रोज़मेरी - सुगंधित पौधे की खेती (Rosemary Aromatic Plant Cultivation Info in Hindi)
दोस्तों आज हम बात करेंगे एक ऐसे सुगंधित पौधे की जिसका नाम रोज़मेरी है, रोज़मेरी से जुड़ी सभी प्रकार की जरूरी और अवश्य बातें जानने के लिए हमारी इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहे।
रोज़मेरी (Rosemary)
आम भाषा में कहे तो रोजमेरी एक जड़ी बूटी है जिसका वैज्ञानिक नाम Rosamarinus officinalis हैं, तथा हिंदी में इसको गुलमेहंदी के नाम से पुकारा जाता है। लेकिन ज्यादातर इसका परिचय रोजमेरी और गुलमेंहदी के नाम से ही होता हैं। ग्रहणी से प्राप्त की गई जानकारी के अनुसार रोजमेरी सबसे ज्यादा रसोई घर में पाए जाने वाली जड़ी बूटियों में से एक। रोज़मेरी एक चिकित्सक पौधा है। जिसकी ज्यादातर पैदावार भूमध्यसागरीय क्षेत्र में होती है। रोजमेरी दिखने में पूरी तरह से सुई के आकार की होती है इसकी लंबाई लगभग 3 से 4 सेंटीमीटर की होती है। रोजमेरी के फूल दिखने में नीले रंग के होते हैं। रोजमेरी का स्वाद थोड़ा कड़वा और बहुत ज्यादा कसैला होता है तथा या गर्म भी होता है। रोजमेरी का उपयोग ज्यादातर सॉस, सूप स्टाफिंग, स्टॉज, रोस्ट्स इत्यादि के लिए किया जाता है। भारत देश में रोजमेरी की खेती कई क्षेत्रों में की जाती है यह क्षेत्र कुछ इस प्रकार है जैसे: जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश यह क्षेत्रों में रोजमेरी की खेती की जाती है।
रोज़मेरी की बुवाई का समय
रोजमेरी की बुवाई करने के लिए किसान जो सबसे अच्छा समय चुनते हैं, वह अक्टूबर से फरवरी के बीच का होता है इस बीच रोजमेरी की बुवाई की जाती है। इन 2 माह मे बुवाई से रोजमेरी की अच्छी खेती की प्राप्ति होती है।
रोजमेरी खेती की बुवाई का तरीका
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार रोजमेरी की खेती दो प्रकार से की जाती है, पहले आप रोजमेरी की खेती की बुवाई आप बीज द्वारा कर सकते हैं या फिर आप कटिंग यानी कलम विधि को अपनाकर इसकी बुवाई करें। इन दो बुवाई के तरीकों में से जो आपको बेहतर लगे उसे अपना कर आप रोजमेरी की बुवाई कर सकते हैं।
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रोजमेरी नर्सरी तैयार करें
इन की नर्सरी तैयार करने के लिए आपको लगभग 2 किलो बीज की जरूरत पड़ती है तथा बीज प्रति हेक्टर की आवश्यकता होती है। नर्सरी तैयार करने के लिए कम से कम 2 ग्राम बीज को प्रति 1 वर्ग मी भूमियों पर छिड़काव किया जाता है उसके बाद रेत से ढक देना होता है। बीज रोपण के बाद इनका जमाव लगभग 14 - 15 सेल्सियस डिग्री के तापमान पर होता है। रोजमेरी के पौधे 8 से 10 दिन के सप्ताह के अंदर पौधे के रूप में रोपण होने के लिए तैयार हो जाते हैं। प्रवर्धन कटिंग की प्रक्रिया को अपनाकर भी आप रोजमेरी का उत्पादन कर सकते हैं।
रोजमेरी पौधरोपण
किसान रोजमेरी पौधों का रोपण खेतों में लगभग 45 × 45 सेंटीमीटर की दूरियों पर इसके पौधों का रोपण करते हैं। इन दूरियों पर पौधारोपण करने से फसल को काफी अच्छा लाभ होता है।
रोजमेरी पौधों के लिए अनुकूल जलवायु
रोजमेरी पौधों के लिए जो सबसे उपयुक्त जलवायु होती है वह जलवायु शीतोष्ण है। शीतोष्ण जलवायु पौधों के लिए बहुत ही लाभदायक होती है। इन जलवायु में मौसम साल भर काफी ठंडा रहता है तथा पाला युक्त जलवायु की बहुत ज्यादा उपयोगिता होती है।
रोजमेरी खेती के लिए भूमि का चयन
रोजमेरी की खेती किसान विभिन्न विभिन्न प्रकार की भूमि में कर सकते हैं। इसके लिए किसी एक भूमि के चयन की कोई आवश्यकता नहीं होती है। हर प्रकार की भूमि में रोजमेरी की खेती कर सकते हैं।
लेकिन किसान रोजमेरी की खेती के लिए हल्की कंकड़ से युक्त मृदा भूमि को ही उपयुक्त समझते हैं। भूमि को अच्छी तरह से जुताई की बहुत ही ज्यादा आवश्यकता होती है पौधारोपण से पहले, जुताई के बाद भूमि में खाद डालकर भूमि को समतल तथा भुरभुरा करना आवश्यक होता है।
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रोजमेरी के लिए खेत को तैयार करना
किसी भी फसल की बुआई के लिए खेत को भिन्न भिन्न प्रकार से तैयार किया जाता है। लेकिन सबसे पहले खेतों को खूब अच्छी तरह से गहरी जुताई की आवश्यकता होती है। इन जुताई के बाद खेतों में अच्छी गोबर खाद को डालना आवश्यक होता है। जब आप गोबर की खाद को खेतों में डालें तो आपको भूमि को समतल कर देना है। भूमि समतल के बाद आपको मिट्टियों का भुरभुरा पन भी चेक कर लेना होता है। इन क्रियाओं के बाद सबसे आखिरी और आवश्यक बात जो खेत तैयार करने के लिए आवश्यक होती है। कि आपको जल व्यवस्था का खास ख्याल रखना होता है। आपको अच्छे प्रकार से जल निकास की व्यवस्था को बनाए रखना होता है।
रोजमेरी के लिए खाद एवं रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल
जैसा कि हमने आपको पहले ही बता दिया है। कि रोजमेरी एक जड़ी बूटी है, इसलिए ध्यान रखिए कि आपको किसी भी प्रकार की रसायनिक खाद का इस्तेमाल रोजमेरी की खेती के लिए नहीं करना है। खेती के लिए किसानों को चाहिए, कि वह ओरिजिनल यानी बनाई हुई खाद का ही इस्तेमाल खेतों में करें। रोजमेरी की खेती के लिए किसान लगभग खेत को तैयार करने के लिए 20 टन अच्छी और सड़ी हुई गोबर की खाद का ही चयन करते हैं, तथा माइक्रो भू पॉवर 20 किलोग्राम का इस्तेमाल करते हैं। इन दोनों खादो को प्रति एकड़ के हिसाब से मिलाया जाता है।
खरपतवार नियंत्रण करना
विभिन्न प्रकार के खरपतवार से बचने के लिए तथा खरपतवार की रोकथाम के लिए किसानों को चाहिए। कि वह समय-समय पर आवश्यकतानुसार खेतों की जांच पड़ताल करते रहे। खरपतवार जैसी समस्या की रोकथाम के लिए समय समय पर निराई और गुड़ाई करें।
रोजमेरी खेतों की सिंचाई
रोजमेरी की खेती की बुवाई के बाद लगभग 3 से 4 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। इन तीन से चार बार सिंचाई हो जाने के बाद फिर आपको समय समय पर जब सिंचाई की आवश्यकता हो तभी सिंचाई करनी होगी। रोजमेरी की खेती के लिए सिंचाई बहुत ही आवश्यक होती है रोजमेरी फसल उत्पादन के लिए।
रोज़मेरी फसल की कटाई
रोजमेरी फसल की कटाई लगभग पहले साल में फसल बुवाई के बाद 4 महीने के भीतर करनी होती है। जब रोजमेरी के 50% फूल आ जाए, तो उसके कोमल हिस्से को अलग करना होता है तथा इसके हर्ब्स को एकजुट करना होता है। किसान पहले साल में दो बार और तीसरे साल में तीन से चार बार करीबन हर्ब्स को प्राप्त करते हैं। हम उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह टॉपिक रोज़मेरी (Rosemary) - सुगंधित फसल की खेती अच्छा लगा होगा। हमारे इस टॉपिक के माध्यम से आप ने रोजमेरी जैसे सुगंधित फसल की पूर्ण जानकारी प्राप्त की होगी। जो आपके भविष्य में रोजमेरी के विषय को लेकर काम आएगी। इस आर्टिकल में रोजमेरी की सभी जानकारियां दी गई है, यदि आप हमारी दी जानकारियों से संतुष्ट हुए हैं। तो हमारे इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया और अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। धन्यवाद।