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स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग, 20 मार्च को होगा हल्लाबोल

स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग, 20 मार्च को होगा हल्लाबोल

जल्द से जल्द स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर अखिल भारतीय किसान सभा ने हुंकार भर दी है. जिसे लेकर वो ससंद में 20 मार्च को घेराव करते हुए हल्ला बोलेगी. कई मुद्दों को लेकर अखिल भारतीय किसान सभा ने 20 मार्च को संसद तक मार्च करने का ऐलान किया है. अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि, देश में कसानों की ऋण से जुड़ी शिकायतों को दूर करने के लिए राष्ट्रीय कृषि ऋणराहत आयोग का गठन किया जाए. आपको बता दें कि, एआईकेएस के राज्य अध्यक्ष ने जूलूस का नेतृत्व किया. यह जुलूस कासरगोड से लेकर त्रिशूर तक निकाला गया. इस दौरान ध्यक्ष जे. वेणुगोपालन नायर ने सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि, अच्छे दिन लाने के लिए कोई भी कदम सरकार की तरफ से नहीं उठाये जा रहे. देश के पीएम ने अपने एक साल पुराने वादों को अब तक पूरा नहीं किया. जो किसानों को धोखा देने के बराबर है. उन्होंने कहा कि, किसानों की मांग कृषि उपज के लिए एमएसपी की क़ानूनी गारंटी है. ज्यादातर किसान अपनी उपज को उत्पादन में लगाई हुई लागत से कम में बेचने को मजबूर हैं. जिस वजह से वो कर्ज के मकड़जाल में फंसते चले जा रहे हैं. इससे बचने और कर्ज से निपटने के लिए केंद्र सरकार से अखिल भारतीय किसान सभा ने ऋण राहत आयोग के गठन की मांग उठायी है. इसके अलावा उनका कहना है कि, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को भी लागू करना चाहिए. क्योंकि यह भी एक बेहद जरूरी मांग है. केंद्र सरकार पर किसान विरोधी नीतियों का आरोप लगाते हुए अन्य किसानों से भी इस विरोध में शामिल होने की बात कही.
'हरित क्रांति' के जनक भारत के महान कृषि वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन का हुआ स्वर्गवास

'हरित क्रांति' के जनक भारत के महान कृषि वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन का हुआ स्वर्गवास

भारत में हरित क्रांति के जनक एम.एस. स्वामीनाथन जी का स्वर्गवास 28 सितंबर, 2023 को सुबह 11.20 बजे चेन्नई में हो गया है। अपने पिता से प्रेरित होकर इन्होंने कृषि जगत में बहुत सारे अहम योगदान दिए। प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एवं देश की 'हरित क्रांति' के जनक, एमएस स्वामीनाथन के नाम से विख्यात मनकोम्बु संबाशिवन स्वामीनाथन का 28 सितंबर, 2023 को सुबह 11.20 बजे चेन्नई में उनके आवास पर निधन हो गया। निधन के समय स्वामीनाथन की आयु 98 वर्ष थी। उनकी तीन बेटियां हैं - सौम्या स्वामीनाथन, मधुरा स्वामीनाथन और नित्या राव. उनकी पत्नी मीना स्वामीनाथन की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी।

डॉ स्वामीनाथन किससे प्रभावित होकर कृषि क्षेत्र में आने को प्रेरित हुए

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि 7 अगस्त, 1925 को कुंभकोणम में एक सर्जन एमके संबासिवन और पार्वती थंगम्मल के घर जन्मे स्वामीनाथन ने अपनी स्कूली शिक्षा वहीं की थी। कृषि विज्ञान में गहरी दिलचस्पी रखने वाले स्वामीनाथन को स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदार रहे उनके पिता एवं महात्मा गांधी के प्रभाव ने उन्हें इस क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित किया। परंतु, इससे पूर्व वह पुलिस विभाग में नौकरी के लिए भी कार्यरत थे, जिसके लिए उन्होंने 1940 के दशक के अंत में योग्यता हांसिल की। स्वामीनाथन ने दो स्नातक डिग्रियाँ हांसिल कर लीं थीं, जिनमें से एक कृषि महाविद्यालय, कोयंबटूर (अब, तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की थी।

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डॉ. स्वामीनाथन ने हरित क्रांति की प्रमुख फसलों पर विशेष कार्य किया

डॉ. स्वामीनाथन ने 'हरित क्रांति' की सफलता के लिए दो केंद्रीय कृषि मंत्रियों, सी. सुब्रमण्यम (1964-67) और जगजीवन राम (1967-70 और 1974-77) के साथ मिलकर कार्य किया था, जिसके चलते उन्होंने भारत में कई कृषि उपलब्धियों को कार्यान्वित करने की दिशा में कार्य किया। इन्होंने रासायनिक-जैविक प्रौद्योगिकी के अत्यधिक उत्पादन के जरिए गेहूं और चावल की उत्पादकता में बढ़ोत्तरी की दिशा में प्रयास किया। प्रसिद्ध अमेरिकी कृषि वैज्ञानिक और 1970 के नोबेल पुरस्कार विजेता नॉर्मन बोरलाग की गेहूं पर खोज ने इस संबंध में एक बड़ी भूमिका निभाई थी।
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और नरसिम्हा राव को भारत रत्न मिलने पर परिजनों ने जताई खुशी

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और नरसिम्हा राव को भारत रत्न मिलने पर परिजनों ने जताई खुशी

भारत सरकार की तरफ से पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह के परिवार ने सरकार को धन्यवाद कहा है और घोषणा को लेकर खुशी जाहिर की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (9 जनवरी, 2024) को भारत रत्न के लिए तीन और लोगों के नाम की घोषणा की है। पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले एम. एस. स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। भारत सरकार की इस घोषणा के बाद उनके घर वालों ने अपनी खुशी जाहिर की है और सरकार का आभार प्रकट किया है। 

पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की बेटी वाणी राव ने कहा कि यह बहुत खुशी का पल है। उन्होंने कहा कि पहले ही ऐसा होना था, लेकिन कहते हैं न कि भगवान के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं है। वानी राव ने आगे कहा, 'बहुत खुशी का दिन है पूरा तेलंगाना खुश है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को मैं धन्यवाद देती हूं। उनकी अच्छी बात है कि कोई कितना कोने में रहता हो, उसको लाइम लाइट में लाना, सम्मान करना वो मोदी जी का बड़प्पन है।'

नरसिम्हा राव को भारत रत्न मिलने पर परिवार की भावनात्मक प्रतिक्रिया 

बीजेपी नेता और पीवी नरसिम्हा राव के पोते एनवी सुभाष ने कहा कि पीएम मोदी ने उन्हें भारत रत्न सम्मान देने का ऐलान किया है, जबकि वह कांग्रेसी थे। उन्होंने कहा, 'मैं 2004 से 2014 तक सत्ता में रहे यूपीए सरकार और खासतौर से गांधी परिवार की निंदा करता हूं कि किसी अवॉर्ड से सम्मानित नहीं किया।' उन्होंने कहा कि वह नरसिम्हा राव को भारत रत्न सम्मान दिए जाने पर काफी खुश हैं और भावुक भी हैं। एनवी सुभाष ने कहा कि हमें लगता था कि इसमें देरी होगी, लेकिन तेलंगाना बीजेपी के प्रयास से ऐसा हो रहा है। उन्होंने तेलंगाना बीजेपी को भी धन्यवाद कहा है।

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चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी ने भी जताई खुशी

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी ने भी घोषणा को लेकर खुशी जाहिर की है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करके अपनी खुशी जाहिर की है। जयंत चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ट्वीट साझा करते हुए कैप्शन में लिखा, 'दिल जीत लिया!' भारत सरकार ने इस साल भारत रत्न के लिए पांच लोगों के नाम की घोषणा की है। 

3 फरवरी को पीएम मोदी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का ऐलान किया था। उससे पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को 24 जनवरी को उनकी 100वीं जयंती पर मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 फरवरी को एक्स पर नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की घोषणा की है। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा कि हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है।

किसान आंदोलन: क्या है एम.एस स्वामीनाथन का C2+50% फॉर्मूला ?

किसान आंदोलन: क्या है एम.एस स्वामीनाथन का C2+50% फॉर्मूला ?

भारत सरकार ने हाल ही में महान कृषि वैज्ञानिक एम.एस स्वामीनाथन को मरणोपरांत किसानों के लिए दिए गए योगदान के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया है। आज फसलों के लिए MSP कानून की मांग कर रहे किसान एम.एस स्वामीनाथन के C2+50% फॉर्मूले के अंतर्गत एमएसपी की धनराशि का भुगतान करने की मांग कर रहे हैं।

देशभर के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी का कानून बनाने सहित 12 मांगों के समर्थन में दिल्ली कूच कर रहे हैं। किसानों के लिए कई जगह सीमाओं को सील कर दिया गया है। यह पहली बार नहीं है, कि किसान सड़कों पर उतरें हैं। किसान हमेशा से अपनी मांगों को आंदोलन के माध्यम से उठाते आ रहे हैं। किसान एम एस स्वामीनाथन आयोग की एमएसपी पर की गई सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे हैं। चलिए जानते हैं, स्वामीनाथन आयोग और उसकी सिफारिशों के बारे में। 

नवंबर 2004 में 'नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स' एक आयोग बना था  

किसानों की समस्याओं के अध्ययन के लिए नवंबर 2004 में मशहूर कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था। इसे 'नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स' कहा गया था। दिसंबर 2004 से अक्टूबर 2006 तक इस कमेटी ने सरकार को छह रिपोर्ट सौंपी। इनमें कई सिफारिशें की गई थीं।

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स्वामीनाथन आयोग ने अपनी सिफारिश में किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें उनकी फसल लागत का 50 फीसदी ज्यादा देने की सिफारिश की थी। इसे C2+50% फॉर्मूला कहा जाता है। आंदोलनकारी किसान इसी फार्मूले के आधार पर MSP गारंटी कानून लागू करने की मांग कर रहे हैं।

स्वामीनाथन का C2+50% फॉर्मूला क्या है ?

मालूम हो कि स्वामीनाथन आयोग ने इस फार्मूले की गणना करने के लिए फसल लागत को तीन हिस्सों यानी A2, A2+FL और C2 में बांटा था। A2 लागत में फसल का उत्पादन करने में सभी नकदी खर्चे को शामिल किया जाता है। इसमें खाद, बीज, पानी, रसायन से लेकर मजदूरी इत्यादि सभी लागत को जोड़ा जाता है। 

A2+FL कैटगरी में कुल फसल लागत के साथ-साथ किसान परिवार की मेहनत की अनुमानित लागत को भी जोड़ा जाता है। जबकि C2 में नकदी और गैर नकदी लागत के अलावा जमीन का लीज रेंट और उससे जुड़ी चीजों पर लगने वाले ब्याज को भी शामिल किया जाता है। स्वामीनाथन आयोग ने C2 की लागत को डेढ़ गुना यानी C2 लागत के साथ उसका 50 फीसदी खर्च जोड़कर एमएसपी देने की सिफारिश की थी। अब किसान इसी फॉर्मूले के अंतर्गत उन्हें एमएसपी देने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, सरकार और किसानों के बीच फिलहाल इस मुद्दे का कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है।