भारत में सर्दियों का मौसम अब अपने अंतिम पड़ाव पर है और गर्मियां बिल्कुल शुरू होने की कगार पर हैं। इस मध्य बहुत सारे किसान फिलहाल गर्मियों में बोई जाने वाली लौकी की फसल लगाने की तैयारी कर रहे हैं।
दरअसल, किसी भी फसल की खेती को लेकर कृषकों के मन में प्रश्न अवश्य होते हैं। कुछ ऐसे ही सवाल लौकी की खेती करने वाले किसानों के मन में आते हैं। जैसे कि किस प्रकार से लौकी की खेती की जाए कि उपज बढ़े और उन्हें हानि भी न वहन करनी पड़े।
गर्मी की फसल की बुवाई मार्च के पहले हफ्ते से अप्रैल महीने के पहले सप्ताह में की जाती है। गर्मी के मौसम में अगेती फसल लगाने के लिए कृषक इसके पौधे पॉली हाउस से खरीद सकते हैं और इन्हें सीधे अपने खेतों में लगा सकते हैं।
इसके लिए प्लास्टिक बैग अथवा फिर प्लग ट्रे में कोकोपीट, परलाइट, वर्मीकुलाइट, 3:1:1 अनुपात में रखकर इसकी बुवाई करें।
लौकी की खेती से शानदार पैदावार पाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किस्में पूसा नवीन, पूसा संतुष्टी, पूसा सन्देश लगा सकते हैं। इस फसल की बुवाई या रोपाई नाली बनाकर की जाती है। जहां तक संभव हो सके नाली की दिशा उत्तर से दक्षिण दिशा में बनाए और पौध व बीज की रोपाई नाली के पूर्व में करें।
लौकी की खेती के लिए ग्रीष्म और आर्द्र जलवायु सबसे अच्छी होती है। लौकी के पौधे अधिक ठंड को सहन नहीं कर सकते हैं। इसलिए इनकी खेती विशेष रूप से मध्य भारत और आसपास के इलाकों में होती है। इसकी खेती के लिए 32 से 38 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान सबसे अच्छा होता है। इसका अर्थ है गर्म राज्यों में इसकी खेती काफी अच्छे से की जाती है।
ये भी पढ़ें: क्यों है मार्च का महीना, सब्जियों का खजाना : पूरा ब्यौरा ( Vegetables to Sow in the Month of March in Hindi)
इसके अतिरिक्त खेती के लिए सही भूमि का चुनाव, बुवाई का समय, बीज उपचार, उर्वरक प्रबंधन, सिंचाई प्रबंधन, खरपतवार प्रबंधन, कीट प्रबंधन जैसी बातों को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। अगर किसान इन सब बातों को ध्यान में रखकर खेती करें तो उपज भी शानदार होगी और मुनाफा भी दोगुना होगा।
बतादें, कि लौकी की बिजाई हेतु नाली की दूरी कितनी रखनी चाहिए। गर्मियों में नाली से नाली का फासला 3 मीटर। बरसात में नाली से नाली का फासला 4 मीटर रखें। पौध से पौध का फासला 90 सेंटीमीटर रखें। किसान भाई इस प्रकार कीटों से बचाव करें।
ध्यान रहे खेत में पौधे के 2 से 3 पत्ते आने के समय से ही लाल कीड़े यानी रेड पंम्पकीन बीटल कीडों का संक्रमण काफी ज्यादा होता है। इससे बचने के लिए किसान भाई डाईक्लोरोफांस की मात्रा 200 एमएल को 200 मिली लीटर पानी में घोल बनाकर 1 एकड़ की दर सें छिड़काव करें।
इस कीट का खात्मा करने के लिए सूर्योदय से पहले ही छिड़काव करें। सूर्योदय के उपरांत ये कीट भूमि के अंदर छिप जाते हैं। जहां तक हो सके वहां तक बरसात में पौधों को मचान बनाकर उगाएं। इससे बरसात में पौधों के गलने की समस्या काफी कम होगी और पैदावार भी बेहतरीन मिलेगी।