मार्च महीने में कृषि कार्य: गेहूँ, चना, गन्ना, सब्जियाँ और फल फसल प्रबंधन टिप्स

Published on: 10-Mar-2025
A lush green rice field stretching towards the horizon under a clear sky, with a small house and trees in the distant background
फसल खाद्य फसल

मार्च महीना आ गया है इस महीने में सभी रबी की फसलें पकाई के चरण पर होती हैं। मार्च महीने में किसानों को अपनी फसलों का विशेष ध्यान रखना होता हैं ताकि फसल की उपज में कमी आने से बचा जा सकें। 

इस लेख में हम आपको मार्च माह के कृषि संबंधी आवश्यक कार्यों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे।

मार्च महीने में रबी फसलों में किए जाने वाले आवश्यक कार्य  

मार्च महीने में रबी की फसलों में किए जाने वाले विशेष कार्य निम्नलिखित दिए गए हैं

गेहूँ और जौ   

गेहूँ की फसल में प्रत्येक 2025 दिन के अंतराल पर सिंचाई करना आवश्यक है। सिंचाई के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखें कि हवा की गति अधिक न हो, क्योंकि तेज हवा से फसल गिरने की संभावना बढ़ जाती है।  

मौसम की स्थिति को देखते हुए किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि वे गेहूँ में पीला रतुआ रोग की नियमित निगरानी करें। 

यदि पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे दिखाई दें, तो प्रभावित पत्तियों को ध्यानपूर्वक तोड़कर मिट्टी में दबा दें। व्यापक रूप से (मार्च के प्रथम पखवाड़े में) परिवर्तन होने पर पानी में घुलनशील गंधक का छिड़काव करें।  

रोग के लक्षण उभरने पर प्रोपीकोनाजोल 25 ई.सी. का 0.1% घोल बनाकर छिड़काव करें। यदि रोग की गंभीरता अधिक हो, तो 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव दोबारा करें।  

यदि फसल चूने की अवस्था में हो, तो डाइथेन एम45 @2 मि.ली./लीटर पानी या ज़िनेब @2 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर को 1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। फफूंद संक्रमण अधिक होने की स्थिति में, 15 दिन बाद पुनः छिड़काव करें।

दलहनी फसलें  

चना में फली छेदक कीट का आक्रमण दाना बनने की अवस्था में अधिक होता है। इसके नियंत्रण हेतु मोनोक्रोटोफॉस @1 लीटर या स्पिनोसैड/इमामेक्टिन बेंजोएट @250 मि.ली. को 600800 लीटर पानी में घोलकर फली आने के समय फसल पर छिड़काव करें। मटर की फसल में दाना बनने की अवस्था में हल्की सिंचाई करना लाभदायक होता है।  

फली छेदक कीट मसूर की फलियों को भी नुकसान पहुँचाता है और दानों को खा जाता है। इससे बचाव के लिए फेनवालरेट @750 मि.ली. या मोनोक्रोटोफॉस @750 मि.ली. को 600800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।  

मटर और मसूर की फसल में मार्च के पहले पखवाड़े तक कोमल भागों से रस चूसने वाले कीटों की रोकथाम हेतु इमिडाक्लोप्रिड 50 ई.सी. @1 लीटर या फोसीलोन 25 ई.सी. @2 लीटर को 600800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें, जिससे इन कीटों के प्रकोप को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सके।

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इस माह ग्रीष्मकालीन उड़द और मूंग की बुवाई की जा सकती है।  

  • उड़द की उन्नतशील प्रजातियाँ: आज़ाद उड़द 1, आज़ाद उड़द 2, पंत उड़द 19, पंत उड़द 30, पंत उड़द 35, बी.यू 1, केयू. 300, डब्ल्यू.बी.यू. 109 (सुलता), एल.यू. 391 और के.यू.जी. 479 आदि।  
  • मूंग की उन्नतशील प्रजातियाँ: पंत मूंग 2, नरेंद्र मूंग 1, भालवीय, जॉगीर, सम्राट, पूसा विशाल, पूसा 105, एम.यू. 11, एम.यू. 32, जनगंगा, माही, मानवीय और ज्योति आदि।  
  • बीज दर: उड़द/मूंग की उत्तम गुणवत्ता के लिए बीज दर 1520 कि.ग्रा./हेक्टेयर होनी चाहिए।  
  • बीज शोधन: बुवाई से पूर्व बीज को 2.5 ग्राम थीरम अथवा 2 ग्राम थीरम + 1 ग्राम कार्बोक्सिन प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें, जिससे फसल को बीमारियों से बचाया जा सके।

चारा फसलों की बुवाई  

इस माह में ज्वार, बाजरा, मक्का, लोबिया और चवला जैसी चारा फसलों की सफलतापूर्वक खेती की जा सकती है। चारा उत्पादन के लिए उन्नतशील किस्मों का चयन करें। बेहतर उपज के लिए संकर ज्वार की बुवाई उपयुक्त होती है।  

बीज उपचार: बीज को बुवाई से पहले थीरम या बाविस्टिन @2.5 ग्राम प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित करें, जिससे बीज जनित रोगों से बचाव हो सके।  

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गन्ने की बुवाई  

उत्तर भारत में इस माह भी गन्ने की बुवाई जारी रहेगी। बीज टुकड़े रोगमुक्त होने चाहिए, क्योंकि संक्रमित बीज से फसल में रोग फैलने की संभावना बढ़ जाती है।  

बीज सुरक्षा: बुवाई से पहले बीज टुकड़ों को 0.2% उपयुक्त रसायन के घोल में उपचारित करें ताकि वे पूरी तरह सुरक्षित रहें और स्वस्थ पौधों का विकास हो सके। 

बरसीम में बीज उत्पादन

रबी मौसम में बरसीम चारे की एक महत्वपूर्ण फसल के रूप में उभरकर आई है। इसका बीज बाजार में महंगा मिलता है, जिससे किसान स्वयं बीज उत्पादन कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं।  

 उच्च गुणवत्ता वाले बीज उत्पादन के लिए सावधानियाँ:  

  1. समय पर कटाई: अधिक उत्पादन और गुणवत्ता युक्त बीज प्राप्त करने के लिए फसल की कटाई महीने के दूसरे सप्ताह के बाद करें और इसे बीज उत्पादन के लिए छोड़ दें।  
  2. नमी बनाए रखना: बीज बनने तक खेत में पर्याप्त नमी बनी रहनी चाहिए, इसके लिए आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। विशेष रूप से फूल आने और दाना भरने की अवस्था में सिंचाई जरूरी है।  
  3. परागण का ध्यान रखें: मधुमक्खियाँ परागण में सहायक होती हैं, अतः उनके संरक्षण पर ध्यान दें।  
  4. खरपतवार नियंत्रण: फूल आने के बाद खेत में खरपतवार नियंत्रण आवश्यक है, ताकि बीज उत्पादन प्रभावित न हो।  
  5. बीज पकने पर फसल उठाएँ: जब बीज पकने की अवस्था में झड़ने लगे, तो इसे खेत से उठाकर बाहर करें।  
  6. सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव: फूल अवस्था में सूक्ष्म पोषक तत्वों के छिड़काव से बीज उत्पादन में वृद्धि होती है। बाजार में उपलब्ध सूक्ष्म पोषक तत्वों के मिश्रण का उपयोग आवश्यकतानुसार किया जा सकता है।

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हरी खाद की फसलें  

रबी फसलों की कटाई के बाद खाली खेतों में मृदा उर्वरता वृद्धि के लिए हरी खाद वाली फसलों की बुवाई की जा सकती है। हरी खाद के लिए मुख्य रूप से दलहनी फसलें उगाई जाती हैं। दलहनी फसलें मृदा की भौतिक दशा का सुधार करने के अलावा उसमें जीवांश पदार्थ की मात्रा भी बढ़ाती हैं। हरी खाद के प्रयोग से अगली फसल में उर्वरकों की कम आवश्यकता होती है। हरी खाद की फसलों में ढैंचा, सनई, लोबिया तथा ज्वार, इत्यादि मुख्य हैं।  

मुख्य नकदी फसल के साथ हरी खाद स्थान, समय, जल तथा अन्य सीमित संसाधनों के साथ प्रतिस्पर्धा करती है, इसी कारण हरी खाद के उपयोग में बहुत बाधाएं हैं।  

सब्जियाँ  

सब्जियों में कीटों का आक्रमण: सब्जियों में चेपा का आक्रमण की निगरानी करते रहें। वर्तमान तापमान में यह कीट जल्दी ही नष्ट हो जाते हैं। यह कीट कोमल हिस्सों को अधिक हानि पहुँचाते हैं, इसलिए इमिडाक्लोप्रिड @ 0.25 मिली. प्रति लीटर पानी में घोलकर फसलों पर छिड़काव करें। छिड़काव के बाद आसमान साफ़ होने पर धूप में फसलों पर पानी का असर बना रहे।  

सब्जियों की बुवाई: इस माह कर सकते हैं। जैसे—  

  •  भिंडी: परभणी क्रांति और अन्य किस्मों की बुवाई करें। बीज की मात्रा 2025 किग्रा./हेक्टेयर रखें। बुवाई से पूर्व बीज को 2 ग्राम कैप्टन अथवा थीरम प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित करें।  
  •  लोबिया: हरी सब्जी वाली लोबिया की बुवाई करें। उन्नतशील किस्मों जैसे पूसा कोमल, पूसा सुखलता, पूसा फरमिनी की बुवाई करें। बुवाई से पूर्व बीज को थीरम या कैप्टन @ 2 ग्राम प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित करें।  
  • अन्य सब्जियाँ: बैंगन—पौंडर, जानीगोल्ड लॉन्ग, पूसा संयोग, शिमला मिर्च—पूसा संदीप, पूसा संजुक्ति, करेला—पूसा दो समर, टिंडा—पूसा स्नेह, टमाटर—पूसा संदर, आदि की बुवाई करें।  

आम और फलों की देखभाल  

आम के भुनगे का अत्यधिक प्रकोप होने की स्थिति में मोनोक्रोटोफास अथवा डायमेथोएट @ 0.05% घोल का छिड़काव करें।  

आम में खैर रोग का प्रकोप होने पर डाइनोकैप 0.05% का छिड़काव आवश्यक होता है। भुनगा कीट एवं खैर रोग की रोकथाम के लिए कीटनाशी एवं कवकनाशी का एक साथ मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है।  

फलदार वृक्षों की देखभाल:  

  •  अंगूर, आड़ू और अन्य पतझड़ी फलों में नमी बनाए रखने के लिए सिंचाई करें।  
  •  ग्रीष्मकालीन गन्ने की रोपाई से पहले खेत में उर्वरकों की संतुलित मात्रा डालें और उचित नमी बनाए रखें।  
  •  खरपतवारों की रोकथाम करें ताकि फसलों को सही पोषण और नमी मिल सके।