आज कल गांव में किसी बात की सबसे ज्यादा चर्चा है तो बस दो बातों की है, एक तुमने धIन की कौन सी प्रजाति लगाई है और दूसरी अबकी बार कौन कौन प्रधानी के लिए खड़े हो रहे है... वो कहते है न जितना छोटा चुनाव उतना ज्यादा टेंसन... आजकल प्रधानी और सदस्यी जैसे छोटे चुनाव भी बड़े खर्चीले हो गए हैं. लोग प्रत्यासी न देख कर सिर्फ पैसा, खाना ( पूड़ी सब्जी) और शराब किसने ज्यादा दिया उसी के हो लिए. जो आपका वोट लेने के लिए इतना पैसा खर्च कर रहा है आपको लगता है की वो आपको विकास की गंगा बहा कर देगा ? नहीं वो अपने विकास की बात करेगा और कब वो बाइक से स्कार्पियो पर आ जायेगा आप को पता भी नहीं चलेगा.
जब किसी गांव में प्रधानी का चुनाव होता है तो उस गांव की जनसंख्या 200 से ज्यादा होनी चाहिए अगर इससे कम जनसंख्या है तो उसको दूसरे गांव के साथ मिला दिया जाता है तब दोनों गांव को मिला कर एक प्रधान होता है. कई जगह प्रधान को सरपंच या मुखिया भी बोलै जाता है. अमूमन 1000 की जनसंख्या 10 सदस्य होते हैं, 3000 तक 15 सदस्य और इसी तरह ये क्रम बढ़ता जाता है . ग्रामसभा की मीटिंग हर 6 महीने में होनी चाहिए मतलब साल में 2 मीटिंग्स और इसकी सूचना 15 दिन पहले डोढी पिटवा के या फिर सदस्य के घर जाकर एक रजिस्टर पर साइन करके भी दी जा सकती है. सरपंच या प्रधान मीटिंग बुलाता है और मीटिंग बुलाने का अधिकार उसी के पास होता है और अगर कुल सदस्यों के एकतिहाई सदस्य अपने साइन करके प्रधान को देते है तो भी प्रधान को मीटिंग बुलानी पड़ती है, मीटिंग में कम से कम कुल सदस्यों के 5वें भाग की उपस्थिति जरूरी होती है जैसे किसी पंचायत में २० सदस्य है तो ४ सदस्यों का मीटिंग में होना जरूरी है.
चुने हुए सदस्यों में से ही सहमति के अनुसार एक सदस्य को उप प्रधान बनाया जाता है अगर किसी कारन वश प्रधान को हटा दिया जाता है तो सदस्यों के द्वारा एक कमेटी का गठन किया जाता है जो की प्रधान के सारे काम देखती है.
प्रधान या उप प्रधान को पद से हटाना हो तो ?
अगर आपका प्रधान या सपंच कम सही न कर रहा हो और पैसे का सही इस्तेमाल न हो रहा हो तो उसे कार्यकाल पूरा होने से पहले पद से हटाया भी जा सकता है उसके लिए जिला पंचायत राज अधिकारी को लिखित सूचना हटाने के कारण सहित लिखित में देना होता है और इस पर आधे या आधे से ज्यादा सदस्यों के साइन होने चाहिए तथा 4 से 5 सदस्यों का अधिकारी के समक्ष उपस्थित होना आवश्यक है इसके बाद जिला पंचायत राज अधिकारी गांव में एक मीटिंग बुलाते है जिसकी सूचना 15 दी पहले दी जाती है. मीटिंग में सभी सदस्यों का उपस्थित रहना आवश्यक होता है तथा वोटिंग के बाद प्रधान और उप प्रधान को हटाया जा सकता है.
अमूमन ग्राम पंचायत में सभी काम के लिए समितियों का गठन किया जाता है जिससे की सारे काम सही से और समय से चलते रहें. ग्राम पंचायत की सभी समितियों में चार सदस्य बहुत आवश्यक है जिनमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला एवं पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य होगा. ग्राम पंचायत के अंदर बहुत सी समितियाँ आती है. जैसे नीचे दी गई समिति तथा उनके कार्य.
कितना पैसा आता है ग्राम पंचायत में विकास के लिए: हर ग्राम पंचायत को पैसा उसकी जनसंख्या और एरिया के हिसाब से आता है. अंत में मेरा तो यही कहना है की इस बार आप जाति और धर्म से ऊपर उठकर वोट करें और किसी अच्छे प्रत्याशी का चयन करें और उससे पैसा खर्च न कराएं बस विकास की गॉरन्टी लें.