कृषि वानिकी (एग्रोफॉरेस्ट्री) किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। पारंपरिक खेती छोड़कर कई किसान पेड़ों की खेती में निवेश कर रहे हैं, जिससे वे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
देशभर में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां किसान पेड़ लगाकर करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। सफेदा, महोगनी, सागवान, गम्हार, चंदन आदि पेड़ों की खेती कम लागत और देखभाल के साथ की जा सकती है, और इससे अच्छी कमाई होती है।
पारंपरिक खेती से अनाज और अन्य सामग्री प्राप्त की जा सकती है, लेकिन कृषि वानिकी से महंगी लकड़ी मिलती है, जिसका फर्नीचर और अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग होता है।
भारत में उच्च गुणवत्ता वाली लकड़ी की बहुत मांग है, इसलिए लकड़ियों का विदेशों से आयात भी किया जाता है।
इंग्लैंड और अमेरिका जैसे देशों में लकड़ी की खेती सामान्य है, इसलिए वहां से लकड़ी आयात की जाती है।
सफेदा, जिसे यूकेलिप्टस भी कहा जाता है, फर्नीचर, ईंधन, और कागज की लुगदी बनाने में उपयोग होता है। सफेदा की खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं।
एक हेक्टेयर में 300 सफेदा के पौधे लगाए जा सकते हैं और 5 साल में तैयार हो जाते हैं। सही तरीके से खेती करने पर किसान 5 साल में एक हेक्टेयर से 70 से 80 लाख रुपए तक कमा सकते हैं।
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महोगनी की लकड़ी फर्नीचर और सजावटी सामान बनाने के लिए बेहतरीन मानी जाती है। इसके बीजों और पत्तियों से तेल और मच्छर भगाने वाली दवा भी बनाई जाती है।
महोगनी के बीज का मूल्य प्रति किलो 1000 रुपये तक होता है। एक हेक्टेयर में 1100 महोगनी पेड़ लगाए जा सकते हैं, जो 12 साल में तैयार होते हैं।
प्रत्येक पेड़ से 20 से 25 हजार रुपए की कमाई हो सकती है, और किसान 12 से 15 साल में करोड़पति बन सकते हैं।
सागवान के पेड़ 15 से 20 साल में तैयार होते हैं और इनका उपयोग फर्नीचर, नाव, जहाज, खिड़कियां, और रेल डिब्बों के निर्माण में होता है।
इसके पत्ते औषधीय उपयोग में भी आते हैं। एक एकड़ में 500 सागवान के पेड़ लगाए जा सकते हैं। 15-20 साल बाद एक सागवान का पेड़ 25 से 30 हजार रुपए में बेचा जा सकता है, जिससे किसान करोड़पति बन सकते हैं।