पूर्वी भारत में जूट का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। मुख्यतः पूर्वी उत्तर प्रदेश, मेघालय, त्रिपुरा, बिहार, असम, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में लाखों किसान जूट की खेती किया करते हैं।
जूट का उत्पादन करने वाले किसान भाइयों के लिए बड़ा समाचार है। किसानों की मांग को मंदेनजर रखते हुए केंद्र सरकार द्वारा कच्चे जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मेंं 6 फीसद का इजाफा करने का निर्णय लिया है। जिसके लिए आर्थिक मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए ) ने स्वीकृति भी दे दी है। विशेष बात यह है, कि सीसीईए द्वारा एमएसपी में यह वृद्धि केवल 2023-24 सीजन हेतु की गई है। इससे भारत के लाखों किसान भाइयों को लाभ होगा।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सीसीईए ने कच्चे जूट की एमएसपी में 300 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा किया है। फिलहाल, एक क्विंटल जूट का भाव 5050 रुपये हो गया है। साथ ही, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने केंद्र सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए कहा है, कि एमएसपी की यह वृध्दि वर्ष 2018-19 में घोषित उत्पादन खर्च के अनुसार है। जानकारी के लिए बतादें कि इससे भारत के 40 लाख किसान लाभांवित होंगे। वहीं, 4 लाख कामगार भी इससे फायदा उठाएंगे। उन्होंने बताया है, कि एमएसपी में वृद्धि होने से पैदावार की अखिल भारतीय औसत लागत पर 63.20% का रिटर्न मिलेगा।
जूट का सर्वाधिक उत्पादन इस राज्य में होता है
जानकारी के लिए बतादें, कि पूर्वी भारत में जूट का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। विशेष रूप से मेघाल, त्रिपुरा, बिहार, असम, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश में लाखों किसान जूट का उत्पादन करते हैं। इन किसानों की आमदनी का प्रमुख साधन भी जूट की खेती होती है। विशेष बात यह है, कि इन प्रदेशों के 33 जनपदों के अंदर जूट का उत्पादन किया जाता है। बतादें कि इन राज्यों में से जूट का सर्वाधिक उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल है। यहां समकुल जूट का 50 फीसद से भी ज्यादा का उत्पादन होता है। यही कारण है, कि पूर्व में पश्चिम बंगाल के अंदर सर्वाधिक जूट मिला था।
ये भी पढ़े:सेहत के साथ किसानों की आय भी बढ़ा रही रागी की फसल
केंद्र व राज्य सरकारें जूट की वस्तुओं के कुल पैदावार की 70% खरीदारी करती हैं
जूट का कृषि क्षेत्र में बेहद इस्तेमाल किया जाता है। जूट के इस्तेमाल से थैला, बोरी, बैग और बहुत सी अन्य प्रकार की वस्तुएं भी निर्मित की जाती हैं। साथ ही, जूट उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए, सरकार द्वारा जूट पैकेजिंग अधिनियम, 1987 को अधिनियमित किया है। इसके अंतर्गत जूट में पैक की जाने वाली कुछ वस्तुओं को निर्धारित किया गया है। वहीं, केंद्र सरकार द्वारा जूट बैग में खाद्यान्नों की पैकिंग हेतु आरक्षण भी दे रखा है। इसके खाद्यान्न एवं चीनी हेतु क्रमशः 100% एवं 20% जूट के बैग में पैकिंग जरुरी की गई है। विशेष बात यह है, कि केंद्र एवं राज्य सरकारें खाद्य पदार्थों की पैकिंग हेतु जूट की वस्तुओं की कुल पैदावार का 70% फीसद खरीदारी करती हैं। मुख्य बात यह है, कि जूट की बोरी का सर्वाधिक इस्तेमाल धान एवं गेहूं खरीदी के समय पैकिंग हेतु किया जाता है।
जूट का उत्पादन ज्यादातर पूर्वी भारत में किया जाता है। इसकी खेती खास तौर पर पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, उड़ीसा, पूर्वी उत्तर प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा में की जाती है। इन राज्यों के कुछ चयनित जिलों में जूट का उत्पादन किया जाता है। देश में जूट की खेती से लाखों किसान जुड़े हुए हैं। जो इनकी आय का मुख्य साधन है। देश में जूट सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल में उगाया जाता है। भारत के कुल उत्पादन का लगभग 50 प्रतिशत जूट पश्चिम बंगाल में उगाया जाता है। पश्चिम बंगाल का मिदनापुर जिला इसकी खेती का गढ़ माना जाता है। इसी कारण जूट मिलों की संख्या भी पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा जूट उत्पादक देश है। भारत में हर साल औसतन 1,960,380 टन जूट का उत्पादन किया जाता है। भारत के बाद बांग्लादेश जूट का दूसरा सबसे बाद उत्पादक देश है।
देश में जूट का सबसे ज्यादा उपयोग बैग, थैला, बोरी, रस्सी और कई अन्य तरह की चीजें बनाने में होता है। देश की केंद्र सरकार जूट की खेती को लगातार बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। इसके लिए सरकार ने इसे जूट पैकेजिंग अधिनियम, 1987 के अंतर्गत अधिनियमित किया है। जिसके अंतर्गत कई तरह की चीजों को जूट की थैलियों में पैक करना अनिवार्य कर दिया गया है। सरकार ने खाद्यान्न को पैक करने के लिए पूरी तरह से जूट के बोरे उपयोग करने के आदेश दिए हैं, इसके साथ ही चीनी की 20% पैकिंग भी जूट के बोरों में करनी होगी। देश में जूट से कुल उत्पादित होने वाले 70 प्रतिशत सामान की राज्य और केंद्र सरकारें खरीदारी करती हैं। देश में जूट के बोरों का सबसे ज्यादा उपयोग अनाज भरने के लिए किया जाता है।
बतादें, कि जूट का इस्तेमाल तकिये, टेबल मैट व मल्टीपर्पस यूज, रसोई के लिए पोछा, चप्पल, वेस्ट, बेल्ट और चादर जैसे उत्पाद भी निर्मित करने में किया जाता है। इससे आप यह अनुमान लगा सकते हैं, कि जूट से किसान कितनी आमदनी कर सकते हैं।