जानें किसान राकेश दुबे गन्ने की खेती से वार्षिक 40 लाख का लाभ कैसे उठा रहा है?
भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर होती है। भारत एक ऐसी भूमि भी है, जहां विश्व में सबसे ज्यादा विभिन्न किस्मों की विभिन्न फसलें उगाई जाती हैं। भारत के अंदर बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती की जाती है।
परंतु, गन्ना किसानों को सदैव यह शिकायत रहती है, कि वह इससे कोई ज्यादा मुनाफा नहीं प्राप्त कर पाते हैं। परंतु, विभिन्न किसान ऐसे भी हैं, जिन्होंने गन्ने की अहमियत समझी और आज वह उससे मोटा लाभ उठा रहे हैं।
आज हम आपको एक ऐसे ही सफल किसान के बारे में बताऐंगे जो गन्ने की खेती से वार्षिक 40 लाख रुपये तक अर्जित कर रहे हैं। दरअसल, हम मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जनपद के करताज गांव के निवासी प्रगतिशील किसान राकेश दुबे के बारे में जो कि तकरीबन 50 एकड़ भूमि में विगत कई वर्षों से खेती कर रहे हैं।
किसान राकेश दुबे ने बताया कि उनके समस्त फॉर्म सर्टिफाइड हैं। उन्होंने 90 के दशक में बीएससी करने के पश्चात खेती प्रारंभ की थी। तब से लेकर आज तक ये सिलसिला ऐसे ही जारी है।
राकेश दुबे ने नौकरी की जगह खेती का मार्ग पकड़ा
किसान राकेश दुबे ने बताया कि उन्होंने जानवरों के चारे वाले जमीन से खेती को करना शुरू किया। इसमें सफलता मिलने के बाद उनके मन में खेती के प्रति और भी रूझान बढ़ा। उस समय उन्हें लगा की खेती भी जीवन जीने का अच्छा साधन हो सकता है।
ये भी पढ़ें: गन्ने के किसानों के लिए बिहार सरकार की सौगात, मिलेगी 50% तक सब्सिडी
इसी के चलते शहर की नौकरी व बिजनेस से उनका दिमाग हट गया। मालूम हो कि मौजूदा वक्त में राकेश दुबे एक प्रगतिशील किसान की श्रेणी में पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें आज बहुत ही गर्व है, कि वह एक किसान हैं।
गुड़ के द्वारा विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार करते हैं - राकेश दुबे
राकेश दुबे ने बताया कि "वह विशेष रूप से अपने खेत में गन्ने की खेती करते हैं। राकेश दुबे के मुताबिक, वह एक सीजन में लगभग 25-30 एकड़ में गन्ने की खेती करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास कुशल मंगल नाम का एक ब्रांड भी है, जिसमें गुड़ के विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाए जाते हैं।
किसान राकेश दुबे के अनुसार, जब वह गन्ने से गुड़ बना रहे थे, तो उनके क्षेत्र में इसके लिए किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं थी। जिसको भी अपने खेत में उस समय गन्ना उगाना होता था, तो उसे अपनी गन्ना पेराई की मशीन खुद लगानी होती थी। खुद ही गुड़ बनाना होता था तभी किसान गन्ने की खेती कर सकते थे।"
प्रगतिशील किसान राकेश दुबे वार्षिक कितना लाभ उठा रहा है
उन्होंने आगे बताया कि "हमने गुड़ को एक नए ढ़ंग से बनाना शुरू किया। पहले हमने 50 ग्राम, 100 ग्राम और अब हम गुड को एक छोटी टॉफी के आकार में बनाकर बाजार में बेच रहे हैं। इसके अलावा हमने कई तरह के मसाले वाले गुड़, औषधीय वाले गुड़ को तैयार करके बेचा है।
ये भी पढ़ें: चीनी के मुख्य स्त्रोत गन्ने की फसल से लाभ
उन्होंने बताया कि जब हमारे गुड़ की बाजार में एक पहचान बनने लगी, तो लोग इसकी कॉपी करके अपने नाम से बेचने लगें। इसी के चलते हमने अपने गुड़ की मार्केट में एक अलग पहचान बनाने के लिए एक नाम दिया। इसके बाद से ही हमने ब्रांडिंग, ट्रेडमार्क और लेवल आदि कार्यों को करना प्रारंभ कर दिया।
"अगर लागत और मुनाफे की बात की जाए, तो "किसान राकेश दुबे ने बताया कि उनकी सालाना लागत लगभग 15 से 20 लाख रुपये तक होती है। वहीं, सालाना मुनाफा लागत से दोगुना हो जाता है।"