गाय को बहुत ही उपयोगी माना गया है और साथ ही गोमूत्र को बहुत सी लाइलाज बीमारियों का इलाज भी कहा गया है। आजकल गोमूत्र के साथ-साथ गाय के गोबर का इस्तेमाल भी कई तरह की चीजों में किया जा रहा है। हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार गाय के गोबर से बने हुए घर में ऑटोमेटिक रेडिएशन का असर नहीं पड़ता है।
गाय के गोबर का इस्तेमाल भी रसोई गैस से लेकर देसी खाद और जैव उर्वरक बनाने में किया जा रहा है। इससे पेंट, पेपर, बैग, ईंट, गौकाष्ठ लकड़ी और दंत मंजन तक बनाए जा रहे हैं। एक अकेली गाय प्राकृतिक खेती के खर्च का आधा कर देती है। यदि आप भी गाय पालते हैं, तो इसके दूध के साथ-साथ गोबर और गौमूत्र को बेचकर अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
गोबर से ऑर्गेनिक पेंट (Cow Dung Organic Paint)
पुराने जमाने में घरों को गाय के गोबर से लीपा जाता था। इससे घर ठंडा भी रहता है और साथ ही कीट पतंग भी घर में नहीं आते हैं। भैंस और विदेशी, ब्राजीलियन, जर्सी नस्लों के गोबर में 50 से 70 लाख बैक्टीरिया हैं, लेकिन देसी गाय के एक ग्राम गोबर में 3 से 5 करोड़ बैक्टीरिया मौजूद हैं, जो घर को सुरक्षित रखते हैं।
साइंस ने भी ऐसा मानना है, कि गाय के गोबर का इस्तेमाल करने से घरों में कीट पतंग नहीं आते हैं। अब इसी विज्ञान के मद्देनजर गोबर से ऑर्गेनिक पेंट (Organic Paint) बनाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के गौठानों में ना सिर्फ फुली ऑर्गेनिक पेंट (Organic Paint) का उत्पादन हो रहा है। बल्कि बाजार में यह पेंट मल्टीनेशनल कंपनियों के पेंट से सस्ता भी बिक रहा है।
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इसके अलावा खादी इंडिया ने भी गोबर से बना हुआ वैदिक पेंट लॉन्च किया है। इसके अलावा, इस गोबर से पेपर, बैग, मैट से लेकर ईंट समेत कई इको-फ्रैंडली प्रोडक्ट लॉन्च किए जा चुके हैं, जो कैमिकल प्रोडक्ट्स का अच्छा विकल्प हैं।
खेती से लेकर रसोई गैस का इंतजाम
हम सभी जानते हैं, कि केमिकल के बढ़ते हुए इस्तेमाल से जमीन बंजर हो रही है। इनका स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है। इस समस्या को खत्म करने के लिए किसानों को जीरो बजट प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित किया जाता है। जिसमें पूरी तरह से जैविक खाद का इस्तेमाल किया जाता है, जो गोबर और गोमूत्र से बनाई जाती है।
इस कार्य को पूरा करने के लिए कई राज्य सरकारें किसानों को गाय उपलब्ध करवा रही है। साथ ही, ज्यादा से ज्यादा गाय पालने के लिए प्रेरित कर रही है।
साथ ही किसानों को गाय का दूध बेचकर भी अच्छी आमदनी मिल जाती है। यदि आप पशुपालक हैं और खुद का डेयरी फार्म चलाते हैं, तो एक बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) भी लगा सकते हैं, जिससे पूरे गांव को फ्री में रसोई गैस मिल सकती है।
कागज और कैरी बैग
आपको यह जानकर बहुत हैरानी होगी कि भारत में गोबर से एक बहुत ही मजबूत कागज और कैरी बैग भी तैयार किया जा रहा है। यह जयपुर स्थित कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट के प्रयासों का नतीजा है। इस संस्थान में गाय के गोबर से कागज बनाने का तरीका सिखाया जाता है।
इतना ही नहीं प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ से जोड़कर लोगों को इस तरह के उत्पाद बनाने के लिए जागरूक भी किया जाता है। यह पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। साथ ही, ग्रामीण लोगों को रोजगार देने में भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।
रेडिएशन कम करने वाले स्टीकर
रिपोर्ट की मानें, तो गोबर से इस तरह के स्टीकर बनाए जा रहे हैं। जो मोबाइल के रेडिएशन कम करने की ताकत रखते हैं। साथ ही, गोबर से अलग अलग तरह की माला बनाई जा रही है। जो सन आयु संबंधित बीमारियों से राहत दे रहे हैं।
जहां गोबर से तैयार दंज मंजन को मुंह के पायरिया को खत्म करने में प्रभावी बताया जा रहा है। तो वहीं इससे बने साबुन को स्किन एलर्जी में लाभकारी बताया जा रहा है। इसके अलावा, दीवाली पर गोबर से बने दिए, मूर्तियां भी काफी चर्चाओं में रहती हैं। त्यौहार आते ही इनकी मार्केटिंग भी खूब अच्छी हो जाती है।
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गौमूत्र से ही बन रही है औषधी, कीटनाशक और फिनाइल
आयुर्वेद में गाय के मूत्र को संजीवनी समान बताया गया है। बहुत सी आयुर्वेदिक संस्थानों ने तो गोमूत्र को कैंसर का सफल इलाज भी बताया है। इसमें बहुत से औषधीय गुण होते हैं, जो पेट और चर्म रोग संबंधी कई तरह की बीमारियों को खत्म कर सकते हैं। इसके अलावा गोमूत्र को पीलिया, सांस की बीमारी, आस्थापन, वस्ति, आनाह, विरेचन कर्म, मुख रोग, नेत्र रोग, अतिसार, मूत्राघात, कृमिरोग,हृदय रोग, कैंसर, टीबी, पीलिया, मिर्गी, हिस्टिरिया जैसे घातक रोगों में भी प्रभावी बताया जाता है।
इस तरह से गोमूत्र सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि प्रकृति के लिए भी बहुत ही लाभकारी है। आज के आधुनिक दौर में भी गौमूत्र को एक प्रभावी कीटाणुनाशक माना जा रहा है। इसी तर्ज पर कई कंपनियों ने गौमूत्र से कैमिकमुक्त फिनाइल भी तैयार कर दिया है।
06-Feb-2023