र को एक प्रभावी कीटाणुनाशक माना जा रहा है। इसी तर्ज पर कई कंपनियों ने गौमूत्र से कैमिकमुक्त फिनाइल भी तैयार कर दिया है।
गोमूत्र की गंध और स्वाद आपकी पसंद का होगा, क्योंकि अब मनचाहे फ्लेवर में गोमूत्र उपलब्ध

गोमूत्र की गंध और स्वाद आपकी पसंद का होगा, क्योंकि अब मनचाहे फ्लेवर में गोमूत्र उपलब्ध

यह फ्लेवर्ड गोमूत्र वर्तमान में 6 प्रकार के भिन्न भिन्न स्वाद में मौजूद है। इन फ्लेवर्स में स्ट्रॉबेरी, पान, मैंगो, ऑरेंज, पाइनएप्पल और मिक्स फ्लेवर है। इसके एक लीटर की कीमत 200 रुपये के लगभग है। गोमूत्र विगत कुछ सालों से ज्यादा चर्चा में है। दरअसल, इसका उपयोग औषधीय के तौर पर आयुर्वेद में सदियों से किया जाता रहा है। आयुर्वेद की द्रष्टि से देखें तो बहुत सारी गंभीर बीमारियों में भी इसके सेवन से फायदा होता है। भारत सहित संपूर्ण विश्व में ऐसे लाखों लोग हैं, जो इसका उपभोग करते हैं। परंतु, कुछ लोग इसके स्वाद और इसकी बदबू के कारण चाह कर भी इसका सेवन नहीं कर पाते हैं।

गोमूत्र ऑरेंज, आम और पाइनएप्पल फ्लेवर्स में उपलब्ध है

फिलहाल, ऐसे ही लोगों की सुविधा के लिए वैज्ञानिकों द्वारा फ्लेवर्ड
गोमूत्र तैयार किया गया है। इसका अर्थ यह है, कि फिलहाल गोमूत्र आपको अलग-अलग प्रकार के स्वाद में मिल पाऐगा। यदि आपको आम पसंद है तो गोमूत्र आम फ्लेवर में मिल जाएगा। यदि आपको संतरा पसंद है तो गोमूत्र ऑरेंज फ्लेवर में मिल पाऐगा। वहीं, यदि आप पाइनएप्पल के शौकीन हैं, तो आपको गोमूत्र इस स्वाद में भी मिल जाएगा। मतलब कि फिलहाल आप खट्टा, मीठा व नमकीन जैसा स्वाद और सुगंध में चाहेंगे गोमूत्र आपको उसी तरह का मिल जाएगा।

फ्लेवर्ड गोमूत्र को किसने तैयार किया है

गोमूत्र के विभिन्न फ्लेवर्स की यह बड़ी खोज आईआईटी मुंबई से पीएचडी कर चुके डॉक्टर राकेश चंद्र अग्रवाल ने की है। उन्होंने इस फ्लेवर्ड गोमूत्र को नाम संजीवनी रस रखा है। इस खोज के उपरांत गोमूत्र विभिन्न फ्लेवर्स में पूरे भारत में उपलब्ध है। भिन्न-भिन्न प्रयोग शालाओं में इसको तैयार करने के लिए लोगों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। डॉ. राकेश इसको लेकर दीर्घ काल से शोध कर रहे थे और अंततः उन्हें सफलता मिल ही गई। डॉ. राकेश का कहना है, कि गोमूत्र में विभिन्न प्रकार के एंजाइम्स और न्यूट्रिएंट्स होते हैं। जो हमारे शरीर को विभिन्न प्रकार के गंभीर रोगों से ग्रसित होने से बचाते हैं। इसलिए उन्होंने यह निर्णय लिया है, कि फिलहाल वह फ्लेवर्ड गोमूत्र तैयार कर इसको घर-घर तक उपलब्ध करा देंगे।

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फ्लेवर्ड गोमूत्र का नाम संजीवनी रस रखा है

मीडिया की खबरों के अनुसार, आपको बतादें कि यह फ्लेवर्ड गोमूत्र वर्तमान में 6 प्रकार के अलग-अलग स्वाद में मौजूद है। इन फ्लेवर्स में पाइनएप्पल, स्ट्रॉबेरी, पान, मैंगो, ऑरेंज और मिक्स फ्लेवर है। इसको तैयार करने के लिए फूड ग्रेड कलर एवं एसेंस का उपयोग किया जाता है। वर्तमान में यह कोटा की 6 गोशालाओं में बनाया जा रहा है। लेकिन, आहिस्ते आहिस्ते इसको बड़े पैमाने पर तैयार करने की भी योजना है। यदि आप भी इस प्रकार का फ्लेवर्ड गोमूत्र चाहते हैं, तो आपको एक लीटर के लिए न्यूनतम 200 रुपये खर्च करने पड़ेंगे।