पशुपालन की बात करें, तो हम बकरियों को कैसे भूल सकते हैं। इन बकरियों का इस्तेमाल किसान प्राचीन काल से ही करते आ रहे हैं। क्योंकि इन से प्राप्त गोबर से बनी जैविक खाद कृषि उत्पादन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। बकरियों का मुख्य स्त्रोत वैसे तो दूध देना होता है। परंतु या किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक होती हैं। किसान खेती तथा पशुपालन कर अपना आय निर्यात करते हैं। यह कार्य किसान प्राचीन काल से करते चले आ रहे हैं। बकरियों का कृषि उपज में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है कृषि के कई कार्यों में इनका इस्तेमाल किया जाता है।
कभी-कभी किसानों को अपने खेत द्वारा फायदा नहीं होता तो वह पशुपालन की ओर बढ़ते है। कुछ ही वक्त में किसान पशुपालन से ज्यादा लाभ उठा लेता है। बकरी पालन व नवजात मेमने की देखभाल रखे कुछ सावधानियां ।
यदि आप भी पशुपालन द्वारा धन की प्राप्ति करना चाहते हैं। तो यह उच्च विचार है क्योंकि आप बकरी पालन में बहुत ज्यादा फायदा उठा सकते हैं। अब आप यह सोच रहे होंगे, कि बकरी पालन में इतना फायदा क्यों होता है, क्योंकि या मार्केट में उचित दाम पर बिकते हैं। जिससे आपको अच्छी धन की प्राप्ति होती है।बकरियों को बाजार में बेचने में कोई समस्या नहीं होती। किसान के लगाए हुए मूल्य पर यह बकरियां मार्केट में बिका करती हैं।
बकरियों की भारतीय नस्लें (Goat Breeds in India)
किसान द्वारा पशुपालन की नस्लों को निम्नलिखित भागों में बांटा गया हैं। पूर्ण रूप से भारत में लगभग 21 मुख्य बकरियों की नस्लें पाई जाती है।
बकरियों की दुधारू नस्लें (Milch Breeds of Goats) in Hindi
बकरियों की नस्ल में दुधारू नस्लें कुछ इस प्रकार की होती हैं जैसे: बरबरी ,बीटल ,सूरती, जखराना, जमुनापारी आदि।
बकरी पालने करने के तरीके: ( Methods of Raising Goats:) in Hindi
ये भी पढ़े: कम पैसे में उगायें हरा चारा, बढ़ेगा दूध, बनेगा कमाई का सहारा
बकरियों को पालने के लिए आपको बहुत बड़ी जगह की आवश्यकता नहीं होती।आप साधारण स्थान पर भी उनका पालन पोषण कर सकते हैं। उन्हें आप अपने घर के किसी भी हिस्से में आसानी से रख सकते हैं।वह भी काफी बड़ी मात्रा में , अगर आप भी बकरी पालने का काम शुरू करना चाहते हैं। तो आपको बड़ी जगह लेने की जरूरत नही पड़ेगी। बकरी पालन का मुख्य क्षेत्र बुंदेलखंड है। जहां इन बकरियों का पालन पोषण किया जाता है। या बकरियां खेतों में घूमते फिरते, चारा चर अपना पेट भर लेती हैं। बकरियों के लिए अलग से चारों की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है।
बकरियों की प्रजनन क्षमता: ( Fertility of Goats:)
बकरियों की प्रजनन क्षमता बहुत होती हैं ,यह सिर्फ करीबन डेढ़ साल की उम्र में ही बच्चा प्रजनन करने की क्षमता रखती है। 6 से 7 महीनों के अंदर उनका जन्म हो जाता है। एक बकरियां एक बार में तीन से चार या कभी-कभी उससे अधिक बच्चे भी पैदा करती हैं। इनकी वृद्धि का यह भी मुख्य कारण है। कि यह 1 साल में दो बार प्रजनन क्षमता की शक्ति रखती हैं।जिससे इनकी संख्या में काफी वृद्धि हो जाती है। किसान या बकरियों के मालिक इनको लगभग 1 वर्ष की उम्र में या फिर उससे कम समय से ही बेचना शुरू कर देते हैं।
बकरियों को पालते समय कुछ सावधानियां बरतें:( Some Precautions to Be Taken While Raising Goats) in Hindi
- जब बकरियों के बच्चे छोटे होते हैं, तो उनको बहुत सावधानी के साथ रखना पड़ता है क्योंकि कुछ जंगली जानवर उनको नोच, दबाकर खा लेते हैं।
- कम आबादी वाले क्षेत्र में जंगल बहुत ही पास होता है जिसकी वजह से जंगली जानवर बकरियों को खाने के लिए उनकी महक सूंघकर आते हैं।
- बकरियों को हरे चारे बहुत पसंद होते हैं जिसकी वजह से वह खेत की ओर भागते हैं, इसीलिए खेत को सुरक्षित रखने के लिए बकरियों से सावधानी बरखनी चाहिए।
- बकरियों के दूध में बहुत तरह के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं ,परंतु दूध में आने वाली महक लोगों को अच्छी नहीं लगती हैं, जिसकी वजह से बकरियों के दूध नहीं बिकते।
- बारिश के मौसम में आपको इनकी देख रेख बहुत अच्छे ढंग से करनी होती है क्योंकि यह गीले स्थान पर बैठना पसंद नहीं करती हैं।
- गीली जगह पर बैठने से बकरियों को कई तरह के रोग हो जाते हैं।
- बकरियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए इनको प्रतिदिन जंगलों या खेतों में चराना बहुत ही आवश्यक होता है।
- बकरी पालने के लिए आपको किसी तकनीकी या किसी भी अन्य ज्ञान की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है। यह व्यवसाय काफी तेजी से बढ़ रहा है शहरों से कई लोग बकरी खरीदने के लिए गांव की ओर रुख करते हैं।
- किसी भी तरह की आपत्ति या जरूरत आने पर आप उचित दामों में बकरी या बकरे को बेचकर धन की प्राप्ति कर सकते हैं यह व्यवसाय आय के साधनों को बढ़ाता है।
ये भी पढ़े: गजब का कारोबार ब्रायलर मुर्गी पालन
गाभिन बकरियां ( Pregnant Goats) in Hindi
किसान गाभिन बकरियों की निम्नलिखित तरीकों से जांच करते हैं वह कुछ इस प्रकार है:
जब बकरियां गाभिन होती हैं तो उनको और उचित पोषक तत्व की जरूरत पड़ती है।ताकि उनको अपने शिशु को जन्म देते हुए कोई तरह परेशानी ना हो। गाभिन बकरियों को अतिरिक्त पोषण के साथ कीड़ा में लिप्त मेमनों से सुरक्षा का उचित ख्याल रखना होता है। बकरियां अतिरिक्त 144 या 152 दिन के अंदर अपना गर्भ धारण कर लेती हैं। पौष्टिक तत्व बकरियों की प्रजनन क्षमता को बहुत बढ़ाता है। जिससे या अधिक संतान पैदा कर सके। पौष्टिक तत्व की बिना पर यह जुड़वा बच्चे देने में भी सक्षम होती हैं।
बकरियों के प्रसव से जुड़ी कुछ सावधानियां:(Some Precautions Related to The Delivery of Goats) in Hindi
जब बकरियां प्रसव के करीब रहे, तो उनकी अच्छे से देखभाल करना आवश्यक होता है। किसान को उनके प्रसव के टाइम पर पूर्ण निगरानी रखनी चाहिए। जब प्रसव एकदम करीब आ जाए तो उसकी तैयारी के लिए किसानों के पास दूध की छोटी बोतल का होना जरूरी है ताकि वह नवजात शिशु को दूध पिला सके। बकरियों के बच्चों के लिए अच्छा टिंक्चर आयोडीन तथा प्रतिजैविक दवाइयों का देना आवश्यक है। यदि बकरियां किसी भी प्रकार से जन्म देने के लिए तैयार ना हो तो पशु चिकित्सालय से संपर्क करें।
ये भी पढ़े: कोरोना मरीजों पर कितना कारगर होगा बकरी का दूध
बकरियों के नवजात मेमने की देखभाल:(Newborn Lamb Care of Goats) in Hindi:
बकरियों के बच्चे जैसे पैदा हो उनका मुंह ,नाक साफ कपड़े से अच्छी तरह पोछे।
- उनकी नाभि से कुछ दूरी पर नाल कांटे और साफ धागे से टिंचर लगा दे।
- नवजात शिशु अच्छे से चल सके। इसको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसलिए उनकी की खुर साफ करते हुए तोड़ कर अलग कर दें। जिससे बच्चा आसानी से खड़ा हो सके।
- नवजात बकरियों के शिशु को मां के पास ही रखें।ताकि बकरियां उन्हें चाट कर उनके बदन में गर्मी पैदा कर सके।
- पोटाश के पानियों से बकरियों के थन स्थल को अच्छे से साफ करें।
- नवजात शिशु के लिए दूध बहुत ही उपयोगी होता है। जितना जल्दी हो सके वह बकरी का दूध पी ले। जिससे विभिन्न प्रकार की बीमारियों से नवजात शिशु की रक्षा हो सके।
- 15 दिन के बाद बकरियों के शिशु को नरम हरा चारा देने की शुरुआत कर दें। इन में बढ़ोतरी करते रहे। जिससे बच्चा अच्छे से चलने लगे और फुर्तीला बना सके।
- 3 महीने के बाद बकरियों के बच्चों को चरने के लिए खेतों में लेकर जाएं। किसी खुले स्थान पर छोड़ दें ताकि वह चर सके।
- बकरियों के नवजात शिशु का वजन तीन महीनों पर करते रहे। जिससे उनके वजन का अंदाजा हो सके। ऐसा करने से वजन की बढ़ोतरी तथा घटने दोनों की जानकारी हो जाती हैं।
- बकरियों के नवजात शिशु को कृमिनाशक दवाई पिलायें साथ ही साथ उनका टीकाकरण भी करें, तथा अपने पास के पशु चिकित्सा केंद्र भी जाते रहे।
ये भी पढ़े: मुर्गी पालन उभरता हुआ कारोबार
हमारी इस पोस्ट में बकरियों से जुड़ी विभिन्न प्रकार की जानकारी दी हुई है। जिससे आप बकरियों की पूर्ण रूप से देखभाल कर सकते हैं। यदि आप हमारी दी गई जानकारी से संतुष्ट हैं। तो आप इस आर्टिकल को Social Media और अपने दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर(Share) करें धन्यवाद।