वैश्विक बाजारों में चावल के भाव में किसी भी तरह की कोई गिरावट की सभावनांए आज की तारीख में नजर नहीं आ रही हैं। विश्व बैंक ने कुछ ही समयांतराल में अपनी रिपोर्ट जारी की हैं। विश्व बैंक की ग्लोबल कमोडिटी आउटलुक के अनुसार, 2025 से पूर्व चावल की वैश्विक कीमतों में किसी तरह की उल्लेखनीय कमी आने की बिल्कुल संभावना नहीं है। चावल की कीमतों में बढ़ोतरी की मुख्य वजह अलनीनो का जोखिम जारी रहना है। इसके साथ ही विश्व के प्रमुख निर्यातकों और आयातकों के नीतिगत निर्णय और चावल पैदावार एवं निर्यात के बाजार में संकुचन से भी है।
विश्व बैंक की हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 के मुकाबले 2023 में वैश्विक बाजार के अंदर चावल की कीमत औसतन 28 फीसद ज्यादा है। 2024 तक वैश्विक बाजार में चावल के मूल्यों में 6 फीसद और महंगाई आने की संभावनाएं हैं। इसकी वजह से भारत में चावल की कीमतों में इजाफा होने की संभावना से चिंता बढ़ गई हैं। क्योकि, अगस्त के माह में कम बारिश की वजह से 2023 में घरेलू बाजार के अंदर इस खरीफ सीजन में चावल की पैदावार कम होने की काफी संभावनाएं हैं।
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गेंहू व आटे की कीमतों को नियंत्रण में रखना सरकार की जिम्मेदारी होती है। अब जैसा कि हम सब जानते हैं, कि अनाज की कीमतों में इजाफा देखा जा रहा है। इसके लिए सरकार ने कीमतों को कम करने हेतु 3.46 लाख टन गेहूं और 13,164 टन चावल खुले बाजार में विक्रय किया है। लेकिन, 5 लाख टन और खाद्यान्न बाजार में उतारने की योजना बनाई है, जिससे कि कीमतों को नियंत्रण में रखा जा सके। खाद्य वस्तुओं की बढ़ती महंगाई ने सरकार की चिंता को बढ़ा रखा है। बाजार में पर्याप्त उपलब्धता बरकरार रखने के लिए सरकार ने लगभग 4 लाख टन गेहूं एवं चावल खुले बाजार में उतार दिया है। वहीं, वर्तमान में 5 लाख टन अनाज तथा उतारने की तैयारी चल रही है। ऐसा कहा जा रहा है, कि जनवरी के दूसरे सप्ताह तक यह खाद्यान्न खुले बाजार में उतार दिया जाएगा।