बारिश के मौसम में खेतों में जहां पानी की समस्या नहीं रहती, वहीं ज्यादा बारिश की स्थिति में पैदावार के नष्ट होने का भी खतरा मंडराने लगता है। लेकिन हम बात कर रहे हैं बारिश के मौसम में कम समय, अल्प लागत में पनपने वाली ऐसी सब्जियों की जिनसे किसान वर्ग दमदार उत्पादन के साथ तगड़ा मुनाफा कमा सकता है। आम जन भी इससे अपने घरेलू खर्च में बचत कर सकते हैं।
मानसून की बारिश सब्जियों की पैदावार के लिए एक तरह से आदर्श स्थिति है। ऐसा इसलिए क्योंकि बरसात के मौसम में सिंचाई की समस्या से किसान को छुटकारा मिल जाता है।
देश के कई हिस्सों में मानसून की दस्तक के साथ ही वेजिटेबल फार्मिंग (Vegetable Farming) यानी सब्जियों की पैदावार का भी बढ़िया वक्त आ चुका है।
मानसून का मौसम खरीफ की किसानी के लिए अति महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा कुछ सब्जियां ऐसी भी हैं जो बारिश के पानी की मदद से तेजी से वृद्धि करती हैं।
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सिंचाई की लागत कम होने से ऐसे में किसान के लिए मुनाफे के अवसर बढ़ जाते हैं। तो फिर जानें कौन सी हैं वो सब्जियां और उन्हें किस तरह से उगाकर किसान लाभ हासिल कर सकते हैं।
ककड़ी (खीरा) और मूली
किसानों के लिए सलाद के साथ ही तरकारी में उपयोग की जाने वाली ककड़ी (खीरा) और मूली बारिश में कमाई का तगड़ा जरिया हो सकती है। इन दोनों के पनपने के लिए बारिश का मौसम एक आदर्श स्थिति है।
इतना ही नहीं इसकी पैदावार के लिए किसान को ज्यादा जगह की जरूरत भी नहीं पड़ती, बल्कि छोटी सी जगह पर किसान मात्र 21 से 28 दिनों के भीतर बेहतर कमाई कर सकते हैं। फली वाली सब्जियां
जी हां हरी-भरी बीन्स जैसे कि सेम, बरबटी लगाकर भी किसान कम समय में अच्छे उत्पादन के साथ बढ़िया आमदनी कर सकते हैं।
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फलीदार सब्जियों के पनपने के लिए जुलाई और अगस्त का महीना सबसे अनुकूल माना गया है। बेलदार पौधे होने के कारण इन्हें लगाने के लिए भी ज्यादा जरूरत नहीं होती।
पेड़ या दीवार के सहारे फलीदार सब्जियों की पैदावार कर किसान रुपयों की बेल भी पनपा सकते हैं। मानसूनी जलवायु फलीदार पौधों के विकास के लिए आदर्श स्थिति भी है।
कड़वाहट की बात आए तो भारत में यह जरूर कहते हैं कि, करेला वो भी नीम चढ़ा, लेकिन किसान के लिए कमाई के दृष्टिकोण से करेला मिठास घोल सकता है।
दरअसल करेला कड़वा जरूर है, लेकिन यह कई तरीकों से औषधीय गुणों से भी भरपूर है। करेला मनुष्य को कई तरह की बीमारियों से बचाव करने में भी सहायक है।
विविध व्यंजनों एवं औषधीय रूप से महत्वपूर्ण करेले की मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है। तो किसान बारिश के कालखंड में बेलदार करेले की पैदावार कर अल्प अवधि में बड़ा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। हरी मिर्च की खनक और धनिया की महक
कहते हैं न साग-तरकारी का स्वाद हरी मिर्च और धनिया की रंगत के बगैर अधूरा है। खास तौर पर बारिश के मौसम में बाजार में हरी मिर्च और धनिया की मांग और दाम उफान पर रहते हैं।
किसान के खेत की मिट्टी बलुआ दोमट या लाल हो तो यह फिर सोने पर सुहागा वाली स्थिति होगी। ये दोनों ही मिट्टी इनकी पैदावार के लिए सर्वाधिक उपयुक्त हैं। बारिश के मौसम किसान खेत में, जबकि इसके स्वाद के दीवाने लोग अपने किचन या फिर छत एवं बाग-बगीचे में