दोस्तों आज हम बात करेंगे बेबी कॉर्न की खेती के विषय में, बेबी कॉर्न (Baby Corn) जिसे हम आम भाषा में मक्का या फिर भुट्टे के नाम से भी जाना जाता है। यह लोगों में बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय हैं लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं तथा विभिन्न विभिन्न तरह से इनकी डिशेस बनाते हैं। बेबी कॉर्न से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी जानने के लिए हमारी इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहे:
बेबी कॉर्न मक्के का ही एक समूह है यानी आम भाषा में कहें तो या मक्के का परिवार है बेबी कॉर्न को मक्का या भुट्टा कहा जाता है। बेबी कॉर्न रेशमी तथा कोपलें की तरह दिखते हैं। किसान बेबी कॉर्न की कटाई तब करते हैं जब यह आकार में छोटे होते हैं और यह पूरी तरह से अपरिपक्व हो। बेबी कॉर्न जल्दी ही परिपक्व हो जाते हैं इसीलिए किसान इन की कटाई जल्दी कर देते हैं।कटाई के बाद बेबी कॉर्न को हाथों द्वारा खेतों से चुना जाता है।बेबी कॉर्न आमतौर पर दिखने में गुलाबी, सफेद, नीले, पीले रंगो के रूप में पाए जाते हैं। बेबी कार्न खाने में बहुत ही ज्यादा मुलायम और सौम्य होते हैं।इसीलिए यह बहुत ही ज्यादा दुनिया भर में मशहूर है। प्राप्त की गई जानकारियों से या पता चला है। कि बेबी कॉर्न एशिया में बहुत ही ज्यादा खाने तथा अन्य डिशेस में इस्तेमाल किया जाता है।
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बेबी कॉर्न खाने से स्वास्थ्य को विभिन्न विभिन्न प्रकार के लाभ होते हैं यह लाभ कुछ इस प्रकार है: सर्वप्रथम बेबी कॉर्न में मौजूद तत्व जैसे आयरन, विटामिन बी, फोलिक एसिड की काफी अच्छी मात्रा पाई जाती है। यह सभी आवश्यक तत्व शरीर में एनीमिया की कमी को दूर करने में सहायक होते हैं। न्यूट्रिएंट से कॉर्न परिपूर्ण होते हैं। बेबी कॉर्न सेहत के लिए काफी अच्छे होते हैं। फाइबर की मात्रा बेबी कॉर्न में काफी पाई जाती है। इसमें कैलोरी काफी कम होती है, वजन को कम करने में बेबी कॉर्न बहुत ही ज्यादा सहायक होते हैं। बेबी कॉर्न रक्त शर्करा के स्तर को पूरी तरह से नियंत्रित करता है
भारत में सबसे ज्यादा बेबीकॉर्न का उत्पादन करने वाले राज्य कुछ इस प्रकार है : जैसे बिहार कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश इत्यादि राज्य है जहां बेबी कॉर्न की खेती उच्च मात्रा में होती है। बेबी कॉर्न सबसे ज्यादा राजस्थान और कर्नाटक में सर्वाधिक मात्रा में इसका उत्पादन होता है।
बेबी कॉर्न की ख़ेती करना किसानों के लिए हर प्रकार से लाभदायक होता है, किसान बेबी कॉर्न की खेती 1 वर्ष में लगभग 3 से 4 बार करते हैं। बेबी कॉर्न की ख़ेती रबी के मौसम में की जाती है। इस खेती में लगभग 110 से 120 दिनों का समय लगता है। बेबी कॉर्न की फसल जायद के मौसम में लगभग 70 से 80 दिनों का समय लगाती है। बेबी कॉर्न की फसल खरीफ के मौसम में 55 से 65 दिनों का समय लेकर तैयार होती है। इन तीनों मौसम में किसान बेबी कॉर्न की फसल से आय का विभिन्न विभिन्न प्रकार से लाभ उठाते हैं।
बेबी कॉर्न की खेती के लिए अच्छी धूप की व्यवस्था करना बहुत ही ज्यादा उपयोगी होती हुई।अच्छी जलवायु के साथ ही साथ 22 डिग्री सेल्सियस से लेकर 28 डिग्री सेल्सियस के तापमान की आवश्यकता पड़ती है।इन तापमान के आधार पर बेबी कॉर्न की फसल का उत्पादन उच्च कोटि पर होता है।
बेबी कॉर्न की खेती करने के लिए सबसे उपयुक्त और जो अच्छी मिट्टी का चयन किया जाता है वह मिट्टी बलुई दोमट मिट्टी है। अम्लीय मिट्टी में इस फसल को उगाया जाता है। खेतों में जल निकास की व्यवस्था को बनाए रखना चाहिए।
सबसे पहले बेबी कॉर्न की फसल को तैयार करने से लिए खेत की अच्छी तरह से जुताई करनी होती है। फसल को उगाने के लिए भूमि में लगभग 15 टन हेक्टर फार्म यार्ड खाद की आवश्यकता होती है। किसान खेत की जुताई करने के लिए डिस्क हल का इस्तेमाल करते हैं।
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दो से तीन बार डिस्क हल से जुताई करने के बाद बेबी कॉर्न की खेती के लिए कल्टीवेटर द्वारा जुताई की जाती है।इस प्रक्रिया द्वारा मिट्टी को बारीक किया जाता है। ताकि बीजों का अच्छे से वातन के साथ-साथ बेहतरीन ढंग से अंकुरण हो सके। बेबी कॉर्न के मेड़ें और खांचे लगभग 45 से लेकर 25 सेंटीमीटर की दूरी पर बनाया जाता है।
बेबी कॉर्न की खेती करने के लिए किसान उच्च कोटि की गुणवत्ता वाले बीज का इस्तेमाल करते हैं। फसलों के लिए किसान बीज का लगभग 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर भूमि में इस्तेमाल करते हैं। बेबी कॉर्न की फसल में खेतों की दूरी पौधों से लगभग 15 सेंटीमीटर की होती है।
दोस्तों हम उम्मीद करते हैं, कि हमारा यह आर्टिकल बेबी कॉर्न की ख़ेती (BabyCorn farming complete information in hindi) आपको पसंद आया होगा। हमारे इस आर्टिकल से आपने बेबी कॉर्न से जुड़ी सभी प्रकार की आवश्यक जानकारी प्राप्त की होगी। हमारी इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया और अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। धन्यवाद।