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बाढ़

महाराष्ट्रः विदर्भ, मराठवाड़ा में फसलें जलमग्न, किसानों के सपनों पर फिरा पानी

महाराष्ट्रः विदर्भ, मराठवाड़ा में फसलें जलमग्न, किसानों के सपनों पर फिरा पानी

नांदेड़, हिंगोली, लातूर और बीड में नुकसान

गढ़चिरौली, नागपुर, बुलढाणा जिलों में सोयाबीन, कपास की खेती प्रभावित

देश के राज्यों में मौसम के बदले मिजाज ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। कई राज्यों में पिछले रिकॉर्ड के अनुसार देर से बारिश शुरू होने से
खरीफ की फसल लेट चल रही है, तो महाराष्ट्र में इतनी बारिश हुई कि किसानों की खेती पर संकट खड़ा हो गया। महाराष्ट्र के किसानों से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रदेश में भारी बारिश ने किसानों के सपनों पर पानी फेर दिया है। सूत्र आधारित सूचना के अनुसार महाराष्ट्र राज्य में आठ लाख हेक्येटर भूमि खेतों में लगी फसल पानी के कारण खराब हो गई। इंडियन एक्सप्रेस ने कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से महाराष्ट्र में भारी बारिश से फसलों के बारे में न्यूज रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार कुछ जिलों और तालुका में भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति निर्मित हुई। खेतों में बाढ़ का पानी भरने से फसलों को खासा नुकसान हुआ। प्रदेश के मराठवाड़ा और विदर्भ के इलाकों में मिट्टी का कटाव होने से नुकसान ज्यादा होने की आशंका है। प्रदेश में किसानों को हुआ नुकसान छिन्न-भिन्न स्थिति में हैं। विभागीय सरकारी स्तर पर यह नुकसान फिलहाल कुछ जिलों तक ही सीमित होने की बात कही गई है।

कहर बनकर बरपा जुलाई

महाराष्ट्र के किसानों के लिए जुलाई का महीना कहर बनकर बरपा। इस महीने के तीसरे सप्ताहांत में हुई भारी बारिश ने खेतों को तगड़ा नुकसान पहुंचाया। कृषि विभाग से प्राप्त सूत्र आधारित सूचना के अनुसार महाराष्ट्र राज्य में आठ लाख हेक्येटर भूमि खेतों में लगी फसल पानी के कारण खराब हो गई।

आईएमडी ने दी चेतावनी

फिलहाल किसानों की परेशानी कम होती नहीं दिख रही है क्योंकि, मौसम विभाग ने संपूर्ण महाराष्ट्र राज्य में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD - INDIA METEOROLOGICAL DEPARTMENT) ने उत्तरी महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, विदर्भ और कुछ क्षेत्रों में आगामी एक सप्ताह तक अति बारिश का पूर्वानुमान व्यक्त किया है। एक सप्ताह लगातार हुई बारिश के बाद मिली राहत के बाद तटीय कोंकण में फिर एक बार मध्यम बारिश की संभावना जताई गई है।

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कितना पिछड़ी महाराष्ट्र में खेती

सामान्य मानसून की स्थिति में पिछले रिकॉर्ड्स के मान से महाराष्ट्र में अब तक डेढ़ सौ (152) लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में किसान बुवाई कर चुके होते। जून के महीने में ही महाराष्ट्र में आमद दर्ज कराने वाले मॉनसून से किसानों को जो आस बंधी थी, वह बारिश में देरी होने के कारण काफूर हो गई। बारिश में देरी के कारण बुवाई के लिए खेत तैयार करने के लिए किसान लगातार चिंतित रहे। कृषि मंत्रालय ने भी किसानों को पर्याप्त बारिश होने पर ही बुवाई करने की सलाह दी थी। जुलाई के पहले सप्ताह में हुई बारिश के बाद किसानों ने खेत में देर से बुवाई कार्य किया। पहले जिस बारिश ने किसान को बुवाई के लिए तरसाया उसी बारिश ने जुलाई के मध्य सप्ताहों में ऐसा तेज रुख अख्तियार किया कि किसानों के पास खेत में खराब होती फसलों के देखने के सिवाय कोई और चारा नहीं था।

उप-मुख्यमंत्री फडणवीस ने दिए निर्देश

उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से किसानों ने बाढ़ से हुए फसल के नुकसान का मुआवजा प्रदान कर अगली फसल के लिए सहायता एवं राहत प्रदान करने की मांग की है।

सोयाबीन सड़ी, कपास डूबी

महाराष्ट्र में विदर्भ का इलाका सोयाबीन और कपास की खेती के लिए प्रसिद्ध है। यहां भंडारा, गोंदिया, वर्धा, चंद्रपुर, गढ़चिरौली, नागपुर, अमरावती, यवतमाल और बुलढाणा जिलों में भारी बारिश के कारण किसानों ने नुकसान की जानकारी दी है।

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मराठवाड़ा में नुकसान

मराठवाड़ा के लगभग सभी प्रमुख जिलों में भारी वर्षा के कारण कृषि उपज को नुकसान हुआ है। यहां नांदेड़, हिंगोली, लातूर और बीड जिलों में तेज बारिश से भारी बारिश होने की जानकारियां सामने आई हैं। महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भारी बारिश से प्रभावित संबंधित जिलों के प्रशासनिक अमले को नुकसान का आंकलन कर मुआवजा राशि तय करने के लिए निर्देशित किया है।

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नुकसान जांचने में परेशानी

महाराष्ट्र में तेज बारिश से हुए नुकसान का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि, बाढ़ की स्थिति के कारण प्रदेश में कई गांवों से संपर्क टूट गया है। संपर्क टूटने के कारण फील्ड अधिकारी एवं उनके मातहत बाढ़ एवं डूब प्रभावित इलाकों के किसानों के खेतों, मकानों में हुए नुकसान का आंकलन करने में असमर्थ हैं।
इस राज्य में बारिश से क्षतिग्रस्त हुई फसल का राज्य सरकार मुआवजा प्रदान कर रही है

इस राज्य में बारिश से क्षतिग्रस्त हुई फसल का राज्य सरकार मुआवजा प्रदान कर रही है

फसल क्षति को देखते हुए सरकार ने मुआवजा धनराशि का वितरण शुरू भी कर दिया है। पठानकोट, रोपड़ , मोगा, मोहाली, संगरूर, पटियाला, जालंधर और लुधियाना जनपद में किसानों को मुआवजे के तौर पर 103 करोड़ रुपये दिए गए हैं। ऐसा कहा जा रहा है, कि इन जिलों में बहुत से गांव अभी भी पानी में डूबे हुए हैं। किसानों को हमेशा किसी न किसी बाधा का सामना करना पड़ता है। कभी उनकी फसल को निराश्रित पशु नुकसान पहुँचाते हैं, तो कभी प्राकृतिक आपदाऐं। बतादें, कि इस वर्ष भारत के विभिन्न राज्यों में अभी तक औसत से कम बरसात हुई है। परंतु, पंजाब में इस बार इंद्र देवता ने खूब जमकर बारिश की है। इससे बहुत से जनपद में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए थे। यहां तक कि शहरों में जलभराव की स्थिति पैदा हो गई थी। इससे आम जनता को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ा। विशेष बात यह है, कि ज्यादा बारिश होने से पंजाब राज्य में सबसे ज्यादा किसानों को नुकसान वहन करना पड़ा है। लाखों हेक्टेयर में लगी धान की फसल पूर्णतय चौपट हो गई। ऐसे हालातों में किसानों को पुनः धान की बुवाई करनी पड़ी। परंतु, वर्तमान में पंजाब सरकार ने किसानों के फायदे के लिए बड़ा कदम उठाया है।

पंजाब सरकार फसल हानि के लिए अनुदान प्रदान कर रही है

पंजाब सरकार ने किसानों को फसल क्षति के बदले में मुआवजा देने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार का कहना है, कि किसानों को 6,800 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा प्रदान किया जाएगा। इसके लिए सरकार की ओर से 86 करोड़ रुपये की धनराशि जारी भी कर दी गई है। शीघ्र ही, किसानों के खाते में मुआवजे की धनराशि हस्तांतरित की जाएगी। हालांकि, जुलाई माह में सरकार ने किसानों के खाते में मुआवजे के तौर पर 103 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की थी। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसानों को नुकसान की भरपाई करने के लिए यह अहम कवायद की है। यह भी पढ़ें: प्रचंड बारिश और भयावय बाढ़ से पीड़ित किसानों ने फसल बर्बादी को लेकर सरकार से क्या मांग की

लाखों हेक्टेयर फसल जलभराव से चौपट

आंकड़ों के अनुसार, जुलाई माह में पंजाब में औसत से 44 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। विशेष कर पंजाब के फरीदकोट में 256.2 मिलीमीटर और मोहाली में 472.6 मिलीमीटर अधिक वर्षा हुई। इसी प्रकार पटियाला एवं रूपनगर में क्रमश: 71 प्रतिशत और 107 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की गई। वहीं, जुलाई माह के दौरान तरनतारन में 151 प्रतिशत और जालंधर में 34 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई। इससे इन जनपदों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई, जिससे 6.25 लाख एकड़ में लगी धान की नवीन फसल जलमग्न हो गई। ऐसी स्थिति में किसान भाइयों को 2.75 लाख एकड़ में धान की पुनः रोपाई करनी पड़ी।

किसानों को अब तक कोई सहायता नहीं मिली है

बतादें, कि रबी सीजन के दौरान भी बेमौसम बरसात ने पंजाब में प्रचंड तबाही मचाई थी। ऐसे में हजारों हेक्टेयर में लगी गेहूं की फसल बारिश और ओलावृष्टि की वजह से बर्बाद हो गई थी। उस वक्त सरकार ने पीड़ित किसान भाइयों को फसल नुकसान के एवज में मुआवजा देने का वादा किया था। परंतु, किसानों को अब तक कोई मदद नहीं मिली है। किसान भाई बेहद जोखिम भरी परिस्थियों में खेती करते हैं।