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अब बंजर जमीन से किसानों की होगी भारी कमाई, हर एकड़ में मिल सकते हैं एक लाख रुपये

अब बंजर जमीन से किसानों की होगी भारी कमाई, हर एकड़ में मिल सकते हैं एक लाख रुपये

देश की केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने का लगातार प्रयास कर रही है, जिसके लिए कई योजनाएं लागू की गई है जो किसानों को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से लाभ प्रदान कर रही हैं। इसी तरह की एक योजना है प्रधानमंत्री कुसुम योजना। इस योजना के अंतर्गत सरकार किसानों को अपने खेत में सोलर पंप लगवाने के लिए भारी सब्सिडी दे रही है। इस योजना के अंतर्गत किसान भाई अपने खेत पर या बंजर जमीन पर सोलर पंप लगवा सकते है। जिसके लिए सरकार 60 फीसदी का अनुदान दे रही है। इस योजना को साल 2019 में शुरू किया गया था और अब इस योजना पर लगातार काम किया जा रहा है ताकि किसानों को इस योजना का लाभ पहुंचाया जा सके। इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदूषण से मुक्त और बेहद कम दामों में किसानों को सिंचाई उपलब्ध करवाना है। सरकार ने अपनी इस योजना के बारे में बताया है कि इस योजना के अंतर्गत किसानों को सोलर पैनल फ्री मिलते हैं, जिससे वो आसानी से बिजली बना सकते हैं। उस बिजली को अपनी अवश्यकतानुसार उपयोग कर सकते हैं तथा बाकी बची बिजली को बेंचकर अतिरिक्त आमदनी हासिल कर सकते हैं। बची हुई बिजली को विद्युत वितरण कंपनी खरीद लेती है, साथ ही अगले 25 सालों तक इनकम की गारंटी भी देती है। लेकिन किसान को ध्यान रखना होगा कि सोलर प्लांट लगवाने के लिए किसान की जमीन विद्युत सब-स्टेशन से 5 किलोमीटर तक दायरे में होनी चाहिए। नवीनीकृत स्रोतों से बनाई जाने वाली बिजली प्रदूषण रहित होती है जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होता। इसके साथ ही इसको बनाने में लागत भी कम आती है।

प्रति एकड़ एक लाख रुपये तक की हो सकती है कमाई

सरकार की कोशिश है कि किसान भाई इस योजना का लाभ उठाकर अपने खेतों में लगे डीजल पंपों को बंद कर दें और सौर ऊर्जा से चलित पंपों का इस्तेमाल करें। इससे एक ओर प्रदूषण में कमी आएगी वहीं दूसरी ओर डीजल की खपत भी कम होगी। जिससे केंद्र सरकार के ऊपर कच्चे तेल के आयात का बोझ कम होगा। इसके अलावा किसान भाईयों को बची हुई बिजली विद्युत वितरण कंपनी को बेंचने पर हर माह प्रति एकड़ 1 लाख रुपये तक का मुनाफा हो सकता है। यह आमदनी किसान को आगामी 25 वर्षों तक होती रहेगी। ये भी देखें: इस तकनीक के जरिये किसान 1 एकड़ जमीन से कमा सकते है लाखों का मुनाफा

इस प्रकार उठा सकते हैं सब्सिडी का फायदा

केंद्र सरकार ने कहा है कि इस योजना के अंतर्गत सोलर पैनल लगवाने पर किसान को कुल राशि का सिर्फ 10 प्रतिशत ही भुगतान करना होता है। इसके अलावा सरकार किसान को कुल राशि का 60 प्रतिशत देती है, जो सब्सिडी के रूप में होता है। इस राशि में से 30 प्रतिशत केंद्र सरकार की तरफ से तथा 30 प्रतिशत राशि राज्य सरकार की तरफ से वहन की जाती है। बाकी बची हुई 30 प्रतिशत राशि किसान को बैंक लोन के रूप में प्रदान की जाती है, जिसे किसानों को समय पर किस्तों के माध्यम से वापस करना होता है।

प्रधानमंत्री कुसुम योजना से किसान भाइयों को होंगे ये फायदे

  • इस योजना के माध्यम से बिना एकमुश्त राशि दिए आसानी से किसान की भूमि में सोलर पैनल लगाए जाते हैं। जिन्हें बेकार पड़ी जमीन में भी लगवाया जा सकता है।
  • इससे किसानों को फ्री बिजली मिलेगी जिससे सिंचाई में आसानी होगी। फ्री बिजली मिलने से किसानों का सिंचाई में होने वाला व्यय घटेगा।
  • इस योजना से किसानों की डीजल पर से निर्भरता कम होगी।
  • अतिरिक्त बिजली को आगामी 25 सालों तक बेंचकर किसान भाई अपने लिए अतिरिक्त आमदनी कर सकते हैं।
  • इस योजना के माध्यम से पर्यावरण में प्रदूषण कम किया जा सकेगा।

इनको मिलेगा प्रधानमंत्री कुसुम योजना का लाभ

देश में प्रधानमंत्री कुसुम योजना का लाभ किसानों के साथ-साथ सहकारी समितियों को, पंचायतों को, किसानों के समूहों को, किसान उत्पादक संगठनों को और जल उपभोक्ता एसोसिएशनों को भी मिलेगा।

इस योजना का लाभ पाने के ये डाक्यूमेंट्स होंगे जरूरी

इस योजना का लाभ पाने के लिए लाभार्थी के पास आधार कार्ड, आवेदन करने वालों की पासपोर्ट साइज़ की फोटो, पहचान पत्र, राशन कार्ड, रजिस्ट्रेशन की कॉपी, बैंक खाते की डिटेल, जमीन के दस्तावेज और मोबाइल नंबर होना अनिवार्य है। ये सभी डाक्यूमेंट्स आवेदन करते समय लगाने अनिवार्य हैं।

प्रधानमंत्री कुसुम योजना का लाभ पाने के लिए इस प्रकार से करें आवेदन

आवेदनकर्ता प्रधानमंत्री कुसुम योजना का लाभ पाने के लिए योजना की आधिकारिक वेबसाइट mnre.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त योजना की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने नोडल ऑफिसर से सम्पर्क कर सकते हैं।
इस किसान की सिंचाई करने की तकनीक के बारे में जानकर आपके होश उड़ जाऐंगे

इस किसान की सिंचाई करने की तकनीक के बारे में जानकर आपके होश उड़ जाऐंगे

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum) की रिपोर्ट के अनुसार, इस कमाल के मशीन को बनाने में हरजिंदर सिंह का हाथ है। उन्होंने इस मशीन पर सोलर पैनल लगा कर इसे पोर्टेबल बना दिया है। इस पूरी मशीन पर 24 सोलर पैनल लगे हुए हैं। भारत में किसान अब आधुनिक मशीनों की मदद से कृषि करने लगे हैं। इनमें बहुत सारे किसान ऐसे भी हैं, जो खेती के लिए आधुनिक मशीने विदेश से मंगाते हैं। तो वहीं बहुत से किसान भाई ऐसे भी हैं जो जुगाड़ से ऐसी आधुनिक मशीने बना लेते हैं, जिनके बारे में बड़े बड़े इंजीनियर भी नहीं सोच पाते। तो चलिए आज आपको एक ऐसी ही मशीन के बारे में बताते हैं जिसकी मदद से आप जहां चाहें वहां अपने खेत की सिंचाई कर सकते हैं।

मोबाइल सोलर प्लांट

मोबाइल सोलर प्लांट एक ऐसी मशीन है, जिसकी मदद से किसान भाई अपने खेतों में सहजता से सिंचाई कर सकते हैं। जो किसान पानी की पहुंच से दूर हैं अथवा फिर जहां ट्यूबवेल की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इस मशीन को चलाने हेतु अलग से बिजली की आवश्यकता नहीं पड़ती। क्योंकि, इस मशीन में सोलर पैनल लगे हुए होते हैं, जो सूरज की रौशनी से बिजली उत्पन्न करते हैं, जिससे ये मशीन चलती है।

इस अद्भुत कमाल को करने वाला शख्स कौन है

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट के अनुसार, इस कमाल की मशीन को बनाने में हरजिंदर सिंह का हाथ है। उन्होंने इस मशीन पर सोलर पैनल लगा कर इसे पोर्टेबल बना दिया है। इस पूरे मशीन पर 24 सोलर पैनल लगे हुए हैं। सबसे विशेष बात यह है, कि इस मशीन को ट्रैक्टर के सहारे कहीं भी ले जाया जा सकता है। इस मशीन को सेट करने में केवल कुछ ही मिनट का वक्त लगता है। ये सिंचाई के लिए तैयार हो जाती है। इस मशीन के माध्यम से किसान दो हजार से पांच हजार लीटर पानी तक की सिंचाई बड़ी ही सुगमता से कर सकते हैं। ये भी पढ़े: भारत में लॉन्च हुए ये 7 दमदार नए ट्रैक्टर

इस तकनीक का इस्तेमाल सिर्फ भारत नहीं जर्मनी तक होता है

हालाँकि, ऐसा नहीं है कि इस तरह की तकनीक का उपयोग सिर्फ भारत के किसान कर रहे हैं। जर्मनी में भी फलों की खेती करने वाले किसान इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। सोलर पैनल की सहायता से किसान ना केवल खेतों में सिंचाई कर रहे हैं, बल्कि पूरे खेत के लिए वो इन्हीं सोलर पैनलों से बिजली भी बना रहे हैं। धीरे-धीरे विश्वभर के किसान इस तरफ कदम बढ़ा रहे हैं। साथ ही, नई-नई तकनीक की सहायता से अपनी खेती को बेहतर कर रहे हैं।