गैलार्डिया को सामान्य तौर पर कंबल फूल या नवरंगा के नाम से भी पहचाना जाता है। इसका नाम मैत्रे गेलार्ड डी चारेनटोन्यू के नाम पर रखा गया था, जो एक 18वीं सदी के फ्रांसीसी मजिस्ट्रेट जो एक उत्साही वनस्पतिशास्त्री थे।
यह एक वार्षिक या बारहमासी पौधा होता है। इसका तना सामान्यतः शाखाओं में बंटा होता है। वहीं, यह लगभग 80 सेंटीमीटर (31.5 इंच) की अधिकतम ऊंचाई तक खड़ा होता है।
गैलार्डिया को नवरंगा फूल के नाम से भी जाना जाता है। यह फूल सुन्दर रूप से रंगीन, डेजी जैसे फूल पैदा करती है। इसका इस्तेमाल बड़े स्तर पर मंदिरों में व शादी समारोह में सजावट करने में किया जाता है।
यह अल्पकालिक बारहमासी पौधा होता है, जो कि शुरूआती गर्मियों में पीले, नारंगी युक्तियों के साथ चमकदार लाल फूल पैदा करती है।
नवरंगा फूलों के पौधे बहुमुखी और बहुत ही सहजता से उगने वाले पौधे हैं। इसकी खेती करके काफी मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है।
नवरंगा फूलों को गर्म जगहों में सहजता से लगाया जा सकता है। इसके लिए ऐसी जगहों का चयन करें जहां अधिकतम 6-8 घंटे सीधे सूर्य की रौशनी मिलती रहे, सही प्रकार से सूखी, चिकनी और रेतीली मृदा को इसकी खेती के लिए चुना जा सकता है। जो कि एक तटस्थ पीएच हो तो फूलों के पौधों को बहुत ही कम देखभाल की आवश्यकता पड़ती है।
यह 6-12 इंच के विभिन्न प्रकार के चमकीले नारंगी, लाल रंग के केंद्र वाले पौधे होते है जिनकी बाहरी पुखुडिय़ां पीले रंग की होती है।
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यह तुरही के आकर का 14 इंच का ऊंचा पौधा होता है जिसकी पुखुडिय़ां पीले रंग के साथ गहरे लाल रंग की होती है इन पौधों के केन्द्र नारंगी होते है ।
यह किस्मों के पौधे दिखने में सुन्दर डबल गुलाब जैसे लाल पुखुडिय़ां के पीले रंग में डूबे हुए होते है ।
यह कठोर किस्म के होते हैं जो कि गहरे हरे पत्तियों के साथ महरून रंग के पुखुडिय़ां वाले होते हैं।
यह किस्म अपने नाम के अनुसार गहरे लाल, बरगंडी रंग के होते है जिसकी लम्बाई 24-36 इंच तक होती है।
इसके नारंगी रंग के फूल होते हैं जिसकी लम्बाई लगभग 2 फुट के आस-पास होती है इन किस्मों की लम्बाई अधिक होने के कारण इसे सहारे की आवश्यकता होती है।
यह किस्म दूसरे नवरंगा फूलों की तुलना में नरम रंग के होते है जो कि 2 फुट लम्बे पौधे होते हैं, जिस पर पीले रंग के केंद्रीय शंकु आकर के फूल लगते हैं इन किस्मों को कठोर क्षेत्र में लगया जा सकता है।
गैलार्डिया या नवरंगा फूलों के बीजों को गर्मियों में सीधे बगीचे में रोपा जा सकता है या फिर इनको गमलों में भी लगाया जा सकता है। गैलार्डिया को एक हेक्टेयर में उगाने के लिए 500 से 600 ग्राम बीज की जरूरत पड़ती है।
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बीजों की बुवाई से पूर्व उन्हें फफूंदीनाशक से उपचारित कर लेना चाहिए। फफूंदीनाशक के रूप में केप्टान या थाइराम का इस्तेमाल किया जाता है।
बीजों की बुवाई करते समय एक बीज से दूसरे बीज की दूरी 3 सेमी तथा एक कतार की दूसरी कतार के बीच की दूरी 5 सेमी रखनी चाहिए तथा बीजों को 2 सेमी से ज्यादा गहरा नहीं बोना चाहिए। बीजों की बुवाई के बाद करीब 4 से 6 सप्ताह बाद पौध खेत में रोपाई के लिए तैयार हो जाती है।
गैलार्डिया की पौध तैयार करने के लिए भूमि से लगभग 10 से 15 सेमी ऊपर क्यारियां बनाएं, ताकि अतिरिक्त जमा पानी आसानी से बाहर निकल सके।
गैलार्डिया के एक हेक्टेयर की पौध तैयार करने के लिए 150 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाली नर्सरी पर्याप्त रहती है। पौध के लिए क्यारियां 3 मीटर, लंबी एक मीटर चौड़ी तथा 10 से 15 सेमी ऊंची तैयार करें।
गैलार्डिया के लिए खेत तैयार करने के लिए 3 से 4 जुताई के बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए। पौधों का खेत में रोपण हमेशा शाम के समय ही करना चाहिए तथा रोपण के तुरंत बाद सिंचाई करनी चाहिए।
गमले में फूलों के लिए पानी और उर्वरक की आवश्यकता होती है। यह किसी भी उर्वरक के बिना भी सहजता से बढ़ सकती है। लेकिन, नवरंगा फूलों में पौधे निषेचन के लिए 1 बार उर्वरक की आवश्यकता होती है।
कम्बल फूलों के बीजों को बोने से पूर्व अच्छी गुणवत्ता वाली जैविक खाद को मृदा में 2:1 के अनुपात में सही ढ़ंग से मिला दें।
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जैविक खाद के रूप में गोबर की खाद या केंचुए की खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं, कम्बल फूलों को बहुत ही कम पानी की आवश्यकता होती है।
खरपतवार नियंत्रण सामान्यतः एक महत्वपूर्ण क्रिया है। खरपतवार, पानी और पोषक तत्वों के लिए फसल के साथ प्रतिस्पर्धा करके बीजों की पैदावार को कम कर देते हैं।
खरपतवार नियंत्रण के लिए मल्चिंग एक शानदार विकल्प हो सकता है। इसके अतिरिक्त रासायनिक खरपतवारों का छिडक़ाव करके भी नियंत्रण किया जा सकता है। जैसे पेनांट मैगनम एट्रिलीन 4 से पहले रोपण के एक छोटे से भाग पर इनका परीक्षण विवेकपूर्ण अवश्य करें।