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उत्‍तर प्रदेश बजट 2.0 में यू.पी. के किसानों को क्या मिला ?

उत्‍तर प्रदेश बजट 2.0 में यू.पी. के किसानों को क्या मिला ?

उत्‍तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2022 का बजट पेश किया है। जिसमे यू. पी. के वयस्कों, महिलाओं, गरीब किसानों, बेरोजगारों आदि सभी को लगभग काफ़ी कुछ मिला है। तो आइए हम जानते है कि इस बजट के माध्यम से वहां के किसानों को क्या फ़ायदा मिला ?

उत्‍तर प्रदेश बजट 2.0 के माध्यम से किसानों को फ़ायदा :

- सिंचाई के लिए मुफ़्त बिजली, पी.एम. कुसुम योजना, सोलर पैनल्स, लघु सिंचाई परियोजना

बजट में किसानों को सिंचाई के लिए मुफ़्त बिजली का प्रावधान है। इसके लिए किसानों को पी.एम. कुसुम योजना के अंतर्गत किसानों को मुफ़्त सोलर पैनल्स उपलब्ध कराए जाएंगे। सिंचाई की अवशेष परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के साथ एक हज़ार करोड़ रुपए की लागत से लघु सिंचाई परियोजनाओं को आगे बढ़ाने का विशेष प्रावधान भी इस बजट में है।

- भामाशाह भावस्थिरता कोश की स्थापना के लिए फंड

किसानों के लिए भामाशाह भावस्थिरता कोश की स्थापना के लिए फंड की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री जी ने पहले से ही धान, गेहूं, और अन्य फसलों के लिए एम.एस.पी. कला उपलब्ध कराई थी लेकिन आलू, टमाटर, प्याज, आदि फसलों में इस प्रकार की व्यवस्था नहीं थी जो कि इस बजट में कराई गई है।

- जैविक खेती

प्रदेश में अभी भी काफ़ी किसान जैविक खेती से जुड़े हुए हैं, जिनके लिए मुख्यमंत्री जी ने टेस्टिंग लैब के व्यवस्था की है। और अगले 5 वर्षों में संपूर्ण बुंदेलखंड खंड को जैविक खेती से जोड़ने का प्रावधान भी इस बजट में पेश किया गया है।

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- बीजों का वितरण

वर्ष 2021-2022 में 60.10 लाख क्विंटल बीजों का वितरण किया गया था और वर्ष 2022-2023 में इसकी मात्रा बढ़ाकर 60.20 लाख क्विंटल बीजों का वितरण किया जाएगा।

- नलकूप तथा लघु नहर

प्रदेश में 30,307 राजकीय नलकूपों तथा 252 लघु नहरों के माध्यम से मुफ़्त सिंचाई सुविधा की व्यवस्था की गई है।

- लघु सिंचाई परियोजना

मुख्यमंत्री लघु सिंचाई परियोजना के लिए एक हजार करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।

- उर्वरक का वितरण

वर्ष 2021-2022 में कृषकों के लिए 98.80 लाख मीट्रिक टन उर्वरक का वितरण किया गया था तथा वर्ष 2022-2023 में 119.30 लाख मीट्रिक टन उर्वरक के वितरण का लक्ष्य रखा गया है।

- सोलर पंपों की स्थापना

कृषकों को सिंचाई के लिए डीजल विद्युत के स्थान पर ऊर्जा प्रबंधन के तहत ऊर्जा संरक्षण के लिए कृषकों के लिए सोलर पंपों की स्थापना की जाएगी।

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विपक्ष की ओर से बयान :

इस बजट पर विपक्ष की ओर से मायावती ने अपना बयान देते हुए कहा है कि, इस बजट से मुख्यमंत्री जी आम जनता की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। उन्होनें आगे ट्वीट कर के कहा है कि "यूपी सरकार का बजट प्रथम दृष्टया वही घिसापिटा व अविश्वनीय तथा जनहित एवं जनकल्याण में भी खासकर प्रदेश में छाई हुई गरीबी, बेरोजगारी व गड्ढायुक्त बदहाल स्थिति के मामले में अंधे कुएं जैसा है, जिससे यहाँ के लोगों के दरिद्र जीवन से मुक्ति की संभावना लगातार क्षीण होती जा रही है।" उन्होंने आगे कहा है कि किसानों के लिए जो बड़े बड़े वादे किए गए थे, तथा जो बुनियादी कार्य प्राथमिकता के आधार पर करने थे वे कहां किए गए। 

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि बीजेपी ने इतने बजट पेश किए है जिसमे केवल नंबर बढ़ाए गए है, इससे किसानों को कोई फायदा नही मिला है। बेरोजगारी और गरीबी अपनी चरम सीमा पर है। बजट के बारे में जो कुछ भी मुख्यमंत्री जी ने कहा है, उससे आम जनता और किसानों को कोई फायदा नही है। साथ ही वे कहते हैं उनके इन कामों से जनता का कोई फायदा नहीं होगा। वहीं यूपी के मुख्यमंत्री योगी जी ने बजट प्रस्तुत करने के बाद अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि यह बजट 2022-2023 का है, जिससे यूपी की 25 करोड़ जनता का फायदा होगा और साथ ही यह बजट उत्तर प्रदेश के गरीब किसानों और नौजवानों की इच्छाओं को ध्यान में रख कर बनाया गया है। इसके अलावा उन्होनें कहा है कि यह बजट प्रदेश के उज्जवल भविष्य को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।

पीएम कुसुम योजना में पंजीकरण करने का दावा कर रहीं फर्जी वेबसाइट : नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की एडवाइजरी

पीएम कुसुम योजना में पंजीकरण करने का दावा कर रहीं फर्जी वेबसाइट : नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की एडवाइजरी

पीएम कुसुम योजना को लेकर नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने जारी की अपनी एडवाइजरी

पीएम कुसुम योजना में पंजीकरण करने का दावा कर रहीं फर्जी वेबसाइट को लेकर नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने जारी की अपनी एडवाइजरी नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ( एमएनआरई ) ( Ministry of New and Renewable Energy (MNRE) )  ने अपना सुझाव देते हुए कहा है कि अपने व्हाट्सएप/एसएमएस पर ऐसी किसी भी लिंक पर क्लिक ना करें जो प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना के लिए पंजीकरण का दावा करते हैं अन्यथा इससे आपको भरी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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क्या है पीएम-कुसुम योजना ?

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी की गई इस योजना के तहत आपको अपना सोलर पंप स्थापित करने और कृषि पंपों के सोलाराइजेशन के लिए सब्सिडी दी जाती है। 

जिससे आपको अधिक रुपए खर्च करने की जरूरत नहीं होगी। लेकिन इस योजना के लागू होने के बाद से ही कई सारी फर्जी वेबसाइट पीएम कुसुम योजना में पंजीकरण करने दावा कर रहीं हैं जिसका नुकसान कई बार आम लोगों को उठाना पड़ता है। 

इन फर्जी वेबसाइट के माध्यम से आम जनता को नुकसान ना हो इसके लिए मंत्रालय-एमएनआरआई परामर्श जारी किया गया है।

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एनएमआरआई एडवाइजरी

एनएमआरआई ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि योजना लागू होने के बाद कुछ वेबसाइट द्वारा स्वयं को पीएम कुसुम के लिए पंजीकरण पोर्टल होने का दावा किया गया है। 

सी वेबसाइट लोगों को आर्थिक नुकसान पहुंचा रही हैं जो लोग इन वेबसाइट में रुचि लेते हैं उन लोगों से यह वेबसाइट धन की वसूली कर रही हैं और उनके बारे में जानकारी एकत्र कर रही हैं। 

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा वेबसाइटों से होने वाले नुकसान को टालने के लिए पहले भी सार्वजनिक नोटिस जारी करके लोगों को सलाह दी थी कि वे इस तरह की वेबसाइटों में पंजीकरण फीस न जमा करें और ना ही उन्हें अपनी जानकारी दें। 

जिसके चलते शिकायतें प्राप्त होने पर इन फर्जी वेबसाइटों के खिलाफ कार्रवाई की गई है और अनेक पंजीकरण पोर्टलों को ब्लॉक कर दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद भी व्हाट्सएप और अन्य साधनों के द्वारा लाभार्थियों को बहकाया जा रहा है। 

इसलिए मंत्रालय यह परामर्श देता है कि इस योजना में रुचि रखने वाले लोग ऐसी किसी भी फर्जी वेबसाइट में जाकर व्यक्तिगत जानकारी देने या धन जमा करने से बचें और वेबसाइट के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करके उसकी प्रमाणिकता की जांच करें।

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मंत्रालय प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाअभियान योजना लागू कर रहा है जिसके अंतर्गत कृषक को सोलर पंप स्थापित करने और कृषि पंपों के सौरकरण के लिए सब्सिडी दी जाती है। 

किसान 2 मेगावाट तक ग्रिड से जुड़े सौर विद्युत संयंत्रों को भी स्थापित कर सकते हैं। यह योजना राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित विभागों के द्वारा लागू की जा रही है जिसकी संपूर्ण जानकारी एमएनआरआई की वेबसाइट www.nmre.gov.in. पर उपलब्ध है। 

योजना में भाग लेने के लिए पात्रता और क्रियान्वयन प्रक्रिया संबंधी जानकारी प्राप्त करने के लिए मंत्रालय द्वारा जारी की गई वेबसाइट http://www.mnre.gov.in या पीएम-कुसुम सेंट्रल पोर्टल https://pmkusum.mnre.gov.in पर उपलब्ध है और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए टोल फ्री नंबर 1800-180-3333 डायल करके इस योजना संबंधी संपूर्ण जानकारी आप प्राप्त कर सकते हैं।

भारत सरकार द्वारा लागू की गई किसानों के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं (Important Agricultural schemes for farmers implemented by Government of India in Hindi)

भारत सरकार द्वारा लागू की गई किसानों के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं (Important Agricultural schemes for farmers implemented by Government of India in Hindi)

हम जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। हमारे देश की लगभग 60% से अधिक जनसंख्या कृषि पर निर्भर है और इसी से ही उनका जीवन यापन चलता है। 

इसी को देखते हुए भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए बहुत सारी योजनाएं चलाई गई। जिससे किसानों की लागत कम लगे और किसानों की आय में वृद्धि हो सके। इन योजनाओं के माध्यम से किसानों को खेती में आने वाली समस्याएं कम होगी।

भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए जरुरी योजनाएं

भारत सरकार द्वारा चलाई गई इन योजनाओं के माध्यम से किसान खेती बहुत ही आसानी और आधुनिक ढंग से कर सकेगा। आइए हम आपको भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए लागू की गई कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी देते हैं।

1. पीएम किसान सम्मान निधि योजना :-

भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए लागू की गई योजनाओं में से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi ) एक महत्वपूर्ण योजना है। 

इस योजना के तहत भारत के किसानों को साल में ₹6000 दिए जाते हैं जो कि ₹2000 की 3 किस्तों में दिए जाते हैं। योजना की शुरुआत वर्ष 2018 में की गई थी। 

इस योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा अभी तक कुल 11 किश्तें जारी हो चुकी है। इस योजना के चलते भारत के किसानों की अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने में बहुत मदद मिली है।

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2. प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना :-

इस योजना के माध्यम से भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए पेंशन की व्यवस्था की गई है। योजना में सरकार द्वारा उन किसानों के लिए पेंशन की व्यवस्था की गई है जो बुढ़ापे में असहाय हो जाते हैं और दूसरों पर निर्भर रहते हैं। 

ऐसे में जो किसान 60 वर्ष से अधिक की उम्र के हैं उन्हें सरकार न्यूनतम ₹3000 पेंशन देती है। “पीएम किसान मानधन योजना” का लाभ उठाने के लिए किसान को 60 वर्ष की आयु तक प्रतिवर्ष 55 से ₹200 तक जमा करने होते हैं। 

60 वर्ष की अवधि समाप्त होने के बाद किसान को पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है। यदि किसी कारणवश किसान की मृत्यु हो जाती है तो किसान की पत्नी को 50% पेंशन दी जाएगी।

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3. पीएम कुसुम योजना :-

आजकल गांव में बिजली की समस्या बहुत ही गंभीर है। ऐसे में किसानों को समय पर बिजली ना मिल पाने के कारण उनकी फसलों को समय पर पानी नहीं मिल पाता जिससे फसलें में खराब हो जाती हैं। 

किसानों की इन्हीं समस्याओं को देखते हुए भारत सरकार द्वारा पीएम कुसुम योजना चलाई गई है। जिसके अंतर्गत किसानों को सोलर पैनल्स खरीदने पर सब्सिडी दी जाती है। जिससे किसान बिजली संबंधी अपनी समस्या को दूर कर सकें।

4. जैविक खेती योजना :-

इस योजना के अंतर्गत किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया गया है। क्योंकि हम सभी जानते हैं कि वर्तमान में किसान कई प्रकार के रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं। 

जिसकी वजह से किसानों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में भारत सरकार द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा देने के कई प्रयास किए जा रहे हैं इसके लिए भारत सरकार ने जैविक खेती योजना शुरू की। इस योजना में जो कृषक जैविक खेती करते हैं उसको सरकार द्वारा इनाम दिया जाता है।

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5. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना :-

खेती करना किसानों के लिए आसान नहीं होता। खेती में किसानों को कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। 

इन प्राकृतिक आपदाओं जैसे ओलावृष्टि, बाढ़, तेज आंधी के कारण किसान की फसलें नष्ट हो जाती है जिससे उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। 

इन सब समस्याओं के कारण सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana MINISTRY OF AGRICULTURE & FARMERS WELFARE) लागू की गई है जिसके माध्यम से किसान को फसलों के लिए पीना की सुरक्षा मिलती है।

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सरकार द्वारा योजना लागू करने का उद्देश्य :-

हमारे देश में विभिन्न प्रकार के किसानों रहते हैं। सभी किसानों की आर्थिक स्थिति एक जैसी नहीं है इसके चलते कुछ किसान अमीर और कुछ किसान बहुत अधिक गरीब है। 

इन्हीं समस्याओं के कारण भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की योजना चलाई गई हैं। जिसके माध्यम से सभी प्रकार के किसान अपने खेतों में अच्छी से अच्छी फसल उगा सकें और उनकी आर्थिक स्थिति सुधर सके।

कुसुम योजना के तहत 60% अनुदान पर किसानों को मिलेगा सोलर पंप

कुसुम योजना के तहत 60% अनुदान पर किसानों को मिलेगा सोलर पंप

अच्छी फसल के लिये सिंचाई का सुनिश्चित साधन का होना आवश्यक है. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा किसानों को सब्सिडी पर सोलर पम्प मुहैया कराई जा रही है, जिससे किसानों के लिये समय पर अपनी फसलों की सिंचाई करने में कोइ परेशानी नहीं हो और फसलों की लागत में भी कमी आए। 

भारत सरकार द्वारा देश भर में इसके लिए कुसुम योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत राज्य सरकारों द्वारा समय-समय पर आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के किसान योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

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उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सोलर पम्प पर सब्सिडी देने के लिए किसानों से आवेदन माँगे गए हैं। ऑनलाइन आवेदन कर इच्छुक किसान सोलर पम्प की बुकिंग कर टोकन जनरेट कर सकते हैं। टोकन प्राप्त करने के बाद किसानों को चालान के माध्यम से अपने अंश की राशि बैंक शाखा में जमा करानी होगी।

सोलर पम्प पर दिया जाने वाला अनुदान

किसानों को कुसुम योजना के तहत सोलर पंप की लागत का कुल 60 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में सरकार देगी. किसानों को लागत का 40 प्रतिशत हिस्सा स्वयं देना होगा।

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सोलर पम्प की क़ीमत एवं अनुदान

  • सरकार ने 2 एचपी डीसी और एसी सर्फेस पम्प के लिए 1 लाख 44 हजार 526 रूपये मूल्य निर्धारित किया है। जिसमें किसानों को मात्र 57 हजार 810 रूपये देना होगा, शेष राशि सब्सिडी के रूप में सरकार द्वारा दी जाएगी।
  • वहीं 2 एचपी. डीसी सबमर्सिबल पम्प का मूल्य 1 लाख 47 हजार 131 रुपए निर्धारित है। इस पर किसानों को 88 हजार 278 रुपए की सब्सिडी दी जाएगी और किसानों का अंशदान 58 हजार 835 रूपये होगा.
  • 2 एचपी. एसी सबमर्सिबल की लागत मूल्य 1 लाख 46 हजार 927 रूपये, सब्सिडी 88 हजार 756 रूपये और किसानों के अंशदान की राशि 59 हजार 71 रूपये होगा.
  • 3 एचपी एसी एवं डीसी सबमर्सिबल की क़ीमत सरकार ने 1 लाख 94 हजार 516 रुपए रखी है। इसमें किसानों को 1 लाख 16 हजार 710 रूपये का सब्सिडी मिलेगा जबकि शेष राशि 77 हजार 806 रूपये किसानों को अंशदान के रूप नें देना होगा.
  • वहीं 3 एचपी. एसी सबमर्सिबल के लिए सोलर पम्प की लागत 1 लाख 93 हजार 460 रूपये निर्धारित है. इस पर सरकार किसानों को 1 लाख 16 हजार 076 रूपये सब्सिडी देगी। जबकि शेष राशि अंशदान के रूप में किसानों को 77 हजार 384 रूपये देना होगा |
  • 5 एचपी. एसी सबमर्सिबल की क़ीमत कुसुम योजना के तहत 2 लाख 73 हजार 137 रूपये लागत मूल्य तय है. 5 एचपी. एसी सबमर्सिबल पर सरकार 1 लाख 63 हजार 882 रूपये का अनुदान देगी, जबकि अंशदान के रूप में किसानों को शेष राशि 1 लाख 09 हजार 255 रूपये देना होगा.
  • 7.5 एचपी.एसी सबमर्सिबल की क़ीमत सरकार नें 3 लाख 72 हजार 126 रूपये तय किया है. इस पर सरकार किसानों को 2 लाख 23 हजार 276 रूपये अनुदान देगी, जबकि शेष राशि 1 लाख 48 हजार 850 रुपए किसानों को देना होगा।
  • 10 एचपी.एसी सबमर्सिबल की लगत मूल्य 4 लाख 64 हजार 304 रूपये निर्धारित है. इस पर किसानों को 2 लाख 78 हजार 582 रूपये अनुदान मिलेगा, जबकि शेष राशि 1 लाख 85 हजार 722 रुपए किसानों को देना होगा।
  • सिचाई के लिये पम्प के लिये इच्छुक किसानों के खेतों में बोरिंग होना आवश्यक है. राज्य उन्हीं किसानों को योजना का लाभ देगी जिनके खेत में बोरिंग उपलब्ध होगा.

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इसके लिए कुछ नियम बनायें हैं:

  • 2 एचपी हेतु 4 इंच, 3 एवं 5 एचपी हेतु 6 इंच तथा 7.5 एवं 10 एचपी हेतु 8 इंच का बोरिंग होना चाहिए.
  • किसानों को बोरिंग स्वयं करानी होगी.
  • 22 फिट तक 2 एचपी सर्फेस, 50 फिट तक 2 एचपी सबमर्सिबल, 150 फिट तक 3 एचपी सबमर्सिबल, 200 फिट तक 5 एचपी सबमर्सिबल तथा 300 फिट तक की गहराई पर उपलब्ध जल स्तर हेतु 7.5 एवं 10 एचपी के सबमर्सिबल सोलर पम्प उपयुक्त होते हैं.
  • जलस्तर के अनुसार किसान पंप का चयन करेंगे.

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किसानों को योजना का लाभ लेने के लिए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की वेबसाइट http://upagriculture.com पर पंजीकरण होना आवश्यक होगा. 

ऑनलाइन बुकिंग और टोकन जनरेट करने के उपरान्त कृषक अंश की धनराशि एक सप्ताह के अन्दर किसी भी इण्डियन बैंक की शाखा में जमा करनी होगी, अन्यथा कृषक का चयन स्वतः निरस्त हो जायेगा।

जाने खेती के साथ-साथ बिजली उत्पादन करते हुए कैसे कमा रहे हैं किसान ज्यादा आमदनी

जाने खेती के साथ-साथ बिजली उत्पादन करते हुए कैसे कमा रहे हैं किसान ज्यादा आमदनी

खेती करते हुए किसान खेती के साथ-साथ अलग-अलग तरह के व्यवसाय करते रहते हैं। ताकि उन्हें और ज्यादा आमदनी होती रहे और आर्थिक तौर पर वह मजबूत बने रहे। 

आपने खेती-बाड़ी के साथ-साथ पशुपालन या फिर फूलों आदि की खेती के बारे में तो जरूर सुना होगा। लेकिन क्या आपने कभी खेती के साथ बिजली उत्पादन करते हुए किसानों को लाभ कमाते देखा है। 

आजकल के आधुनिक दौर में क्या कुछ मुमकिन नहीं है। इसी तरह से किसानों के लिए एक बहुत ही अच्छी पहल सरकार की तरफ से की गई है। इसमें किसान खेती के साथ-साथ बिजली उत्पादन करते हुए लाभ कमा सकते हैं। 

इस स्कीम के तहत सबसे अच्छी बात है, कि सरकार खुद किसानों को इसके लिए प्रेरित कर रही है और अच्छी खासी मदद भी दे रही है। 

अब सौर ऊर्जा को प्रमोट करते हुए खेत में सोलर पंप से लेकर सोलर प्लांट लगवाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। जिससे कृषि कार्यों के लिए खेतों से ही बिजली मिल जाए। साथ में, बिजली कंपनियों को भी बिजली को बेचकर अतिरिक्त आमदनी हो जाए। 

उत्तर प्रदेश में भी जल्द किसानों को ऐसी ही एक योजना का लाभ मिलने वाला है। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 6 जिलों में प्राइवेट डेवलपर्स यानी किसानों के साथ बिजली को खरीदने के लिए एक समझौता किया है। 

इस एग्रीमेंट का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना है और यह पीएम कुसुम योजना के तहत लागू किया जा रहा है। इस योजना के तहत 7 मेगावाट सोलर पावर जेनरेशन प्रोजेक्ट को गति देने के लिए किया गया है।

कैसे होगी किसानों की आमदनी

अगर किसानों की भूमि बंजर और अनुपयोगी है, तो उत्तर प्रदेश के किसान अपनी भूमि पर सोलर पावर प्लांट लगवा सकते हैं। 

यह सोलर पावर प्लांट लगवाने के लिए किसानों को तमाम तरह के बैंक और वित्तीय संस्थाएं पूरी तरह से मदद करेंगे। इसके अलावा इस योजना के तहत आप सरकार से सब्सिडी भी ले सकते हैं। ताकि आपको शुरुआती समय में ज्यादा खर्च ना करना पड़े।

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इतना ही नहीं, किसान अपने खेतों में लगे सोलर प्लांट से बिजली का उत्पादन लेकर ना सिर्फ कृषि कार्यों को बिना किसी खर्च में पूरा कर सकते हैं। बल्कि प्राइवेट बिजली कंपनियों को बेचकर अतिरिक्त आमदनी भी कमा सकते हैं। 

फिलहाल, सौर बिजली उत्पादन की सुविधा यूपी के बिजनौर, हाथरस, महोबा, जालौन, देवरिया और लखनऊ में दी जाएगी।

कितना होगा बिजली उत्पादन

यूपीपीसीएल के अध्यक्ष एम. देवराज ने बताया है, कि बिजनौर के विलासपुर गांव में 1.5 मेगावाट का सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र बनाया जाएगा। हाथरस के मौहारी गांव में 0.5 मेगावाट और देवगांव के गांव में 1 मेगावाट की सुविधा दी जाएगी।

महोबा और जालौन के खुकसिस गांव में 1 मेगावाट और बरियार गांव में 1 मेगावाट की सुविधा वाला सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र बनाने का प्लान है। यहां पर किसानों को दो तरह के विकल्प दिए गए हैं। 

पहला या तो वह डीजल से चलने वाले सिंचाई पंप को सोलर एनर्जी सिंचाई पंप में अपग्रेड करवा सकते हैं या फिर अपने खेत में सोलर प्लांट लगवाने की व्यवस्था कर सकते हैं। 

कमाई की बात की जाए, तो इस तरह से लगे हुए सोलर पावर प्लांट से किसान सालाना लगभग 80,000 रुपये तक कमा सकते हैं। 

इस योजना के तहत सरकार की तरफ से किसानों को सोलर पंप की लागत पर 90 फीसदी सब्सिडी भी उपलब्ध करवाई जाएगी।

क्या है पीएम कुसुम योजना

पीएम कुसुम योजना के तहत 1 मेगावाट का सोलर प्लांट लगवाने के लिए लगभग 5 एकड़ जमीन की जरूरत होती है। वहीं पर अगर आप 0.2 मेगावाट बिजली का उत्पादन करना चाहते हैं, तो यह केवल 1 एकड़ जमीन में भी किया जा सकता है। 

इस योजना के तहत किसानों को सबसे बड़ा फायदा यह है, कि उन्हें स्वयं भी किसी तरह की बिजली से जुड़ी हुई समस्याओं से नहीं जूझना पड़ेगा। 

साथ ही, वह बनने वाली एक्स्ट्रा बिजली को बेचकर ज्यादा आमदनी भी कमा सकते हैं। जिससे उनके आर्थिक हालात सुधारने में बेहद मदद मिलेगी।

इस राज्य में हिम ऊर्जा सोलर पॉवर यूनिट लगवाने पर 40% प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा

इस राज्य में हिम ऊर्जा सोलर पॉवर यूनिट लगवाने पर 40% प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा

हिमाचल प्रदेश में हिम ऊर्जा का 250 से 5 मेघावाट का भूमि पर पॉवर प्लांट स्थापित करने का प्रोजेक्ट चालू किया गया है, जिसके अंतर्गत 250 से 1 मेघावाट के प्रोजेक्ट के लिए कोई भी हिमाचली युवा इस प्रोजेक्ट को लगवा सकता है। साथ ही, सरकार को बिजली बेच कर बेहतरीन आमदनी कर सकता है। हिमाचल प्रदेश सोलर ऊर्जा के मामले में अग्रणी राज्यों में से एक है। साथ ही, सरकार की तरफ से इसके विकास और उन्नति हेतु बहुत सारे कदम उठाए गए हैं। जिनके अंतर्गत हिम ऊर्जा के 250 मेगावाट से 5 मेघावाट के प्रोजेक्ट के जरिए जहां एक ओर बिजली की परेशानियां दूर की जा सकती हैं। दूसरी तरफ बेरोजगार युवाओं के लिए एक रोजगार का उत्तम विकल्प भी है। यहां हिम ऊर्जा के सोलर पॉवर प्रोजेक्ट की संपूर्ण जानकारी है।

हिम ऊर्जा के रूफ टॉप पावर प्लांट स्थापना हेतु मिलेगा 40% प्रतिशत अनुदान

हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा एक विशेष योजना जारी की गई है। इस योजना का नाम "सौर उत्पादक एवं अधिगम परियोजना" है। इस योजना के अंतर्गत, निजी एवं सरकारी संस्थानों की छत पर सोलर प्लांट स्थापित करने हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है। इस योजना के चलते सरकारी संस्थानों को 70% प्रतिशत तो वहीं निजी संस्थानों को 30% फीसद अनुदान मुहैय्या किया जाता है। इसके अतिरिक्त इस योजना के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति अपने घर की छत पर 1 से 3 किलोवाट का पॉवर प्लांट स्थापित कर सकता है। इसके लिए हिमाचल सरकार भी 40% प्रतिशत तक का अनुदान प्रदान करती है। इसके साथ ही, योजना के तहत स्थापित सोलर प्लांट की ऊर्जा उत्पादन भी उस संस्था हेतु निःशुल्क होती है, जिसमें वह लगवाई गई है। यह भी पढ़ें : इस राज्य के किसानों को मिलेगा सोलर पंप पर अब 75% प्रतिशत अनुदान इस योजना का प्रमुख लक्ष्य है, कि हिमाचल प्रदेश के संस्थानों के तरफ से उत्पन्न विघुत खर्च कम किया जा सके। वह स्वतंत्र ऊर्जा के स्रोत का इस्तेमाल करके अपनी ऊर्जा जरूरतों की पूर्ती की सकें। यह योजना हिमाचल प्रदेश के लिए एक काफी बड़ी पहल है, जो कि स्वतंत्रता से विघुत उत्पादन करने में सहायक भूमिका निभाएगा।

किसान भाई अपनी भूमि पर सोलर ऊर्जा प्लांट स्थापित कर अच्छी आय कर सकते हैं

जानकारी के लिए बतादें, कि हिमाचल प्रदेश के अंदर हिम ऊर्जा का 250 से 5 मेघावाट का भूमि पर पॉवर प्लांट लगाने का प्रोजेक्ट चालू किया गया है। इसके अंतर्गत 250 से 1 मेघावाट के प्रोजेक्ट हेतु कोई भी हिमाचली युवा इस प्रोजेक्ट को स्थापित कर सकते हैं। साथ ही, सरकार भी बिजली बेचकर काफी बेहतरीन आमदनी कर सकती है। इसके अतिरिक्त गैर हिमाचली भी 1 से 5 मेघावाट तक का हिम ऊर्जा का प्रोजेक्ट स्थापित कर सकते हैं। लेकिन, ध्यान रहे कि हिमाचल प्रदेश में उसकी स्वयं की भूमि हो अथवा लीज पर ली गई हो। इस प्रोजेक्ट में 1 मेघावाट तक का पॉवर प्लांट स्थापित करवाने हेतु न्यूनतम 1 करोड़ रुपये के खर्चे की आवश्यकता होगी। यह भी पढ़ें : किसान के खर्चो में कमी करने के लिए सबसे अच्छा उपाय है सोलर एनर्जी पर निर्भरता

हिमाचल प्रदेश में समकुल कितने हिम ऊर्जा के प्रोजेक्ट हैं

हिमाचल प्रदेश में समकुल 330 MW का सोलर पॉवर प्रोजेक्ट चालू किया गया है। इनमें से 10 MW की लगवाने हेतु सोलन जनपद में, 100 MW का स्थापित करने ऊना जनपद में वहीं 210 MW की स्थापना कांगड़ा जनपद में की गई हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा अपने अनुमति पत्र वापस लेने के उपरांत कुछ प्रोजेक्ट हेतु अधिकृत ठहराया है। बाकी प्रोजेक्ट भी चालू होने वाले हैं।

हिमाचल प्रदेश में सोलर ऊर्जा प्रोजेक्ट से होंगे काफी फायदे

सोलर पॉवर प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश के लिए काफी सहायक भूमिका निभा रहा है। इससे यहां की जनता के साथ सरकार को भी काफी फायदा पहुंच रहा है। जानकारी के लिए बतादें कि इससे रोजगार के विकल्प भी उत्पन्न हो रहे हैं। साथ ही, विघुत आपूर्ति में भी इजाफा हो रहा है। इसकी वजह से राज्य में निवेश भी काफी बढ़ रहा है। सोलर ऊर्जा के माध्यम से सड़कों एवं गलियों में विघुत तारों के जाल से निजात मिलती है। साथ ही, सबसे प्रमुख और विशेष बात यह है, कि सोलर ऊर्जा के माध्यम से जल और जलवायु संरक्षण में सहायता मिलती है। साथ ही, लोगों की जीवन शैली में भी काफी हद तक सुधार होता है।

सोलर पॉवर प्रोजेक्ट पर लगभग कितना खर्च हो सकता है

बतादें, कि सोलर पॉवर प्रोजेक्ट हेतु समकुल निवेश की गणना करना काफी मुश्किल है। हालाँकि, जानकारी साझा करते हुए हिमाचल प्रदेश हिमऊर्जा के प्रोजेक्ट मैनेजर विनीत सूद ने कहा है, कि प्रोजक्ट पर आने वाला खर्चा उसके आकार पर निर्भर करता है। यानी कि प्रोजेक्ट का आकार जितना होगा और इसकी जितनी क्षमता होगी उतना ही लागत पर खर्चा आयेगा। उन्होंने कहा है, कि 1 MW सोलर पॉवर प्रोजेक्ट के लिए समकुल निवेश तकरीबन 1 करोड़ रुपये तक हो सकता है। इस आधार पर यदि MW के आकार में इजाफा होता है, तो लागत में भी इजाफा हो जाता है।