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खुशखबरी: इस राज्य में बढ़ा इतने हेक्टेयर सरसों की फसल का रकबा

Published on: 03-Dec-2022

हरियाणा राज्य के जनपद अंबाला में सरसों की खेती के क्षेत्रफल में २७७० हेक्टेयर तक बढ़ोत्तरी हुई है। सरसों का विकास देख राज्य सरकार के अधिकारी प्रसन्न हैं, किसानों को भी अच्छी खासी आय की संभावना है। फिलहाल, खरीफ सीजन की तैयार फसलें कटाई होने के उपरांत बिक्रय की जाने लगी हैं। साथ ही, किसानों द्वारा उनके खेतों में रबी फसलों की बुवाई होना आरंभ हो गयी है। प्राकृतिक आपदा जैसे सूखा, बाढ़ व बारिश से किसानों की बीते खरीफ सीजन की फसलों को बेहद हानि हुई ही। किसान अब तक उस नुकसान की भरपाई भी नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए उचित समय से ही रबी फसलों की बुवाई आरंभ कर दी है। किसान बेहतर उत्पादन देने वाली फसलों के चयन पर काफी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, और अधिक आय अर्जन में सहायक फसलों की बुवाई अधिकाँश कर रहे हैं। हरियाणा में तिलहनी फसलों के क्षेत्रफल में वृद्धि का भी यही कारण है।

हरियाणा में सरसों की बुवाई का कितना रकबा बढ़ा है

हरियाणा राज्य के अंबाला जनपद से ही तिलहनी फसलों के उत्पादन से संबंधित अच्छी खबर सामने आयी है। मीडिया के मुताबिक, इस जिले में तिलहनी फसलों की तीव्रता से बढ़ोत्तरी हुई है। इस वर्ष केवल सरसों की खेती का क्षेत्रफल ५१६० हेक्टेयर पर पहुँच गया है, जबकि वर्ष २०२०-२१ के रबी सीजन में यह २३९० हेक्टेयर था। इसी प्रकार बीते साल की अपेक्षा में २७७० हेक्टेयर रकबा बढ़ गया है, विषेशज्ञों के अनुसार तो किसानों को पहले सरसों की फसलों में हानि हुई थी। लेकिन अब अनुमानुसार, सरसों की बुवाई में बढ़ोत्तरी की वजह से किसानों को बेहद लाभ अर्जित हो सकता है।

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नवंबर में कितना रकबा बढ़ा

अंबाला जनपद में नवंबर के बीच तक लगभग ४४०० हेक्टेयर में सरसों व तकरीबन ३५०० हेक्टेयर में तोरिया की बुवाई संपन्न हो चुकी है। बुवाई की बात करें तो विगत दिनों में तीव्रता से वृद्धि हुई है। किसानों के अनुसार विगत वर्ष इसी सीजन में सरसों के उत्पादन में घटोत्तरी हुई थी। किसान स्वयं के द्वारा किये गए खर्च को प्राप्त करने में असमर्थ रहे थे, इसी वजह से किसानों को इस बार ज्यादा आशा है।

आखिर क्यों बढ़ रहा है सरसों के उत्पादन का रकबा

किसान सरसों का उत्पादन कर मोटी कमाई कर रहे हैं, हरियाणा के किसानों के अनुसार काली व पीली सरसों का बेहतर भाव प्राप्त हो रहा है। विगत ऋतु में भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा पर तिलहनी फसलें विक्रय की गई थीं। इस वर्ष रकबे में वृध्दि हुई है, संभावना है, कि किसानों को इस वर्ष बोई जा रही फसल से अच्छा उत्पादन मिल सकता है। किसानों की आमंदनी बढने की वजह से आगामी वर्षो में धीरे-धीरे इसके क्षेत्रफल में वृद्धि होगी, एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के अधिकारियों के अनुसार गेहूं के तुलनात्मक सरसों में व्यय काफी कम होता है। इसी वजह से किसान सरसों की अत्यधिक बुवाई करते हैं, वहीं कटाई के उपरांत और भी फसलें सुगमता से बो सकते हैं। सरसों के रकबे का बढ़ना हरियाणा राज्य के लिए अच्छी खबर है।

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