दलहन वनस्पतियों की दुनिया में दलहन प्रोटीन का मुख्य स्त्रोत माना जाता है। dalhan द्वारा ही हम प्रोटीन को सही ढंग से प्राप्त कर पाते हैं। दलहन का अर्थ दाल होता है।
dalhan fasal में कई तरह की दाल की खेती होती है: जैसे राजमा, उड़द की दाल, मूंग की दाल, मसूर की दाल, मटर की दाल, चने की दाल, अरहर की दाल, कुलथी आदि।
दलहन की बढ़ती उपयोगिता को देखते हुए इसके दामों में भी काफी इजाफा हो रहे हैं। दलहन के भाव आज भारतीय बाजारों में आसमान छू रहे हैं। इस लेख में आप दलहन क्या है? और इनके खेती के बारे में जानेगे।
कई तरह के दलहन [dalhan fasal] दालों में लगभग 50% प्रोटीन मौजूद होते हैं तथा 20% कार्बोहाइड्रेट और करीबन 48% फाइबर की मात्रा मौजूद होती है इसमें सोडियम सिर्फ एक पर्सेंट होता है।
इसमें कोलेस्ट्रोल ना के बराबर पाया जाता है। वेजिटेरियन के साथ नॉनवेजिटेरियन को भी दाल खाना काफी पसंद होता है।
दाल हमारी पाचन क्रिया में भी आसानी से पच जाती है ,तथा पकाने में भी आसान होती है, डॉक्टर के अनुसार दाल कहीं तरह से हमारे शरीर के लिए फायदेमंद है।
आइये जानते है आखिर दलहन क्या है। दोस्तों यह प्रोटीन युक्त पदार्थ है दाल पूर्व रूप से खरीफ की फसल है। हर तरह की दालों को लेगयूमिनेसी कुल की फसल कहा जाता है।
दालों की जड़ों में आपको राइजोबियम नामक जीवाणु मिलेंगे। जिसका मुख्य कार्य वायुमंडल में मौजूद नाइट्रोजन को नाइट्रेट में बदलना होता है तथा मृदा की उर्वरता को बढ़ाता है।
मसूर की दाल यानी (lentil )यह रबी के मौसम में उगाने वाली दलहनी फसल है। मसूर दालों के क्षेत्र में मुख्य स्थान रखती है। यह मध्य प्रदेश के असिंचित क्षेत्रों में उगाई जाने वाली फसल है।
मसूर दलहन [dalhan - masoor dal ki kheti] मसूर दाल की खेती करने का महीना अक्टूबर से दिसंबर के बीच का होता है।जब इस फसल की बुआई होती है रबी के मौसम में, इस फसल की खेती के लिए दो मिट्टियों का उपयोग किया जाता है:
खेती करने के लिए लाल मिट्टी बहुत ही ज्यादा लाभदायक होती है, उसी प्रकार लाल लेटराइट मिट्टी द्वारा आप अच्छी तरह से खेती कर सकते हैं।
मसूर dalhan को उत्पाद करने वाला सबसे प्रथम क्षेत्र मध्य प्रदेश को माना गया है।आंकड़ों के अनुसार लगभग 39. 56% तथा 5.85 लाख हेक्टेयर में इस दाल की बुवाई की जाती है।
जिसके अंतर्गत यह प्रथम स्थान पर आता है। वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश व बिहार दूसरी श्रेणी में आता है। जो लगभग 34.360% तथा 12.40% का उत्पादन करता है।
मसूर dalhan fasal का उत्पादन उत्तर प्रदेश में 36.65% और (3.80लाख टन) होता है। मध्यप्रदेश में करीब 28. 82% मसूर दाल का उत्पादन करते हैं।
Chana चना एक दलहनी फसल है।चना देश की सबसे महत्वपूर्ण कही जाने वाली दलहनी फसल है। इसकी बढ़ती उपयोगिता को देखते हुए इसे दलहनो का राजा भी कहा जाता है। चने में बहुत तरह के प्रोटीन मौजूद होते हैं। इसमें प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, जैसे तत्व मौजूद होते हैं।
चने की खेती को अक्टूबर के महीने में बोया जाता है। इसकी खेती अक्टूबर के शुरू महीने में करनी चाहिए , जहां पर सिंचाई की संभावना अच्छी हो, उन क्षेत्रों में इसको 30 अक्टूबर से बोना शुरू कर दिया जाता है। अच्छी फसल पाने के लिए इसकी इकाइयों को अधिक बढ़ाना चाहिए।
चना रबी की dalhan fasal है। इसको उगाने के लिए आपको गर्म वातावरण की जरूरत पड़ती है। रबी की प्रमुख dalhan फसलों में से चना भी एक प्रमुख फसल है।
किसानों द्वारा हासिल की गई जानकारी के अनुसार चने की फसल बुवाई करने के बाद 40 से 60 दिनों के बाद इसकी सिंचाई करनी चाहिए। फसल में पौधे के फूल आने से पूर्व यह सिंचाई की जाती है। दूसरी सिंचाई किसान पत्तियों में दाना आने के समय करते हैं।
Chane ki kheti चने की अधिक पैदावार के लिए किसान 3 वर्षों में एक बार ग्रीष्मकालीन की अच्छी तरह से गहरी जुताई करते हैं जिससे फसल की पैदावार ज्यादा हो।
किसान प्यूपा को नष्ट करने का कार्य करते हैं। अधिक पैदावार की प्राप्ति के लिए पोषक तत्व की मात्रा में मिट्टी परीक्षण किया जाता है। जब खेत में फूल आते हैं तो किसान T आकार की खुटिया लगाता है।
फूल निकलते ही सारी खुटिया को निकाल दिया जाता है। अच्छी खेती के लिए फेरोमेन ट्रैप्स इस्तेमाल करें।जब फसल की ऊंचाई 15 से 20 सेंटीमीटर तक पहुंच जाए, तो आप खेत की कुटाई करना शुरू कर दें, शाखाएं निकलने व फली आने पर खेत की अच्छे से सिंचाई करें।
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