किसान भाइयों आपको खेती करने के लिए भूमि की कोई आवश्यकता नहीं है। अब किसान भाई पानी पर ही फल और सब्जियां पैदा कर सकते हैं। जो कि पोषण तत्वों से भरपूर होंगी। विश्व भर में खेती को सुगम करने के लिए नवीन तकनीक विकसित की जा रही हैं।
इन समस्त तकनीकों की सहायता से संसाधनों की बचत एवं मेहनत की खपत भी कम होती है। हाइड्रोपोनिक्स तकनीक भी इसी में शुमार है। जहां पारंपरिक खेती में कृषि यंत्रों, खेत, उर्वरक, खाद एवं सिंचाई की बड़ी मात्रा में जरूरत पड़ती है।
वहीं, इको फ्रेंडली-हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से बेहतरीन फसल कम पानी में पैदा की जा सकती है। हाइड्रोपोनिक्स खेती में मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है। इस वजह से इसको संरक्षित ढांचे में करना चाहिए।
इसमें पानी के अतिरिक्त खनिज पदार्थ एवं पोषक तत्व बीजों एवं पौधों को मिलते हैं। बतादें, कि इनमें कैल्शियम, पोटाश, जिंक, सल्फर, आयरन, फास्फोरस, नाइट्रोजन, मैग्नीशियम और अन्य बहुत सारे पोषक तत्व शामिल हैं, जिससे फसल की पैदावार 25–30 प्रतिशत बढ़ती है।
जहां पारंपरिक खेती में कृषि यंत्रों, खेत, उर्वरक, खाद और सिंचाई की बड़ी मात्रा में जरूरत पड़ती है। उधर इको फ्रेंडली-हाइड्रोपोनिक्स तकनीक के माध्यम से बेहतरीन फसल कम पानी में पैदा की जा सकती है।
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बतादें, कि ब्रिटेन, जर्मनी, अमेरिका और सिंगापुर में हाइड्रोपॉनिक का इस्तेमाल हो रहा है। यह तकनीक भारतीय किसानों एवं युवा लोगों में भी काफी हद तक लोकप्रिय हो रही है।
हाइड्रोपोनिक खेती में बड़े-बड़े खेत की जरूरत नहीं पड़ती है। किसान भाई कम भूमि के हिस्से पर भी खेती कर सकते हैं।
साथ ही, 100 वर्ग फुट इलाके में 200 सब्जी पौधे लगाए जा सकते हैं। कमाई के संदर्भ में यह तकनीक ज्यादा रकबे में किसानों को मुनाफा दिला सकती है। हाइड्रोपॉनिक्स को ज्यादा धन कमाने के लिए कम क्षेत्रफल में अनाजी फसलों के साथ पौधे लगाए जा सकते हैं।