Published on: 05-Aug-2022
नई दिल्ली।
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक की गई। बैठक में गन्ने की एफआरपी यानि उचित व लाभकारी मूल्य (Fair and Remunerative Price - FRP) बढाने के लिए निर्णय लिया गया।
बताया जा रहा है कि गन्ना की एफआरपी में 15 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी करने की सिफारिशें हुईं हैं। सम्भवतः जल्दी ही इसे पारित किया जाएगा। जानकारों की मानें तो बीते साल 2021 में गन्ने की एफआरपी 290 रुपए प्रति क्विंटल थीं, जो अब बढ़कर 305 रुपये प्रति क्विंटल हो जाएगी। बीते वित्तीय वर्ष में इसमें केवल 5 रुपये की वृद्धि हुई थी। गन्ने पर बढ़ाई जा रही एफआरपी आगामी 1 अक्तूबर से 30 सितंबर 2023 तक के लिए तय की जाएगी। इससे लाखों किसानों को फायदा मिलना तय है।
- प्रदेश सरकार गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 के तहत गन्ने की एफआरपी तय करती है। इसके लिए कृषि लागत और मूल्य आयोग सिफारिश करता है। एफआरपी के अंतर्गत चीनी मिल किसानों से न्यूनतम भाव पर गन्ना खरीदता है।
देश के कई राज्यों को नहीं मिलेगा एफआरपी का फायदा
- सरकार के इस फैसले से देश के कई राज्यों में गन्ना किसानों को फायदा नहीं मिलेगा। देश में सबसे ज्यादा गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश है। लेकिन यूपी के गन्ना किसानों को एफआरपी पर बढ़ी हुई कीमत का लाभ नहीं मिलेगा। क्योंकि यूपी में एफआरपी पहले से ही ज्यादा है।
मंहगाई को देखते हुए बढ़नी चाहिए एफआरपी
- भले ही सरकार ने गन्ना की एफआरपी 15 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। लेकिन किसान इसे मंहगाई की तुलना में काफी कम मान रहे हैं। किसानों के कहना है कि मंहगाई के हिसाब से ही एफआरपी बढ़नी चाहिए। क्योंकि
खाद, पानी, बीज और कीटनाशक दवाओं के साथ-साथ मेहनत-मजदूरी भी लगातार बढ़ रही है।
घट रहा है गन्ना की खेती का रकबा
- उत्तर प्रदेश में पिछले कई सालों से गन्ना की खेती का रकबा लगातार घटता जा रहा है। चीनी मिलों से, गन्ना का बकाया भुगतान समय से न मिलना और दूसरी फसलों में अच्छा मुनाफा होने के चलते किसानों का गन्ना से मोहभंग होता जा रहा है।