बादाम उत्पादन से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी

Published on: 27-Mar-2025
Almonds on tree branch and harvested dried almonds
फसल खाद्य फसल

बादाम दुनिया की प्रमुख और प्राचीनतम मेवा फसलों में से एक है। इसकी गिरी (kernel) में उच्च तेल सामग्री होने के कारण यह अत्यधिक ऊर्जावान होती है। 

भारत में बादाम का उत्पादन सीमित स्तर पर होता है, हालांकि, इसे जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में उगाया जाता है। 

जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में बादाम के बागान लगभग 7107 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले हुए हैं, जिससे वार्षिक उत्पादन 6360 मीट्रिक टन होता है। 

वहीं, जम्मू डिवीजन में इसकी खेती केवल 117 हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है, जिससे 5.0 मीट्रिक टन उपज प्राप्त होती है।  

जलवायु और मिट्टी  

बादाम की खेती के लिए तापमान एक महत्वपूर्ण कारक है। इसके लिए हल्की सर्दी आवश्यक होती है ताकि वसंत ऋतु में कली का सही विकास हो सके। 

कलियों के सामान्य रूप से विकसित होने के लिए 7.2°C से कम तापमान पर 100 से 700 घंटे की ठंडक की आवश्यकता होती है, जो इसकी किस्म (variety) पर निर्भर करती है।  

बादाम उत्पादन में सबसे बड़ी बाधा वसंत ऋतु में आने वाला पाला (spring frost) होती है, विशेष रूप से जब फूल पूर्ण रूप से खिले हों या फल बनने की प्रारंभिक अवस्था में हों। 

इसके अलावा, शुरुआती किस्में जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं और देर से फूलने वाली उपयुक्त किस्मों की उपलब्धता भी एक चुनौती बनी हुई है। यदि इसे वर्षा आधारित (rainfed) परिस्थितियों में उगाया जाए, तो इसकी पैदावार प्रभावित हो सकती है।  

जब बादाम के पौधों को बीज पर ग्राफ्ट किया जाता है, तो वे गर्मी और कम आर्द्रता को अन्य समशीतोष्ण (temperate) फलों की तुलना में बेहतर तरीके से सहन कर सकते हैं। अच्छे उत्पादन के लिए 65 सेमी या अधिक वार्षिक वर्षा आवश्यक होती है।  

बादाम की खेती के लिए मिट्टी और हवा का अच्छा निकास (drainage) जरूरी होता है। यह विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में उग सकता है, जैसे चिकनी मिट्टी से लेकर पहाड़ी क्षेत्रों की पथरीली मिट्टी तक, लेकिन सबसे अच्छी उपज हल्की और मध्यम बनावट वाली, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में मिलती है। 

भारी और जलभराव वाली मिट्टी बादाम के पौधों के लिए उपयुक्त नहीं होती और इससे पौधे जल्दी खराब हो सकते हैं। इसलिए, रोपाई से पहले मिट्टी और पत्तियों की जांच कर पोषक तत्वों की कमी को दूर करना आवश्यक होता है।  

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 बादाम की किस्में  

कश्मीर घाटी में अधिकतर बादाम की खेती बीज से उगाए गए पौधों पर निर्भर करती है। अब उन्नत गुणवत्ता वाली कलमी किस्मों (grafted varieties), जो पतले या मध्यम छिलके वाली होती हैं, को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रमुख किस्में निम्नलिखित हैं:  

  1. अफगानिस्तान सीडलिंग  
  2. IXL  
  3. जॉर्डनोलो  
  4. मर्सिड  
  5. नॉनपारेल  
  6. टेक्सास  

 प्रवर्धन (Propagation)  

रूटस्टॉक्स (Rootstocks):  

बादाम के पौधों के लिए आमतौर पर मीठे बादाम, कड़वे बादाम, जंगली आड़ू (wild peach), और मैरिएना प्लम (Marianna plum) के बीज से तैयार किए गए रूटस्टॉक्स का उपयोग किया जाता है। 

हालांकि, आड़ू का जीवनकाल छोटा होने के कारण, मीठे या कड़वे बादाम के बीज से तैयार रूटस्टॉक्स को अधिक प्राथमिकता दी जाती है।

 बीज से पौधों को उगाना

बादाम की फसल जुलाई से सितंबर के बीच काटी जाती है और दिसंबर तक ठंडी, सूखी जगह पर संग्रहित की जाती है। दिसंबर के अंत में, बीजों को 3 सेमी मोटी रेत की परतों में जमाकर (stratification) रखा जाता है। 

फरवरी के मध्य तक, ये बीज नमी अवशोषित कर अंकुरण के संकेत दिखाने लगते हैं। जब बीजों का खोल आंशिक रूप से टूट जाता है, तो उन्हें नर्सरी की क्यारियों में बोया जाता है।

बीजों को 34 सेमी गहरी, खादयुक्त क्यारियों में 30 सेमी की दूरी पर पंक्तियों में और पंक्तियों के भीतर 10 सेमी की दूरी पर बोया जाता है। 

दो पंक्तियों के बीच 60 सेमी का अंतर रखा जाता है, जिससे कली कलम (budding) और अन्य कृषि कार्यों में सुविधा होती है। अंकुरण लगभग 23 सप्ताह में शुरू हो जाता है।

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कलम बांधना और ग्राफ्टिंग (Budding and Grafting)

जब बीज से उगे पौधे पेंसिल की मोटाई के हो जाते हैं और 30 सेमी की ऊंचाई प्राप्त कर लेते हैं, तो जुलाई/अगस्त में टी-बडिंग (T-budding) की जाती है। 

कमजोर पौधों पर जनवरी/फरवरी में टंग ग्राफ्टिंग (Tongue Grafting) या क्लैफ्ट ग्राफ्टिंग (Cleft Grafting) की जाती है, विशेष रूप से तब जब स्टॉक और स्कायन की मोटाई समान हो।

रोपाई (Planting)

बाग लगाने से 15 दिन पहले 1x1x1 मीटर आकार के गड्ढे तैयार किए जाते हैं। मिट्टी की उर्वरता के आधार पर, बादाम के पौधों को 6-7 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है। शरद ऋतु (Autumn) का मौसम रोपाई के लिए सबसे उपयुक्त होता है।

चूंकि अधिकांश बादाम की किस्में स्वपरागण (self-unfruitful) नहीं होतीं, इसलिए एक बाग में एक से अधिक किस्मों को लगाया जाना आवश्यक है। आदर्श रूप से, मुख्य किस्म की 3 पंक्तियों के बाद एक परागणकर्ता (pollinizer) किस्म की पंक्ति लगाई जानी चाहिए।

अनुशंसित परागणकर्ता किस्में:

नॉनपारेल (Nonpareil)

IXL

जॉर्डनोलो (Jordanolo)

बेहतर परागण के लिए प्रति हेक्टेयर 3-4 मधुमक्खी कॉलोनियां (bee colonies) रखना फायदेमंद होता है।

प्रशिक्षण और छंटाई (Training and Pruning)

बादाम के पेड़ों की छंटाई तीन चरणों में की जाती है:

प्रारंभिक वर्षों में:

  • पौधे को संशोधित केंद्रीय अग्रणी प्रणाली (Modified Central Leader System) में प्रशिक्षित किया जाता है।
  • रोपाई के तुरंत बाद पौधे को 100 सेमी की ऊंचाई पर काटा जाता है।
  • पहली शाखा भूमि से 0.6 मीटर की ऊंचाई पर रखनी चाहिए।
  • 3-4 मुख्य शाखाएं चुनी जाती हैं, जो 15-20 सेमी की दूरी पर घुमावदार (spiral) रूप में बढ़ती हैं।
  • शाखाओं का कोण 45° से 60° के बीच होना चाहिए।
  • कमजोर शाखाओं को मजबूत धागे या नायलॉन के पतले धागे से सहारा दिया जाता है।

 फल देने वाले वर्षों में (During Cropping Years)  

जब पेड़ फल देने लगता है, तो हर साल नियमित छंटाई से उच्च उत्पादन बनाए रखा जाता है। बादाम के फूल स्पर्स (spurs) पर उगते हैं, जो लगभग 5 वर्षों तक जीवित रहते हैं। इसलिए, हर साल 1/5 (20%) फल देने वाली लकड़ी को हटाकर नए स्पर्स के लिए जगह बनाई जाती है।  

छंटाई की सफलता का मूल्यांकन नए शाखाओं की वृद्धि से किया जाता है:  

  • 10-12 वर्ष से कम उम्र के पेड़: प्रति वर्ष 22.5-25 सेमी नई वृद्धि होनी चाहिए।  
  • पुराने पेड़: प्रति वर्ष 15 सेमी नई वृद्धि पर्याप्त होती है।  

 पुराने पौधों का पुनर्जीवन (To Reinvigorate Old Plants)  

यह छंटाई उन पुराने और कम उत्पादक लेकिन स्वस्थ पेड़ों के लिए होती है, जिनकी उत्पादन क्षमता कम हो गई हो।  

  • मुख्य शाखाओं को काटकर नए अंकुरों (shoots) को विकसित किया जाता है।  
  • अतिरिक्त शाखाओं को हटा दिया जाता है ताकि अत्यधिक भीड़भाड़ से बचा जा सके।  
  • सही संतुलन बनाए रखते हुए पेड़ के शीर्ष को पुनर्निर्मित किया जाता है।  

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 सिंचाई (Irrigation)  

बादाम की खेती में सिंचाई महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि इसकी खेती वाले क्षेत्रों में गर्मियों में वर्षा अपर्याप्त होती है।

  • गर्मियों में हर 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।  
  • सर्दियों में हर 20-25 दिन में सिंचाई की आवश्यकता होती है।  
  • यदि वर्षा हो जाए, तो सिंचाई के समय को समायोजित किया जा सकता है।  
  • गर्मियों में पर्याप्त सिंचाई से नट्स का सही विकास होता है और फलों के गिरने की समस्या कम होती है।  

 कटाई और उपज (Harvesting and Yield)  

बादाम की कटाई का समय स्थान और जलवायु के अनुसार हर साल थोड़ा बदल सकता है।  

  • कटाई तब की जाती है, जब इसके खोल (Hull) का रंग हरा से पीला हो जाए और यह डंठल (pedicel) के सिरे से फटने लगे।  

असमय कटाई के नुकसान:  

  • यदि बादाम समय से पहले तोड़ लिए जाएं, तो उनके छिलके (hulls) कसकर चिपके रहते हैं।  
  • इससे नट्स निकालने में अधिक कठिनाई होती है और पेड़ की शाखाओं को नुकसान पहुंच सकता है।  

सही कटाई के लिए सावधानियां:  

  • कटाई से पहले बाग की भूमि को साफ किया जाना चाहिए।  
  • तारपोलिन (Tarpaulin) या पॉलीथीन शीट्स को पेड़ों के नीचे बिछाया जाए, ताकि बादाम आसानी से एकत्र किए जा सकें।  
  • नट्स को छायादार स्थान पर सुखाकर उनके छिलके (hulls) हटाने चाहिए।  

 बादाम की औसत उपज  

  • सामान्य उपज 3-6 किलोग्राम प्रति पेड़ होती है।  
  • बेहतर किस्मों, उचित मिट्टी प्रबंधन और अनुकूल जलवायु में उपज 10-12 किलोग्राम प्रति पेड़ तक बढ़ सकती है।