डॉ एसके सिंह प्रोफ़ेसर सह मुख्य वैज्ञानिक (पौधा रोग) एवं विभागाध्यक्ष, पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय , पूसा , समस्तीपुर, बिहार Send feedback on my e-mail sksraupusa@gmail.com/sksingh@rpcau.ac.inविश्व में परवल की खेती भारत के अलावा चीन, रूस, थाईलैंड, पोलैंड, पाकिस्तान, बंगलादेश, नेपाल, श्रीलंका, मिश्र तथा म्यानमार में होती है। भारत में इसकी खेती उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, मद्रास, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल तथा तामिलनाडु राज्यों में परवल की खेती की जाती है। उत्तर प्रदेश में परवल की खेती व्यावसायिक स्तर पर जौनपुर, फैजाबाद, गोण्डा, वाराणसी, गाजीपुर, बलिया तथा देवरिया जनपदों में होती है ,जबकि बिहार में परवल की व्यावसायिक खेती पटना, वैशाली, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, चम्पारण, सीतामढ़ी, बेगूसराय, खगड़िया, मुंगेर तथा भागलपुर में होती है। बिहार में इसकी खेती मैदानी तथा दियारा क्षेत्रों में की जाती है। बरसात में परवल में फल, लत्तर और जड़ सडन रोग कुछ ज्यादा ही देखने को मिलता है ,इसका प्रमुख कारण वातावरण में नमी का ज्यादा होना प्रमुख है। यह रोग देश के प्रमुख परवल उगाने वाले सभी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर होती है। इस रोग की गंभीरता लगभग सभी परवल उत्पादक क्षेत्रो में देखने को मिलता है । यह रोग खेत में खड़ी फसल में तो देखने को मिलता ही है इसके अलावा यह रोग जब फल तोड़ लेते है, उस समय भी देखने को मिलता है। फलों पर गीले गहरे रंग के धब्बे बनते हैं, ये धब्बे बढ़कर फल को सड़ा देते हैं तथा इन सड़े फलों से बदबू आने लगती है, जो फल जमीन से सटे होते है, वे ज्यादा रोगग्रस्त होते हैं। सड़े फल पर रुई जैसा कवक दिखाई पड़ता है।
इन दिनों खेती किसानी में नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि कम मेहनत करके और न्यूनतम लागत में अच्छी खासी कमाई की जा सके। इन दिनों देश में ऐसे कई किसान हैं जो खेती किसानी में नई तकनीकी को बहुतायत से इस्तेमाल कर रहे हैं और अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। कुछ दिनों से बिहार के मुजफ्फरपुर के किसान की ख्याति चारो तरफ फैल रही है। इनका नाम सोनू निगम है। लोग इन्हें युवा इनोवेटिव (Innovative) किसान बताते हैं। क्योंकि सोनू निगम ने नई तकनीकों की सहायता से खेती किसानी में कई तरह के नए प्रयोग किए हैं जो उन्हें लाभ पहुंचा रहे हैं। अपने नए प्रयोगों के लिए सोनू इनोवेटिव कृषक सम्मान से सम्मानित हो चुके हैं तथा हाल ही दिनों में राष्ट्रीय उद्यान रत्न सम्मान के लिए भी उनका चयन हुआ है।
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सोनू से बातचीत में उन्होंने बताया है कि वह अपने खेतों में मुख्य तौर पर परवल की खेती करते हैं। सोनू का कहना है कि परवल की खेती करना एक मुनाफे का सौदा है। वो भी अपनी 6 एकड़ भूमि में इसकी खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक बार बुवाई करने पर परवल 7 महीने तक फसल देता रहता है। वो इस फसल से हर माह लगभग 2 लाख रुपये की कमाई कर लेते हैं। इस हिसाब से उन्हें एक साल में लगभग 15 लाख रुपये की कमाई होती है।
सोनू ने आगे बताया है कि वो विशेष किस्म का परवल उगाते है, जो आकार में बड़ा होती है तथा अन्य परवल से भिन्न होता है। इसमें बीजों की मात्रा न के बराबर होती है। यह अन्य परवल की अपेक्षा ज्यादा दिनों तक स्टोर किया जा सकता है। साथ ही खाने में अन्य प्रजातियों का परवल की अपेक्षा ज्यादा स्वादिष्ट होता है। इस कारण इस परवल की मांग बाजार में सबसे ज्यादा है। जिससे वो इस परवल के उत्पादन को बाजार में आसानी से बेंच देते हैं। सोनू ने मीडिया को बातचीत में बताया है कि उनका मन शुरू से खेती के काम में लगता था।
इसलिए उन्होंने इस पेशे को चुना है और इसमें ही आगे करियर बनाया है। वो अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए यही काम करना चाहते हैं। इसलिए पिता के निधन के बाद उन्होंने पूरे मन के साथ खेती करना शुरू कर दी है। वो अपने पिता के काम को ही आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हे बेहद खुशी है कि उन्हें सरकार ने राष्ट्रीय उद्यान रत्न पुरस्कार दिया है साथ ही राष्ट्रीय उद्यान रत्न पुरस्कार के लिए चुना है।
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सोनू ने बताया कि उनके पिता उन्नत किसान थे, वह खेती किसानी में हमेशा नई तकनीकों का इस्टमाल करते थे और बम्पर उत्पादन प्राप्त करते थे इसलिए इसके पहले उनके पिता को भी खेती किसानी में विशेष योगदान के लिए राष्ट्रपति के द्वारा उद्यान रत्न पुरस्कार मिल चुका है। यह दूसरी बार होगा जब एक ही घर में फिर से उद्यान रत्न पुरस्कार आएगा।