किसान भाइयों आज हम आपको कुम्हड़ा की खेती के बारे में जानकारी देंगे। क्योंकि इससे निर्मित होने वाले पेठे की मांग निरंतर बाजार में बनी रहती है।
इसको सफेद कद्दू, सर्दियो का खरबूजा या धुंधला खरबूजा भी कहा जाता है। इसका मूल स्थान दक्षिण-पूर्व एशिया है। यह चर्बी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और रेशे का उच्चतम स्त्रोत है।
इसका उपयोग काफी सारी औषधियां बनाने में भी किया जाता है। इसमें केलरी कम होने की वजह से यह शुगर के मरीजों के लिए अत्यंत फायदेमंद है।
इसका इस्तेमाल कब्ज, एसिडिटी और आंतड़ी के कीट के उपचार के रूप में भी किया जाता है।
PAG-3 (2003): इस किस्म की मध्यम लंबाई की बेलों के हरे पत्ते होते हैं। इसका फल आकर्षक, गोलाकार और औसत आकार के होते हैं।
यह किस्म बुवाई से लेकर कटाई तक 145 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। फलों का वजन औसतन 10 किलो होता है और इसकी औसतन पैदावार 120 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
इसकी खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। हालाँकि, रेतली दोमट मिट्टी में यह शानदार उपज प्रदान करती है। मिट्टी का उचित pH 6-6.5 होना चाहिए।
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इसके अतिरिक्त अन्य राज्यों की किस्मों में CO 1, CO 2, Pusa Ujjwal, Kashi Ujawal, MAH 1, IVAG 502 है।
मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरा करने के लिए 3-4 बार जोताई करें। अंत में जोताई करने से पहले 20 किलो गली-सड़ी रूडी की खाद 40 किलो प्रति एकड़ के साथ मिला कर डालें।
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बीजों को मिट्टी में पैदा होने वाली फंगस से बचाने के लिए कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम के साथ प्रति किलो बीज का उपचार करें।
रसायनिक उपचार के बाद ट्राइकोडर्मा विराइड 4 ग्राम या सिओडोमोनस फ्लूरोसेंस 10 ग्राम के साथ प्रति किलो बीज का उपचार करें।
सिंचाई की बात करें तो जलवायु और मिट्टी की किस्म के अनुसार गर्मियों की ऋतु में 7-10 दिनों के फासले पर सिंचाई करें।
बारिश की ऋतु में बारिश के अनुसार सिंचाई करें। साथ ही, खरपतवार की तीव्रता के अनुसार, हाथों या कसी के साथ गोडाई करें।
मलचिंग के साथ भी खरपतवार को रोका जा सकता है और पानी की बचत भी की जा सकती है।
किस्म के आधार पर फसल 90-100 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। मांग के मुताबिक फलों की तुड़ाई पकने के समय या उससे पहले की जा सकती है।
पके हुए फलों को ज्यादातर बीजों के उत्पादन के लिए प्रयोग किया जाता है। फलों को तेज चाकू के साथ बेल के पास से काटें।
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बीज के उत्पादन के लिए, बीजों को फरवरी-मार्च के महीने में बोयें। बीमारी वाली और जरूरत ना होने वाली फसलें फूल निकलने, फल बनने और पकने के समय हटा दें।
जब फल और तने के तल पर सफेद पन दिखाई दें, तो फल काटने का सही समय होता है। बीजों को अलग करके लगाएं और पानी के साथ धो लें।
फिर बीजों को स्टोर करने से पहले सूखा लें। बीजों को कम तापमान और कम नमी पर स्टोर किया जाता है।