जानकारी के लिए बतादें कि गन्ने की इस प्रजाति की बुवाई हरियाणा, पश्चिमी उत्त्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और राजस्थान में की जा सकती है। यहां के मौसम के साथ-साथ मृदा एवं जलवायु भी इस प्रजाति के लिए उपयुक्त है। साथ ही, इसका रंग भी हरा एवं मोटाई थोड़ी कम है। इससे प्रति हेक्टेयर 82.8 टन उपज मिल जाती है। इसके रस में शर्करा 17 फीसद, पोल प्रतिशत केन की मात्रा 13.22 प्रतिशत है।
इस किस्म की बुवाई उत्तर प्रदेश में की जा सकती है। इस हम प्रजाति के गन्ना के रंग की बात करें तो हल्का पीले रंग का होता है। यदि उत्पादन की बात की जाए तो एक हेक्टेयर में इसका उत्पादन 95 टन गन्ना हांसिल होगा। इसके अंतर्गत 18.60 प्रतिशत शर्करा, पोल प्रतिशक 14.55 प्रतिशत है। किसान इससे अच्छी उपज हांसिल सकते हैं।
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अनुसंधान संस्थान द्वारा लंबे परिश्रम के उपरांत यह किस्म तैयार की है। इसके रस में 17.65 प्रतिशत शर्करा एवं पोल प्रतिशत केन की मात्रा 13.42 प्रतिशत है। इस किस्म के गन्ने की लंबाई थोड़ी कम और मोटी ज्यादा है। इस गन्ने की बुवाई उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा में की जा सकती है। यहां का मौसम इस प्रजाति के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसका रंग भी हल्का पीला होता है। अगर उत्पादन की बात की जाए, तो यह प्रति हेक्टेयर 91.5 टन उत्पादन मिलेगी।यह किस्म लाल सड़न रोग से लड़ने में समर्थ है।
गन्ने की फसल किसानों के लिए बहुत ही उपयोगी होती है। गन्ने के गुड़ की बढ़ती मांग को देखते हुए किसान इस फसल को ज्यादा से ज्यादा उगाते है। गुड एक ठोस पदार्थ होता है। गुड़ को गन्ने के रस द्वारा प्राप्त किया जाता है। गन्ने की टहनियों द्वारा रस निकाल कर ,इसको आग में तपाया जाता है।जब यह अपना ठोस आकार प्राप्त कर लेते हैं, तब हम इसे गुड़ के रूप का आकार देते हैं। गुड़ प्रकृति का सबसे मीठा पदार्थ होता है। गुड दिखने में हल्के पीले रंग से लेकर भूरे रंग का दिखाई देता है।
गन्ने के गुड़ की बढ़ती मांग (Growing demand for sugarcane jaggery)
किसानों द्वारा प्राप्त की हुई जानकारियों से यह पता चला है।कि किसानों द्वारा उगाई जाने वाली गन्ने गुड़ की फसल में लागत से ज्यादा का मुनाफा प्राप्त होता है।इस फ़सल में जितनी लागत नहीं लगती उससे कई गुना किसान इस फसल से कमाई कर लेता है।जो साल भर उसके लिए बहुत ही लाभदायक होते है।
भारत एक उपजाऊ भूमि है जहां पर गन्ने की फसल को निम्न राज्यों में उगाया जाता है यह राज्य कुछ इस प्रकार है जैसे : उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तरांचल, बिहार ये वो राज्य हैं जहां पर गन्ने की पैदावार होती है।गन्ने की फसल को उत्पादन करने वाले ये मूल राज्य हैं।
गन्ना कहां पाया जाता है (where is sugarcane found)
गन्ना सबसे ज्यादा ब्राजील में पाया जाता है गन्ने की पैदावार ब्राजील में बहुत ही ज्यादा मात्रा में होती है।भारत विश्व में दूसरे नंबर पर आता है गन्ने की पैदावार के लिए।लोगों को रोजगार देने की दृष्टि से गन्ना बहुत ही मुख्य भूमिका निभाता है।गन्ने की फसल से भारी मात्रा में लोगों को रोजगार प्राप्त होता है तथा विदेशी मुद्रा की भी प्राप्ति कर सकते हैं।
गन्ने की खेती का महीना: (Sugarcane Cultivation Month)
कृषि विशेषज्ञों द्वारा गन्ने की फसल का सबसे अच्छा और उपयोगी महीना अक्टूबर-नवंबर से लेकर फरवरी, मार्च तक के बीच का होता है।इस महीने आप गन्ने की फसल की बुवाई कर सकते हैं और इस फसल को उगाने का यह सबसे अच्छा समय है।
गन्ने की फसल की बुवाई कर देने के बाद कटाई कितने वर्षों बाद की जाती है( After how many years after the sowing of sugarcane crop is harvested)
फसल की बुवाई करने के बाद, किसान इस फसल से लगभग 3 वर्षों तक फायदा उठा सकते हैं। गन्ने की फसल द्वारा पहले वर्ष दूसरे व तीसरे वर्ष में आप गन्ने की अच्छी प्राप्ति कर सकते हैं। लेकिन उसके बाद यदि आप उसी फसल से गन्ने की उत्पत्ति की उम्मीद करते हैं। तो यह आपके लिए हानिकारक हो सकता है। इसीलिए चौथे वर्ष में इसकी कटाई करना आवश्यक होता है। कटाई के बाद अब पुनः बीज डाल कर गन्ने की अच्छी फसल का लाभ उठा सकते हैं।
गन्ने की फसल तैयार करने में कितना समय लगता हैं( How long does it take to harvest sugarcane)
अच्छी बीज का उच्चारण कर गन्ने की खेती करने के लिए उपजाऊ जमीन में गन्ने की फसल में करीबन 8 से 10 महीने तक का समय लगता है।इन महीनों के उपरांत किसान गन्ने की अच्छी फसल का आनंद लेते हैं।
गन्ने की फसल में कौन सी खाद डालते हैं( Which fertilizers are used in sugarcane crop)
गन्ने की फसल की बुवाई से पहले किसान इस फसल में सड़ी गोबर की खाद वह कंपोस्ट फैलाकर जुताई करते हैं। मिट्टियों में इन खादो को बराबर मात्रा में मिलाकर फसल की बुवाई की जाती है। तथा किसान गन्ने की फसल में डीएपी , यूरिया ,सल्फर, म्यूरेट का भी इस्तेमाल करते है।
गन्ने की फसल में पोटाश कब डालते हैं( When to add potash to sugarcane crop)
किसान खेती के बाद सिंचाई के 2 या 3 दिन बाद , 50 से 60 दिन के बीच के समय में यूरिया की 1/3 भाग म्यूरेट पोटाश खेतों में डाला जाता है।उसके बाद करीब 80 से 90 दिन की सिंचाई करने के उपरांत यूरिया की बाकी और बची मात्रा को खेत में डाल दिया जाता है।
गन्ना उत्पादन में भारत विश्व में दूसरे नंबर पर आता है। भारत सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक करने वाला देश माना जाता है।इसका पूर्ण श्रय किसानों को जाता है जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से भारत को विश्व का गन्ना उत्पादन का दूसरा राज्य बनाया है।
गन्ने में बहुत सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो हमारे शरीर को बहुत सारे फायदे पहुंचाते हैं।
गर्मियों में गन्ने के रस को काफी पसंद किया जाता है। शरीर को फुर्तीला चुस्त बनाने के लिए लोग गर्मियों के मौसम में ज्यादा से ज्यादा गन्ने के रस का ही सेवन करते हैं। जिसको पीने से हमारा शरीर काम करने में सक्षम रहें तथा गर्मी के तापमान से हमारे शरीर की रक्षा करें।
गन्ना पोषक तत्वों से भरपूर होता है तथा इसमें कैल्शियम क्रोमियम ,मैग्नीशियम, फास्फोरस कोबाल्ट ,मैग्नीज ,जिंक पोटेशियम आदि तत्व पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद आयरन विटामिन ए , बी, सी भी मौजूद होते है। गन्ने में काफी मात्रा में फाइबर,प्रोटीन ,कॉम्प्लेक्स की मात्रा पाई जाती है गन्ना इन पोषक तत्वों से भरपूर है।
गन्ने की फसल में फिप्रोनिल इस्तेमाल ( Fipronil use in sugarcane crop)
गन्ने की अच्छी फसल के लिए किसान खेतों में फिप्रोनिल का इस्तेमाल करते हैं किसान खेत में गोबर की खाद मिलाने से पहले कीटाणु नाशक जीवाणुओं से खेत को बचाने के लिए फिप्रोनिल 0.3% तथा 8 - 10 किलोग्राम मिट्टी के साथ मिलाकर जड़ में विकसित करते हैं।जो गन्ने बड़े होते हैं उन में क्लोरोपायरीफॉस 20% तथा 2 लीटर प्रति 400 लीटर पानी मिलाकर जड़ में डालते हैं।
गन्ने की फसल में जिबरेलिक एसिड का इस्तेमाल ( Use of gibberellic acid in sugarcane crop)
गन्ने की फसल में प्रयोग आने वाला जिबरेलिक एसिड ,जिबरेलिक एसिड यह एक वृद्धि हार्मोन एसिड है।जिसके प्रयोग से आप गन्ने की भरपूर फसल की पैदावार कर सकते हैं। किसान इस एसिड द्वारा भारी मात्रा में गन्ने की पैदावार करते हैं।कभी-कभी गन्ने की ज्यादा पैदावार के लिए किसान इथेल का भी प्रयोग करते है। इथेल100पी पी एम में गन्ने के छोटे छोटे टुकड़े डूबा कर रात भर रखने के बाद इसकी बुवाई से जल्दी कलियों की संख्या निकलने लगती है।
गन्ने की फसल में जिंक डालने के फायदे( Benefits of adding zinc to sugarcane crop)
जिंक सल्फेट को ऊसर सुधार के नाम से भी जाना जाता है।इसके प्रयोग से खेतों में भरपूर मात्रा में उत्पादन होता है। फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए जिंक बहुत ही उपयोगी है।जिंक के इस्तेमाल से खेतों की मिट्टियां भुरभुरी होती हैं तथा जिंक खेतों की जड़ों को मजबूती अता करता है।
गन्ने की फसल की प्रजातियां ( varieties of sugarcane)
आंकड़ों के अनुसार गन्ने की फसल की प्रजातियां लगभग 96279 दर बोई जाती है। गन्ने की यह प्रजातियां किसानों द्वारा बोई जाने वाली गन्ने की फसलें हैं।
हमारी इस पोस्ट के जरिए आपने गन्ने की बढ़ती मांग के विषय में पूर्ण रूप से जानकारी प्राप्त कर ली होगी।जिसके अंतर्गत आपने और भी तरह के गन्ने से संबंधित सवालों के उत्तर हासिल कर लिए होंगे। यदि आप हमारी इस पोस्ट द्वारा दी गई जानकारियों से संतुष्ट है तो ज्यादा से ज्यादा हमारी इस पोस्ट को सोशल मीडिया या अन्य जगहों पर शेयर करें।
प्रदेश सरकार के अधिकारियों का कहना है, कि गन्ने की नई प्रजाति को. शा. 13235 के अभिजनक बीज की अब तक जो कीमत थी, वह 1.20 रुपये प्रति बड़ की दर से बढ़कर 1275 रुपये प्रति क्विंटल रही है। राज्य सरकार द्वारा इसको घटाकर 850 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। गन्ना की दूसरी नई किस्म को. शा. 15023 है। इसके बीज की वर्तमान में कीमत 1.70 रुपये प्रति बड की दर से 1700 रुपये प्रति क्विंटल थी। नई दरों में इस प्रजाति की कीमत 850 रुपये प्रति क्विंटल की जा चुकी है।
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यहां से गन्ना खरीद सकते हैं किसान
अधिकारियों ने बताया है, कि किसानों को गन्ना खरीदने के लिए इधर-उधर चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। दोनों प्रजातियों के बीज शाहजहांपुर में मौजूद यूपी गन्ना शोध परिषद से अटैच बीज केंद्रों एवं चीनी मिल फार्मों से 850 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत पर किसानों को मुहैय्या कराया जाएगा। समस्त परिषदों को निर्देश जारी किए गए हैं, कि गन्ने की दोनों किस्मों की जो संसोधित कीमतें हैं। उन्हीं दरों पर गन्ना किसानों को मुहैय्या कराई जाऐं।