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पंजाब में किसान अपनी शिमला मिर्च की उपज को सड़कों पर फेंकने को हुए मजबूर

पंजाब में किसान अपनी शिमला मिर्च की उपज को सड़कों पर फेंकने को हुए मजबूर

आजकल देश के अलग अलग हिस्सों से कहीं बैंगन तो कहीं प्याज के दाम अत्यधिक गिरने की खबरें आ रही हैं। किसान लागत भी नहीं निकल पाने वाली कीमतों से निराश और परेशान होकर अपनी उपज को सड़कों पर ही फेंकना उचित समझ रहे हैं। इसी कड़ी में पंजाब के किसानों को शिमला मिर्च में खासा नुकसान वहन करने की खबरें सामने आ रही हैं। दरअसल। यहां व्यापारी एक रुपये किलो शिमला मिर्च खरीद रहे हैं। किसानों का इससे लागत तो दूर ले जाने का भाड़ा भी नहीं निकल पा रहा है। इसी वजह से दुखी होकर किसान अपनी शिमला मिर्च को सड़क पर फेंकने को मजबूर हो गए हैं। बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि के चलते किसानों को काफी हानि हुई है। इससे किसानों की लाखों रुपये की फसल बिल्कुल चौपट हो चुकी है। हालांकि, किसान भाइयों की परेशानियां यहीं खत्म नहीं हो रही हैं। किसान भाइयों को बागवानी यानी फल, सब्जी की बुवाई में भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। अत्यधिक उत्पादन होने की वजह से मंडियों में समुचित भाव किसानों को नहीं मिल पा रहे हैं। इसलिए किसानों को काफी ज्यादा परेशानी हो रही है। किराया तक भी न निकल पाने की वजह से नाराज किसान सब्जियों को सड़कों पर ही फेंकने को मजबूर हो रहा है।

शिमला मिर्च की कीमत पंजाब में 1 रुपए किलो

पंजाब में शिमला मिर्च की स्थिति काफी बेकार हो चुकी है। किसान भाई शिमला मिर्च लेकर मंड़ी पहुंच रहे हैं। लेकिन व्यापारी किसान से 1 रुपये प्रति किलो ही शिमला मिर्च खरीद रहा है। मनसा जनपद में बेहद ही ज्यादा शिमला मिर्च का उत्पादन हुआ है। यहां के किसान भी शिमला मिर्च को अच्छी कीमतों पर मंड़ी में नहीं बेच पा रहे हैं। ये भी पढ़े: वैज्ञानिकों द्वारा विकिसत की गई शिमला मिर्च की नई किस्म से किसानों को होगा दोगुना मुनाफा

शिमला मिर्च को सड़क पर फेंकने को मजबूर हुए किसान

मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा किसान भाइयों से शिमला मिर्च की ज्यादा बुवाई करने की अपील की थी। नतीजा यह है, कि मनसा जनपद के कृषकों ने बेहतरीन उत्पादन भी हांसिल कर लिया है। पंजाब की मंड़ियों में शिमला मिर्च की काफी अधिक आवक हो रही है। समस्त शिमला उत्पादक किसान अपनी उपज को लेकर के मंड़ी पहुंच रहे हैं। परंतु, मंड़ियों में उनकी शिमला मिर्च की कीमत 1 रुपये किलो के अनुरूप लगाई जा रही है। इससे किसान हताश होकर अपनी ट्रैक्टर- ट्रॉली पर लदी शिमला मिर्च की उपज को सड़कों पर फेंकना उचित समझ रहे हैं।

व्यापारी किसानों पर बना रहे दबाव

कहा गया है, कि शिमला मिर्च की ज्यादा आवक देख व्यापारियों द्वारा किसानों पर शिमला मिर्च को 1 रुपये प्रति किलो की दर से बेचने पर दबाव बनाया जा रहा है। इससे किसान काफी आक्रोश में दिखाई दे रहे हैं। पंजाब राज्य में 3 लाख हेक्टेयर में हरी सब्जियां उगाई जाती हैं। 1500 हेक्टेयर में शिमला मिर्च की पैदावार की जाती है। मानसा, फिरोजपुर और संगरूर जनपद में सर्वाधिक शिमला मिर्च का उत्पादन किया जाता है।
धान की पराली को जलाने की जगह उचित प्रबंधन कर किसान ने लाखों की कमाई की

धान की पराली को जलाने की जगह उचित प्रबंधन कर किसान ने लाखों की कमाई की

पंजाब राज्य के लुधियाना जिला के नूरपुर निवासी लॉ ग्रेजुएट हरिंदरजीत सिंह गिल ने जनपद में धान की पराली के प्रबंधन से 31 लाख रुपये से ज्यादा कमा डाले हैं। वहीं, अपने आसपास के कृषकों के लिए मिशाल प्रस्तुत की है। धान की कटाई आरंभ होते ही पराली की समस्या किसानों एवं सरकार दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाती है। आए दिन किसान पराली को खेतों में जलाते हैं। साथ ही, उन पर मुकदमा दर्ज होता है। सिर्फ इतना ही नहीं उनको इसके लिए कृषकों को हर्जाना भी देना पड़ता है। परंतु, इन सब के मध्य पंजाब में लुधियाना जनपद के नूरपुर निवासी लॉ ग्रेजुएट हरिंदरजीत सिंह गिल ने जनपद में धान की पराली के प्रबंधन से 31 लाख रुपये से ज्यादा कमा लिए। इससे उनके आसपास के किसानों के लिए मिशाल पेश करने के साथ-साथ उन किसानों को आय का मार्ग दिखाया है। जो किसान भाई आज भी पराली जलाने का सहारा ले रहे हैं। मीडिया खबरों के अनुसार, प्रगतिशील किसान ने बात करते हुए कहा कि उन्होंने इस सीजन में धान की कटाई के उपरांत अपने खेतों में बचे तकरीबन 17,000 क्विंटल धान की पराली की गांठें निर्मित करने के लिए 5 लाख रुपये का एक सेकेंड-हैंड चौकोर बेलर और 5 लाख रुपये का रैक खरीदा है।

धान की पराली से 31.45 लाख रुपये की आमदनी कर ड़ाली

किसान का कहना है, कि "मैंने धान की पराली से 31.45 लाख रुपये कमाने के लिए उन्हें 185 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से पेपर मिलों को बेच दिया।" अपने सफल पराली प्रबंधन से उत्साहित, 45 वर्षीय किसान ने अब अपने पराली प्रबंधन व्यवसाय को और बड़ा करने की योजना तैयार की है। एक बेलर और दो ट्रॉलियों का खर्चा 11 लाख रुपये था। सभी खर्चों को पूर्ण करने के उपरांत उन्होंने 20.45 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा अर्जित किया है।

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 साथ ही, गिल ने अपने पराली प्रबंधन व्यवसाय को और विस्तारित करने के लिए 40 लाख रुपये के दो रेक के साथ एक और गोल बेलर और 17 लाख रुपये के रेक के साथ एक वर्गाकार बेलर खरीदते हुए कहा, “इसके अलावा, बेलर और दो ट्रॉलियां मेरे पास हैं।” उन्होंने कहा, "अब, हम दो वर्गाकार बेलरों की सहायता से 500 टन गोल गांठें और 400 टन वर्गाकार गांठें बनाने की योजना बना रहे हैं।"


 

सफल किसान हरिंदर गिल कितने एकड़ में खेती करते हैं

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि वर्तमान समय में गिल 52 एकड़ भूमि में खेती करते हैं, जिसमें से उन्होंने 30 एकड़ में धान की खेती की थी। वहीं, 10 एकड़ में अमरूद एवं पीयर मतलब कि नाशपाती के बाग स्थापित किए थे। इसके अतिरिक्त बाकी 12 एकड़ में चिनार के पौधे स्थापित किए थे।


 

गेहूं की खेती के लिए हैप्पी सीडर का इस्तेमाल किया जाता है

उन्होंने बताया, “मैंने पिछले सात वर्षों से धान अथवा गेहूं का पराली नहीं जलाया है और गेहूं की बुआई के लिए हैप्पी सीडर का इस्तेमाल कर रहा हूं।” किसान ने आगे बताया “फसल उत्पादन तब से बढ़ गया है जब से उन्होंने खेतों में पराली जलाना बंद कर दिया है। इस वर्ष उन्होंने अपनी 30 एकड़ भूमि से 900 क्विंटल धान की पैदावार हांसिल की है। बीते दो वर्षों से मुझे ऐसा करते हुए देखकर, मेरे गांव एवं आसपास के अधिकांश किसानों ने भी यही प्रथा अपनानी चालू कर दी है।"