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भेड़, बकरी, सुअर और मुर्गी पालन के लिए मिलेगी 50% सब्सिडी, जानिए पूरी जानकारी

भेड़, बकरी, सुअर और मुर्गी पालन के लिए मिलेगी 50% सब्सिडी, जानिए पूरी जानकारी

अगर आप भी भेड़, बकरी, सुअर या मुर्गी पालन से जुड़े काम में इच्छुक हैं और इनसे जुड़ा व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, तो आप भी इस योजना का लाभ ले सकते हैं। इसके अंतर्गत आपको 50% की सब्सिडी दी जाती है। 

हमारे देश में काफी लोग अभी भी पालतू पशुओं को पालते हैं जो उनकी जीविका का प्रमुख स्रोत है। देश में एसे ही पशुपालकों को बढ़ावा देने के साथ साथ उन्हें उचित रोजगार देने की व्यवस्था इस योजना में की गई है। 

केंद्र सरकार ने इस मिशन को नेशनल लाइवस्टॉक मिशन (National Livestock Mission) नाम से शुरु किया है।

इस मिशन के तहत अपना फार्म शुरु करने वाले किसानों को पशुपालन विभाग की तरफ से 50% सब्सिडी का प्रावधान है। 

उत्तराखंड लाइवस्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड के अपर प्रबंधक डॉ विशाल शर्मा इस योजना के बारे में अपनी राय देते हुए कहते हैं, "ये छोटे पशुओं जैसे कि भेड़, बकरी और सुअर के लिए के लिए योजना है, इसमें कोई भी पशुपालक अपना कारोबार शुरू करना चाहता हो तो वो इसका लाभ ले सकता है।" 

इस योजना में अगर कोई पशुपालक भेड़ या बकरी पालने का इच्छुक है तो उसे 500 मादा बकरी के साथ ही 25 नर भी पालने होगें। 

अगर कोई भी व्यक्ति इस योजना का लाभ उठाना चाहता है तो वह भारत सरकार की वेबसाइट https://nlm.udyamimitra.in/ पर जाकर इसमें आवेदन कर सकता है।

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इस योजना में आगे डॉ. विशाल बताते हैं, "अगर आप इसके लिए फॉर्म भरते हैं और किसी बैंक की डिटेल सबमिट करते हैं तो उस बैंक अकाउंट में मिलने वाली कुल राशि की आधी राशि होनी चाहिए, 

जैसे कि अगर आपका प्रोजेक्ट 20 लाख का है तो आपके खाते में 10 लाख रुपए होने चाहिए, अगर आपके खाते में आधी राशि नहीं है तो इसके लिए आप बैंक से लोन भी ले सकते हैं।" 

लोन मिलने के बाद आपको आवेदन करते समय इसकी डिटेल भी सबमिट करनी होगी और अगर किसी कारणवश आपको लोन नहीं मिलता तो इसकी जानकारी आपको ऑनलाइन आवेदन करते समय देनी होगी। 

आपका फॉर्म ऑनलाइन सबमिशन के बाद उत्तराखंड के देहरादून मुख्यालय पर वरिष्ठ अधिकारी उसकी जांच करते हैं कि आपके द्वारा दिए गए सभी आंकड़े सही हैं। 

अगर आपके द्वारा दिए गए आंकड़े सही हैं तो उसे प्रिंसिपल सहमति दी जाएगी। इसके बाद आपके दस्तावेज बैंक के पास पुनः जांच के लिए जाएंगे, जिसे बैंक वेरीफाई करेगा की आपके द्वारा दी गई जानकारी सही है या नहीं। 

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इसके बाद आगे डॉ. शर्मा आगे कहते हैं, "वहां बैंक सब चेक करने के बाद आपका आवेदन एक बार फिर हमारे पास आ जाएगा, जो समिति के पास आएगा, 

वहां से सबमिट होने के बाद पशुपालन व डेयरी मंत्रालय, फिर भारत सरकार के पास जाएगा, इसके बाद आपके आवेदन में जिस बैंक की डिटेल भरी है वो बैंक सीधे लाभार्थी के खाते में 50% राशि भेज देगा।

मुर्गी पालन की आधुनिक तकनीक (Poultry Farming information in Hindi)

मुर्गी पालन की आधुनिक तकनीक (Poultry Farming information in Hindi)

हालांकि मुर्गी पालन की शुरुआत करना एक बहुत ही आसान काम है, परंतु इसे एक बड़े व्यवसाय के स्तर पर ले जाने के लिए आपको वैज्ञानिक विधि के तहत मुर्गी पालन की शुरुआत करनी चाहिए, जिससे आपकी उत्पादकता अधिकतम हो सके।

मुर्गी पालन (Poultry Farming)

किसानों के द्वारा स्थानीय स्तर पर मुर्गी पालन (पोल्ट्री फार्मिंग, Poultry farming)या कुक्कुट पालन(kukkut paalan) का व्यवसाय पिछले एक दशक में काफी तेजी से बढ़ा है। 

इसके पीछे का मुख्य कारण यह है कि पिछले कुछ सालों में प्रोटीन की मांग को पूरा करने के लिए मीट और मुर्गी के अंडों की डिमांड मार्केट में काफी तेजी से बढ़ी है।

क्या है मुर्गी पालन ?

सामान्यतया मुर्गी के छोटे बच्चों को स्थानीय स्तर पर ही एक फार्म हाउस बनाकर पालन किया जाता है और बड़े होने पर मांग के अनुसार उनके अंडे या फिर मीट को बेचा जाता है। 

हालांकि भारत में अभी भी मीट की डिमांड इतनी अधिक नहीं है, परंतु पश्चिमी सभ्यताओं के देशों में पिछली पांच सालों से भारतीय मुर्गी के मीट की डिमांड काफी ज्यादा बढ़ी है।

कब और कहां हुई थी मुर्गी पालन की शुरुआत ?

आधुनिक जिनोमिक रिपोर्ट्स की जानकारी से पता चलता है कि मुर्गी पालन दक्षिणी पूर्वी एशिया में सबसे पहले शुरू हुआ था और इसकी शुरुआत आज से लगभग 8000 साल पहले हुई थी। 

भारत में मुर्गी पालन की शुरुआत वर्तमान समय से लगभग 2000 साल पहले शुरू हुई मानी जाती है, परंतु आज जिस बड़े स्तर पर इसे एक व्यवसाय के रूप में स्थापित किया गया है, इसकी मुख्य शुरुआत भारत की आजादी के बाद ही मानी जाती है। 

हालांकि भारत में पोल्ट्री फार्मिंग के अंतर्गत मुर्गी पालन को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है, परंतु मुर्गी के अलावा भी मेक्सिको और कई दूसरे देशों में बतख तथा कबूतर को भी इसी तरीके से पाल कर बेचा जाता है। 

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कैसे करें मुर्गी पालन की शुरुआत ?

हालांकि मुर्गी पालन की शुरुआत करना एक बहुत ही आसान काम है, परंतु इसे एक बड़े व्यवसाय के स्तर पर ले जाने के लिए आपको वैज्ञानिक विधि के तहत मुर्गी पालन की शुरुआत करनी चाहिए, जिससे आपकी उत्पादकता अधिकतम हो सके।

  • बनाएं एक बिजनेस प्लान :

मुर्गी पालन को भी आपको एक बड़े व्यवसाय की तरह ही सोच कर चलना होगा और इसके लिए आपको एक बिजनेस प्लान भी बनाना होगा, इस बिजनेस प्लान में आप कुछ चीजों को ध्यान रख सकते हैं जैसे कि- मुर्गी फार्म हाउस बनाने के लिए सही जगह का चुनाव, अलग-अलग प्रजातियों का सही चुनाव, मुर्गियों में बड़े होने के दौरान होने वाली बीमारियों की जानकारी और मार्केटिंग तथा विज्ञापन के लिए एक सही स्ट्रेटजी।

  • करें सही जगह का चुनाव :

मुर्गी पालन के लिए कई किसान छोटे फार्म हाउस से शुरुआत करते है और इसके लिए लगभग 15000 से लेकर 30000 स्क्वायर फीट तक की जगह को चुना जा सकता है, जबकि बड़े स्तर पर शुरुआत करने के लिए आपको लगभग 50000 स्क्वायर फीट जगह की जरूरत होगी।

किसान भाइयों को इस जगह को चुनते समय ध्यान रखना होगा कि यह शहर से थोड़ी दूरी पर हो और शांत वातावरण होने के अलावा प्रदूषण भी काफी कम होना चाहिए। इसके अलावा बाजार से फार्म की दूरी भी ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

यदि आपका घर गांव के इलाके में है, तो वहां पर भी मुर्गी पालन की अच्छी शुरुआत की जा सकती है।

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  • कैसे बनाएं एक अच्छा मुर्गी-फार्म ?

किसी भी प्रकार के मुर्गी फार्म को बनाने से पहले किसान भाइयों को अपने आसपास में ही सुचारू रूप से संचालित हो रहे दूसरे मुर्गी-फार्म की जानकारी जरूर लेनी चाहिए। इसके अलावा भी, एक मुर्गी फार्म बनाते समय आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा जैसे कि :-

    • अपने मुर्गी फार्म को पूरी तरीके से हवादार रखें, साथ ही उसे ऊपर से अच्छी तरीके से ढका जाना चाहिए,जिससे कि बारिश और सूरज की गर्मी से होने वाली मुर्गियों की मौत को काफी कम किया जा सकता है।
    • इसके अलावा कई जानवर जैसे कि कुत्ते,बिल्ली और सांप इत्यादि से बचाने के लिए सुरक्षा की भी उचित व्यवस्था की जानी चाहिए।
    • मुर्गियों को दाना डालने के लिए कई प्रकार के डिजाइनर बीकर बाजार में उपलब्ध है, परंतु आपको एक साधारण जार को ज्यादा प्राथमिकता देनी चाहिए, डिजाइनर बीकर देखने में तो अच्छे लगते हैं, लेकिन उनमें चूजों के द्वारा अच्छे से खाना नहीं खाया जाता है।
    • मुर्गियों को नीचे बैठने के दौरान एक अच्छा धरातल उपलब्ध करवाना होगा, जिसे समय-समय पर साफ करते रहने होगा।
    • यदि आप अंडे देने वाली मुर्गीयों का पालन करते हैं तो उनके लिए बाजार से ही तैयार अलग-अलग प्रकार के घोसले इस्तेमाल में ले सकते हैं।
    • रात के समय मुर्गियों को दाना डालने के दौरान इलेक्ट्रिसिटी की पर्याप्त व्यवस्था करनी होगी।
    • आधुनिक मुर्गी-फार्म में इस्तेमाल में होने वाले हीटिंग सिस्टम का भी पूरा ख्याल रखना चाहिए,क्योंकि सर्दियों के दौरान ब्रायलर मुर्गों में सांस लेने की तकलीफ होने की वजह से उनकी मौत भी हो सकती है।
    • अलग-अलग उम्र के चूजों को अलग-अलग क्षेत्र में बांटकर दाना डालना चाहिए, नहीं तो बड़े चूजों के साथ रहने के दौरान छोटे चूजों को सही से पोषण नहीं मिल पाता है।
  • कैसे चुनें मुर्गी की सही वैरायटी ?

वैसे तो विश्व स्तर पर मुर्गी की लगभग 400 से ज्यादा वैरायटी को पालन के तहत काम में लिया जाता है, जिनमें से 100 से अधिक प्रजातियां भारत में भी इस्तेमाल होती है, हालांकि इन्हें तीन बड़ी केटेगरी में बांटा जाता है, जो कि निम्न है :-

इस प्रजाति की वृद्धि दर बहुत अधिक होती है और यह लगभग 7 से 8 सप्ताह में ही पूरी तरीके से बेचने के लिए तैयार हो जाती है।

इसके अलावा इनका वजन भी अधिक होता है, जिससे कि इनसे अधिक मीट प्राप्त किया जा सकता है।

कम समय में अधिक वजन बढ़ने की वजह से किसान भाइयों को कम खर्चा और अधिक मुनाफा प्राप्त हो पाता है।

    • रोस्टर मुर्गे (Rooster Chickens) :-

यह भारत में दूसरे नम्बर पर इस्तेमाल की जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण प्रजाति है।इस प्रजाति के मुर्गे मुख्यतः मेल(Male) होते है।

हालांकि इनको बड़ा होने में काफी समय लगता है, परन्तु इस प्रजाति के दूसरे कई फायदे है इसीलिए भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार के मुर्गों को ज्यादा पाला जाता है।

यह चिकन प्रजाति किसी भी प्रकार की जलवायु में आसानी से ढल सकती है और इसी वजह से इन्हें एक जगह से दूसरी जगह पर बड़ी ही आसानी से स्थानांतरित भी किया जा सकता है।

    • अंडे देने वाली मुर्गी प्रजाति (Layer Chicken ) :-

इस प्रजाति का इस्तेमाल अंडे उत्पादन करने के लिए किया जाता है।यह प्रजाति लगभग 18 से 20 सप्ताह के बाद अंडे देना शुरु कर देती है और यह प्रक्रिया 75 सप्ताह तक लगातार चलती रहती है।

यदि इस प्रजाति के एक मुर्गी की बात करें तो वह एक साल में लगभग 240 से 250 अंडे दे सकती है।

हालांकि इस प्रजाति का इस्तेमाल बड़ी-बड़ी कंपनियां अंडे व्यवसाय के लिए करती है क्योंकि छोटे स्तर पर इनको पालना काफी महंगा पड़ता है।

  • कैसे प्राप्त करें लाइसेंस ?

मुर्गी पालन के लिए अलग-अलग राज्यों में कई प्रकार के लाइसेंस की आवश्यकता होती है, हालांकि पिछले कुछ समय से मुर्गी पालन की बढ़ती मांग के मद्देनजर भारतीय सरकार मुर्गी पालन के लिए आवश्यक लाइसेंस की संख्या को धीरे धीरे कम कर रही है।

वर्तमान में आपको दो प्रकार के लाइसेंस की आवश्यकता होगी।

किसान भाइयों को प्रदूषण बोर्ड के द्वारा दिया जाने वाला 'नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट' (No Objection Certificate) लेना होगा, साथ ही भूजल विभाग (Groundwater Department) के द्वारा पानी के सीमित इस्तेमाल के लिए भी एक लाइसेंस लेना होगा।

इन दोनों लाइसेंस को प्राप्त करना बहुत ही आसान है, इसके लिए ऊपर बताए गए दोनों विभागों की वेबसाइट पर अपने व्यवसाय के बारे में जानकारी डालकर बहुत ही कम फीस में प्राप्त किया जा सकता है।

  • कैसे चुनें मुर्गियों के लिए सही दाना ?

एक जानकारी के अनुसार मुर्गी पालन में होने वाले कुल खर्चे में लगभग 40% खर्चा मुर्गियों के पोषण पर ही किया जाता है और दाने की गुणवत्ता अच्छी होने की वजह से मुर्गियों का वजन तेजी से बढ़ता है, जिससे कि उनकी अंडे देने की क्षमता और बाजार में बिकने के दौरान होने वाला मुनाफा भी बढ़ता है।

वर्तमान में भारत में कई कंपनीयों के द्वारा मुर्गियों में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की पूर्ति के लिए दाना बनाकर बेचा जाता है, जिन्हें 25 और 50 किलोग्राम की पैकिंग में 25 रुपए प्रति किलो से 40 रुपए प्रति किलो की दर में बेचा जाता है।

कई कम्पनियों के दाने बड़े और मोटे आकार के होते है, जबकि कई कंपनियां एक पिसे हुए चूरे के रूप में दाना बेचती है।

भारतीय मुर्गी पालकों के द्वारा 'गोदरेज' और 'सुगुना' कंपनी के दानों को अधिक पसंद किया जाता है।

मुर्गी पालन की आधुनिक तकनीक :

पोल्ट्री सेक्टर से जुड़े वैज्ञानिकों के द्वारा मुर्गी पालन में किए गए नए अनुसंधानों की वजह से अब मुर्गी पालन में भी कई प्रकार की आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाने लगा है।

अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में तो रोबोट के द्वारा भी मुर्गी पालन किया जा रहा है। ऐसी ही कुछ नई तकनीक भारत में भी कुछ बड़े मुर्गीपालकों के द्वारा इस्तेमाल में ली जा रही है, जैसे कि :

  • ऑटोमेटिक मशीन की मदद से मुर्गियों के अंडे को बिना छुए ही सीधे गाड़ी में लोड करना और उनकी ऑटोमैटिक काउंटिंग करना। इस विधि में खराब अंडो को उसी समय अलग कर लिया जाता है।
  • कई प्रकार के ऑटोमेटिक ड्रोन (Drone)की मदद से मुर्गियों के द्वारा किए गए कचरे को एकत्रित कर, उसे एक जगह पर डाला जा रहा है और फिर बड़े किसानों से सम्पर्क कर उसे बेचा जाता है, जिसे एक अच्छे प्राकृतिक उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
  • हाल ही में सन-डाउन (Sundown) नाम की एक कंपनी ने मुर्गीफार्म में बने धरातल पर बिछाने के लिए एक कारपेट का निर्माण किया है जोकि इस धरातल को बिल्कुल भी गीला नहीं होने देती और मुर्गियों के यूरिन को पूरी तरह सोख लेती है। जैसे-जैसे उसे यूरिन के रूप में और नमी मिलती है वैसे ही वह और ज्यादा मुलायम होता जाता है। इस कारपेट के इस्तेमाल के बाद नमी वाले धरातल पर संपर्क में आने पर मुर्गियों में होने वाली बीमारियों से बचाव किया जा सकता है।

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कैसे अपनाएं सही मार्केटिंग स्ट्रेटजी ?

किसी भी प्रकार के व्यवसाय के दौरान आपको एक सही दिशा में काम करने वाली मार्केटिंग स्ट्रेटजी को अपनाना अनिवार्य होता है, ऐसे ही मुर्गी पालन के दौरान भी आप कुछ बातों का ध्यान रख सकते हैं, जैसे कि :

  • अपने आसपास के क्षेत्र में सही दाम वाली कंपनी से सीधे संपर्क कर उन्हें आपके फार्म से ही अंडे और मुर्गियां बेची जा सकती है।मुर्गीपालकों को ध्यान रखना होगा कि आपको बिचौलियों को पूरी तरीके से हटाना होगा, क्योंकि कई बार मुर्गी पालकों को मिलने वाली कमाई में से 50% हिस्सा तो बिचौलिए ही ले लेते है।
  • यदि आप इंटरनेट की थोड़ी समझ रखते है तो एक वेबसाइट के जरिए भी आसपास के क्षेत्र में अंडे और मीट डिलीवरी करवा सकते है। बड़े स्तर पर इस प्रकार की डिलीवरी के लिए आप किसी मल्टी मार्केट कंपनी से भी जुड़ सकते है।
  • यदि आपके आसपास कोई बड़ा रेस्टोरेंट या फिर होटल संचालित होती है तो उनसे संपर्क करें, अपने फार्म से निरन्तर आय प्राप्त कर सकते हैं।
  • यदि आपका कोई साथी भी मुर्गी पालन करता है तो ऐसे ही कुछ लोग मिलकर एक कोऑपरेटिव सोसाइटी का निर्माण कर सकते हैं, जोकि बड़ी कंपनियों को आसानी से उचित दाम पर अपने उत्पाद बेच सकते हैं।

मुर्गी पालन के दौरान मुर्गियों में होने वाली बीमारियां तथा बचाव एवं उपचार :

मुर्गी पालन के दौरान किसान भाइयों को को मुर्गी में होने वाली बीमारियों से पूरी तरीके से बचाव करना होगा अन्यथा कई बार टाइफाइड जैसी बीमारी होने पर आपके मुर्गी फार्म में उपलब्ध सभी मुर्गियों की मौत हो सकती है। 

पशुधन मंत्रालय के द्वारा ऐसे ही कुछ बीमारियों के लक्षण और बचाव तथा उपचार के लिए किसान भाइयों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है।

  • एवियन इनफ्लुएंजा (avian Influenza) :-

एक वायरस की वजह से होने वाली इस बीमारी से मुर्गियों में सांस लेने में तकलीफ होने लगती है और यदि इसका सही समय पर इलाज नहीं किया जाए तो एक सप्ताह के भीतर ही मुर्गियों की मौत भी हो सकती है।

प्रदूषित पानी के इस्तेमाल तथा बाहर से कई दूसरे पक्षियों से संपर्क में आने की वजह से मुर्गियों में इस तरह की बीमारी फैलती है।

इसके इलाज के लिए मुर्गियों को डिहाइड्रेट किया जाता है और उन्हें कुछ समय तक सूरज की धूप में रखा जाता है।

एवियन इनफ्लुएंजा के दौरान मुर्गियों की खाना खाने की इच्छा पूरी तरीके से खत्म हो जाती है और उनके शरीर में उर्जा भी बहुत कम हो जाती है।

  • रानीखेत रोग (Newcastle Disease) :-

यह रोग आसानी से एक मुर्गी से दूसरी में फैल सकता है।भारत के मुर्गीफ़ार्मों में होने वाली सबसे भयानक बीमारी के रूप में जाने जाने वाला यह रोग मुर्गियों के पाचन तंत्र को पूरी तरह से बिगाड़ देता है और उनकी अंडा उत्पादन करने की क्षमता पूरी तरीके से खत्म हो जाती है।हालांकि वर्तमान में इस बीमारी के खिलाफ वैक्सीन उपलब्ध है।

यदि किसान भाइयों को मुर्गियों में छींक और खांसी जैसे लक्षण नजर आए तो उनके संपर्क करने से बचें, क्योंकि यह मुर्गियों से इंसानों में भी फैल सकती है।

  • टाइफाइड रोग (Pullorum-Typhoid Disease) :-

यह एक बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है जिसमें चूज़े के शरीर के अंदर की तरफ घाव हो जाते है।

इस बीमारी का पता लगाने के लिए एक टेस्ट किया जाता है,जिसे सिरम टेस्ट बोला जाता है।यह एक मुर्गी से पैदा हुए चूजे में फैलता है।

इस बीमारी के दौरान चूजों के पैरों में सूजन आ जाती है और वह एक जगह से हिल भी नहीं पाते है, जिससे कि नमी से होने वाली बीमारियां भी बढ़ जाती है।

एक बार मुर्गी फार्म में इस बीमारी के फैल जाने पर इसे रोकना बहुत मुश्किल होता है, इसलिए समय-समय पर सीरम टेस्ट करवा कर इसे फैलने से पहले ही रोकना अनिवार्य होता है।

इनके अलावा भी कई बीमारियां मुर्गी पालकों के सामने चुनौती बनकर आ सकती है, लेकिन सही वैज्ञानिक विधि से उन रोगों को आसानी से दूर किया जा सकता है।

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मुर्गी पालकों के लिए संचालित सरकारी स्कीम एवं सब्सिडी :

पिछले 6 सालों से भारतीय निर्यात में मुर्गी पालन का योगदान काफी तेजी से बढ़ा है और इसी को मध्य नजर रखते हुए भारत सरकार और कई सरकारी बैंक मुर्गी पलकों के लिए अलग-अलग स्कीम संचालित कर रहे हैं। जिनमें कुछ प्रमुख स्कीम जैसे कि :

  • ब्रायलर प्लस स्कीम (Broiler Plus scheme) :-

यह स्कीम स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा संचालित की जाती है और इसमें मुख्यतया मुर्गे की ब्रायलर प्रजाति पर ही ज्यादा फोकस किया जाता है।

इस स्कीम के तहत किसानों को मुर्गी पालन के लिए जगह खरीदने और दूसरे प्रकार के कई सामानों को खरीदने के लिए कम ब्याज पर लोन दिया जाता है।

'आत्मनिर्भर भारत स्कीम' के तहत सरकार के द्वारा इस लोन पर 3% की ब्याज रियायत भी दी जाएगी।

इस स्कीम के तहत पशुधन विभाग के द्वारा किसानों के बड़े ग्रुप को मुर्गी पालन से जुड़ी नई तकनीकों की जानकारी दी जाती है और पशु चिकित्सकों की मदद से मुर्गी पालन के दौरान होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए मुफ्त में दवाई वितरण भी किया जाता है।

  • महिलाओं के लिए मुर्गी पालन स्कीम :-

हाल ही में तमिलनाडु सरकार ने महिलाओं के लिए एक स्कीम लॉन्च की है जिसके तहत मुर्गी पालन के दौरान होने वाले कुल खर्चे पर गरीब परिवार की महिलाओं को 50% सब्सिडी दी जाएगी वहीं सामान्य श्रेणी की महिलाओं को 25% तक सब्सिडी उपलब्ध करवाई जाएगी।

  • राष्ट्रीय पशुधन विकास योजना :-

2014 में लॉन्च हुई इस स्कीम के तहत ग्रामीण क्षेत्र के किसानों को फसल उत्पादन के लिए नई तकनीकी सिखाई जाने के साथ ही मुर्गियों की बेहतर ब्रीडिंग के लिए आवश्यक सामग्री भी उपलब्ध करवाई जाएगी। इसके अलावा ऐसे मुर्गीपलकों को अपने व्यवसाय को बड़ा करने के लिए मार्केटिंग स्ट्रेटजी के लिए भी ट्रेनिंग दी जाएगी।

वर्तमान में केरल और गुजरात के किसानों के द्वारा इस स्कीम के तहत काफी लाभ कमाया जा रहा है।

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ऊपर बताई गई जानकारी का सम्मिलित रूप से इस्तेमाल कर कई मुर्गी पालन अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं और यदि आप भी मुर्गी पालन को एक बड़े व्यवसाय के रूप में परिवर्तित करना चाहते हैं, तो कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें,जैसे कि :

  • किसी थर्ड पार्टी कंपनी की मदद से अपने मुर्गी फार्म के बाहर ही एक मीट पैकिंग ब्रांच शुरु करवा सकते है, इस पैक किए हुए मीट को आसानी से बड़ी सुपरमार्केट कम्पनियों को बिना बिचौलिये के सीधे ही बेचा जा सकता है।
  • अपने व्यवसाय को बड़े पैमाने पर ले जाने के लिए आप किसी सेल्स रिप्रेजेंटेटिव को भी काम पर रख सकते है, जोकि नई मार्केटिंग स्ट्रेटजी की मदद से बिक्री को काफी बढ़ा सकता है।
  • मुर्गी पालन के दौरान आने वाले खर्चों में दाने के खर्चे को कम करने के लिए स्वयं भी मुर्गियों के लिए दाना तैयार कर सकते है,बस आपको ध्यान रखना होगा कि इससे चूजों के शरीर में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फैट की कमी की पूर्ति आसानी से की जा सके।

आशा करते है कि सभी किसान भाइयों और मुर्गी पालकों को Merikheti.com के द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई होगी और भविष्य में बढ़ती मांग की तरफ अग्रसर होने वाले मुर्गी-पालन व्यवसाय से आप भी अच्छा मुनाफा कमा पाएंगे।

केरल के मुर्गी पालकों की बढ़ी समस्याएं, कहर बरपा रहा है बर्ड फ्लू (Bird Flu)

केरल के मुर्गी पालकों की बढ़ी समस्याएं, कहर बरपा रहा है बर्ड फ्लू (Bird Flu)

हर बार थोड़े-थोड़े समय में हमें बर्ड फ्लू की खबर सुनने को मिल जाती है। बर्ड फ्लू एक संक्रामक बीमारी है, जो पक्षियों को प्रभावित करती है। जबकि मनुष्य आमतौर पर इस वायरस के संपर्क में नहीं आते हैं। बर्ड फ्लू (Bird Flu) या एवियन इन्फ्लुएंजा टाइप ए वायरस के संक्रमण के कारण होने वाली स्थिति है। जो आमतौर पर जंगली जलीय पक्षियों में देखी जाती है। यह घरेलू पोल्ट्री, अन्य पक्षियों और जानवरों को भी संक्रमित कर सकता है। हाल ही में केरल राज्य में बर्ड फ्लू (Bird Flu) की खबर आ रही है और रिपोर्ट की मानें तो यहां पर लगभग 3000 से ज्यादा पक्षियों की मौत हो चुकी है। बर्ड फ्लू ज्यादातर बतख और मुर्गियों को प्रभावित करता है। जिससे पोल्ट्री फार्म (Poultry Farm) में एक साथ सैकड़ों की संख्या में मुर्गियों और बत्तखों सहित अन्य पक्षियों की मौत हो जाती है। जब भी बर्ड फ्लू फैलता है, यह मुर्गी पालन का व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए बेहद परेशानी का कारण बन जाता है। साथ ही, उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसा ही कुछ आलम आजकल केरल के मुर्गी पालकों का है। यहां भारी मात्रा में मुर्गियों की बर्ड फ्लू से मौत हो रही है। जानकारी के मुताबिक, केरल के तिरुवनंतपुरम जिला स्थित पेरुंगुझी में एक फार्म में एवियन फ्लू से 200 बत्तखों की मौत हो गई है। इसके बाद राज्य सरकार ने एहतियाती कदम उठाते हुए एडवाइजरी जारी की है। वहीं, बर्ड फ्लू के फैलाव को रोकने के लिए पशुपालन विभाग ने तिरुवनंतपुरम में कई स्थानों पर पक्षियों को मारना शुरू किया। वार्ड सदस्यों की मदद से पेरुंगुझी जंक्शन वार्ड के एक किलोमीटर के दायरे में 3000 तक पक्षियों को मार गया है।

डॉक्टर को तुरंत सूचना दें

अगर रिपोर्ट की मानें तो जिन पक्षियों को बर्ड फ्लू हुआ है उनके अंडे, मांस, चारा और गोबर का भी निस्तारण किया जा रहा है। खास बात यह है, कि सरकार ने विभाग के निगरानी क्षेत्र की घोषणा में किझुविलम, कडक्कवूर, कीझाटिंगल, चिरायिंकीझू, मंगलापुरम, अंदूरकोणम और पोथेनकोड पंचायत को शामिल किया है। इसके अलावा इस माहौल में स्वास्थ्य विभाग भी सतर्क हो गया है। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से आदेश जारी किया गया है, कि अगर किसी भी व्यक्ति को बुखार आ रहा है और सांस लेने में दिक्कत हो रही है, तो वह इसकी सूचना तुरंत डॉक्टर को दें।

बर्ड फ्लू से संक्रमित पक्षियों को संभालते हुए कैसे रखें अपना ख्याल

मुर्गियां, बत्तख, गीज़, बटेर, टर्की और अन्य पालतू पक्षियों को राज्य में बर्ड फ़्लू होने की सूचना मिली है। हालांकि, राज्य को अभी तक लोगों में एवियन फ्लू के संक्रमण की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। केरल के स्वास्थ्य विभाग ने उन सभी व्यक्तियों को सतर्क रहने की सलाह दी है, जो मुर्गी पालन में लगे हैं या फिर किसी भी तरह से बर्ड फ्लू होने वाले पक्षियों के संपर्क में आए हैं। डॉक्टर कुछ शुरुआती इलाज करने के बाद इसके निवारण के लिए दवाइयां दे देते हैं। साथ ही, स्वास्थ्य विभाग द्वारा एडवाइजरी जारी की गई है। सभी लोगों को आदेश दिए गए हैं, कि जब भी वह बर्ड फ्लू से संक्रमित होने वाले किसी भी पक्षी को संभाल रहे हैं तो दस्ताने और मास्क पहनना ना भूलें।


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साथ ही, बार बार साबुन से हाथ धोने की सलाह भी दी गई है। शरीर में गंभीर दर्द, बुखार, खांसी, सांस लेने में कठिनाई, सर्दी और कफ में खून आने जैसी शिकायत आने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेने की बात कही गई है। हालांकि बर्ड फ्लू मनुष्य को ज्यादा प्रभावित नहीं करता है। लेकिन फिर भी कुछ मामले देखे गए हैं, जिसमें यह बीमारी लोगों को हो सकती है। अगर इसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो यह खतरनाक साबित हो सकती है।
प्लायमाउथ रॉक मुर्गी करेगी मालामाल, बस करना होगा ये काम

प्लायमाउथ रॉक मुर्गी करेगी मालामाल, बस करना होगा ये काम

प्लायमाउथ रॉक मुर्गी से मालामाल भला कोई कैसे हो सकता है, इस बारे में आप भी जरूर सोच रहे होंगे. लेकिन यह सच हो सकता है. जी हां अगर आप किसान हैं, और मुर्गी पालन का काम करते हैं, तो यह खबर आपके काफी काम आने वाली है. दरअसल किसान अपनी खेती के साथ पोल्ट्री फार्म का काम बखूबी कर रहे हैं. इस काम से उन्हें मोटी कमाई भी हो रही है. हालांकि ना सिर्फ किसान बल्कि अन्य लोग भी चिकन और अंडे का बिजनेस कर रहे हैं. जो उनेक परिवार के आय का स्रोत भी है. इस बिजनेस में ज्यादा इन्वेस्ट करने की जरूरत नहीं होती. यही इस बिजनेस की सबसे खास बात है. इस बिजनेस को शुरू करने के लिए सरकार भी किसानों को सब्सिडी की देती है. अब अगर आप भी अपनी आमदनी को दोगुना करना चाहते हैं, और मालामाल होना चाहते हैं, तो पोल्ट्री फार्म को शुरू करने से पहले इस खास नस्ल की मुर्गी के बारे में जान लें.

प्लायमाउथ रॉक मुर्गी

किसान अगर अपने पोल्ट्री फार्म में प्लायमाउथ रॉक नस्ल की मुर्गी पालने लग जाएं, तो वो कम ही समय में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. देसी मुर्गियों के मुकाबले प्लायमाउथ रॉक मुर्गी ज्यादा तंदरुस्त होती है, और बीमार भी कम पड़ती है. इसके अलावा यह मुर्गी अंडे भी ज्यादा देती है. अब ऐसे में किसान इसका चिकन और अंडे दोनों बेचकर ज्यादा कमाई करने में सक्षम हो सकते हैं.

मार्केट में ज्यादा डिमांड

प्लायमाउथ रॉक एक अमेरिकी नस्ल की मुर्गी होती है. लेकिन मार्केट में इसकी ज्यादा डिमांड की वजह से यह अब भारत में पाली जाने लगी है. जिस वजह से इसके चिकन के रेट भी मार्केट में ज्यादा हैं. रॉक बर्रेड रॉक के नाम से भारत में जानी जाने वाली यह मुर्गी हेल्थ के लिए काफी अच्छी होती है. इसका मीट भी हेल्थ के लिए काफी अच्छा होता है. इन्हीं खूबियों की वजह से प्लायमाउथ रॉक मुर्गी की डिमांड भारत में बढ़ रही है. ये भी देखें: कड़कनाथ पालें, लाखों में खेलें

ठंड में चाहिए देखभाल

प्लायमाउथ रॉक मुर्गी का शरीर देसी मुर्गी के शरीर के मुकाबले काफी बड़ा होता है. इसका वजन आमतौर पर 3-4kg तक होता है. गहरे भूरे रंग के अंडे देने वाली प्लायमाउथ रॉक मुर्गी हर साल 200-250 तक अंडे दे सकती है. इस मुर्गी के रंगों की बात करें तो यह बफ, वाइट, ब्लू सहित कई रंगों में आती है. इसका स्वभाव काफी शांत और मिलनसार है. प्लायमाउथ रॉक हमेशा घास में रहना पसंद करती है. बीस हफ्ते की उम्र में ही अंडे देने की क्षमता रखने वाली प्लायमाउथ रॉक मुर्गी हर हफ्ते चार से पांच अंडे दे सकती है. वैसे तो यह मुर्गी हर तरह के जलवायु में रह लेती है, लेकिन सर्दियों में इसे थोड़ी बहुत देखभाल की जरूरत होती है.
दुधारू पशु खरीदने पर सरकार देगी 1.60 लाख रुपये तक का लोन, यहां करें आवेदन

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भारत सरकार किसानों की आय बढ़ाने को लेकर नए प्रयास करती रहती है। जिसके अंतर्गत किसानों को खेती बाड़ी के अलावा पशुपालन के लिए भी प्रोत्साहित करती है। इसी कड़ी में अब हरियाणा की सरकार किसानों को दुधारू गाय और भैंस पालने पर लोन तथा सब्सिडी की सुविधा प्रदान कर रही है। जिसको देखते हुए सरकार ने पशु क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत की है। इस योजना के माध्यम से पशुपालन के इच्छुक किसानों को बिना कुछ गिरवी रखे 1.60 लाख रुपये तक का लोन दिया जा रहा है। पशु क्रेडिट कार्ड के माध्यम से गाय या भैंस खरीदने पर किसानों को 7 फीसदी ब्याज देना होता है। यदि किसान समय से अपना ब्याज चुकाते हैं तो इन 7 फीसदी में 3 फीसदी ब्याज सरकार वहन करती है। किसानों को वास्तव में मात्र 4 फीसदी ब्याज का ही भुगतान करना होता है। जिसे किसान अगले 5 साल तक चुका सकते हैं। जिन किसानों के पास खुद की जमीन है और उसमें वो पशु आवास या चारागाह बनाना चाहते हैं, वो भी इस योजना के अंतर्गत लोन प्राप्त कर सकते हैं। ये भी पढ़े: ये राज्य सरकार दे रही है पशुओं की खरीद पर भारी सब्सिडी, महिलाओं को 90% तक मिल सकता है अनुदान हरियाणा की सरकार ने भिन्न-भिन्न पशुओं पर भिन्न-भिन्न लोन की व्यवस्था की है। कृषि वेबसाइट के अनुसार, पशु किसान क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके गाय खरीदने पर 40,783 रुपये, भैंस खरीदने पर 60,249 रुपये, सूअर खरीदने पर 16,237 रुपये और भेड़ या बकरी खरीदने पर 4,063 रुपये का लोन मुहैया करवाया जाएगा। इसके साथ ही मुर्गी खरीदने पर प्रति यूनिट 720 रुपये का लोन प्रदान किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत लोन लेने के लिए किसानों को किसी भी प्रकार की कोई चीज गिरवी नहीं रखनी होगी। साथ ही किसान भाई पशु क्रेडिट कार्ड का उपयोग बैंक के भीतर डेबिट कार्ड के रूप में भी कर सकते हैं। इस योजना के अंतर्गत अभी तक हरियाणा के 53 हजार से ज्यादा किसान लाभ प्राप्त कर चुके हैं। इन किसानों को सरकार के द्वारा 700 करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन मुहैया करवाया जा चुका है। योजना के अंतर्गत दुधारू पशु खरीदने के लिए अभी तक 5 लाख किसान आवेदन कर चुके हैं, जिनमें से 1 लाख 10 हजार किसानों के आवेदनों को मंजूरी मिल चुकी है। जिन किसानों को हाल ही में मंजूरी दी गई है उन्हे भी जल्द से जल्द पशु क्रेडिट कार्ड उपलब्ध करवा दिया जाएगा।

पशु क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत ये बैंक देते हैं लोन

किसानों को 'पशु क्रेडिट कार्ड योजना' का लाभ देने के लिए सरकार ने कुछ बैंकों का चयन किया है। जिनके माध्यम से किसान जल्द से जल्द अपना 'पशु क्रेडिट कार्ड' बनवा सकते हैं। इनमें सरकार ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ़ बड़ौदा और आईसीआईसीआई बैंक को शामिल किया है।

पशु क्रेडिट कार्ड योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज

आवेदक हरियाणा राज्य का स्थायी निवासी  होना चाहिए, इसके साथ ही लोन लेने के लिहाज से सिविल ठीक होना चाहिए। आवेदक के पास आधार कार्ड ,पेन कार्ड ,वोटर आईडी कार्ड, बैंक खाता डिटेल, मोबाइल नंबर और पासपोर्ट साइज फोटो होना चाहिए। ये भी पढ़े: यह राज्य सरकार किसानों को मुफ़्त में दे रही है गाय और भैंस

ऐसे करें 'पशु क्रेडिट कार्ड' बनवाने के लिए आवेदन

जो भी व्यक्ति 'पशु क्रेडिट कार्ड' बनवाना चाहता है उसे ऊपर बताए गए किसी भी बैंक की नजदीकी शाखा में जाना चाहिए। इसके बाद वहां पर आवेदन पत्र लेकर आवेदन को सावधानी पूर्वक भरें। साथ ही आवेदन के साथ दस्तावेजों की फोटो कॉपी चस्पा करें। ये सभी दस्तावेज बैंक अधिकारी के पास जमा कर दें। आवेदन सत्यापन के एक महीने बाद किसान को पशु केडिट कार्ड दे दिया जायेगा।
इस ऑस्ट्रेलियन नस्ल की मुर्गी को पालने से किसान हो सकते हैं मालामाल

इस ऑस्ट्रेलियन नस्ल की मुर्गी को पालने से किसान हो सकते हैं मालामाल

देश की केंद्र तथा राज्य सरकारें किसानों के लिए परंपरागत खेती के इतर कई वैकल्पिक व्यवसायों को खड़ा करने पर जो दे रही हैं। इनमें से एक है मुर्गी पालन। पिछले कुछ सालों में सरकार ने मुर्गी पालन पर काफी जोर दिया है, ताकि बाजार में मुर्गियों की उपलब्धता बढ़ाई जा सके, इसके साथ ही मुर्गी पालने वाले किसानों को अतिरिक्त आय प्रदान की जा सके। इसके लिए सरकार मुर्गी पालक किसानों को आर्थिक मदद भी मुहैया करवा रही है। अगर किसान मुर्गी पालन के व्यवसाय में अच्छी मुर्गी के नस्ल का चुनाव करें तो वो मुर्गी पालक रातोंरात मालामाल हो सकते हैं। यह भी पढ़ें : कड़कनाथ पालें, लाखों में खेलें कई बार अच्छी नस्ल का चुनाव न करने के कारण किसानों को मुर्गी पालन के व्यवसाय में उम्मीद के मुताबिक मुनाफा नहीं हो पाता, जबकि इसमें उनका खर्च ज्यादा हो जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे किसानों को रेड आइलैंड मुर्गी का पालन करना चाहिए जो कमाई के लिए मुर्गी पालन के व्यवसाय में एक बेहतरीन विकल्प है। इस मुर्गी को पालने पर किसानों को अन्य मुर्गियों को पालने जितना खर्च नहीं आता है। मतलब इसे पालना अपकेक्षाकृत ज्यादा सस्ता है। रेड आइलैंड मुर्गी एक ऑस्ट्रेलियन नस्ल की मुर्गी है जो एक वर्ष में लगभग 300 अंडे देती है। इसके साथ ही इसके चूजे भी बहुत जल्दी वयस्क होते हैं और वो भी जल्द ही अंडे देने लगते हैं। साथ ही इस नस्ल की मुर्गियों की मौत की संभावनाएं बेहद कम होती हैं क्योंकि इनकी इम्यूनिटी काफी तेज होती है। जिससे बीमारियों का इनके ऊपर कोई खास असर नहीं पड़ता। रेड आइलैंड मुर्गी को पालने के लिए किसी फार्म हाउस की जरूरत नहीं होती है। ये मुर्गियां बेहद कम जगह पर अपना बसेरा बना लेती हैं। इसलिए इन मुर्गियों को आप अपने घर की खाली पड़ी जगह में बेहद आसानी से पाल सकते हैं। यह भी पढ़ें : मुर्गी पालन की जगह कीजिये इस पक्षी का पालन और पाएं बंपर मुनाफा मुर्गियां पानी बहुत ज्यादा पीती हैं, इसलिए इनके आस पास पानी की समुचित व्ययस्था करनी चाहिए। एक मुर्गी एक किलो दाना खाने पर 2 से 3 लीटर तक पानी पी जाती हैं। गर्मियों के मौसम में मुर्गियां दोगुनी रफ्तार से पानी पीती हैं। ध्यान रहे कि जहां मुर्गियां रखी गई हों, वहां की जमीन पूरी तरह से सूखी हो। गीली जमीन पर मुर्गियों में बीमारियों की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। रेड आइलैंड मुर्गी के लिए चारे का उचित प्रबंध करना बेहद आवश्यक है। नहीं तो उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिलेंगे। जो चारा आप मुर्गियों के लिए उपलब्ध करवाते हैं उनमें यह ध्यान दें कि चारे में जरूरी पोषक तत्व यानी कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, मिनरल्स और विटामिन्स की पर्याप्त मात्रा मौजूद हो। इनके अलावा मुर्गियों को अलग से कुछ और पोषक तत्व देने की जरूरत होती है ताकि खाना अच्छे से पच सके और मुर्गियों का विकास तेजी से हो। चूजे को तेजी से विकसित करने के लिए अलसी और मक्का दे सकते हैं। ये दोनों ही अनाज चूजों के विकास के लिए वरदान हैं। चूजे को पूर्ण रूप से विकसित होने में लगभग 45 दिन लग सकते हैं। इस दौरान उनके खाने पीने का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है। नहीं तो चूजों का वजन मन मुताबिक नहीं बढ़ेगा। भारतीय बाजार में रेड आइलैंड मुर्गी के अंडों की जबरदस्त मांग है। इस मुर्गी का एक अंडा 10 से 12 रुपये में आसानी से बिक जाता है। वहीं अन्य नस्ल की मुर्गियों के अंडों की कीमत 7 से 8 रुपये तक होती है। इसके साथ ही इस नस्ल के मुर्गे के मांस का भाव भी अन्य नस्ल के मुर्गों की अपेक्षा ज्यादा है। इसलिए मुर्गी पालक इस नस्ल की मुर्गी का पालन करके कम समय में अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।
इन पशुपालन में होता है जमकर मुनाफा

इन पशुपालन में होता है जमकर मुनाफा

देश में किसानों के लिए खेती बाड़ी के साथ-साथ पशुपालन भी एक मुख्य व्यवसाय है। इसलिए देश के ज्यादातर किसान अपने घरों में पशु जरूर पालते हैं ताकि उन्हें खेती के अलावा कुछ अतिरिक्त आमदनी हो सके। इन दिनों केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा भी पशुपालन को प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि पशुपालक अपने पैरों पर खड़े हो सकें। किसानों को पशुपालन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने कई तरह की योजनाएं लॉन्च की हैं। जिनमें किसानों को पशुपालन करने के लिए अच्छी खासी सब्सिडी दी जा रही है। आज हम आपको ऐसे पशुपालन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी मदद से जल्द से जल्द अच्छा पैसा कमाया जा सकता है।

बकरी पालन

बकरी पालन में बेहद कम निवेश की जरूरत होती है। यह पशुपालन कम पूंजी के साथ भी शुरू किया जा सकता है। ज्यादातर किसान दूध उत्पादन के लिए बकरियों को पालते है । इसके अलावा मांस उत्पादन में भी बकरियों का अहम रोल है। देश में बकरे के मांस की काफी मांग रहती है। इस हिसाब से किसान
बकरी पालन करके अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। इसकी शुरुआत किसान भाई 2 बकरियों और एक बकरे के साथ कर सकते हैं। इसके बाद जैसे-जैसे मुनाफा होता जाए, वैसे-वैसे निवेश बढ़ाते जाएं।

मुर्गी पालन

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में यह एक लोकप्रिय व्यवसाय बनता जा रहा है। मुर्गियों का पालन अंडों के लिए और मांस के लिए किया जाता है। जिसकी बाजार में हमेशा मांग रहती है। बढ़ी हुई मांग को देखते हुए किसान अलग-अलग तकनीकों का प्रयोग करके मुर्गी पालन कर रहे हैं, जिससे उन्हें बंपर मुनाफा होता है। सरकार किसानों को बैकयार्ड में मुर्गी पालन शुरू करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। सरकार की यह पहल लोगों को काफी पसंद आ रही है। अगर किसानों के अगल-बगल या आगे-पीछे कहीं भी खाली जमीन पड़ी होती है तो किसान भाई वहां पर आसानी से मुर्गी पालन प्रारंभ कर सकते हैं। इससे किसानों को मुर्गी पालन में ज्यादा लागत नहीं आती और मुर्गियों की देखरेख के कारण अधिक मात्रा में अंडे और मांस का उत्पादन किया जाता है।

मछली पालन

इन दिनों मुर्गी पालन के साथ-साथ मछली पालन भी ग्रामीणों के बीच लोकप्रिय हो रहा है। इसके लिए भी सरकार लोगों को प्रोत्साहित कर रही है। इसलिए सरकार मछली पालन के लिए भारी मात्रा में सब्सिडी दे रही है। जिससे लोग इस व्यवसाय की तरफ तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। किसान इन दिनों कतला, रोहू तथा मृगल जैसी मछलियों का पालन करते हैं। इनके अलावा विदेशी कार्प मछलियों में सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प और कॉमन कार्प जैसी मछलियों का पालन किया जा रहा है। मछलियों का प्रयोग मांसाहारी भोजन में किया जाता है। इसके अलावा मछलियों से तेल समेत अन्य कई तरह के प्रोडक्ट बनाए जाते हैं, इसलिए किसान भाई मछली पालन करके जबरदस्त मुनाफा कमा सकते हैं। यह भी पढ़ें: भेड़, बकरी, सुअर और मुर्गी पालन के लिए मिलेगी 50% सब्सिडी, जानिए पूरी जानकारी

भैंस और गाय पालन

भैंस और गाय का पालन मुख्यतः दूध की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह एक ऐसा पशुपालन है जिसमें थोड़ा बहुत पूंजी की भी जरूरत होती है। ऐसे में सरकार कई योजनाओं के माध्यम से किसानों को पूंजी उपलब्ध करवा रही है ताकि किसानों को भैंस और गाय पालन के लिए पैसों की कमी न आए। आजकल बाजार में दूध की बढ़ती हुई मांग के कारण किसान भाई  भैंस और गाय पालन में रुचि दिखा रहे हैं। जिससे उन्हें जमकर मुनाफा हो रहा है।
इस राज्य में आकाशीय बिजली गिरने से 1200 मुर्गियों की हुई मौत

इस राज्य में आकाशीय बिजली गिरने से 1200 मुर्गियों की हुई मौत

उत्तर प्रदेश राज्य में आकाशीय बिजली गिरने की वजह से एक बड़ी दुर्घटना हुआ है। अंबेडकर नगर के बड़े गांव में बिजली गिरने से मुर्गी फार्म हाउस आग की चपेट में आ गया। इससे लगभग 1200 मुर्गियों की जलकर मृत्यु हो गई। भारत में मुर्गी पालन का एक बड़ा व्यवसाय है। लाखों की तादात में लोग इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। पोल्ट्री फार्म हाउस के माध्यम से काफी मोटी आमदनी भी अर्जित करते हैं। मुर्गी पालन के लिए बहुत सारे नार्म्स होते हैं। इन नियमों का भी अनुपालन करना पड़ता है। परंतु, भारत के एक प्रदेश में गिरी आकाशीय बिजली ने पोल्ट्री फार्म हाउस संचालक की अधिकांश संपत्ति ही बर्बाद हो चुकी है। उसे लाखों रुपये की हानि भी हुई है।

यूपी के अंबेडकर नगर में 1200 मुर्गियों की आकाशीय बिजली गिरने से मौत

उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर में आकाशीय बिजली गिरने से एक बड़ी दुर्घटना हो गई है। रविवार को मौसमिक परिवर्तन के चलते तेज बारिश चालू हो गई। आसमान में काले बादल के साथ जोरदार बिजली की चमक की वजह से लोग घरों में ही छुप गए। इसी दौरान जहांगीरगंज के बड़ागांव में मुर्गी हाऊस पर आकाशीय बिजली जा गिरी। बिजली इतनी तेजी से गिरी कि अतिशीघ्र ही आग लग गई। धीरे-धीरे आग पूरे फार्म हाउस में फैल गई। इसके चलते 1200 मुर्गियों की जलकर मोके पर ही मृत्यु हो गई। 

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स्थानीय लोगों पर भी नहीं बुझ सकी आग

स्थानीय लोगों का कहना है, कि रविवार के दिन में मौसम अच्छा था। परंतु, जैसे-जैसे रात आती गई मौसम खराब होना चालू हो गया। देर रात्रि में आकस्मिक तीव्र बिजली चमक, बारिश एवं ओलावृष्टि होनी चालू हो गई। इसके चलते बिजली जहांगीरगंज के बड़ागांव में स्थापित फार्म हाउस पर बिजली गिर चुकी। बिजली गिरते ही फार्म हाउस में आगजनी हो गई। आग की लपटों को देखते हुए आसपास के लोग आग बुझाने के लिए घटना स्थल पर पहुंच गए। परंतु, वह आग पर काबू करने में असमर्थ रहे। 

अबुबकर के मुर्गी फार्म हाउस को हुई लाखों की हानि

जहांगीरगंज के बड़ागांव के उत्तर घाघरा नदी के किनारे गांव में स्थित अबुबकर का मुर्गी फार्म हाउस है। कहा गया है, कि पेड़ को फाड़ते हुए मुर्गी फार्म हाउस पर जा गिरी। अबु बकर को आकाशीय बिजली गिरने से लाखों रुपये की हानि का सामना करना पड़ा है। अबु बकर ने राज्य सरकार से आर्थिक सहायता की मांग की है।

पोल्ट्री फार्म खोलने के लिए सरकार देगी 40 लाख, जानें पूरी जानकारी

पोल्ट्री फार्म खोलने के लिए सरकार देगी 40 लाख, जानें पूरी जानकारी

मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार द्वारा शुरू की गई योजना का नाम "समेकित मुर्गी विकास योजना" है। इस योजना के जरिये सरकार अंडा उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर रही है। किसानों को अंडे का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। 

इस योजना के जरिये किसान लाभ भी कमा सकते है। मुर्गी पालन करने के लिए, सरकार बिहार राज्य के लोगों को 40 लाख रुपए की राशि प्रदान कर रही है। यदि कोई व्यक्ति घर बैठे ही बिज़नेस करना चाहता है, तो उसके लिए यह सुनहरा मौका है। 

इस योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को 50 फीसदी का अनुदान प्रदान किया जायेगा। वही सामान्य जाती के लोगों को 30 फीसदी अनुदान दिया जायेगा। पोल्ट्री फार्मिंग का व्यवसाय कर किसान अन्य लोगों को भी उसमें रोजगार प्रदान कर सकते है। मुर्गी पालन के इस कार्य को रोजगार का सबसे बेहतर माध्यम माना जाता है। 

आवेदन के जरूरी दस्तावेज क्या है ?

  1. आवेदक का आधार कार्ड 
  2. आवेदक का निवास प्रमाण पत्र 
  3. पासपोर्ट साइज फोटो 
  4. जाति प्रमाण पत्र 
  5. बैंक की पास बुक की फोटो कॉपी 
  6. पैन कार्ड की फोटो कॉपी 
  7. आवेदन करते वक्त, आवेदक के पास राशि की छाया प्रति 
  8. भूमि का ब्यौरा या नजरी नक्शा 
  9. मुर्गी पालन का प्रशिक्षण प्रमाण पत्र 

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समेकित मुर्गी विकास योजना में कैसे करें आवेदन ?

यदि आवेदक इस योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन करना चाहता है, तो state.bihar.gov.in वेबसाइट पर कर सकता है। यह कृषि मंत्रालय की वेबसाइट है। यदि आवेदक ऑफलाइन आवेदन करना चाहता है तो, नजदीकी कृषि मंत्रालय में जाकर आवेदन कर सकता है। इस योजना में आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 मार्च 2024 है।