जरबेरा (Gerbera) एक सुंदर और आकर्षक फूल है, जिसे "अफ्रीकन डेज़ी" भी कहा जाता है। इसकी खेती न केवल सजावटी उद्देश्य से बल्कि आर्थिक लाभ के लिए भी की जाती है।
सही देखभाल और तकनीक से उच्च गुणवत्ता वाले फूल प्राप्त किए जा सकते हैं। इस लेख में जरबेरा की खेती के बारे में पूरी जानकारी दी गई है।
जरबेरा की खेती के लिए 18-24°C के तापमान वाली समशीतोष्ण जलवायु सबसे उपयुक्त है। उच्च तापमान और अत्यधिक ठंड दोनों ही इस पौधे के लिए हानिकारक होते हैं।
इसे प्रत्यक्ष सूर्यप्रकाश की आवश्यकता होती है, लेकिन हल्की छाया का भी प्रबंध किया जा सकता है।
जरबेरा के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का पीएच 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए।
खेती से पहले भूमि को जोतकर जैविक खाद मिलाई जाती है और अच्छी नमी बनाए रखने के लिए जल निकासी का उचित प्रबंध किया जाता है।
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जरबेरा की खेती के लिए उच्च गुणवत्ता वाली किस्में चुनी जाती हैं। पौधों को 30x30 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपा जाता है और रोपण के समय ध्यान रखा जाता है कि जड़ें मिट्टी में अच्छी तरह फैलें।
जरबेरा को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। ड्रिप इरिगेशन प्रणाली का उपयोग किया जा सकता है, जो जल की बचत करता है और पौधों को आवश्यक नमी प्रदान करता है। जलजमाव से बचने के लिए ध्यान दिया जाना चाहिए।
जरबेरा की खेती में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की सही मात्रा आवश्यक है। जैविक और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग पौधों के विकास और फूलों की गुणवत्ता को बढ़ाता है। माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का भी समय-समय पर उपयोग करना चाहिए।
जरबेरा के पौधों पर पाउडरी मिल्ड्यू, फ्यूसैरियम विल्ट, और लीफ स्पॉट जैसे रोगों का प्रकोप हो सकता है। कीटों में एफिड्स, थ्रिप्स और माइट्स का नियंत्रण कीटनाशकों और जैविक उपायों से किया जा सकता है।
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जरबेरा के फूल जब पूरी तरह से खिल जाएं, तो उन्हें सुबह के समय 2-3 इंच डंडी के साथ काटा जाता है। एक एकड़ क्षेत्र से 1-1.5 लाख फूल प्रति वर्ष प्राप्त किए जा सकते हैं, जिससे किसानों को अच्छा लाभ होता है।
जरबेरा की खेती सही देखभाल और तकनीकों के साथ एक लाभकारी व्यवसाय बन सकती है। जलवायु, मिट्टी, सिंचाई, पोषण और रोग नियंत्रण के उचित प्रबंधन से उच्च गुणवत्ता के फूल प्राप्त किए जा सकते हैं।