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रबी के सीजन में तरबूज की खेती कर किसान हो रहे हैं मालामाल जानें क्या है तकनीक

रबी के सीजन में तरबूज की खेती कर किसान हो रहे हैं मालामाल जानें क्या है तकनीक

आजकल रबी का सीजन चल रहा है और किसान बढ़-चढ़ कर अपने खेतों में फसल लगा रहे हैं। हालांकि अभी भी बहुत से किसान पारंपरिक तरीके से एक ही तरह की फसल लगा कर उत्पादन कर रहे हैं। लेकिन कई जगह किसानों ने अपने खेती करने के तरीके और फसल की किस्म दोनों को बदला है। महाराष्ट्र के किसान तरबूज की खेती कर लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं। इस फसल का फायदा है कि ये कम जगह में भी उगाई जा सकती है।

3 लाख तक मुनाफा कमा रहे हैं किसान

महाराष्ट्र की बात की जाए तो यहां पर किसानों द्वारा लगभग 660 हेक्टेयर में तरबूज (water melon) की फसल का उत्पादन किया जा रहा है। किसानों का रुझान इस खेती की तरफ हाल ही के दिनों में काफी बढ़ा है। कम जगह में की जा रही तरबूज की खेती से किसान लाखों का मुनाफा कमा चुके हैं।

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क्यों हो रही है तरबूज की खेती लोकप्रिय

खासकर उत्तर भारत में गर्मियों में तरबूज काफी ज्यादा पसंद किया जाता है। इसका कारण है, कि तरबूज में जल की मात्रा काफी ज्यादा होती है, जो इसे गर्मियों के लिए एकदम परफेक्ट फल बनाता है। इसके अलावा चूना, फास्फोरस और कुछ विटामिन ए, बी, सी जैसे खनिज होते हैं। हालांकि ऐसा कहा जाता है कि गर्म तरबूज खाने से पेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती है इसलिए गर्म तरबूज नहीं खाना चाहिए।

तरबूज के बोए जाने का सही मौसम क्या है?

तरबूज को दिसंबर के महीने में उगाया जाता है और इसके बाद मार्च आने तक इसकी कटाई शुरू कर दी जाती है। इसके अलावा कुछ पहाड़ी इलाकों में इसकी खेती अप्रैल के महीने में भी की जाती है, क्योंकि इसके लिए हमें गर्म और शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है। 25 से 27 डिग्री का तापमान इसके लिए उचित है। तरबूज की फसल उगाते समय किसानों को एक बात ध्यान में रखनी बेहद जरूरी है, कि इस में कीड़े आदि बहुत जल्दी लग जाते हैं, जिससे फसल के बर्बाद होने का खतरा बना रहता है। कीड़े पत्तों से शुरू हो कर फल तक पहुंच सकते हैं, इसलिए समय-समय पर हमें फसलों पर दवाइयों का छिड़काव करते रहना चाहिए।
लागत कम मुनाफा ज्यादा, ऐसे करें तरबूज की खेती

लागत कम मुनाफा ज्यादा, ऐसे करें तरबूज की खेती

भारत में इस वक्त रबी की फसलों की कटाई का काम तेजी से चल रहा है. जिसका काम मार्च तक पूरा कर लिया जाएगा. जिसके बाद खेत खाली हो जाएंगे. ऐसे में किसान चाहें तो तरबूज की खेती करके कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. 

तरबूज की खेती की सबसे बड़ी खासियत यही है कि, इसके लिए कम पानी की जरूरत पड़ती है. वहीं भारत में गर्मियों के मौसम में ज्यादा डिमांड होने की वजह से इसके अच्छे खासे दाम मिल जाते हैं.

तरबूज की खेती

अगर आप भी तरबूज की खेती करने का मन बना रहे हैं तो, रबी और खरीफ के सीजन के बीच के सीजन यानि कि जायद के सीजन में उगा सकते हैं. यह सीजन फरवरी से मार्च के बीच का होता है. 

तरबूज की खेती के लिए उसकी उन्नत किस्मों की बुवाई फायदेमंद होती है. इसके लिए खेती करने का सही तरीका भी आना चाहिए. तो चलिए फिर जानते हैं, तरबूज की खेती से जुड़ी अहम बातें.

इन राज्यों में होती है सबसे ज्यादा खेती

देश में गर्मियों का मौसम शुरू होते ही, तरोताजा कर देने वाले तरबूज की डिमांड बढ़ जाती है. इसलिए इसकी खेती भी काफी ज्यादा बड़े पैमाने में की जाती है. 

इसकी खेती मुख्य रूप से यूपी, पंजाब, कर्नाटक, हरियाणा, राजस्थान में की जाती है. अगर आप किसी अन्य फलों की खेती करते हैं तो उनके मुकाबले तरबूज की खेती करना आसान है. 

क्योंकि इसमें कम खाद, कम समय, और कम पानी की जरूरत पड़ती है. तरबूज की खेती के लिए गंगा, यमुना जैसी अन्य नदियों के किनारे खाली जगहों पर की जाती है.

तरबूज की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी

ज्यादा तापमान वाली जलवायु तरबूज की खेती के लिए सबसे अच्छी होती है. ज्यादा तापमान से फल जल्दी बढ़ते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक फलों के बीजों को अंकुरित होने के लिए कम से 20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की जरूरत होती है. 

वहीं तरबूज की खेती के लिए रेतीली और दोमट जमीन अच्छी रहती है. इसके अलावा उसकी मिट्टी का पीएच मान 5 से 7 के बीच होना चाहिए. अगर जमीन उपजाऊ नहीं है और बंजर है, तो भी इसकी खेती आराम से की जा सकती है. 

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तरबूज की उन्नत किस्मों के बारे में

तरबूज की वैसे तो कई तरह की उन्नत किस्में हैं, जो काफी समय और कम लागत में तैयार हो जाती हैं. इसके अलावा वो उत्पादन भी बढ़िया देती हैं. जिनके बारे में आपका भी जान लेना जरूरी है.

  • अर्का मानिक

इस किस्म के तरबूज का विकास बैंगलौर में किया गया. यह किस्म जल्दी सड़ती नहीं है. तरबूज की यह किस्म प्रति हेक्टेयर 50 से 60 टन तक की उपज देती है.

  • अर्का ज्योति

इस तरह के किस्म के तरबूज का भार 7 से 8 किलो तक होता है. साथ ही इसे काफी दिनों तक रखा भी जा सकता है. प्रति हेल्तेय्र 350 क्विंटल तक इसका उत्पादन किया जा सकता है.

  • शुगर बेबी

शुगर बेबी किस्म के तरबूज के बीज काफी जल्दी तैयार हो जाते हैं. कम से कम सौ दिनों के बाद यह तोड़ने लायक हो जाते हैं. इसके फलों में बीज काफी कम होते हैं. 200 से 250 क्विंटल की उपज प्रति हेक्टेयर मिल सकती है.

  • डब्लू 19

NRCH द्वारा गर्म और शुष्क क्षेत्रों में खेती के लिए यह किस्म सबसे अच्छी होती है. तरबूज की यह किस्म ज्यादा तापमान भी सहन कर सकती है. इसका फल काफी अच्छा और मीठा होता है. इसे दो से ढ़ाई महीने में तैयार किया जा सकता है. 40 से 50 टन की उपज प्रति हेक्टेयर में पाई जा सकती है.

  • आशायी यामातो

जापान से लायी गयी इस किस्म के फलों का भार 6 से 9 किलो तक होता है. धारीदार और हल्के हरे रंग का छिलका इसकी पहचान है. 200 से 225 क्विंटल तक की उपज प्रति हेक्टर में मिल जाती है. 

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अगर चाहते हैं हाइब्रिड तरबूज की खेती

अगर आप हाइब्रिड तरबूज की खेती करना चाहते हैं तो खेती से पहले खेत की जुताई करनी जरूरी है. इस तरह की खेती के लिए खेत को तैयार करना सबसे ज्यादा जरूरी है. 

इसके लिए आप मिट्टी पलटने वाले हल का सहारा ले सकते हैं. आपको इस बात का भी ख्याल रखना होगा कि, कहत में पानी की मात्रा एकदम बराबर हो. यानि कि ना तो ज्यादा और ना ही कम. जिसके बाद आप नदियों की खाली जगह पर क्यारियां बना लें और जमीन में गोबर की खाद मिला दें. अगर रेत ज्यादा है तो ऊपर की स्थ को हटाकर मिट्टी में खाद मिला दें.

जानिए बुवाई का सही तरीका

तरबूज के बीजों की बुवाई अगर मैदानी क्षेत्रों में कर रहे हैं तो समतल भूमि का चयन करें, अगर बुवाई पर्वतीय क्षेत्रों में कर रहे हैं तो उपर की तरफ उठी हुई क्यारियों का चयन करें. 

इसके लिए दो से ढ़ाई मीटर चौड़ी क्यारी बनाई जाती है. जिसके किनारे डेढ़ सेंटीमीटर गहरे होते हैं. जिनमें बीजों को बोया जाता है. बुवाई की लाइन और आपसी दूरी कितनी हो यह तरबूज की किस्म पर निर्भर करता है.

सही खाद और उर्वरक का करें प्रयोग

तरबूज की खेती के लिए गोबर की खाद को रेतीली भूमि में मिलाया जाता है. यह काम आप जमीन तैयार करते वक्त भी कर सकते हैं. वहीं 70 से 80 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर के साथ फास्फेट और पोटाश की मात्रा 60-60 किलो प्रति हैक्टेयर होनी चाहिए. 

खाद उर्वरकों की मात्रा और उसकी शक्ति पर भी निर्भर करती है. उर्वरा शक्ति जमीन में ज्यादा हो तो उर्वरक और खाद की मात्रा को आप कम कर सकते हैं.

क्या हो सिंचाई के प्रबंध?

तरबूज की बुवाई के लगभग 15 से 20 दिनों के बाद सिचाई करना अच्छा होता है. नदियों के किनारे खेती करने की वजह से इसमें सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती. क्योंकि वहां पर पहले से ही मिट्टी में नमी होती है.

कैसे करें तरबूज की तुड़ाई?

तरबूज की बुवाई के बाद करीब तीन से चार महीने के बाद इसे तोड़ने का काम शुरू हो जाता है. अगर फल कहीं दूर भेजे जाने हैं तो इन्हें पहले ही तोड़ लें. हालांकि फलों को दबाकर भी देख लें. 

इससे फल का कच्चा और पका होने का अंदाजा लगाया जा सकता है. इसके अलावा फलों को उनकी डंठल से अलग करने के लिए चाक़ू या फिर धारदार चीज का इस्तेमाल किया जा सकता है.

क्या होगा आय का लाभ?

तरबूज की पैदावार की अलग-अलग किस्में होती हैं. जो मार्केट में 10 से 12 हजार रुपए प्रति क्विंटल बेचा जाता है. अगर आपने 35 से 40 क्विंटल भी तरबूज की उपज कर ली तो, इससे अच्छा खासा मुनाफा कमाया जा सकता है.

तरबूज के पौधों में रोग भी लगते हैं. जिनकी रोकथाम करना बेहद जरूरी है. यह काम कैसे करना करना है, चलिए जान लेते हैं.

  • तरबूज की खेती में कद्दू का लाल कीड़ा लग जाता है. जिससे बचाव के लिए कारब्रिल 50 डीएसटी का छिड़काव किया जा सकता है.
  • तरबूज में अक्सर फल मक्खी नाम का रोग भी लग जाता है, जिस वजह से फल में छेद हो जाता है. इससे बचाव के लिए मेलाथियान 50 ईसी का छिड़काव किया जा सकता है.
  • अगर तरबूज की पत्तियों में सफेत पाउडर जैसा नजर आए तो समझिये, इसमें बुकनी रोग लगा है. इसके निदान के लिए डायनोकेप 05% का छिड़काव किया जा सकता है.
  • पोधे कि निचली सतह पर गुलाबी रंग के पाउडर की तरह दिकाई देने वाला डाउनी मिल्ड्यू नाम का रोग होता है. इससे बचने के लिए मैंकोजेब का छिड़काव हफ्ते में तीन से चार बार किया जा सकता है.
  • फ्यूजेरियम विल्ट नाम के रोग से ग्रसित होकर पौधा पूरी तरह से खराब हो जाता है और गिर जाता है. अगर बीज लगाने से पहले खेतों में केप्टान का छिड़काव कर लें, तो इससे पौधे बच सकते हैं.
तरबूज की खेती से जुड़ी यह ऐसी जानकारी हैं, जो आपके बेहद काम आने वाली है. हमारे बताये हुए तरीकों से तरबूज की खेती करके आप इस सीजन खूब मालामाल हो सकते हैं.