भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहाँ के किसानों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। अक्सर किसानों की फसलें बेमौसम बारिश, बाढ़ या सूखे जैसी समस्याओं के कारण बर्बाद हो जाती हैं, जिससे उन्हें आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
राष्ट्रीय अपराध नियंत्रण ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, 2021 में 5,563 कृषि श्रमिकों ने आत्महत्या की। ऐसी स्थिति में, हम आपको एक ऐसी फसल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे कुछ ही वर्षों में करोड़पति बना जा सकता है।
महोगनी की खेती करके किसान अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं। महोगनी का पेड़ बहुत महंगा होता है और इसका हर हिस्सा बाजार में बिक जाता है। इसकी पत्तियाँ भी बेकार नहीं जातीं, वे प्राकृतिक खाद का काम करती हैं।
इस पेड़ को उगाने के लिए ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती और खेत में पानी भरने से भी इसे नुकसान नहीं होता। एक एकड़ में 100 महोगनी के पौधे लगाने से कुछ सालों में किसान करोड़पति बन सकता है।
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महोगनी की लकड़ी बहुत मजबूत होती है और कई दिनों तक खराब नहीं होती, इसीलिए इसका उपयोग फर्नीचर बनाने में किया जाता है।
यह लकड़ी बहुत महंगी होती है और इसका रंग लाल और भूरा होता है, यह पेड़ पानी की कमी में भी 50 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सह सकता है।
महोगनी के पेड़ की लकड़ी, पत्तियाँ और छाल को भी बाजार में बेचा जा सकता है। इसकी लकड़ी जल्दी नहीं सड़ती, इसलिए इसे पानी के जहाजों में भी इस्तेमाल किया जाता है। इस पेड़ की लकड़ी का उपयोग फर्नीचर, प्लाईवुड और मूर्तिकला के लिए होता है।
इसके औषधीय गुणों के कारण, इसकी छाल, फूल और बीजों से शक्तिवर्धक दवाइयाँ बनाई जाती हैं।
इसकी पत्तियों और बीजों से कीटनाशक और मच्छर भगाने वाले उत्पाद बनाए जाते हैं। इसके अलावा, इस पेड़ का इस्तेमाल तेल, इत्र, मंजन और साबुन बनाने में भी होता है।
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महोगनी के पेड़ की खेती अधिक हवा वाले स्थानों पर नहीं की जाती क्योंकि इसकी जड़ें मिट्टी में बहुत गहराई तक नहीं जातीं। इस पौध की रोपाई जून से जुलाई के बीच या बारिश के मौसम में की जाती है।
खेत में पौधों को लगाने से पहले, चार से छह फीट की दूरी पर चार फीट चौड़ा और एक फीट गहरा गड्ढा खोद लें। पौधों की रोपाई के बाद पर्याप्त मात्रा में पानी डालें ताकि जड़ें आसानी से अपनी जगह बना सकें।
गर्मियों में पौधों को पांच से सात दिनों के अंतराल पर और सर्दियों में हर 15 से 20 दिनों में पानी देना चाहिए। हर पांच साल में यह पेड़ बीज देता है और एक पौधे से पाँच किलो तक बीज मिल सकते हैं।